रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 12, 17 - 23 June 2023

योग समय और संस्कृति की सीमाओं से परे है। यह एक गहन अभ्यास है जो शरीर, मन तथा आत्मा को जोड़ता है, और आत्म-साक्षात्कार तथा समग्र आरोग्यता के लिए मार्ग प्रदान करता है। भारत की समृद्ध परंपराओं और ज्ञान में निहित, योग ने शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास पर अपने परिवर्तनकारी प्रभावों के लिए वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। जैसा कि दुनिया 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाती है, रोजगार समाचार आयुष विभाग के सम्मानित मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ ज्ञानवर्धक साक्षात्कार प्रस्तुत करता है। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ झा के साथ मनोरम बातचीत में, योग को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, साथ ही योग को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में लाने की इस परिवर्तनकारी यात्रा में आने वाली चुनौतियों तथा अवसरों और समग्र स्वास्थ्य सेवा के लिए एक केंद्र के रूप में भारत को स्थापित करने पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान की। प्रश्नः आपका मंत्रालय इस वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कैसे मना रहा है? श्री सर्बानंद सोनोवालः भारत सरकार देश के भीतर और वैश्विक स्तर पर योग को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल रही है। 2014 में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने के विचार का प्रस्ताव किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था। तब से, इस दिन को देश और दुनिया भर में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस वर्ष, हमने इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए ’वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग’ विषय चुना है। ’वसुधैव कुटुम्बकम का अर्थ है ’विश्व एक परिवार है’ं। यह विषय सभी प्राणियों की परस्पर संबद्धता और एक स्वस्थ तथा अधिक सामंजस्यपूर्ण दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित करता है। यह दर्शन योग पर स्पष्ट रूप से लागू होता है, जो सभी को स्वास्थ्य और आरोग्यता प्रदान करता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार की गई हैं। रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और बंदरगाह, नौवहन तथा जलमार्ग मंत्रालय की मदद से 21 जून को ’ओशन रिंग ऑफ योग’ बनाया जाएगा, जो भारतीय नौसैनिक बंदरगाहों, वाणिज्यिक बंदरगाहों और विभिन्न देशो में ठहरे जहाजों पर योग प्रदर्शनों का गवाह बनेगा। आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के फ्लाइट डेक पर भी योग का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा, आर्कटिक से अंटार्कटिका तक भी योग प्रदर्शन होंगे- प्राइम मेरिडियन लाइन पर या उसके निकटवर्ती देश योग प्रदर्शन में शामिल होंगे। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में भी योग होगा। आर्कटिक, स्वालबार्ड में भारतीय अनुसंधान आधार -हिमाद्रि और अंटार्कटिका में तीसरा भारतीय अनुसंधान आधार -भारती के भी दुनिया भर के लाखों अन्य लोगों के साथ उत्सव में शामिल होने की संभावना है। योग भारतमाला बनाया जाएगा जिसमें भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, तट रक्षक बल और सीमा सड़क संगठन की भागीदारी होगी। राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयुष स्वास्थ्य तथा आरोग्यता केंद्र और ग्रामीण विकास मंत्रालय के 50,000 अमृत सरोवर इस वर्ष के समारोह का हिस्सा होंगे। अंतिम उद्देश्य ’हर आंगन योग’ की अवधारणा के साथ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में योग को पहुंचाना है। इसके लिए भारत के 2 लाख से अधिक गांवों में लोगों को सामान्य योग प्रोटोकॉल में प्रशिक्षित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग कार्यक्रम आयोजित करने के लिए दुनिया भर में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को प्रोत्साहित किया है। यह प्रयास, वैश्विक समुदाय के बीच योग को बढ़ावा देता है और भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत करता है। प्रश्नः कृपया हमें मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में योग और पारंपरिक दवाओं के एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान करें। श्री सर्बानंद सोनोवालः आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए आयुष मंत्रालय की केंद्र प्रायोजित योजना, राष्ट्रीय आयुष मिशन, 2014 में शुरू की गई थी। स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों, तनाव