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संपादकीय लेख


Issue no 51, 18-24 March 2023

 

जी-20 वित्त मंत्रियों की बैठक

ऋण समाधान के लिए रोडमैप तैयार

 

शिशिर सिन्हा

भारत की अध्‍यक्षता में जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (एफएमसीजीबी) की बेंगलुरु में आयोजित पहली बैठक के बाद, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संवाददाता सम्‍मेलन में अध्यक्ष का सारांश प्रस्तुत किया। मीडिया के सवालों का संक्षिप्त जवाब देने के बावजूद,  वित्‍तमंत्री इस बारे में व्यापक तस्वीर पेश करने में कामयाब रहीं। मीडिया ने विशेष रूप से, सारांश में दिए गए अध्यक्ष के बयान पर उनके विचार मांगे, जिसमें कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण समाधान की भाषा पर समझौते का संदर्भ दिया गया था। इससे पहले उस दिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा की, संकटग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण के पुनर्गठन से संबंधित असहमति की स्वीकारोक्ति के बाद यह सवाल पूछा गया था। इसके आलोक में, मीडिया ने सवाल किया कि कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण समाधान कैसे कार्य करेगा। मंत्री की प्रतिक्रिया संक्षिप्त लेकिन सार्थक थी, जैसा कि उन्होंने कहा कि जॉर्जीवा का पूर्व का बयान आम सहमति प्राप्त करने से पहले दिया गया था और अब इसमें कोई असहमति नहीं है। इसके अलावा, मंत्री ने जोर देकर कहा कि ऋण के मामले में, शामिल पक्षों की एकसमान राय बनी है । वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा- "आज सुबह का बयान आम सहमति आने से पहले का है, इसलिए अब कोई मतभेद नहीं हैं। ऋण के मुद्दे पर हम एक ही पृष्ठ पर आ गए हैं

 यदि यह जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की पहली बैठक की एक बड़ी उपलब्धि थी, तो भारत की चिंता  वाले एक और बड़े मुद्दे- क्रिप्टो संपत्ति पर वैश्विक मान्यता मिलना भी काफी महत्‍वपूर्ण था जिसके परिणामस्वरूप विनियमन के लिए एक वैश्विक ढांचा तैयार करने का रोडमैप तैयार किया गया। बैठक में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार, जलवायु परिवर्तन ढांचे को लागू करने; सतत, लचीला, समावेशी तथा न्यायसंगत आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए सतत वित्त; महामारी की रोकथाम, तैयारी तथा कार्रवाई के लिए वैश्विक स्वास्थ्य संरचना को मजबूत करना; विश्व स्तर पर निष्पक्ष, टिकाऊ और आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली तैयार करना; अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए धन शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण, और कई अन्य के अलावा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता तथा लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

 हालाँकि, एकमात्र निराशाजनक कारक यह था कि बैठक में विज्ञप्ति को स्वीकार नहीं किया जा सका क्योंकि रूस और चीन युद्ध की निंदा करने वाले अनुच्छेदों पर सहमत नहीं थे और इस तरह की घोषणा फुटनोट के साथ नहीं की जा सकती। बैठक, जी-20 अध्‍यक्ष के सारांश और परिणाम दस्तावेज़ जारी करने के साथ संपन्‍न हुई, जिसमें इस बात की जानकारी दी गई थी कि किस पर सहमति बनी थी और भविष्य के लिए क्या रोडमैप था। निम्नलिखित अनुच्छेदों में दो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे - ऋण समाधान और क्रिप्टो।

ऋण समाधान

समस्या की गंभीरता को "अंतर्राष्ट्रीय ऋण राहत पर 'टू लिटिल टू लेट' शीर्षक से एक पेपर से समझा जा सकता है" (अक्टूबर, 2022) जिसमें यह कहा गया है कि 54 देश जहां दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से आधे से अधिक आबादी रहती है उन्‍हें तत्काल ऋण राहत की आवश्यकता है। एजेंसी ने चेतावनी दी, "कार्रवाई के बिना, गरीबी बढ़ेगी और जलवायु अनुकूलन तथा शमन में बेहद जरूरी निवेश नहीं होगा।"

 विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि 400 अरब डॉलर का अंतर्राष्ट्रीय बाजार ऋण समस्याओं के केंद्र में हो सकता है। यह भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके दो पड़ोसी देश - श्रीलंका और पाकिस्तान उन अर्थव्यवस्थाओं की सूची में हैं जो या तो अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण पर चूककर्ता हो चुके हैं या ऐसा होने के कगार पर हैं।

