रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 24, 09-15 September 2023

भूपेन्द्र सिंह आज के तेज़ी से विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य में डेटा, नवाचार, विकास और रोज़गार सृजन के पीछे एक शक्तिशाली प्रेरक शक्ति के रूप में उभरा है। जी20 सदस्य देशों ने उद्योगों तथा व्यापार को बढ़ावा देने और नौकरी के अवसर पैदा करने के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के माध्यम से डेटा का उपयोग करने की क्षमता को पहचाना है। भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत, डीपीआई की अवधारणा को साझा डिजिटल सिस्टम स्थापित करने के साधन के रूप में प्रमुखता मिली है जो सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक सुरक्षित, अंतरसंचालनीय और निष्पक्ष पहुंच प्रदान करती है। संक्षेप में, डीपीआई, खुले मानकों पर निर्मित और कानूनी ढांचे द्वारा शासित इंटरकनेक्टेड डिजिटल सिस्टम के एक सेट का प्रतिनिधित्व करता है। इन प्रणालियों को मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान सुनिश्चित करते हुए सेवाओं की एक श्रृंखला तक आसान और समावेशी पहुंच प्रदान करने और विकास, नवाचार तथा प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। डिजिटल परिवर्तन के लिए जी20 सदस्यों के विविध दृष्टिकोण डीपीआई की विकसित होती प्रकृति को स्वीकार करते हैं, जिसे देश विशेष के संदर्भों और शब्दावली के अनुरूप बनाया जा सकता है। फिर भी, इस साल अगस्त में बेंगलुरु में आयोजित डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक में डीपीआई की प्रणालियों के लिए जी20 कार्य-प्रारूप को अपनाया गया जो मज़बूत, समावेशी, मानवतावादी और टिकाऊ डीपीआई के निर्माण के लिए सुझाया गया रोडमैप प्रदान करता है। यह कार्य-प्रारूप लचीलेपन और प्रौद्योगिकी विकल्प को बढ़ावा देता है, साथ ही गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित करता है। डिजिटल पहचान, डिजिटल भुगतान प्रणाली और डेटा आदान-प्रदान तंत्र घरेलू उद्देश्यों के लिए डीपीआई के आवश्यक घटक हैं। आधार, यूपीआई और अकाउंट एग्रीगेटर्स जैसी कई डीपीआई पहलों के साथ इस क्षेत्र में अग्रणी प्रगति के बाद, भारत ने अपनीे जी20 अध्यक्षता के माध्यम से ’इंडिया स्टैक’ मॉडल प्रदर्शित करने की मांग की है। ’इंडिया स्टैक’ की इन मूलभूत परतों ने स्वास्थ्य, कृषि, विनिर्माण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, जिससे उद्योग के विकास और उसके बाद रोजगार के अवसरों का प्रभाव पैदा हुआ है। ’इंडिया स्टैक’ की मॉड्यूलर संरचना डिजिटल परिदृश्य के भीतर नवाचार, समावेशिता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए अवसर पेश करती है, जिसे कई विकासशील अर्थव्यवस्थाएं दोहराने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा, सहयोग, खुलापन और ज्ञान आदान-प्रदान सभी के लाभ के लिए डीपीआई की पूरी क्षमता के उपयोग में महत्वपूर्ण होगा। इसलिए, भारत ने डीपीआई पर ज्ञान साझा करने में अंतर को पाटने के लिए एक ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी (जीडीपीआईआर) की स्थापना का प्रस्ताव दिया है। यह वर्चुअल रिपोजिटरी, डीपीआई विकास और तैनाती से संबंधित अनुभवों, प्रथाओं, उपकरणों और संसाधनों को साझा करने के लिए जी20 सदस्यों के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा। जीडीपीआईआर, अंतर्दृष्टि और सर्वोत्तम प्रथाओं को एकत्रित करके, दुनिया भर में डीपीआई को त्वरित रूप से अपनाने और कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान कर सकता है। उद्योग, व्यापार और कार्यबल के सशक्तिकरण में डीपीआई की भूमिकाः एक औद्योगिक अर्थव्यवस्था दो मूलभूत तत्वों- उद्योग और कार्यबल पर चलती है । उद्योग नवप्रवर्तन के लिए उत्प्रेरक का काम करता है, नौकरियां पैदा करता है और आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देता है। कार्यबल उत्पादक प्रयासों को शक्ति देकर, अनिवार्य रूप से उद्योगों के परिचालन ढांचे को कायम रखते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के युग में