में कमी, संतुलित पोषण और प्राकृतिक उपचार पर जोर देकर, मिशन बीमारी को रोकने, समग्र आरोग्यता को बढ़ावा देने और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहता है। यह इन प्रणालियों के स्वास्थ्य सेवा वितरण ढांचे में एकीकरण का समर्थन करता है और इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, क्षमता निर्माण और अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। योग को पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों का एक आवश्यक घटक माना जाता है और इसे इसके सकारात्मक प्रभाव के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। इसलिए, राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत शुरू की गई नीतियों और पहलों का उद्देश्य योग को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में शामिल करना, इसके लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करना, और पारंपरिक तथा आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के बीच अनुसंधान की सुविधा तथा सहयोग प्रदान करना और भारत को योग तथा चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों में विश्व में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना है। प्रश्नः योग के वैज्ञानिक सत्यापन को बढ़ाने के लिए सरकार कैसे अनुसंधान को बढ़ावा दे रही है, गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित कर रही है और सहयोग की सुविधा प्रदान कर रही है? श्री सर्बानंद सोनोवालः आयुष मंत्रालय ने योग अनुसंधान के लिए समर्पित परिषदों और संस्थानों की स्थापना की है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान के लिए केंद्रीय परिषद, अनुसंधान करती है, प्रशिक्षण प्रदान करती है और योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा के वैज्ञानिक सत्यापन को बढ़ावा देती है। इसी तरह, मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, योग के क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और अंतर्राष्ट्रीय/राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। योग पर केंद्रित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, आदान-प्रदान कार्यक्रमों और कार्यशालाओं को सुविधाजनक बनाने के लिए कई देशों और संगठनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। मंत्रालय पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच सहयोगी अनुसंधान प्रयासों को प्रोत्साहित करता है। यह मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में योग को शामिल करने का पता लगाने के लिए योग अनुसंधान संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के बीच भागीेदारी की सुविधा प्रदान करता है। यह सहयोग, वैज्ञानिक प्रमाण उत्पन्न करने और एक चिकित्सीय पद्धति के रूप में योग की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद करता है। मंत्रालय समर्पित अनुसंधान पत्रिकाओं के माध्यम से शोध निष्कर्षों के प्रकाशन में भी सहयोग करता है। ये पत्रिकाएँ शोधकर्ताओं को योग के क्षेत्र में ज्ञान संवर्धन में योगदान देने और उनके काम का प्रसार करने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। यह विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से योग से संबंधित अनुसंधान अध्ययनों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। प्रश्नः योग को शिक्षा में शामिल करने और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? श्री सर्बानंद सोनोवालः सरकार ने योग सहित चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों और आधुनिक चिकित्सा संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया है। इसमें योग को मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करना और चिकित्सा पेशेवरों के सहयोग से योग के चिकित्सीय लाभों पर शोध अध्ययन को प्रोत्साहित करना शामिल है। सरकार ने योग शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए नियामक निकायों और प्रमाणन प्रक्रियाओं की भी स्थापना की है। इसमें योग पेशेवरों के लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की प्रमाणन योजना शामिल है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि योग प्रशिक्षक विशिष्ट योग्यता मानकों को पूरा करते हैं। प्रश्नः सरकार युवाओं के बीच योग को कैसे बढ़ावा दे रही है? श्री सर्बानंद सोनोवालः सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में योग को शामिल करने पर जोर दिया है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने स्कूलों के लिए योग पर पाठ्य पुस्तकें तथा संसाधन सामग्री विकसित