 श्रीलंका का उदाहरण लें जहां आर्थिक कुप्रबंधन और महामारी सहित कारकों के संयोजन के बाद पिछले साल अपने आधुनिक इतिहास में पहली बार इस द्वीप राष्ट्र ने अपने अंतरराष्ट्रीय ऋण पर चूक की, जिसके कारण पूर्ण आर्थिक संकट पैदा हो गया और सामाजिक अशांति के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। नई सरकार सितंबर में करीब 3 अरब डॉलर के सहयोग कार्यक्रम के लिए आईएमएफ के साथ एक अनंतिम समझौते पर पहुंची ।

 पाकिस्तान ने प्राकृतिक आपदा के साथ संयुक्त रूप से राजनीतिक व्यवधानों की एक श्रृंखला के साथ एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी जब बुनियादी वस्तुओं के लिए भुगतान करना बेहद मुश्किल हो गया। अब पाकिस्तान पर बकाएदारों की सूची में शामिल होने का गंभीर खतरा  मंडरा रहा है। उसे मौजूदा बेलआउट कार्यक्रम से 1.1 बिलियन डॉलर की अतिदेय किश्त आईएमएफ से जारी करने की सख्त जरूरत है। वह 700 मिलियन डॉलर के ऋण के अपने वादे को पूरा करने के लिए चीन की ओर भी देख रहा है। लेकिन इसका ऋण-से-जीडीपी अनुपात पहले से ही 70 प्रतिशत खतरे के क्षेत्र में है और केवल इस वर्ष ब्याज भुगतान के लिए सरकार के राजस्व के 40 से 50 प्रतिशत के बीच है, इसे जल्द ही और अधिक की आवश्यकता होगी।

 ये दोनों तो उदाहरण मात्र हैं। सूची में घाना, मिस्र, ट्यूनीशिया, अल सल्वाडोर, जाम्बिया और निश्चित रूप से यूक्रेन जैसे राष्ट्र भी शामिल हैं। जैसा कि अर्थव्यवस्थाएं आपस में जुड़ी हुई हैं, सभी देशों के लगभग एक चौथाई में आर्थिक व्यवधान समूची वैश्विक अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकते हैं। इसे भांपते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कई देशों की वित्तीय सक्षमता के लिए असंधारणीय ऋण स्तरों के खतरे को चिह्नित करके बैठक का स्वर निर्धारित किया, यहां तक कि उन्होंने जी-20 सदस्य देशों से सबसे कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित करने और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करने का आग्रह किया।

 प्रारंभ में, कुछ संकेत थे कि बैठक में कोई ठोस समाधान नहीं निकल सकता । बैठक के आखिरी दिन की सुबह भी आईएमएफ के प्रबंध निदेशक ने भी मतभेदों की बात की। हालांकि, दिन में आईएमएफ के एक बयान में कुछ सकारात्मक घटनाक्रम के संकेत दिए गए। बैठक के समापन के बाद जारी बयान में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कई देशों में बढ़ती ऋण कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए ऋण ढांचे को मजबूत करने और ऋण समाधान की गति और प्रभावशीलता में सुधार के प्रयासों का जोरदार समर्थन किया। संप्रभु ऋण कमजोरियां, जो कोविड-19  से पहले भी गंभीर स्थिति में थीं, महामारी और यूक्रेन - रूस के युद्ध से बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि यह विशेष रूप से विकासशील और बहुत सीमित नीति स्थान तथा विशाल विकास आवश्यकताओं के साथ कम आय वाले देशों के लिए के मामले में है।

उन्होंने कहा- हमें ऋण के मुद्दों पर संवाद और सहयोग बढ़ाना चाहिए। यह नए ग्लोबल सॉवरेन डेब्‍ट राउंडटेबल (जीएसडीआर) का लक्ष्य है: लेनदारों-आधिकारिक, पुराने तथा नए, और निजी तथा ऋणी देशों को उन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाना जो ऋण समाधान प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं। हमने पिछले सप्ताह जी-20 की अध्यक्षता में भारत के तत्वावधान में जीएसडीआर को डेप्युटी स्तर पर लॉन्च किया, इसके बाद 25 फरवरी को महत्‍वपूर्ण और सार्थक बैठक हुई। हम अप्रैल में विश्व बैंक-आईएमएफ बसंत बैठक के दौरान इस चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।