जहां प्रौद्योगिकी, उद्योगों को रेखांकित करती है और अधिकांश नौकरियां प्रौद्योगिकी उन्मुख हैं, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व बढ़ गया है। डीपीआई उद्योगों और श्रम बल के बीच लिंक के रूप में कार्य करते हैं और सहजीवी वातावरण स्थापित करते हैं जो दोनों क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देता है। व्यवसायों के लिए, डीपीआई डिजिटीकरण के लिए एक परिवर्तनकारी मंच प्रदान करता है, जो सुव्यवस्थित संचालन, डेटा-संचालित निर्णय लेने और बेहतर ग्राहक जुड़ाव को सक्षम बनाता है। इंटरऑपरेबल और स्केलेबल डिजिटल सिस्टम के माध्यम से, व्यवसाय नए बाजारों में प्रवेश कर सकते हैं, आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलित कर सकते हैं और उत्पादों तथा सेवाओं को नया कर सकते हैं, जिससे अंततः दक्षता और लाभप्रदता में वृद्धि हो सकती है। इसके अतिरिक्त, डीपीआई श्रम मानकों को बढ़ाने, श्रमिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और सामाजिक संवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभाते हैं, जैसा कि एल20 (लेबर 20) और बी20 (बिजनेस 20) के संयुक्त बयान से स्पष्ट है। डीपीआई द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म व्यवसायों, श्रमिक संघों और सरकारों के बीच पारदर्शी संचार सक्षम करते हैं, जिससे विश्वास और सहयोग का माहौल बनता है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप ऐसी नीतियां बनती हैं जो समग्र विकास और सामाजिक सामंजस्य के सिद्धांतों के अनुरूप श्रमिक अधिकारों, उचित वेतन और अनुकूल कार्य स्थितियों को प्राथमिकता देती हैं। भारत की जी20 अध्यक्षता के मूल मुद्दों में से एक स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देकर देशों के बीच आर्थिक संबंधों का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करना रहा है। केवल अमेरिकी डॉलर में व्यापार करने की पारंपरिक प्रथा में यह महत्वपूर्ण बदलाव न केवल द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को बढ़ावा देता है बल्कि विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता को कम करने में भी मदद करता है, जिससे वित्तीय संप्रभुता बढ़ती है। डिजिटल वित्तीय प्रणालियों के एकीकरण पर जोर देते हुए स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने के भारत के ये प्रयास राष्ट्रों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की अभिन्न रणनीति बन गए हैं। विदेश राज्य मंत्री, श्री वी मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने अब तक लगभग 20 देशों के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए समझौते किए हैं और डिजिटल वित्तीय प्लेटफार्मों को एकीकृत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह जी20 के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फ्रेमवर्क के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो प्रौद्योगिकी, अंतरसंचालनीयता और पारदर्शी शासन पर जोर देते हैं। “एक समय था जब हम अपना पूरा व्यापार डॉलर में करते थे। अब स्थिति बदल गई है और कई देश भारतीय मुद्रा को बहुत महत्व देने लगे हंै, इसलिए हम अपनी ओर से भारतीय रुपये में भुगतान करते हैं और अन्य देशों की स्थानीय मुद्राओं में भुगतान स्वीकार करते हैं। साथ ही, हम अपने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सहित अपने डिजिटल वित्तीय प्लेटफार्मों को विभिन्न देशों में समकक्षों के साथ जोड़ने की प्रक्रिया में हैं। यह एकीकरण लेन-देन को सुव्यवस्थित करता है और धन हस्तांतरित करते समय आमतौर पर होने वाली देरी तथा तकनीकी जटिलताओं को कम करता है । यह दोहरा दृष्टिकोण, जिसमें स्थानीय मुद्रा व्यापार और डिजिटल प्लेटफॉर्म एकीकरण शामिल है, तालमेल में एक साथ काम करता है। यह संयोजन द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। पिछले वर्ष देश ने निर्यात में 400 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अपना लक्ष्य हासिल किया था, और मुझे विश्वास है कि ये प्रयास हमें इस क्षेत्र में और भी आगे ले जाएंगे।’’ चूंकि समान विकास और डिजिटीकरण जी20 के मूल सिद्धांत हैं, ये प्रयास एक सहयोगात्मक और समावेशी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। डीपीआई के व्यापक उपयोग के माध्यम से, स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने और यूपीआई के कार्यान्वयन के साथ, भारत ने विकासशील दुनिया को यह उदाहरण देने की कोशिश की है कि कैसे प्रौद्योगिकी-संचालित पहल आर्थिक विकास को उत्प्रेरित कर सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि इसके लाभ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से हितधारकों तक पहुंच सकंे। इसी तरह, कार्यबल के लिए, डीपीआई एक आधार प्रदान करते हैं जिस पर सरकारें, व्यवसाय और शैक्षणिक संस्थान लक्षित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग कार्यक्रम विकसित करने के लिए सहयोग कर सकते हैं। जी20 समूह ने इस प्रतिमान में बदलाव के महत्व को पहचानते हुए, ’डिजिटल अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग कार्यक्रमों को डिजाइन करने तथा पेश करने के लिए जी20 टूलकिट’ जैसी रणनीतियां पेश की हैं। यह पहल व्यक्तियों को उभरते नौकरी परिदृश्य के अनुरूप मार्गदर्शन के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल से लैस करने, डिजिटल युग में निरंतर रोजगार क्षमता और कैरियर विकास सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। डिजिटल बुनियादी ढांचा जो दूरस्थ कार्य या आभासी सहयोग प्लेटफार्मों की सुविधा प्रदान करता है, व्यवसायों को विविध प्रतिभा पूल में टैप करने की अनुमति देता है और श्रमिकों को लचीले रोजगार के अवसर प्रदान करता है। यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण व्यावसायिक उत्पादकता को बढ़ाते हुए श्रमिकों के समग्र कल्याण में योगदान देता है। कार्यबल की दृष्टि से समृद्ध भारत जैसे देशों को डीपीआई और कार्यबल विकास के अभिसरण से महत्वपूर्ण लाभ होगा। डिजिटल कौशल का समावेश व्यक्तियों को रोजगार के नए अवसरों तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाता है, जो रोजगार दरों और श्रम बल की समग्र रोज़गार क्षमता दोनों में प्रभावी ढंग से वृद्धि में योगदान देता है। इसके अलावा, कार्यबल का डिजिटल परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए देश की अपील को बढ़ाता है विदेश राज्य मंत्री श्री वी मुरलीधरन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डीपीआई में भारत की प्रगति, देश की तकनीकी उन्नति और बुनियादी ढांचे को रेखांकित करती है। बढ़ता कुशल कार्यबल, जिसके कारण भारत के विश्व की कौशल राजधानी बनने की भविष्यवाणी की गई है, भारत को विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करता है। इसके अलावा, पुराने कानूनों और अनुपालन बोझ के उन्मूलन के साथ, भारत खुद को प्रतिभाशाली और गतिशील कार्यबल की तलाश करने वाले निवेशकों के लिए एक उपजाऊ जमीन के रूप में प्रस्तुत करता है। श्री वी मुरलीधरन ने कहा कि “जी20 की अध्यक्षता ने वैश्विक समुदाय को भारत की उल्लेखनीय प्रगति को देखने का अवसर प्रदान किया है, जो इसके बुनियादी ढांचे और तकनीकी प्रगति से प्रमाणित है। निवेश स्थलों की तलाश करने वाले लोग भारत के प्रचुर कुशल कार्यबल को पहचानेंगे, जो दुनिया में सबसे बड़ा है। भारत के विकास पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह दुनिया की कौशल राजधानी बन जाएगा। इसे देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय निवेशक यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि भारत अनुकूल बुनियादी ढांचे के साथ कुशल जनशक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा, हाल के सकारात्मक विकास जैसे कि छोटे अपराधों के लिए दंड और पुराने कानूनों को समाप्त करने, साथ ही अनुपालन बोझ में कमी होने से भारत को विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक स्थान के रूप में स्थापित किया है। निवेश के इस प्रवाह से नौकरी के अवसर पैदा होने, औसत भारतीय नागरिक के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार और देश की आबादी के लिए सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है।’’ भारत की जी20 अध्यक्षता के नेतृत्व में समूह ने व्यापक सिद्धांतों का एक सेट तैयार किया है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के डिजिटल विकास के लिए व्यापक रोडमैप तैयार करता है। ये सिद्धांत राष्ट्रों को अत्याधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित अधिक सुव्यवस्थित और सुलभ वैश्विक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। इन सिद्धांतों के केंद्र में तटस्थता की अवधारणा है, जो इस बात पर जोर देती है कि व्यापार दस्तावेजों को डिजिटल बनाने के उद्देश्य से किए जाने वाले प्रयासों को किसी विशेष तकनीक, सॉफ्टवेयर या सिस्टम का पक्ष लेने से बचना चाहिए। यह तटस्थ रुख सभी हितधारकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है और नवाचार तथा प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सहयोग को बढ़ावा देता है। ये सिद्धांत हाल में संपन्न जी20 व्यापार और निवेश मंत्रियों की बैठक के दौरान तैयार किए गए थे। यह रणनीतिक कदम वैश्विक व्यापार की मौजूदा स्थिति से उत्पन्न हुआ है, जहां अधिकांश अधिकार क्षेत्रों में कागज-उन्मुख दस्तावेजीकरण प्रक्रियाओं पर पारंपरिक निर्भरता अब भी कायम है। इन पुरानी प्रथाओं में न केवल अत्यधिक समय और श्रम लगता है बल्कि त्रुटियों और अक्षमताओं का भी खतरा होता है। डिजिटल एक्सचेंजों की ओर यह आदर्श बदलाव उद्यमों और सरकारों दोनों के लिए उत्पादकता और परिचालन दक्षता में पर्याप्त वृद्धि लाने का वादा करता है। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) के सामने आने वाली विकट बाधाओं को कम करना है। बदले में, इससे सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को मजबूत करने में योगदान मिलने का अनुमान है। इसके अलावा, इन सिद्धांतों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ डीपीआई के भीतर मजबूत एन्क्रिप्शन और अन्य अत्याधुनिक सुरक्षा प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के आसपास घूमता है, जिसे इसके मूल में अंतरसंचालनीयता के साथ डिजाइन किया गया है। सुरक्षित अंतरसंचालनीयता विभिन्न प्लेटफार्मों और प्रणालियों में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार दस्तावेजों के निर्बाध और सामंजस्यपूर्ण आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करती है। यह सामंजस्य न केवल व्यापार प्रक्रियाओं में तेजी लाता है बल्कि डेटा ट्रांसमिशन और रिसेप्शन की अखंडता भी सुनिश्चित करता है। इस तरह का सुदृढ़ सुरक्षा परिदृश्य व्यापार समुदाय के भीतर विश्वास और आश्वासन की भावना पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे व्यापार गतिविधियों के विस्तार के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल युग में प्रवासन का मार्गनिर्देशन करना डिजिटल युग में प्रवासन की जटिलताओं को भारत की जी20 अध्यक्षता में नजरअंदाज नहीं किया गया है। बढ़ी हुई डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ, सीमाओं के पार श्रमिकों की आवाजाही के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो सामाजिक सुरक्षा लाभों की सहज सुलभता, श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा और कौशल मान्यता पर विचार करती है। जैसे-जैसे प्रवासन पैटर्न विकसित होता है जी20, सहयोगी तंत्र की आवश्यकता को पहचानता है जो विदेशों में श्रमिकों तथा पेशेवरों की चिंताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करता है। यह उस युग में विशेष रूप से प्रासंगिक है जब प्रौद्योगिकी, श्रम गतिशीलता और सीमा पार सहयोग दोनों की सुविधा प्रदान करती है, जिससे भेजने और प्राप्त करने वाले देशों के बीच व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौतों की आवश्यकता होती है। एल20 शिखर सम्मेलन ने, बी20 शिखर सम्मेलन के सहयोग से, नीतिगत सुधारों, सामाजिक संवाद और डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के महत्व पर ज़ोर दिया। यह दृष्टिकोण डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और प्रवासी कार्यबल के लिए सामाजिक सुरक्षा प्लेटफार्मों के सामंजस्य और एकीकरण पर केंद्रित श्रम अधिकारों के लिए एक परिवर्तनकारी एजेंडे को रेखांकित करता है। राज्य मंत्री श्री मुरलीधरन ने इस मोर्चे पर भारत के अनुकरणीय प्रयासों को इस प्रकार रेखांकित किया, “भारत किसी भी अन्य देश से बेजोड़ कुशल कार्यबल रखने की अपनी प्रतिबद्धता में अटल है। हमें अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सीमाओं के भीतर इस कुशल कार्यबल की क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए और साथ ही उन्हें विश्व स्तर पर भी योगदान करने और अपनी प्रतिभा का उपयोग करने की सुविधा देनी चाहिए। इसके लिए सुरक्षित और संरक्षित प्रवासन की सुविधा की आवश्यकता है। विदेश मंत्रालय द्वारा गढ़े गए एक आदर्श वाक्य के पीछे यही तर्क है। यह आदर्श वाक्य है- ’प्रशिक्षित जाएं, सुरक्षित जाएं’ । हम प्रशिक्षण सुविधाएं और प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास कार्यक्रम प्रदान करते हैं। साथ ही, हमने कई देशों के साथ एकीकृत ई-माइग्रेट सिस्टम की स्थापना की है और हमारी भर्ती एजेंसियों के साथ उनकी कुशल श्रम मांगों के तालमेल के लिए समझौते किए हैं। वे स्पष्ट रूप से उनकी पूर्वापेक्षाएं निर्दिष्ट करते हैं, जिससे हम भारत में उचित उम्मीदवारों की पेशकश कर सकते हैं। समवर्ती रूप से, हम उनकी भलाई और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। हमारे समझौते अनुकूल उपायों को प्राथमिकता देते हैं और हमारे प्रवासियों के लिए विकसित देशों की श्रम शक्ति के समान उचित मुआवजा सुनिश्चित करते हैं। यह रणनीति भारतीयों के लिए बेहतर कमाई की गारंटी देती हैं। निष्कर्ष 2023 में भारत के नेतृत्व में जी20 ने डीपीआई के महत्व और प्रभाव को पहचाना जो आधुनिक अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य की नींव के रूप में काम करता है, व्यवसायों को भौगोलिक सीमाओं को पार करने और नए बाजारों में प्रवेश करने के लिए सशक्त बनाता है। निर्बाध कनेक्टिविटी और कुशल डेटा विनिमय को सक्षम करके, डीपीआई आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं। कार्यबल की रोज़गार क्षमता को बढ़ाने में डीपीआई द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका एक प्रमुख पहलू है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। डिजिटल साक्षरता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के माध्यम से, डीपीआई व्यक्तियों को उभरते नौकरी बाजार में सार्थक रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक दक्षताओं से लैस करते हैं। इसके अलावा, डीपीआई द्वारा प्रदान की गई कनेक्टिविटी से श्रम के सीमा-पार प्रवासन में तेजी आती है, जिससे सीमाओं के पार कौशल और प्रतिभाओं की अप्रभावी आवाजाही हो सकती है। यह बदले में, सांस्कृतिक विविधता को समृद्ध करता है और विचारों के पार-परागण को बढ़ावा देता है, जिससे वैश्विक स्तर पर नवाचार को बढ़ावा मिलता है। एक उल्लेखनीय पहलू जो डीपीआई के महत्व को रेखांकित करता है वह मोबाइल कार्यबल के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका है। डीपीआई, सामाजिक सुरक्षा लाभों के निर्बाध हस्तांतरण के लिए तंत्र को एकीकृत करक श्रमिकों के लिए सुरक्षा प्रदान करते हैं, यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय कार्य व्यवस्थाओं में भी सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देते हैं। इसलिए, वैश्विक व्यापार और रोज़गार पर डीपीआई का व्यापक प्रभाव निर्विवाद है। जैसे-जैसे ये डिजिटल बुनियादी ढांचे विकसित और विस्तारित होते रहेंगे, अंतर को पाटने, व्यक्तियों को सशक्त बनाने और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने की उनकी क्षमता परस्पर जुड़ी विश्व अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनी रहेगी। (लेखक आकाशवाणी संवाददाता हैं। आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया हमें @feedback-employment@gmail-com पर भेज सकते हैं)। व्यक्त किये गये विचार व्यक्तिगत हैं।