रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


Issue no 29, 14 - 20 October 2023

मधुबंती दत्ता आकाश कुमार भुखमरी से पूरी तरह मुक्ति और शून्य-कार्बन खाद्य प्रणाली प्राप्त करना जटिल और बहुआयामी प्रयास हंै जिनके लिए सरकारों, व्यवसायों, समुदायों और व्यक्तियों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है। इसमें न केवल खाद्य सुरक्षा और पोषण बल्कि जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरणीय संधारणीयता की व्यापक चुनौतियों का समाधान भी शामिल है। यह अधिक न्यायसंगत, स्वस्थ और टिकाऊ दुनिया की खोज में एक महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। भारत ने कोविड संकट के दौरान वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उदाहरण 1.21 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न का निर्यात है। इसके अलावा, भारत के सक्रिय प्रयासों के कारण संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया है, जिसका दुनिया भर के 70 से अधिक देशों ने समर्थन किया है। इसमें वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में नामित किया गया है। भारत सक्रिय रूप से प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दे रहा है और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण के रूप में मोटा अनाज जैसे पौष्टिक और पारंपरिक खाद्यान्न की खपत को पुनर्जीवित कर रहा है। मोटा अनाज को कुपोषण और भुखमरी की वैश्विक चुनौतियों के लिए एक व्यवहार्य समाधान के रूप में देखा जाता है। इस पहल के अंतर्गत भारत ने जी20 बैठकों और कार्यक्रमों में प्रतिनिधियों को मोटा अनाज -आधारित व्यंजन परोसे। क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर के नाम से जानी जाने वाली यह पहल, वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत के व्यावहारिक और अभिनव योगदान का प्रतिनिधित्व करती है। यह वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा के गंभीर मुद्दों को संबोधित करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतिओं और मोटा अनाज जैसी परिवर्तनशील और पौष्टिक फसलों के उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जी20 ने अपनी घोषणा में खाद्य सुरक्षा से संबंधित नवीन पहल की है, जैसे बाजार पारदर्शिता में सुधार करना और खाद्य मूल्य अस्थिरता को कम करने वाली कृषि बाजार सूचना प्रणाली (एएमआईएस), और विकासशील देशों में छोटे किसानों की सहायता के लिए धन मुहैया कराने से संबंधित वैश्विक कृषि और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम (जीएएफएसपी) । भुखमरी के मुद्दों को संबोधित करने, जलवायु-स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने और समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखलाओं और खाद्य प्रणालियां बनाने वाली अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्यनीतियों को लागू करके वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति हासिल की जा सकती है। मुख्य बिंदु निम्न प्रकार हैंः 1. जलवायु-स्मार्ट कृषिः बदलती जलवायु परिस्थितियों के बावजूद खाद्य उत्पादन परिवर्तशील बना रहे यह सुनिश्चित करने के लिए जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं को लागू करना महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण में कृषि पद्धतियों को मौजूदा जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालना शामिल है। 2. समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखलाएंः समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखलाएं और खाद्य प्रणालियां बनाना यह सुनिश्चित करता है कि छोटे किसानों सहित सभी हितधारकों को लाभ उठाने का अवसर मिले। इससे कृषि उत्पादों के लिए बाजारों तक पहुंच में सुधार करने और उचित कीमतें उपलब्ध कराने में मदद मिल सकती है। 3. मोटा अनाज अनुसंधान और जागरूकताः मोटा अनाज अनुसंधान को बढ़ावा देने और इसकी खपत के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अग्रणी पहल करना महत्वपूर्ण है। इसमें मोटा अनाज के भंडार और उपयोग की अवधि बढ़ाने और पारंपरिक क्षेत्रों से परे उनकी खपत का विस्तार करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को एक साथ लाना शामिल हो सकता है। 4. ग्रामीण बाजारों में निवेशः विविध खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए ग्रामीण बाजारों और मूल्य श्रृंखलाओं में निवेश करना आवश्यक है, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों उपभोक्ताओं को लाभ होगा। खाद्यान्न भंडार का विस्तार करना और साल भर खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। 5. कृषि नीतियों में विविधता लानाः कृषि नीतियों को केवल मुख्य अनाजों से हटाकर अधिक विविध खाद्यान्नों पर केंद्रित करने से खाद्य सुरक्षा और पोषण में सुधार हो सकता है। 6. सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेशः खाद्य सुरक्षा प्रयासों के साथ-साथ, बाल कुपोषण और समग्र स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के समाधान के लिए स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश आवश्यक है। ये प्रतिबद्धताएं वैश्विक खाद्य प्रणालियों, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के अंतर-संबंध की जी20 नेताओं की मान्यता को दर्शाती हैं। वे सभी के लिए खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और अधिक परिवर्तशील तथा न्यायसंगत दुनिया को बढ़ावा देने में सहयोग, नवाचार और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करती हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 और ग्लोबल फूड सिक्योरिटी इंडेक्स 2022 के निष्कर्षों के आधार पर, ब्रिक्स देशों की रैंकिंग की जांच से पता चला है कि दोनों सूचकांकों में भारत की स्थिति तत्काल कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। खाद्य और पोषण सुरक्षा को संबोधित करने