 अंत में शाम को, किए गए प्रयासों का परिणाम मिला जब अध्यक्ष के सारांश और परिणाम वक्तव्य में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ऋण कमजोरियों को दूर करने की तात्कालिकता को मान्यता दी गई। बिगड़ती ऋण स्थिति को दूर करने और ऋणग्रस्त देशों के लिए समन्वित ऋण समाधान की सुविधा के लिए आधिकारिक द्विपक्षीय और निजी लेनदारों द्वारा बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसने 13 नवंबर, 2020 को हुई सहमति के अनुसार दूसरे और अंतिम पैराग्राफों सहित 'डीएसएसआई से परे ऋण उपायों के लिए सामान्य ढांचे' में की गई सभी प्रतिबद्धताओं पर जी-20 के रुख को दोहराया और सामान्य पूर्वानुमेय, समय पर, व्यवस्थित और समन्वित तरीके से ढांचे के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाया।

 "हम चाड के लिए ऋण उपायों के निष्कर्ष का स्वागत करते हैं और जाम्बिया तथा इथियोपिया के लिए इस पर काम को तेजी से पूरा करने का आह्वान करते हैं। हम अनुरोध पर ऋण उपायों पर काम करने के लिए घाना के लिए आधिकारिक लेनदार समिति के त्‍वरित गठन की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा, हम श्रीलंका के कर्ज की स्थिति के तेजी से समाधान की उम्मीद करते हैं।' इसके अलावा बैठक में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना कार्य समूह को निष्पक्ष और व्यापक तरीके से वैश्विक ऋण परिदृश्य पर जी-20 नोट तैयार करने का काम सौंपा गया।

 क्रिप्टो संपत्तियां

ऋण के मुद्दे के विपरीत, क्रिप्टो परिसंपत्तियों के नियमन पर शुरू से ही आम सहमति थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत अपने रुख पर सभी का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहा। भारत का हमेशा यह दृष्टिकोण रहा  है कि क्रिप्टो परिसंपत्तियाँ परिभाषा के अनुसार सीमाहीन हैं और नियामक क्रय-विक्रय को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इसलिए, इस विषय पर कोई भी कानून केवल जोखिमों तथा लाभों के मूल्यांकन और सामान्य वर्गीकरण तथा मानकों के विकास पर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ ही प्रभावी हो सकता है। वहीं, भारत के केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक ने बार-बार क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

क्रिप्टो परिसंपत्तियों के संदर्भ में संवाद को व्यापक बनाने के लिए भारत की अध्‍यक्षता के प्रयासों को बढ़ावा देने के प्रयास में, एफएमसीबीजी बैठक के पक्ष में "नीतिगत दृष्टिकोण: क्रिप्टो संपत्तियों पर नीतिगत सहमति के तरीकों पर बहस" शीर्षक से एक सेमिनार आयोजित किया गया था। इस संगोष्ठी के दौरान, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) द्वारा क्रिप्टो संपत्ति के लिए एक नियामक संरचना तैयार करने में मदद करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी पत्र का प्रस्ताव रखा। इस पर गौर किया जा सकता है कि क्रिप्टो के तेजी से विकास के बावजूद, वर्तमान में क्रिप्टो संपत्तियों के लिए कोई व्यापक वैश्विक नीति ढांचा नहीं है।

 इस संगोष्ठी के विचार-विमर्श को ध्यान में रखते हुए, अध्‍यक्ष के सारांश और परिणाम दस्तावेज़ में एफएसबी और अंतरराष्ट्रीय मानक तय करने वालों के काम की सराहना की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तथाकथित स्‍टेबलक्‍वॉयन सहित क्रिप्टो-एसेट इकोसिस्टम  और मजबूत विनियमन, पर्यवेक्षण तथा वित्तीय स्थिरता के अधीन तथा संभावित जोखिमों को कम करने के लिए बारीकी से निगरानी की जाती है । बयान में कहा गया है हम क्रिप्टो संपति्तयों के मैक्रो-वित्‍तीय प्रभावों पर आईएमएफ चर्चा पत्र का भी स्वागत करते हैं। हम आईएमएफ -एफएसबी सिंथेसिस पेपर के प्रति उत्‍सुक हैं, जो क्रिप्टो परिसंपत्तियों द्वारा उत्पन्न जोखिमों की पूरी श्रृंखला सहित मैक्रोइकॉनॉमिक और नियामक दृष्टिकोणों पर विचार करके क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के लिए एक समन्वित और व्यापक नीति दृष्टिकोण का समर्थन करेगा "

