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संपादकीय लेख


Issue no 13, 24-30 June 2023

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्‍ट (ई-अपशिष्‍ट) वह कचरा है जो खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों से उत्पन्न होता है। यह आज विश्‍व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला अपशिष्ट है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में तीव्र गति से अप्रचलन को बढ़ाया है और बाद में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उन्नयन के परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ई-अपशिष्‍ट का संचय हुआ है। ई-अपशिष्ट प्रबंधन की इस बढ़ती चिंता का नीति और प्रक्रिया के माध्यम से व्यवस्थित रूप से समाधान करने की आवश्यकता है। यदि ई-अपशिष्‍ट गैर-जिम्मेदार तरीके से संभाला और निपटान किया जाता है, तो यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर अत्यधिक हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। भारत प्रति वर्ष लगभग 3.2 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करता है जिसमें खतरनाक सामग्री के अलावा सोना, पैलेडियम, चांदी आदि जैसी कई कीमती सामग्री होती है, जो मनुष्यों के लिए अपूरणीय स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा कर सकती है। इस संदर्भ में, उन मुद्दों का समाधान करने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से सौम्य प्रक्रियाओं का विकास सर्वोपरि महत्व का है। सरकार ने देश के ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण क्षेत्र को औपचारिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत में ई-अपशिष्‍ट के प्रबंधन के लिए पहला विनियम 2011 में प्रस्‍तुत किया गया था और यह 2012 से प्रभावी हो गया। ई-अपशिष्‍ट नियमों को 2016 और 2018 में संशोधित किया गया है। ई-अपशिष्‍ट (प्रबंधन) नियम, 2016 संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी)/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) से विखंडन और पुनर्चक्रण इकाइयों को अनिवार्य प्राधिकार देता है। सीपीसीबी ने ई-अपशिष्‍ट के प्रसंस्करण के लिए दिशानिर्देश/एसओपी जारी किए हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से पुनर्चक्रण उद्योग को मुख्यधारा में लाने और आधुनिक बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। नियमों के लागू होने के बाद से इस क्षेत्र में कई और विकास हुए हैं। और, टिकाऊ खपत को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट) आंदोलन के अनुरूप, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता कार्य विभाग ने 'मरम्मत का अधिकार' की रूपरेखा के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए और ई-अपशिष्‍ट को कम करने के लिए 'मरम्मत का अधिकार पोर्टल' के निर्माण की शुरुआत की है। मरम्मत का अधिकार क्या है? लाइफ आंदोलन विवेकपूर्ण और इच्‍छानुरूप उपयोग का समर्थन करता है, जिसमें विभिन्न उपभोक्ता उत्पादों का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण शामिल है। मरम्मत सभी प्रकार के पुन: उपयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है और यहां तक की उत्पादों के टिकाऊ जीवन काल के लिए भी आवश्यक होता है। एक ऐसे उत्पाद जिसकी मरम्मत नहीं की जा सकती है या वह नियोजित अप्रचलन का शिकार हो जाता है, अर्थात् जानबूझकर सीमित उपयोगी जीवन वाला कृत्रिम रूप से एक उत्पाद डिजाइन किया जाता है, वह न केवल ई-अपशिष्‍ट बन जाता है बल्कि उपभोक्ताओं को उनका पुन: उपयोग करने या उनकी मरम्‍मत कराने में सक्षम होने के बजाय उन्हें नए उत्‍पाद खरीदने के लिए मजबूर करता है। उत्पादों की मरम्मत पर प्रतिबंध उपभोक्ताओं को उस उत्पाद का कोई नया मॉडल खरीदने का विकल्‍प लेने के लिए मजबूर करता है। उपभोक्ता वस्तुओं के लिए 'मरम्मत का अधिकार' अंतिम उपयोगकर्ताओं, उपभोक्ताओं, साथ ही व्यवसायों को किसी निर्माता या तकनीकी प्रतिबंधों के बिना अपने उपकरणों की स्‍वयं मरम्मत या सर्विस करने की अनुमति देने की अवधारणा को संदर्भित करता है। 