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संपादकीय लेख


Issue no 09, 27 May - 02 June 2023

ई एन टीम दुनिया भर के नीति निर्माताओं, प्रौद्योगिकीविदों, शिक्षाविदों और सिविल सोसायटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल की आर्थिक संभावनाएं को व्यापक रूप से उजागर किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियां मानव इतिहास में परिवर्तन की सबसे शक्तिशाली एजेंट बनने की राह पर हैं। बड़ी संख्‍या में व्यवसायों, व्यक्तियों और यहां तक कि सरकारों ने उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए एआई को अपनाया है। यह न केवल वैश्विक आर्थिक और तकनीकी परिदृश्य बल्कि हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू को नया आकार देगा। स्‍वाभाविक है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक युवा राष्ट्र, भारत को एआई से लाभ उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। सामाजिक समस्याओं का समाधान करने और अधिक आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ने के लिए एआई का लाभ उठाया जा सकता है। एआई से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन अमरीकी डालर और 2025 तक भारत की जीडीपी में 450-500 बिलियन अमरीकी डालर जोड़ने की उम्मीद है, जो देश की अर्थव्‍यवस्‍था को अमरीकी डालरों में 5 ट्रिलियन का आकार प्रदान करने के सरकार के लक्ष्य का 10 प्रतिशत हिस्‍सा है। भारत में एआई का उपयोग भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चुस्‍त-दुरुस्‍त गतिशीलता और परिवहन सहित स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में सामाजिक जरूरतों को पूरा कर रहा है। यह नए ज्ञान के सृजन और अनुप्रयोगों के विकास और उपयोग के माध्यम से प्रौद्योगिकी की सीमाओं का विस्‍तार करने में मदद कर रहा है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज-नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कौशल प्रसार और एआई प्रतिभा एकाग्रता के मामले में पहले स्थान पर है, जो सभी जी 20 और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) देशों में भी शीर्ष स्‍थान पर है। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की तैनाती में अग्रणी, भारत अधिक सेवा उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एआई को अपने दायरे में समायोजित करने के लिए तैयार है। कृषि क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल फसल पैदावार को अनुकूलित करने के लिए मौसम पैटर्न मॉडलिंग और भू-स्थानिक इमेजिंग जैसी तकनीकों के माध्यम से किया जा रहा है। चिकित्सा क्षेत्र में एआई का इस्‍तेमाल मेडिकल इमेज विश्लेषण में सुधार लाने के लिए किया जा रहा है ताकि घातक बीमारियों का पहले से पता लगाया जा सके और अधिक कारग़र उपचार योजनाएं विकसित की जा सकें। शिक्षा क्षेत्र में, एआई-संचालित नई प्रौद्योगिकियां कमजोर विद्यार्थियों की पहचान करने, दाखिलों का पूर्वानुमान लगाने और परिणामों की भविष्यवाणी करने में मदद कर रही हैं। भारत सरकार ई-गवर्नेंस, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, वित्त और बैंकिंग से लेकर कानून प्रवर्तन के क्षेत्रों में, कुछ अत्याधुनिक एआई तकनीकों को लागू करने में सबसे आगे रही है। माई गोव कोरोना हेल्पडेस्क, आरोग्य सेतु, डिजी लॉकर, डिजी यात्रा और को-विन जैसे एआई-संचालित उपकरण इसका उदाहरण हैं कि सरकार किस तरह से बड़ी चुनौतियों का समाधान करने में एआई और डेटा का लाभ उठा रही है। एआई का उपयोग करने के साथ-साथ, सरकार ने भावी पीढ़ी को एआई-सम्‍पन्‍न बनने के लिए प्रेरित करने और तत्‍संबंधी बुनियाद को सुदृढ बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। सभी के लिए जिम्मेदार एआई भारत सरकार ने एआई को जिम्मेदारी से अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं और एआई के लिए हमारी राष्ट्रीय रणनीति के मूल में 'सबके लिए एआई' के विचार को रखते हुए इस तकनीक का उपयोग करने में सार्वजनिक भरोसा अर्जित किया है। भारत सरकार ने 2020 में सामाजिक सशक्तिकरण के लिए दाय‍ित्‍वपूर्ण एआई (आरएआईएसई) विषय पर एक सम्‍मेलन का आयोजन किया, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अपनी तरह का पहला वैश्विक सम्‍मेलन था, जिसका लक्ष्‍य दाय‍ित्‍वपूर्ण एआई के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन, समावेशन और सशक्तिकरण के लिए भारत का दृष्टिकोण