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संपादकीय लेख


Issue no 47, 18-24 February 2023

बजट 2023-24

विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बीच अवसंरचना कवच

 

राजीव थिओडोर

केंद्रीय बजट 2023-24 ऊर्जा से भरपूर, सर्व-समावेशी बजट है जो केवल अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए तैयार करने पर जोर देता है, बल्कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र को भी प्रोत्साहन  देता है। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बुनियादी ढांचे और निवेश पर ध्यान केंद्रित करते हुए, 10 लाख करोड़ रुपये (33.4 प्रतिशत साल-दर-साल वृद्धि) के पूंजीगत परिव्यय की घोषणा की जो आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए एक बहुत आवश्यक कदम है क्योंकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र एक ऐसा इंजन है जिसका रोजगार सहित पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में गुणक प्रभाव है। यह आवंटन सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है। सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत पूंजीगत व्यय, जो लगभग दो दशकों में सबसे अधिक है, अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा, जैसा कि रोजगार सृजित करने और गुणक चक्रों को दिशा देने के लिए बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देने के केनेसियन सिद्धांत में उदाहरण के रूप में दिया गया है। यह प्रस्ताव अन्य क्षेत्रों के लिए बल गुणक के रूप में कार्य करेगा क्योंकि राज्य सरकारों को बुनियादी ढांचे में निवेश के वित्तपोषण के लिए  50 साल के ब्याज मुक्त ऋण की सुविधा सतत रूप से मिलेगी। रेलवे के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम पूंजी परिव्यय की घोषणा के अलावा, टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए 10,000 करोड़ रुपये का शहरी अवसंरचना विकास कोष (यूआईडीएफ) बनाने का प्रस्ताव सुनिश्चित करेगा कि बुनियादी ढांचे के विकास का लाभ अर्थव्यवस्था के सभी वर्गों तक पहुंचे।अमृत काल की सात प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ यह बजट समावेशी विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

गति शक्ति को तेज करना

सरकार ने नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत अलग से 9,000 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की है, जो इस परिव्यय के साथ विकास में एक बड़ी छलांग भी लगाएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह बजट भारत को नए युग के बुनियादी ढांचे से लैस करेगा, आयात को कम करने में मदद करेगा और भविष्य के दृष्टिकोण के साथ देश के ऊर्जा क्षेत्र को मजबूत करेगा। आने वाले वित्त वर्ष में 5.17 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ परिवहन क्षेत्र व्यय के लिए सबसे बड़ा क्षेत्र बना हुआ है, जबकि वर्तमान में यह 3.90 लाख करोड़ रुपये है। बंदरगाहों, कोयला, इस्पात, उर्वरक और खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए अंतिम और प्रथम-मील कनेक्टिविटी के लिए लगभग 100 महत्वपूर्ण परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पहचान की गई है और 75,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, जिसमें से 15,000 करोड़ रुपये निजी स्रोत से शामिल हैं। ये परियोजनाएं पीएम गति शक्ति - राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा हैं, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रसद लागत को कम करने के लिए एकीकृत बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए अक्टूबर 2021 में शुरू किया था।

रेल उन्नयन

राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए सरकार ने रेलवे के बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर 2.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। इसका बड़ा हिस्सा नई रेलवे लाइनें बिछाने, मौजूदा को दोगुना करने और रोलिंग स्टॉक खरीदने पर खर्च किया जाएगा। अगले वित्त वर्ष में रेलवे के लिए यह पूंजीगत व्यय समर्थन 2022-23 के संशोधित अनुमानों में आवंटित 1.59 लाख करोड़ रुपये से 50 प्रतिशत अधिक है, जो भारतीय रेलवे के लिए उच्च आवंटन की प्रवृत्ति को बनाए रखता है। नवीनतम परिव्यय 2013-14 में निर्धारित राशि का लगभग नौ गुना है। रेलवे को बढ़ावा देने के इस कदम से स्वदेशी रूप से विकसित वंदे भारत ट्रेनों को व्यवस्था में लाने और माल वैगनों की खरीद में मदद मिलेगी।