'मरम्मत का अधिकार' के पीछे तर्क यह है कि जब हम कोई उत्पाद खरीदते हैं, तो यह निहित होता है कि हम इसे पूरी तरह से अपना लें, और उपभोक्ताओं को विनिर्माता पर मरम्मत के लिए निर्भर हुए बिना आसानी से और उचित लागत पर मरम्मत और शोधन करने की क्षमता हो । मरम्मत में देरी, मरम्मत के लिए अत्यधिक ऊंची कीमतें, स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता आदि, उपभोक्ताओं की अत्‍यधिक परेशानी और असुविधा का कारण बनती हैं। उपभोक्ता कार्य मंत्रालय के अधीन एक समिति द्वारा स्थापित 'मरम्मत का अधिकार' ढांचा उपभोक्ताओं को पूरी तरह से नए उत्पाद खरीदने के स्‍थान पर अपने उत्पादों को इष्टतम कीमत पर मरम्मत कराने का अवसर प्रदान करेगा। ढाँचे के प्रारंभिक ध्यान वाले महत्‍वपूर्ण क्षेत्र कृषि उपकरण,मोबाइल फोन और टैबलेट, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं,ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल उपकरण हैं। इस ढांचे के अंतर्गत, विनिर्माताओं के लिए ग्राहकों के साथ अपने उत्पाद विवरण साझा करना अनिवार्य होगा, जिससे वे मूल निर्माताओं पर निर्भर रहने के स्‍थान पर या तो खुद उत्पादों की मरम्मत कर सकते हैं या तीसरे पक्ष से मरम्मत करवा सकते हैं। यह उपभोक्ताओं के पैसे की बचत करेगा और उपकरणों के जीवनकाल, रखरखाव, पुन: उपयोग, उन्नयन, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके एक चक्रिय अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों में योगदान देगा। ढांचे का उद्देश्य मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम), तीसरे पक्ष के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सामंजस्यपूर्ण व्यापार में सहायता करना है, जिससे रोज़गार के नए अवसर पैदा हों। यह ऐसे ई-अपशिष्‍ट की मात्रा को पर्याप्‍त रूप से कम करने में भी मदद करेगा जो महाद्वीप में प्रत्‍येक वर्ष जमा होता है और मरम्मत की छोटी दुकानों के लिए व्यवसाय को बढ़ावा देता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का एक अंतरंग भाग है। एक बार भारत में लागू हो जाने के बाद, यह उत्पाद स्थिरता के लिए एक गेम-चेंजर होगा और तीसरे पक्ष मरम्मत को सक्षम बनाकर आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से रोजगार सृजन के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। मरम्मत का अधिकार पोर्टल मरम्मत का अधिकार पोर्टल उपभोक्ताओं को उत्‍पाद मरम्‍मत के बारे में संबंधित सूचना देता है। पोर्टल उपभोक्ताओं को खुद उत्पादों की मरम्मत करने, अधिकृत मरम्मत करने वालों के बारे में जानकारी देने और तीसरे पक्ष के मरम्मत करने वालों को बढ़ावा देने संबंधी सूचना देता है। यह भारत में उपभोक्ताओं को उपभोक्ता ब्रांडों द्वारा प्रदान की जाने वाली वारंटी और बिक्री के बाद की जानकारी भी प्रदान करेगा। वर्तमान में, कई ओईएम ने इस उद्देश्य के लिए अपने मरम्मत मैनुअल उपलब्ध कराए हैं। इसका प्रयास एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र की स्‍थापना करना है जो विनिर्माता द्वारा दी गई वारंटी की अवधि के लिए वास्तविक स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। (पोर्टल देखने के लिए क्‍यूआर कोड स्‍कैन करें) पोर्टल से स्पेयर पार्ट्स के मूल्य निर्धारण, मौलिकता और वारंटी से जुड़ी चिंता को दूर करने की आशा है। यह उपभोक्ताओं को स्पेयर पार्ट्स की प्रामाणिकता की जांच करने के तरीके और उनके मूल देश के बारे में जानकारी प्रदान करके उन्‍हें उत्पाद के बारे में बेहतर जानकारी देने में सक्षम बनाएगा। यह पोर्टल उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों की मरम्मत और रखरखाव पर आवश्यक जानकारी तक आसान पहुंच प्राप्‍त करने के लिए एकल मंच के रूप में कार्य करेगा। मरम्मत का अधिकार पोर्टल में चार क्षेत्र शामिल हैं: खेती के उपकरण: ट्रैक्टर के पुर्जे, हार्वेस्टर, वाटर पंप मोटर मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिकी: मोबाइल, टैबलेट, वायरलेस हेडफ़ोन और ईयरबड, लैपटॉप, यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट/केबल, बैटरी, सर्वर और डेटा स्टोरेज उपकरण, हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर और प्रिंटर। कंज्यूमर ड्यूरेबल: वाटर प्यूरीफायर, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन, इंटीग्रेटेड/यूनिवर्सल रिमोट, डिशवॉशर, माइक्रोवेव, एयर कंडीशनर, गीजर, इलेक्ट्रिक केटल, इंडक्शन कुकटॉप, मिक्सर ग्राइंडर, इलेक्ट्रिक चिमनी। ऑटोमोबाइल उपकरण: यात्री वाहन, दुपहिया वाहन, वैद्युत वाहन, तिपहिया वाहन और कार। ओईएम से इस पोर्टल पर घटकों के लिए अधिसूचित मानकों या हॉलमार्किंग को प्रदर्शित करने की अपेक्षा की जाती है। पोर्टल पर आपके त्वरित संदर्भ के लिए सभी प्रमुख उपभोक्ता - उत्पाद निर्माताओं के उपभोक्ता देखभाल संपर्क विवरण की एक समेकित सूची भी है। पोर्टल का उपयोग कंपनी को उसके नाम से या उपभोक्ता उत्पाद नाम से खोज करने के लिए कर सकते हैं। वेबसाइट पर ब्रांडों के अधिकृत