और रोडमैप तैयार करना था। इसमें भागीदार देशों के शिक्षा, अनुसंधान, उद्योग जगत और सरकारी प्रतिनिधियों के रूप में 79,000 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया। शिखर सम्मेलन ने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले 21 देशों के 320 विशिष्ट वक्ताओं का भी स्वागत किया। आरएआईएसई 2020 शिखर सम्मेलन एक वैश्विक सफलता थी और इसके बाद एआई पे चर्चा और डिजिटल इंडिया वार्ता जैसी पहल की गई, जिसमें सेवाओं में सुधार के लिए एआई के उपयोग के मामलों और उदाहरणों को प्रदर्शित करने के लिए उद्योग और चिकित्सकों के विशेषज्ञों को एकजुट करने का प्रयास किया गया। हाल ही में, सरकार ने ''सबके लिए एआई'' अभियान का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य सभी को एआई की बुनियादी समझ प्रदान करना है। एआई को बढ़ावा देने के लिए सरकार के उपाय भारत सरकार भी एआई क्षेत्र के विस्तार का समर्थन करती रही है। सरकार का राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (एनआईसी) एआई सेवाओं में सहायता के लिए क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जैसे कि एआई-मंथन जो गहन शिक्षण मॉडल में माहिर है, एआई-वाणी जो चैटबॉट्स और वॉयस सेवाओं के लिए उपयुक्त है, और एआई-सत्यपी-कानन जो चेहरे की पहचान जैसी बायोमेट्रिक तकनीकों के लिए अनुकूलित है। पूरे देश में एआई के विकास और इसे अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल और राष्ट्रीय एआई मिशन विकसित किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय स्टार्टअप हब और राष्ट्रीय ई-सरकार योजना की स्‍थापना की गई है।. इसके अलावा, देश को एआई के मामले में भविष्य के लिए तैयार करने के वास्‍ते इंडियाएआई (भारत के राष्ट्रीय एआई पोर्टल) की स्‍थापना इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय ई-शासन प्रभाग (एनईजीडी) और नैस्‍कॉम द्वारा संयुक्त उद्यम के रूप की गई है। यह इच्छुक उद्यमियों, छात्रों, पेशेवरों, शिक्षाविदों और अन्य सभी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संबद्ध क्षेत्रों पर एकल केंद्रीय ज्ञान केंद्र है। भारत ने एआई की बुनियादी जानकारी के लिए एक पुस्तिका तैयार की है जिससे किसी भी उम्र और पृष्ठभूमि का व्यक्ति मूल बातें समझ सकता है। बुकलेट पढ़ने के लिए क्यूआर कोड को स्कैन करें। फ्यूचरस्किल्‍स प्राइम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित 10 उभरते क्षेत्रों में आईटी पेशेवरों को फिर से कुशल बनाने/उनके कौशल उन्‍नयन के लिए सरकार द्वारा एक और बिजनेस-टू-कन्‍ज्यूमर (बीट2सी) फ्रेमवर्क है। सरकार ने 'विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना' भी शुरू की है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग सहित सम्‍बद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देती है। अनुसंधान के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित विभिन्न उभरती प्रौद्योगिकियों पर कई 'उत्कृष्टता केंद्र' बनाए हैं। इससे प्रमुख उद्योगों को अन्‍तर-विषयी अनुसंधान करने और कृषि, स्वास्थ्य और स्थायी शहरों के क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुप्रयोगों और प्रबंधनीय स्‍तर पर समस्या समाधान विकसित करने में मदद करेगा। सरकारी स्कूल के छात्रों को उपयुक्त नए-युग की तकनीकी मानसिकता, प्रासंगिक कौशल-सेट और आवश्यक टूल सेट तक पहुंच के साथ सशक्त बनाने के लिए, रिस्पॉन्सिबल एआई फॉर यूथ प्रोग्राम प्रारंभ किया गया है और 11,000 से अधिक सरकारी स्कूली बच्चों को एआई में प्रशिक्षण दिया गया है। भारत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस संबंधी ग्‍लोबल पार्टनरशिप (जीपीएआई) के संस्‍थापक सदस्‍य के रूप में अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की लीग में शामिल हो गया है। जीपीएआई एआई के दायित्‍वपूर्ण विकास और उपयोग को निर्देशित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय और बहु-हितधारक पहल है, जो मानव अधिकारों, समावेशन, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित है। भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधी ग्लोबल पार्टनरशिप (जीपीएआई) की अध्यक्षता संभाली है। जीपीएआई अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का समूह है। भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था। एआई के आसपास की चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। एआई