की है और योग को शारीरिक शिक्षा कार्यक्रमों में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य पेशेवरों, शिक्षकों और सामान्य चिकित्सकों के लिए योग चिकित्सा में ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के वास्ते स्कूल में योग ओलंपियाड, नियमित योग प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य प्रशिक्षित पेशेवरों का एक नेटवर्क बनाना है जो अपने संबंधित क्षेत्रों में योग को बढ़ावा दे सकें और इसे एकीकृत कर सकें। ये व्यापक प्रयास स्वास्थ्य और आरोग्यता के लिए समग्र अभ्यास के रूप में योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं। प्रश्नः भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में योग को शामिल करना किस तरह से मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) गंतव्य के रूप में देश के आकर्षण में योगदान देता है? श्री सर्बानंद सोनोवालः भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) की वृद्धि ’हील इन इंडिया एंड हील बाय इंडिया’ पहल से जुड़ी है। इस योजना में योग का एकीकरण एमवीटी के लिए एक गंतव्य के रूप में भारत के आकर्षण को बढ़ाता है और रोगियों को व्यापक तथा समृद्ध स्वास्थ्य सेवा अनुभव प्रदान करता है। इस दृष्टिकोण को और मजबूत किया जाएगा क्योंकि वैज्ञानिक अनुसंधान शोधकर्ताओं को योग के लाभों के अंतर्निहित शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और चिकित्सीय तंत्र का पता लगाने में सक्षम बनाता है। योग के वैज्ञानिक अध्ययन में हाल के वर्षों में काफी वृद्धि हुई है और इसके चिकित्सीय प्रभावों और लाभों का आकलन करने के लिए कई नैदानिक परीक्षण तैयार किए गए हैं। योग को मुख्य रूप से मन-शरीर दवा के रूप में मान्यता मिली है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के पहलुओं, विशेष रूप से तनाव संबंधी बीमारियों में सुधार के लिए किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक घटकों को एकीकृत करता है। अनुसंधान प्रमाणों के आधार पर, योग के कई स्वास्थ्य लाभ हैंः अध्ययनों से पता चला है कि योग के नियमित अभ्यास से रक्तचाप कम करने और कार्डियक आउटपुट तथा फेफड़ों की क्षमता में सुधार, तनाव कम करने, लचीलेपन में सुधार, शक्ति और सहनशक्ति में वृद्धि और मूड तथा व्यवहार को बेहतर बनाने में मददगार आटोनाॅमिक तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र में संतुलन लाने में सहायता मिलती है। प्रश्नः विश्व में बड़े स्तर पर योग को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच, आपके मंत्रालय ने अब तक किन मुख्य चुनौतियों और अवसरों का सामना किया है? श्री सर्बानंद सोनोवालः योग को स्वास्थ्य सेवा और आरोग्यता के अभिन्न अंग के रूप में बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलुओं पर समर्पित प्रयासों की आवश्यकता है। आयुष मंत्रालय ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आश्वस्त है। हम योग के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने और इसके बारे में धारणा बदलने पर काम कर रहे हैं। कुछ वर्ग अब भी योग को इसकी चिकित्सीय क्षमता और साक्ष्य-आधारित लाभों को पहचानने के बजाय विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक या व्यायाम अभ्यास के रूप में देखते हैं। योगाभ्यासों का मानकीकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में गुणवत्ता नियंत्रण तथा सुविधाएं सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसलिए हम योग पेशेवरों और संस्थानों के लिए एकसमान दिशानिर्देश, प्रमाणन प्रक्रिया और मान्यता प्रणाली विकसित कर रहे हैं। हम आबादी के सभी वर्गों के लिए योग सेवाओं की पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि योग के विकास के लिए अपार अवसर हैं। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और योग का इतिहास विश्व स्तर पर योग को बढ़ावा देने में अनूठा लाभ प्रदान करता है। योग की लोकप्रियता और दुनिया भर में स्वीकार्यता भारत के लिए योग-आधारित स्वास्थ्य सेवा और आरोग्यता पर्यटन के लिए खुद को एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है। आरोग्यता और निवारक देखभाल पर योग का ज़ोर समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण की ओर वैश्विक झुकाव के अनुरूप है। सरकार योग को बढ़ावा देकर और निवारक तथा जीवन शैली से संबंधित उपायों पर जोर देकर स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर बोझ कम करने में योगदान दे सकती है। (साक्षात्कारकर्ता दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनसे jha.air.sidharath@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)