सेवा नेटवर्क और तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के लिंक भी प्रदान किए जाते हैं। अन्य देशों में मरम्मत का अधिकार फ्रांस ने 2020 में अपशिष्‍ट से निपटने और चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए 'अपशिष्‍ट -विरोधी कानून' को मंजूरी दी थी। यूनाइटेड किंगडम ने भी एक कानून पारित किया है जिसमें सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं को शामिल किया गया है ताकि उपभोक्ताओं को या तो स्वयं या मरम्मत की स्थानीय दुकानों से मरम्मत करवाने के लिए स्पेयर पार्ट्स प्रदान किए जा सकें। इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने कानून पारित किया जिसके तहत निर्माताओं द्वारा 10 वर्ष की अवधि के लिए पेशेवर मरम्मत करने वालों को उत्पादों के कुछ हिस्सों की आपूर्ति करने की आवश्यकता थी। संयुक्त राज्य अमेरिका में 'फेयर रिपेयर एक्ट' के अंतर्गत डिजिटल इलेक्‍ट्रॉनिकी विनिर्माताओं द्वारा उपभोक्ताओं और स्वतंत्र मरम्मत की दुकानों को पुर्जे, उपकरण, सूचना और सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है। हालाँकि ऑस्ट्रेलिया में मरम्मत का अधिकार कानून नहीं है, फिर भी देश में मरम्मत कैफे हैं। ये कैफे, जो आम तौर पर महीने में एक बार आयोजित किए जाते हैं, मुफ्त बैठक स्थल हैं जहां स्वयंसेवक मरम्मत करने वाले अपने मरम्मत कौशल को साझा करने के लिए इकट्ठा होते हैं और लोग बिजली के अपने छोटे सामान, बाइक, कपड़े, छोटे फर्नीचर या होमवेयर को मुफ्त में ठीक करवा सकते हैं। ईआरएसओ पायलट पहल प्रधानमंत्री के वैश्विक चक्रिय अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है, जिनमें से एक हाल ही में इलेक्ट्रॉनिकी रिपेयर सर्विसेज आउटसोर्सिंग (ईआरएसओ) पायलट पहल की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य भारत को विश्‍व की मरम्मत राजधानी बनाना है। इस परियोजना की पहचान भारत के लिए एक गेम-चेंजर के रूप में की गई है और इस अप्रयुक्त क्षेत्र में भारत को एक विश्व अग्रज के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार से समर्थन प्राप्त हुआ है। पायलट कार्य बेंगलुरु में हो रहा है और तीन महीने की अवधि तक चलेगा। फ्लेक्स, लेनोवो, सीटीडीआई, आर-लॉजिक और एफोरसर्व नामक पांच कंपनियों ने पायलट के लिए स्वेच्छा से काम किया है। पायलट परियोजना के बाद, एक विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और प्रक्रिया और नीतियों में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। ईआरएसओ पहल वैश्विक पर्यावरणीय स्थिरता के लिए गेम-चेंजर होगी। आईसीटी उत्पादों के लिए सस्ती और विश्वसनीय मरम्मत सेवाएं प्रदान करके पूरे विश्‍व में उपकरणों के जीवनकाल का विस्तार करेगी। ईआरएसओ पहल पर्यावरण और हमारे ग्रह के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराती है। अगले पांच वर्षों में, भारत के ईआरएसओ उद्योग से देश के लिए 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक राजस्व प्राप्‍त करने और लाखों रोज़गार सृजित करने का अनुमान है। मिशन लाइफ़ क्या है? मिशन लाइफ़ (जीवनशैली के लिए पर्यावरण) व्यक्तियों को 'ग्रह समर्थक लोग' बनने के लिए प्रेरित करने वाला एक सार्वजनिक आंदोलन है। लाइफ आंदोलन सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करना चाहता है और विश्‍व भर में लोगों को अपने दैनिक जीवन में सरल जलवायु-अनुकूल कार्यों को अंगीकार करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य जलवायु मुद्दों से संबंधित सामाजिक मानदंडों को रूप देने के लिए सामाजिक नेटवर्क के प्रभाव का लाभ उठाना है। मिशन की योजना 'प्रो-प्लैनेट पीपल'( ग्रह समर्थक लोग)(पी-3) के रूप में जाने जाने वाले व्यक्तियों का एक वैश्विक नेटवर्क बनाना और उसका पोषण करना है, जिनकी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता होगी। पी-3 समुदाय के माध्यम से, मिशन का उद्देश्य एक ऐसा स्‍व-स्‍थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को बढ़ावा दे और उसे बनाए रखे। मिशन की परिकल्पना बेकार और विनाशकारी खपत द्वारा शासित प्रचलित उपयोग और निपटान अर्थव्‍यवस्‍था को सार्थक और उद्देश्‍यपूर्ण उपयोग द्वारा लक्षित एक चक्रिय अर्थव्‍यवस्‍था में बदलने के रूप में की गई है। लाइफ एक ऐसा परिस्थितिकी- तंत्र स्‍थापित करना चाहता है जो स्‍व-स्‍थायी पर्यावरण अनुकूल व्‍यवहार का समर्थन करे और उसे सक्षम बनाए। अनिशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाज द्वारा संकलित स्रोत: righttorepairindia.gov.in/PIB