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाद में, मुख्य बैठक के दौरान क्या हुआ, इसकी जानकारी देते हुए, विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा व्यक्त की गई राय पर प्रकाश डाला। उदाहरण के लिए, कैनेडियन सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने आगाह किया कि विनियमन के लिए एक सुविचारित दृष्टिकोण के बिना क्रिप्टो परिसंपत्तियों को नियामक मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। विश्व बैंक ने कहा कि सभी विकासशील देशों के विचारों को भी सभी नीतिगत ढांचों में शामिल किया जाना चाहिए। इसी तरह, ईसीबी (यूरोपियन सेंट्रल बैंक) ने भारत को क्रिप्टो को प्राथमिकता मानचित्र पर रखने के लिए धन्यवाद दिया।

 

वित्त मंत्री के साथ एफएमसीबीजी की सह-अध्यक्षता कर रहे रिजर्व बैंक गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। लेकिन अंतिम संरचना क्या होगी, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। उनहोंने कहा- हां, "ऐसे विचार थे कि इसके प्रसार को नियंत्रित करने और इसके जोखिमों पर रोक लगाने के लिए इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए। यह भी राय व्यक्त की गई कि प्रतिबंध या निषेध के विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिए और इस दिशा में काम किया जा रहा है।

इसके अलावा, उन्होंने हमें याद दिलाया कि हर देश संप्रभु है। देश अपने फैसले लेंगे। लेकिन एक बार जब जी-20 में किसी बात पर सहमति बन जाती है तो स्वाभाविक रूप से यह उम्मीद की जाती है कि देश कुल मिलाकर जो भी सहमत स्थिति है उसका पालन करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अब इस तथ्य की व्यापक मान्यता और स्वीकृति है कि क्रिप्टोकरेंसी, या क्रिप्टो संपत्ति, या क्रिप्टो उत्पाद, या इसे कोई भी नाम दें, इनसे मौद्रिक प्रणालियों, वित्तीय स्थिरता, साइबर सुरक्षा और समग्र वित्तीय स्थिरता के लिए कई प्रमुख जोखिम होते हैं और उन पर विचार करने की जरूरत है।

 आईएमएफ पहले ही एक चर्चा पत्र लेकर आ चुका है। इसके बाद और पहले एफएमसीबीजी पर चर्चा के बाद, ढांचे के विनियमन पर चर्चा को आगे बढ़ाने का कार्यक्रम वापस ले लिया गया है। अप्रैल में वाशिंगटन में आईएमएफ-विश्व बैंक की बसंत बैठक में क्रिप्टो संपत्ति पर अलग से  एक आयोजन प्रस्तावित हैं। फिर, एफएसबी इस साल जुलाई तक वैश्विक स्थिर मुद्रा क्रिप्टो-परिसंपत्ति बाजारों और गतिविधियों के विनियमन, पर्यवेक्षण और निरीक्षण पर अपनी उच्च-स्तरीय सिफारिशों को अंतिम रूप देगा और गांधी नगर में अगली एफएमसीबीजी बैठक के दौरान इस पर चर्चा की जाएगी।

बीआईएस (बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट) क्रिप्टो संपत्ति से संबंधित विश्लेषणात्मक और वैचारिक मुद्दों और संभावित जोखिम शमन रणनीतियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। अंत में,आईएमएफ और एफएसबी संयुक्त रूप से सितंबर 2023 में क्रिप्टो संपत्ति के व्यापक आर्थिक और विनियामक दृष्टिकोण को एकीकृत करते हुए एक सिंथेसिस पेपर प्रस्तुत करेंगे और जिस पर भारत की अध्‍यक्षता के नेतृत्व में शिखर सम्मेलन के दौरान चर्चा की जाएगी।

कोई विज्ञप्ति नहीं

रूस-यूक्रेन संकट से संबंधित बाली घोषणा की भाषा में किसी भी बदलाव के प्रति अमेरिका, फ्रांस, स्पेन, जापान और जी-7 देशों ने आवाज उठाई। 16 नवंबर, 2022 को जारी उक्त घोषणा में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर और प्रतिकूल प्रभाव डाला। चर्चा के दौरान नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित अन्य मंचों पर व्यक्त की गई अपनी राष्ट्रीय स्थिति को दोहराया, जिसमें एक प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ, रूसी संघ द्वारा आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की गई और यूक्रेन से इसकी पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग की गई।

घोषणा में कहा गया अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की और जोर देकर कहा कि यह भारी मानवीय पीड़ा का कारण बन रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है - विकास को बाधित कर रहा है, मुद्रास्फीति को बढ़ा रहा है, आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रहा है, ऊर्जा तथा खाद्य असुरक्षा और वित्तीय स्थिरता के जोखिम को बढ़ा रहा है। स्थिति और प्रतिबंधों के बारे में अन्य विचार और विभिन्न आकलन भी थे। यह स्वीकार करते हुए कि जी-20 सुरक्षा मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, हम स्वीकार करते हैं कि सुरक्षा मुद्दों के वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं

