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संपादकीय लेख


Issue no 22, 26 August - 01 September 2023

डॉ रंजीत मेहता हाल के वर्षों में, विश्व मंच पर भारत का तेज़ी से उदय उल्लेखनीय रहा है। इसकी लोकतांत्रिक नींव और जीवंत संस्कृति के कारण तीव्र आर्थिक वृद्धि ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, केंद्र बिंदु बना दिया है। प्राचीन सभ्यता, विविध संस्कृति और अद्वितीय क्षमता वाला देश भारत हमेशा विभिन्न कारणों से वैश्विक सुर्खियों में रहा है। पिछले दशक में भारत केवल एक विकासशील राष्ट्र से उभरकर आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हुआ है। वर्तमान में, भारत स्वयं को वैश्विक शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित करने के लिए अपनी जी20 अध्यक्षता का कर्मठतापूर्वक लाभ उठा रहा है। जैसे-जैसे जी-20 शिखर सम्मेलन और इसके तैयारी कार्यक्रम अपने समापन के करीब पहुंच रहे हैं, भारत ने गंभीर वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा तैयार किया है। पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि जी20 के भीतर भारत का नेतृत्व इसकी बढ़ती वैश्विक स्थिति को और बढ़ाएगा तथा इसकी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। जी20 अर्थव्यवस्थाएं सामूहिक रूप से, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 प्रतिशत से अधिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो समूह को वैश्विक आर्थिक विकास का प्राथमिक वाहक बनाती हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में जी20 सकल घरेलू उत्पाद 72 ट्रिलियन डॉलर से अधिक था। चीन और संयुक्त राज्य अमरीका सबसे बड़ी जी20 अर्थव्यवस्थाएं बनी हुई हैं और प्रत्येक की अर्थव्यवस्था, सकल घरेलू उत्पाद में 20 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का योगदान करती है। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में जापान, जर्मनी, भारत, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, कनाडा और दक्षिण कोरिया शामिल हैं, ये सभी ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्थाएं हैं। इतने बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रभाव के साथ, जी20 ढांचे के भीतर लिए गए नीतिगत निर्णय और की गई पहल सीधे वैश्विक बाजारों को प्रभावित करते हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को आकार देते हैं। भारत की जी20 अध्यक्षता क्यों मायने रखती है? भारत की जी20 अध्यक्षता वैश्विक व्यवस्था में, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिकाओं की बढ़ती स्वीकार्यता का प्रतीक है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (नाममात्र जीडीपी के संदर्भ में) और क्रय शक्ति समानता के हिसाब से भारत, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में कई विकासशील देशों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है। जी20 में इसका नेतृत्व वैश्विक मंच पर इन देशों की चिंताओं को बढ़ा सकता है। जी20 की अध्यक्षता भारत को समूह के एजेंडे को तैयार करने और महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। ब्रिक्स ब्लॉक के हिस्से के रूप में, भारत ने प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया है जिसमें बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार, सतत तथा समावेशी विकास को आगे बढ़ाना, तकनीकी परिवर्तन को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय निवेश को सुविधाजनक बनाना शामिल है। विश्व को धीमी विकास दर, बढ़ती मुद्रास्फीति, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव जैसी महत्वपूर्ण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है - भारत जी20 को वैश्विक स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में देखता है। इसका व्यापक विषय ’एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ भारत के सार्वभौमिक भाईचारे के दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। मेजबान के रूप में, भारत की प्रमुख प्राथमिकताएं: वैश्विक निवेश और व्यापार को सुविधाजनक बनाना एमएसएमई और स्टार्टअप को सशक्त बनाना डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और फिनटेक में अग्रणी बनना जलवायु संबंधी पहलों और स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाना बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत बनाना जी20 अध्यक्षता, भारत को अपनी शक्तियों को उजागर करने और उन मॉडलों को साझा करने का अवसर प्रदान करती है जिन्होंने इसके आर्थिक उत्थान को प्रेरित किया है। भारत ने वित्तीय समावेशन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए जी20 मंच का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भारत ने जन- धन, रु-पे, यूपीआई और आधार जैसी पहलों के माध्यम से पर्याप्त प्रगति हासिल की है। भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी से भारत की आर्थिक वृद्धि और निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। पिछले मेजबानों के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, सकल घरेलू उत्पाद बढ़ा और व्यापार मात्रा में बढ़ौत्तरी हुई । मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, भारत को अगले दो वर्षों में निर्यात में 8 बिलियन डॉलर का लाभ होगा। पीछे मुड़कर देखें, तो 2023 में पूरे भारत में आयोजित बैठकों और कार्यक्रमों की व्यापक श्रृंखला ने पर्यटन तथा बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और स्थानीय व्यवसायों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनुमान यह था कि पूरे वर्ष में भारत की जी20 अध्यक्षता 200,000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों को आकर्षित कर सकती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से जी20 ढांचे के भीतर प्रस्तुत अवसरों से मिलने वाले आर्थिक लाभों का पूरी तरह से लाभ उठाने का आग्रह किया । भारत को व्यापार और निवेश के लिए एक आकर्षक केंद्र के रूप में प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पहल भी पाइपलाइन में हैं। जी20 की अध्यक्षता ने भारत को अंतरिक्ष, जैव-प्रौद्योगिकी, कृत्रिम मेधा और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में अपनी उभरती क्षमताओं को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया है। अग्रणी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की अगुवाई करके, भारत वैश्विक मुद्दों के लिए नवीन तकनीकी समाधान प्रदर्शित कर सकता है। हैकथॉन, सम्मेलन जैसे आयोजनों और वैश्विक स्टार्टअप चुनौतियों ने भारतीय स्टार्टअप्स को लागत प्रभावी व्यवसाय मॉडल प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया है। भारत ने आधार, कोविन, यूपीआई और रू-पे जैसे अपने डिजिटल सार्वजनिक माध्यमों पर भी प्रकाश डाला और स्वयं को डिजिटल परिवर्तन के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित किया। जी20 अध्यक्षता ने भारत को वैश्विक आख्यानों को आकार देने और अपनी साफ्ट पावर को बढ़ाने का अवसर भी प्रदान किया। योग, कला, साहित्य और फिल्मों से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भारत को अपनी समृद्ध सभ्यतागत विरासत को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाया। रणनीतिक संदेश ने भारत को एक आधुनिक, युवा देश के रूप में चित्रित किया है जो प्रौद्योगिकी-आधारित तथा मानव-केंद्रित विकास प्रदान कर रहा है और वैश्विक धारणाओं को बदल रहा है। जी20 की अध्यक्षता ने प्रमुख वैश्विक संचालन मंचों में एक अपरिहार्य खिलाड़ी के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। इसने विकासशील देशों की चिंताओं की हिमायत करते हुए ’वैश्विक दक्षिण की आवाज’ के रूप में भारत की भूमिका को भी बढ़ाया है। खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी गंभीर चुनौतियों पर नेतृत्व संभालकर, भारत वैश्विक स्थिरता की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मार्गदर्शन करने की उम्मीद करता है। भारत के एमएसएमई और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्टअप को सशक्त बनाना, भारत के लिए एक प्रमुख विषय रहा है, जो विकास और नवाचार में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है। छोटे उद्यमों को ऋण, प्रौद्योगिकी और वैश्विक बाजारों तक पहुंच में सहायता की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए भारत, एमएसएमई की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए वैश्विक समर्थन जुटा रहा है। इसके अलावा, भारतीय स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने समाधान प्रस्तुत करने के पर्याप्त अवसर मिले हैं। भारत ने स्टार्टअप20 एंगेजमेंट ग्रुप की स्थापना की, जो जी20 को प्रभावित करने और नवाचार, सहयोग तथा उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करके विकास के प्रक्षेप- पथ को आकार देने की शक्ति रखता है। स्टार्टअप20 एंगेजमेंट ग्रुप के सहयोग से, सदस्य देशों के स्टार्टअप नए उत्पादों या सेवाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावी ढंग से पहचान और संबोधित कर सकते हैं। फोकस उन पहलों पर था जो व्यावसायिक उद्देश्यों के अनुरूप हों और सामाजिक तथा पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में योगदान दें। स्टार्टअप20 एंगेजमेंट ग्रुप स्टार्टअप्स को अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने का एक अनूठा मौका प्रदान करता है। जब स्टार्टअप्स किसी नए बाजार में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें अक्सर नियामक बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कानूनी ढांचे को नेविगेट करना और स्थानीय व्यापार प्रथाओं को अपनाना। स्टार्टअप20 की स्थापना स्टार्टअप के लिए बाधाओं को दूर