इंफ्रा म्युचुअल फंड बड़े अर्जन के लिए तैयार

वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024 में बुनियादी ढांचा क्षेेत्र और निवेश को सरकार की सात अहम प्राथमिकताओं में शामिल किया है। म्यूचुअल फंड प्रबंधकों का कहना है कि बुनियादी ढांचा कोष के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है। वर्तमान में, 17 म्युचुअल फंड योजनाएं हैं जो बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश करती हैं। इस श्रेणी के दिग्गजों ने एक साल में 13-19 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इसके अलावा, निजी क्षेत्र सेे निवेश आएगा, जो इस चक्र को लंबे समय तक चलाएगा। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कंपनियों के ऑर्डर मिलने  में तेजी देखी जा सकती है और आय में मजबूती बने रहने की संभावना है। सरकार ने बजटीय आवंटन के माध्यम से हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा भंडारण जैसी नई पहलों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। बुनियादी ढांचा कोष जिन पर इन क्षेत्रों का अधिक भार है, इससे लाभ उठाने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान करते हैं।

निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना

अवसंरचना में अधिक निजी निवेश के साथ सभी हितधारकों की सहायता के लिए अवसंरचना वित्त सचिवालय की स्थापना करके, सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी ( पीपीपी ) मॉडल को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया है और निजी क्षेत्र को नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया है। यह सचिवालय रेलवे, सड़कों, शहरी बुनियादी ढांचे और बिजली सहित बुनियादी ढांचे में अधिक निजी निवेश के साथ सभी हितधारकों की सहायता करेगा, जो मुख्य रूप से सार्वजनिक संसाधनों पर निर्भर हैं। इसके साथ ही, वर्गीकरण और वित्तपोषण ढांचे की सिफारिश करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति द्वारा अवसंरचना की एक सामंजस्यपूर्ण मास्टर सूची की समीक्षा की जाएगी।

उड्डयन क्षेत्र को गति देना

विमानन क्षेत्र को और गति देने के उद्देश्य वाली उड़ान योजना के अंतर्गत क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार के लिए पचास अतिरिक्त हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट, वाटर एयरोड्रोम और उन्नत लैंडिंग ग्राउंड को पुनर्जीवित किया जाएगा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन गया है। ये बजट प्रावधान सरकार की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) पर निर्मित हैं, जोमेक इन इंडिया और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी अन्य पहलों के साथ मिलकर बुनियादी ढांचा क्षेत्र को बढ़ावा देतेे हंै।

अवसंरचना निवेश न्यास

रियल एस्टेट निवेश न्यास (आरईआइ्रटीे) और अवसंरचना निवेश न्यास

 2014 में अपनी शुरुआत के बाद से रियल एस्टेट और अवसंरचना वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे रियल एस्टेट और अवसंरचना क्षेत्र में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण ज़रिया बन गए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, 2023 के बजट में, रियल एस्टेट निवेश न्यास (आरईआइ्रटीे) और अवसंरचना निवेश न्यास

 द्वारा पहले कर योग्य नहीं होने वाली आय को कराधान वाली श्रेणी में शामिल किया गया, जिसे पहले छूट दी गई थी। इस बीच, बाजार नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड) ने विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश का अवसर प्रदान करने के लिए रियल एस्टेट निवेश न्यास  और अवसंरचना निवेश न्यास को डिपॉजिटरी रसीद (डीआर) जारी करने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है। यह विदेशी निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि इससे भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के साथ सीधे व्यापार करने की आवश्यकता नहीं होती। ये न्यास कारोबार न्यास के रूप में स्थापित किए गए हैं और राजस्व उत्पन्न करने वाली अचल संपत्ति या बुनियादी ढांचे की संपत्तियों को क्रमशः रखते और संचालित करते हैं। रियल एस्टेट निवेश न्यास  और अवसंरचना निवेश न्यास बड़े पैमाने पर यूनिट जारी करके धन जुटाते हैं। सेबी ने कहा कि इन न्यासों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके द्वारा अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर किया गया कोई भी पब्लिक डिसक्लोज़र अनुमेय अधिकार क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुपालन में है जहां डीआर सूचीबद्ध हैं। फाइलिंग की तारीख से 24 घंटे के भीतर ये डिसक्लोज़र मान्यता प्राप्त एक्सचेंज के साथ भी किए जाने चाहिएं।