में अनुसंधान और विकास के लिए, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) की दो समर्पित प्रयोगशालाएं हैं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स केंद्र (सीएआईआर), बेंगलुरु तथा एआई में अनुप्रयोग उन्मुख अनुसंधान के लिए डीआरडीओ युवा वैज्ञानिक प्रयोगशाला (डीवाईएसएल) -एआई। एआई को सरकार से प्रोत्‍साहन भारत में एआई को अपनाना एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। स्टैनफोर्ड एआई इंडेक्स 2022 के अनुसार ''संगठनों द्वारा एआई को अपनाने'' के मामले में भारत पहले स्‍थान पर है जबकि ''नव वित्‍त पोषित एआई कंपनियों की संख्या' (2013-21) के मामले में भारत को 7वां स्थान दिया गया है। इसी इंडेक्स के अनुसार ''एआई पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन और एआई सम्मेलनों के आयोजन की संख्‍या'' की दृष्टि से भारत तीसरे स्थान पर है। इसके अलावा, भारत को पीक एआई के डिसीजन इंटेलिजेंस मैच्योरिटी स्केल के सभी 5 स्तंभों में प्रथम स्थान दिया गया है, जो किसी व्यवसाय की व्यावसायिक एआई तैयारी का आकलन करता है। एआई की शक्ति का उपयोग करते हुए, भारत ऐसे एप्लिकेशन बनाने की राह पर है जो नागरिकों के लिए वेल्‍यू अनलॉक करते हैं और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करते हैं। डिजिटल इंडिया भाषिनी डिजिटल इंडिया भाषिनी, भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नेतृत्व वाले भाषा अनुवाद मंच के रूप में, भाषा दान नामक क्राउड-सोर्सिंग पहल के माध्यम से बहुभाषी डेटासेट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर नागरिकों को शामिल करेगा। इसका उद्देश्य भाषाओं के लिए एक राष्ट्रीय सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म बनाना है और भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुँच कायम करने में मदद करना है, जिसमें आवाज-आधारित पहुँच भी शामिल है। यह भारतीय भाषाओं में विषय सामग्री के निर्माण में मदद करता है। मंच पूरे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को उत्प्रेरित करेगा और यह डिजिटल सरकार के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। एआई-सक्षम चैटबॉट्स सरकार विभिन्न सेवाओं के लिए एआई-सक्षम चैटबॉट्स के उपयोग को तेजी से अपना रही है। ये चैटबॉट संवादात्मक इंटरफेस के रूप में काम करते हैं जो ग्राहकों के साथ मानवीय संबंधों की नकल करते हैं। भारतीय रेलवे ने टिकटिंग वेबसाइट www.irctc.co.in और पर्यटन वेबसाइट www.irctc Tourism.com के उपयोगकर्ताओं के लाभ के लिए आस्कदिशा चैटबॉट बनाया है, जहां ग्राहक आवाज के साथ-साथ टेक्स्ट द्वारा प्रश्न पूछ सकते हैं। व्हाट्सएप पर एआई-सक्षम चैटबॉट, माई गोव हेल्पडेस्क ने लोगों को कोविड और टीकाकरण से संबंधित जानकारी के साथ सशक्त बनाया है और अब यह डिजिलॉकर दस्तावेज तक पहुंच प्रदान करता है। Cog X 2020, एआई और इमर्जिंग टेक्नोलॉजी का एक प्रतिष्ठित ग्लोबल लीडरशिप समिट और एआई एवं इमर्जिंग टेक्नोलॉजी का उत्सव है, जो हर साल लंदन में आयोजित किया जाता है। माई गोव कोरोना हेल्पडेस्क ने 'बेस्ट इनोवेशन फॉर कोविड19 - सोसाइटी' और 'पीपुल्स चॉइस कोविउ-19 ओवरऑल विनर' श्रेणियाँ के तहत दो पुरस्कार जीते। सरकार के उमंग ऐप ने अपना वॉइस-आधारित चैटबॉट भी लॉन्च किया है जो उपयोगकर्ताओं को विभिन्न सरकारी सेवाओं के बारे में हिंदी और अंग्रेजी में और वॉइस या टेक्स्ट के माध्यम से प्रश्न पूछने की अनुमति देता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का डिजीसाथी भी डिजिटल भुगतान उत्पाद और सेवाओं के प्रश्नों के साथ उपयोगकर्ताओं को सहायता प्रदान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है। भारतीय रेल भारतीय रेलवे ने 'आइडियल ट्रेन प्रोफाइल' नाम की एआई-सक्षम प्रणाली की शुरु की है, जिसका लक्ष्‍य हर एक ट्रेन की मांग पैटर्न का नियमित रूप से विश्लेषण करके आरक्षित मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में अधिकतम क्षमता उपयोग और राजस्व सृजन करना है। सेंटर ऑफ रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (सीआरआईएस) द्वारा विकसित, एआई प्रोग्राम विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है जैसे कि ट्रेन का मूल और गंतव्य, समय, सीट की श्रेणी, और सर्वोत्तम संभव टिकट आवंटन को स्वचालित करने और प्रतीक्षा को कम करने के लिए वैकल्पिक ट्रेनों की उपलब्धता सूची। यह प्रणाली