अध्यक्ष के सारांश के हिस्से के रूप में फुटनोट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जी-20 बाली नेताओं की घोषणा से लिये  गये दस्तावेज़ के पैराग्राफ 3 और 4 (अध्यक्ष का सारांश पढ़ें। युद्ध से संबंधित पैराग्राफ 3-4),  पर रूस और चीन को छोड़कर सभी सदस्य देशों द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी । इस वजह से, पहले एफएमसीबीजी के अंत में कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की जा सकी।

बॉक्‍स

जी-20 अध्‍यक्ष का सारांश और परिणाम दस्तावेज़

सभी जी-20  वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने सहमति व्यक्त की:

·       मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास हासिल करने की दिशा में अंतरराष्ट्रीय नीति सहयोग बढ़ाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए।

·       विकास को बढ़ावा देने और मैक्रोइकॉनॉमिक के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से अंशांकित मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियों की आवश्यकता।

·       जी-20 की भारत की अध्यक्षता के अंतर्गत मैक्रोइकॉनॉमिक परिदृश्यों, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा के परिणामों , प्रभावों और वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा नीति तय करने में उनके प्रभावों पर फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप को कार्य प्रदान करना।

·       सीमा पार चुनौतियों के दायरे और जटिलता को देखते हुए एमडीबी के विकास की आवश्यकता को पहचानने के लिए और इसके परिणामस्वरूप उनके उधार संसाधनों, ज्ञान समर्थन और निजी निवेश को उत्प्रेरित करने की मांग में वृद्धि हुई है। इस दिशा में एमडीबी को मजबूत करने के लिए काम करना।

·       आईएमएफ कोटा की पर्याप्तता पर फिर से विचार करने के लिए प्रतिबद्ध रहना और कोटा की 16वीं सामान्य समीक्षा के तहत आईएमएफ शासन सुधार की प्रक्रिया को जारी रखना, जिसमें गाइड के रूप में एक नया कोटा फॉर्मूला शामिल है, जिसे 15 दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाएगा।

·       निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ऋण कमजोरियों को दूर करने की तात्कालिकता को पहचानने के लिए। बिगड़ती ऋण स्थिति को दूर करने और ऋणग्रस्त देशों के लिए समन्वित ऋण उपायों की सुविधा के लिए आधिकारिक द्विपक्षीय और निजी लेनदारों द्वारा बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की आवश्यकता है।

·       कल के शहरों के वित्तपोषण के लिए एक साझा समझ को दर्शाने वाले स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों को विकसित करना।

·       जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन और पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करना।

·       जी-20 सतत वित्तीय रोडमैप के अनुरूप, जलवायु सहित अन् सतत विकास लक्ष्यो के लिए वित्त पोषण में वृद्धि को सक्षम करने के लिए कार्रवाई करना।

·       संयुक्त वित्त और स्वास्थ्य कार्य बल के तहत वित्त और स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच निरंतर सहयोग और संवर्धित संवाद के माध्यम से महामारी की रोकथाम, तैयारी और कार्रवाई (पीपीआर) के लिए वैश्विक स्वास्थ्य संरचना को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध बने रहना।

·       21वीं सदी के उद्देश्य के लिए विश्व स्तर पर निष्पक्ष, टिकाऊ और आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली के लिए सहयोग जारी रखना।

·       आईएमए-एफएसबी सिंथेसिस पेपर पर आगे काम करना जो क्रिप्टो-परिसंपत्तियों द्वारा उत्पन्न जोखिमों की पूरी श्रृंखला सहित व्यापक आर्थिक और नियामक दृष्टिकोणों पर विचार करके क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के लिए एक समन्वित और व्यापक नीति दृष्टिकोण का समर्थन करेगा।

·       यह पहचानने के लिए कि शेष चुनौतियों का समाधान करने के लिए त्वरित प्रयासों की आवश्यकता है और व्यक्तियों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के व्यवसायों, विशेष रूप से कमजोर और कम सेवा वाले लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं की पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता के तीन गुना उद्देश्य को प्राप्त करना है।

·       अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता और लचीलापन बढ़ाने के लिए धन शोधन, आतंकवाद के लिण्वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को बढ़ाने के लिए दबाव की आवश्यकता को पहचानना।

 

 (शिशिर सिन्हा नई दिल्ली में वित्तीय और आर्थिक मामलों के पत्रकार हैं। उनसे hblshishir@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।