करने और सहयोग तथा जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए की गई है। भारत को नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थपित करना जैसे-जैसे भारत की जी20 की अध्यक्षता अपनी परिणति के करीब पहुंच रही है, इस मंच ने भारत के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए इष्टतम अवसर के रूप में काम किया है। यह कार्यकाल गंभीर चुनौतियों के लिए विश्व स्तर पर लागू, स्केलेबल समाधान प्रदर्शित करने के लिए भारत के गतिशील स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अद्वितीय अवसर लेकर आया है। भारत का ध्यान डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, डिजिटल विभाजन को पाटने, कृत्रिम मेधा तथा उभरती प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने, स्वच्छ ऊर्जा में नवाचार को बढ़ावा देने और स्टार्टअप में निवेश की सुविधा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर रहा है। अपने तकनीकी कौशल और समावेशी नवाचार की सफलताओं का प्रदर्शन करके, भारत ने विदेशी उद्यम पूंजीपतियों और उद्यमों से अधिक निवेश को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। रणनीतिक प्रयासों, जैसे कि हैकथॉन का आयोजन, नवाचार चुनौतियां, और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित नीति संवाद ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान नवाचार और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए एक केंद्रीय हब के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने में योगदान दिया है। भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक पहुंच को बढ़ाना जी20 के भीतर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का लाभ उठाते हुए, भारत सक्रिय रूप से अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ा रहा है और अपनी सांस्कृतिक पहुंच का विस्तार कर रहा है। नियोजित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला, जिसमें स्फूर्तिदायक योग सत्र, मनमोहक शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन और विचारोत्तेजक कविता पाठ शामिल हैं, ने भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत में डूबने और उसकी सराहना करने का एक उल्लेखनीय अवसर प्रदान किया है। इस अध्यक्षता ने भारत की आध्यात्मिकता, कला और इसके जीवंत तथा तकनीक-प्रेमी युवाओं की शक्ति को उजागर करने के लिए रणनीतिक संचार की सुविधा भी प्रदान की है। इस ठोस प्रयास में वैश्विक परिप्रेक्ष्य को नया रूप देने, अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने और भारत को एक आकर्षक वैश्विक गंतव्य के रूप में प्रस्तुत करने की क्षमता है। विभिन्न शहरों में जी20 बैठकों की मेजबानी, प्रतिनिधियों के लिए गहन सांस्कृतिक अनुभवों का प्रबंध करना और सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों का आयोजन करने जैसे नवोन्वेषी दृष्टिकोणों ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावी ढंग से पोषित किया है। संक्षेप में कहें तो, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत की बढ़ती वैश्विक प्रमुखता और नेतृत्व को देखते हुए, प्रारंभ से समापन तक जी20 की इसकी अध्यक्षता बहुत महत्व रखती है। इस कार्यकाल ने भारत को महत्वपूर्ण मुद्दों को दक्षता से संबोधित करने, सतत विकास को बढ़ावा देने और सहयोगात्मक बहुपक्षवाद को फिर से मजबूत करने में सक्षम बनाया है। अध्यक्षता ने भारत की अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलाव लाने और निवेश, स्टार्टअप, एमएसएमई तथा नवाचार को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक जुड़ाव को गहरा करने के लिए पर्याप्त रास्ते खोले हैं। इस ऐतिहासिक अध्यक्षता के माध्यम से, भारत की महत्वाकांक्षा वैश्विक स्थिरता तथा समृद्धि की हिमायत करने तथा वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की रही है। जी20 की अध्यक्षता की परिणति एक उभरते हुए वैश्विक प्रभावशाली देश के रूप में भारत के उल्लेखनीय प्रक्षेप पथ में एक मील का पत्थर है। इसके बढ़ते प्रभाव की पहचान और इसकी नेतृत्व क्षमताओं का प्रदर्शन स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ठीक ही कहा कि भारत की आकांक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर बोझ डालने की नहीं बल्कि एकसमान भागीदार के रूप में उसके साथ आगे बढ़ने की है। वर्तमान में, भारत न केवल दुनिया के साथ कदम मिला कर चल रहा है; यह आगे भी बढ़ रहा है। जी20 की अध्यक्षता भारत के नेतृत्व का प्रमाण है और देश को अपनी क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने का अवसर प्रदान करती है। (लेखक पीएचडीसीसीआई, नई दिल्ली में कार्यकारी निदेशक हैं। आप इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया हमें employmentnews@gmail.com पर भेज सकते हैं) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।