क्षेत्रीय रेलवे को छुट्टियों, त्योहारों, मौसमों आदि के कारण बदलते मांग मिश्रण को संबोधित करने के लिए ट्रेन कोटा की समय-समय पर समीक्षा करने में भी मदद करेगी। शहर का आवागमन नवंबर 2022 में, बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने एआई ऑटोमेशन द्वारा संचालित क्यूआर-टिकटिंग सेवा शुरू की। यह व्हाट्सएप पर एक स्वचालित टेक्स्ट प्लेटफॉर्म है जो टिकट और मेट्रो रेल पास बुकिंग प्रदान करता है। उपयोगकर्ता मार्गों और टिकट की कीमतों के बारे में पूछताछ कर सकते हैं और यात्रा के लिए टिकट और पास खरीदने के लिए अपने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) से जुड़े बैंक खातों को पंजीकृत कर सकते हैं। सड़क सुरक्षा के लिए आई-रास्ते भारतीय सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए, सड़क पर जोखिमों की पहचान करने और ड्राइवरों को समय पर अलर्ट संप्रेषित करने के लिए दुर्घटना चेतावनी प्रणाली प्रदान करने के वास्‍ते पूर्वानुमानित एआई का उपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू की गई सरकार की परियोजना की परिणति आई-रास्ते (प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के माध्यम से सड़क सुरक्षा के लिए बुद्धिमतापूर्ण समाधान) के कार्यान्वयन के रूप में हुई है। यह प्रणाली वाहन चलाते समय आशंकित दुर्घटना-कारण परिदृश्यों की पहचान करती है और ड्राइवरों को दुर्घटना चेतावनी प्रणाली (सीडब्ल्यूएस), ड्राइवर ड्रोसिनेस सिस्‍टम (डीडीएस), और लेन डिपार्चर वार्निंग (एलडीडब्‍ल्‍यू) जैसी सुविधाओं के साथ उन्नत चालक सहायता प्रणाली (एडीएएस) की मदद से ड्राइवरों को इसके बारे में सचेत करती है। । सिस्टम संपूर्ण सड़क नेटवर्क पर गतिशील जोखिमों की निरंतर निगरानी करके डेटा विश्लेषण और गतिशीलता विश्लेषण द्वारा 'ग्रेस्पॉट्स' की पहचान करता है। सिस्टम सड़कों की निरंतर निगरानी भी करता है और निवारक रखरखाव और बेहतर सड़क बुनियादी ढांचे के लिए मौजूदा रोड ब्लैकस्पॉट को ठीक करने के लिए इंजीनियरिंग डिजाइन फिक्स करता है। यातायात प्रबंधन गोवा, केरल, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों में यातायात प्रबंधन और सड़क सुरक्षा के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है अथवा इस्‍तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है। इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम्स (आईटीएमएस) ट्रैफिक पुलिस को सुरक्षा, सिग्नल प्रबंधन और ट्रैफिक नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करता है और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ उल्लंघनकर्ताओं को ऑटो-जेनरेट किए गए चालान भेजता है। इनमें से कुछ प्रणालियों में सेंसर-आधारित रीयल-टाइम ट्रैफ़िक वॉल्यूम काउंट तकनीक के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे शामिल होने की उम्मीद है। कृषि कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कीटों और खरपतवारों का पता लगाने, प्रिडिक्टिव ऐलेलिटिक्‍स की मदद से सटीक खेती, ड्रोन के माध्यम से फसल स्वास्थ्य का आकलन, मृदा जांच प्रणाली, ऐतिहासिक डेटा के आधार पर फसलों की कीमत का पूर्वानुमान और प्रतिकूल मौसम की स्थिति की भविष्यवाणी करने के लिए मौसम का पूर्वानुमान, जैसी गतिविधियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र है जिसमें करियर के व्यापक अवसर हैं। हेल्थकेयर, फाइनेंस, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सहित विभिन्न उद्योगों में व्यवसायों द्वारा एआई को अपनाने के कारण आने वाले वर्षों में भारत में एआई पेशेवरों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत में कुछ सबसे अधिक मांग वाली एआई नौकरियों में डेटा वैज्ञानिक, मशीन लर्निंग इंजीनियर, रोबोटिक्स इंजीनियर, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) इंजीनियर, कंप्यूटर विजन इंजीनियर, एआई शोधकर्ता, एआई उत्पाद प्रबंधक, एआई सलाहकार और एआई उद्यमी शामिल हैं। एआई के साथ काम करने के लिए आवश्यक कौशल विशिष्ट भूमिका के आधार पर भिन्न होते हैं, लेकिन कुछ सामान्य कौशल हैं जो किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं जो इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, जैसे कि प्रोग्रामिंग, गणित और डेटा साइंस। संकलित: अनिशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन स्रोत: psa.gov.in/Invest India/PIB/INDIAai/ai.gov.in/ नीति आयोग।