के लिए व्यापक और प्रभावशाली उपाय लागू करने में भारत के सफल अनुभव अन्य देशों के लिए एक मूल्यवान मॉडल के रूप में काम करते हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), समग्र पोषण अभियान के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, आंगनवाड़ी सेवा योजना और एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के तहत किशोर बालिका योजना जैसी पहल ने पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने और पोषण सुरक्षा में सुधार लाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हाल में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण 2.0 की शुरुआत की और पोषण माह पहल के रूप में सभी आकांक्षी जिलों को पोषण वाटिका या पोषण उद्यान स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। प्राथमिक ध्यान जीवन-चक्र दृष्टिकोण के माध्यम से कुपोषण को समग्र रूप से संबोधित करने पर है, जो मिशन पोषण 2.0 का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह पहल ’सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित है, जो देश के स्वास्थ्य और परिवर्तनशीलता को मजबूत करने में पोषण, शिक्षा और सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित करता है। भारत सरकार के पास अपने नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं हैं। कुछ प्रमुख योजनाओं में शामिल हैंः -राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए )ः राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 भारत में सबसे महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा योजना है। यह 800 मिलियन से अधिक लोगों या लगभग 67 प्रतिशत आबादी को सब्सिडी वाला खाद्यान्न प्रदान करती है। एनएफएसए के तहत, पात्र परिवारों को क्रमशः 3 रुपये, 2 रुपये और 1 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर सब्सिडी वाला चावल, गेहूं और मोटा अनाज मिलता है। -प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई ): प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना एक विशेष खाद्य सुरक्षा योजना है जिसे भारत सरकार ने कोविड -19 महामारी के दौरान शुरू किया था। पीएमजीकेएवाई के तहत, पात्र परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न मिलता है। इस योजना को सितंबर 2023 तक बढ़ाया गया है। -अंत्योदय अन्न योजना, 2000 (एएवाई)ः भारत के सबसे गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा योजना है। इसके तहत, पात्र परिवारों को रियायती कीमतों पर प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है। -मध्याह्न भोजन योजना, 2008ः मध्याह्न भोजन योजना के तहत स्कूली बच्चों को सप्ताह के दिनों में मुफ्त भोजन दिया जाता है। यह योजना पूरे भारत में 120 मिलियन से अधिक बच्चों को कवर करती है। इन योजनाओं के अलावा, भारत सरकार कुछ अन्य खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम भी चला रही है, जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और काम के बदले खाद्यान्न कार्यक्रम। जी20 नेताओं द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं वैश्विक कृषि चुनौतियों से निपटने और खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए व्यापक और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। उनकी प्रतिबद्धताओं के मुख्य बिंदु हैंः 1. उर्वरकों तक पहुंच और उनका कुशल उपयोगः कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरकों तक पहुंच और उनके कुशल उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। उर्वरक फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, और उनके जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग से फसल की पैदावार और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। 2. स्थानीय उर्वरक उत्पादन को सुदृढ़ करनाः स्थानीय उर्वरक उत्पादन को प्रोत्साहित करने से इनके आयात पर निर्भरता कम हो सकती है, आपूर्ति श्रृंखला परिवर्तनशीलता बढ़ सकती है और खाद्य सुरक्षा में योगदान हो सकता है। 3. मृदा स्वास्थ्य पर ध्यानः मृदा स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता स्थायी भूमि प्रबंधन प्रथाओं के महत्व को रेखांकित करती है जो मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती है और सुधारती है। 4. नवाचार और निवेशः कृषि में नवाचार और निवेश को प्राथमिकता देना उत्पादकता बढ़ाने, भोजन की बर्बादी को कम करने और अधिक टिकाऊ तथा जलवायु-अनुकूल खाद्य प्रणाली बनाने की कुंजी है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में तकनीकी प्रगति महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। 5. विकासशील देशों के लिए सहयोगः विकासशील देशों के लिए उनके खाद्य सुरक्षा प्रयासों में सहयोग की पुष्टि करना वैश्विक सहयोग और एकजुटता के महत्व पर प्रकाश डालता है। इन देशों में क्षमता निर्माण और उनकी विशिष्ट खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में उनकी सहायता करना समान प्रगति हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। जी77 घोषणा 2023 ने दुनिया भर के संकटों को रेखांकित कियाः कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव ने गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जीवन यापन की लागत (मुद्रास्फीति) और रियायती वित्तपोषण पहुंच में अतिरिक्त चुनौतियां पैदा कीं, सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि को कमजोर किया, विशेष रूप से विकासशील देशों के पुनर्प्राप्ति प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और कम से कम एक दशक के विकास लाभ को उलट दिया। घोषणा 2023 में, जी77 देशों ने विकासात्मक चुनौतियों के लिए समन्वित और व्यापक बहुपक्षीय प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक तत्काल कार्रवाई करने और भविष्य के झटकों के खिलाफ लचीलापन बनाने के लिए विकासशील देशों के राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करने की आवश्यकता की पुष्टि की। भारत को टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने, भोजन की बर्बादी तथा हानि को कम करने और छोटे किसानों के लिए बाजार पहुंच में सुधार करने के लिए जी77 के काम से भी लाभ हुआ है। इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए जी77 का कार्य भारत के लिए फायदेमंद रहा है। यह सुनिश्चित करने में भारत की गहरी रुचि है कि एक वैश्विक खाद्य सुरक्षा प्रशासन प्रणाली हो जो समावेशी और न्यायसंगत हो। खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का जी77 का काम भी भारत के लिए फायदेमंद रहा है। भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा आर्थिक स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और समावेशी विकास के साथ खाद्य सुरक्षा के अंतर्संबंध को रेखांकित करती है। इसके मुख्य बिंदु हैंः 1. कृषि विकासः खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना और वितरण नेटवर्क में सुधार करना महत्वपूर्ण है। आधुनिक सिंचाई प्रणालियों, कृषि अनुसंधान, बाजार के बुनियादी ढांचे और कुशल परिवहन नेटवर्क में निवेश से खाद्य आपूर्ति और सामर्थ्य में वृद्धि हो सकती है। 2. जागरूकता अभियानः राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के महत्व और समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा से इसके संबंध के बारे में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। इस तरह के जागरूकता अभियान लोगों को वैश्विक झटकों और संकटों का सामना करने में लचीलेपन के महत्व को समझने में मदद कर सकते हैं। 3. लचीलापनः राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा महामारी, युद्ध तथा प्राकृतिक आपदाओं सहित विभिन्न संकटों के खिलाफ लचीलेपन में योगदान देती है। ऐसे संकट के दौरान पर्याप्त खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करना राष्ट्र की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। 4. आर्थिक स्थिरताः कृषि उत्पादन बढ़ाने और वितरण में सुधार से रोजगार के अधिक अवसर और किसानों की आय में सुधार हो सकता है। यह, बदले में उच्च सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है और आर्थिक स्थिरता में योगदान करते हुए नागरिकों का जीवन स्तर बढ़ा सकता है। 5. समावेशी विकासः समावेशी विकास हासिल करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी के लिए पर्याप्त खाद्य संसाधन उपलब्ध हों, जिससे पूरी आबादी की भलाई को बढ़ावा मिले। भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण चुनौतियों से निपटने में डिजिटल परिवर्तन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकता है, डेटा प्रबंधन में सुधार कर सकता है, दक्षता बढ़ा सकता है और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में हितधारकों को सशक्त बना सकता है। भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण में डिजिटल परिवर्तन कैसे योगदान दे रहा है, इसके प्रमुख पहलू निम्न प्रकार हैंः 1. कृषि प्रौद्योगिकी को अपनानाः भारत में किसान तेजी से डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहे हैं। मोबाइल ऐप्स, सेंसर-आधारित उपकरण और सटीक कृषि तकनीकें किसानों को फसलों, मिट्टी की स्थिति और मौसम के पैटर्न की निगरानी करने में मदद करती हैं। यह जानकारी उन्हें सूचित निर्णय लेने, संसाधन उपयोग को अनुकूलित करने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में सक्षम बनाती है। 2. आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधनः खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता में सुधार के लिए डिजिटल सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। इसमें जैव विविधता के नुकसान से बचने के लिए उत्पादों की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग शामिल है, जो खाद्य सुरक्षा को बढ़ाती है और भोजन की बर्बादी को कम करती है। 3. खाद्य वितरण और पोषण ऐपः लाभार्थियों तक सीधे भोजन और पोषण पहुंचाने के लिए मोबाइल ऐप और डिजिटल सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है। इसमें डिजिटल वाउचर और डोरस्टेप डिलीवरी के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पूरक पोषण का वितरण शामिल है। 4. सरकारी पहलः भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिजिटल पहल शुरू की है। उदाहरण के लिए, ’ई-एनएएम’ (राष्ट्रीय कृषि बाजार) एक ऑनलाइन मंच है जो देश भर के कृषि बाजारों को जोड़ता है, जिससे कुशल व्यापार की सुविधा मिलती है। 5. पोषण निगरानीः आईसीडीएस और पोषण अभियान जैसे कार्यक्रमों में व्यक्तियों, विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं की पोषण स्थिति की निगरानी के लिए डिजिटल टूल और मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाता है। सुलभ, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा आर्थिक विकास, गरीबी में कमी और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। खाद्य सुरक्षा मानव कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता की आधारशिला है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, सतत विकास, जलवायु लचीलापन और मानवाधिकारों की सुरक्षा जैसे व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना जारी रखना अनिवार्य होता जाता है। सहयोग, नवाचार और भुखमरी से मुक्त दुनिया की साझा दृष्टि के माध्यम से, हम ऐसे भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम कर सकते हैं जहां हर व्यक्ति को प्रचुर और सतत खाद्य आपूर्ति से पोषण मिले। (लेखक वर्ल्ड एनर्जी काउंसिल इंडिया सचिवालय में सीनियर रिसर्च फेलो और सीनियर रिसर्च एसोसिएट हैं। इस लेख पर आप अपनी प्रतिक्रिया feedback.employmentnews@gmail.com पर भेज सकते हैं। छवि सौजन्यः संयुक्त राष्ट्र व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।