पूंजीगत व्यय= गुणक प्रभाव

हरित परिवर्तन पर अतिरिक्त व्यय करने के अलावा बुनियादी ढांचे के लिए अधिक बजटीय सहायता का एक अन्य पहलू इसका गुणक प्रभाव होगा। लार्सन एंड टुब्रो, सीमेंस, थर्मैक्स, एचसीसी और टाटा सहित शीर्ष भारतीय कंपनियां अपने ऑर्डर में उछाल की उम्मीद कर सकती हैं। बुनियादी ढांचे में सरकार के नेतृत्व वाले पूंजीगत व्यय से निजी क्षेत्र की कंपनियों की मांग को पूरा करने की क्षमता में वृद्धि होगी। ये कंपनियां 75 प्रतिशत के स्तर से ऊपर की ओर बढ़ रही क्षमता का उपयोग कर सकती हैं तथा उन्हंे रेलवे, सड़कों और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता और बढ़ानी होगी। अवसंरचना को आगे बढ़ाने सेे स्टील, सीमेंट, रेलवे वैगनों और ट्रकों तथा ट्रैक्टरों जैसे ऑटो उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, देश में रेलवे नेटवर्क के विस्तार से स्टील के उपयोग में वृद्धि होगी और कच्चे और तैयार स्टील के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

विपरीत वैश्विक परिस्थितियों से निपटना

सरकार द्वारा अवसंरचना-उन्नयन पर केंद्रित यह दृष्टिकोण, ऐसे समय में काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही है और सरकार पूंजीगत व्यय  समर्थन को बनाए रखते हुए घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सहायता  करने पर दृढ़ता से प्रयास कर रही है। अवसंरचना क्षेत्र में हाल के दिनों में कुछ बड़ी  विकास परियोजनाओं में निवेश किया गया है और सरकार नेे इन्हें पूरा समर्थन दिया है। सितंबर 2022 में, सरकार ने 996.75 करोड़ रुपये (122.27 मिलियन अमरीकी डॉलर) की लागत से गुवाहाटी में मौजूदा सरायघाट पुल के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर रेल-सह-सड़क पुल को मंजूरी दी। अगस्त 2022 में, इंदौर, मध्य प्रदेश में 2,300 करोड़ रुपये ( 287.89 मिलियन अमरीकी डॉलर ) की छह राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। अप्रैल 2000 और जून 2022 के बीच निर्माण विकास (टाउनशिप, हाउसिंग, बिल्ट-अप इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण विकास परियोनाएं) और निर्माण (अवसंरचना) गतिविधि  क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्रमशः 26.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 28.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

अन्य विकास-प्रेरक कार्यनीतियाँ

बजट में विशेष रूप से मध्यम वर्ग के बीच खपत गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष कर स्लैब को भी संशोधित किया गया है। सरकार ने वित्त वर्ष 2023 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बनाए रखा है और उसका इरादा 2024 तक इसे कम कर 5.9 प्रतिशत तक करने और राजकोषीय विवेक के अपने मार्ग पर टिके रहने का है देश को सात अलग-अलग फोकस क्षेत्रों - सप्तऋषि मॉडल - के माध्यम से विकसित करने की परिकल्पना  प्रगतिशील तथा व्यावहारिक है और कार्यनीतिक रूप से बुनियादी ढांचा निवेश, हरित विकास, कृषि विकास तथा आधुनिकीकरण, युवा कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता और पर्यटन पर केंद्रित है। बजट ने भारत को विश्व चैंैंपियन बनने की राह पर खड़ा कर दिया है, जो बुनियादी ढांचे के विकास, खपत और समावेशन के लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

 सरकार ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र कों निम्नलिखित तरीके से प्रोत्साहन दिया हैः

·         बजट में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के परिव्यय में 33 प्रतिशत की वृद्धि कर 10 ट्रिलियन रुपये (जीडीपी का 3.3 प्रतिशत) पर रखा गया है। अर्थव्यवस्था को उत्कृष्ट बनाने के प्रमुख मार्ग के रूप में सरकार सार्वजनिक कार्य को बढ़ाने पर जोर देने में वर्षों से अटल रही है। इस बात पर प्रकाश डाला गया कि केंद्र द्वारा प्रत्यक्ष पूंजी निवेश, राज्यों को सहायता अनुदान के माध्यम से पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए किए गए प्रावधान से पूरा होता है।

·         रेलवे पर स्पष्ट जोर देते हुए, 2.4 ट्रिलियन रुपये का परिव्यय 2013-14 के आवंटन का नौ गुना है, जिसका अर्थ है - डी-कार्बोनाइजेशन (100 प्रतिशत रेल पटरियों को पूरी तरह से विद्युतीकृत करने के साथ); अधिक अपेक्षित माल ढुलाई और नई यात्री ट्रेनों पर ध्यान केंद्रित  किया गया है।

·         सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए आवंटन में 2023-24 के लिए लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये के साथ 36 प्रतिशत  की वृद्धि की गई है। यह 2022-23 के बजट में किए गए 1.99 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है।

·         शहरी बुनियादी ढांचे और इसके वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एक नई व्यवस्था -शहरी अवसंरचना विकास कोष में प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रुपये के योगदान का प्रावधान किया गया है। यह शहरी अर्थशास्त्रियों की लंबे समय से चली रही मांग है, जिसे हाल में विश्व बैंक और भारतीय रिज़र्व बैंक की दो रिपोर्टों से बल मिला है, जिनमें शहरी वित्त की खराब स्थिति को दिखाया गया है।

·         जैसा कि अनुमान था, हरित ऊर्जा को उचित महत्व दिया गया है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को 19,700 करोड़ रुपये का परिव्यय मिलने के साथ, इस बजट मेंप्राथमिकता निधि हरित-ऊर्जा बदलाव के लिए 35,000 करोड़ रुपये का अलग प्रावधान किया गया है। बैटरी स्टोरेज सिस्टम और पंप स्टोरेज में नई पहल को प्रोत्साहित करने के लिए एक उपलब्धता-अंतर योजना प्रस्तावित की गई है। लद्दाख से सौर ऊर्जा के उत्पादन और निकासी के लिए 20,700 करोड़ रुपये के महत्वपूर्ण निवेश का लक्ष्य रखा गया है।

·         आवास योजना (79,000 करोड़ रुपये) के लिए आवंटन में 66 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि प्रत्येक भारतीय के सिर पर छत होने के वांछनीय सामाजिक उद्देश्य के रूप में है।

·         हवाई यात्रा अब कोई विलासिता नहीं है, और बजट में हवाई संपर्क की पैठ को गहरा करने की कोशिश की गई है। 50 हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट्स, वाटर एयरोड्रोम और उन्नत लैंडिंग ग्राउंड का कायाकल्प जारी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक अच्छा कदम होगा।

·         चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में राज्यों द्वारा पूंजीगत व्यय में कमी से निपटने के लिए, 1.3 ट्रिलियन रुपये को 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में अलग रखा गया है, लेकिन इसे कहां खर्च किया जाना चाहिए, इस पर कुछ चेतावनी दी गई है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सुविधा का उपयोग वित्त वर्ष 2024 में किया जाना है।

·         बिजली क्षेत्र के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए एक दिलचस्प मोड़ दिया गया है (डिस्कॉम सुधार पढ़ें) राज्यों को मोटे तौर पर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद पर 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे की अनुमति दी गई है, अब यह अनिवार्य है कि इसका 0.5 प्रतिशत विशेष रूप से इसके लिए उपयोग किया जाना है।

·         लॉजिस्टिक्स, कनेक्टिविटी और मल्टी-मोडलिज्म के लिए गतिशक्ति और नेशनल लॉजिस्टिक्स प्लान जैसे पथप्रवर्तक प्लेटफॉर्म हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, 100 परिवहन संपर्क परियोजनाओं के लिए 75,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

(लेखक दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनसे rajivtheodore@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।