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संपादकीय लेख


Issue no 46, 11-17 February 2023

भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त करता अमृतकाल बजट 2023

 

डॉ रंजीत मेहता

केंद्रीय वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में 2023-24 का बजट पेश किया। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पेश किया गया अंतिम बजट है। बजट एक उत्कृष्ट प्रयास है जो भावी आवश्‍यकताओं के अनुरूप समावेशी विकास कार्यनीति का प्रतीक है। आने वाले वर्षों में, विकास तथा खपत, मध्यम वर्ग के लिए आयकर छूट और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अधिक पूंजीगत व्यय पर जोर से संचालित होगी। वित्‍त वर्ष 2023 में 'अमृतकाल' का यह पहला बजट अनुमानित  सकल घरेलू उत्‍पाद में 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, आगामी वित्त वर्ष और अनुवर्ती वर्षों के लिए विकास परिदृश्य को रेखांकित करता है। चूंकि देश इंडिया @ 2047 की अपनी यात्रा पर निकल चुका है, इसलिए यह बजट भारत की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एक रोड मैप प्रदान करता है । आत्‍मनिर्भर भारत के लिए त्वरण और पुन: प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने के लिए, केंद्रीय बजट 2023 में India@100 की दृष्टि से कई प्रोत्साहनों का प्रस्‍ताव किया गया है।

महामारी और युद्ध के कारण हुई व्यापक वैश्विक मंदी के बावजूद, दुनिया ने भारत को प्रकाश बिंदु के रूप में मान्यता दी है। चालू वर्ष के लिए हमारी विकास दर 7.0 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। पिछले नौ वर्षों में, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में दसवीं से पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने राजकोषीय विवेक का पालन करने के लिए एक असाधारण प्रयास किया है और वित्‍त वर्ष 2025/2026  तक 4.5 प्रतिशत से कम की दिशा में बढ़ने का संकेत दिया है।  वित्‍त वर्ष 2023 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्‍पाद का   6.4 प्रतिशत करके और वित्‍त वर्ष 2024  के लिए 5.9 प्रतिशत के अनुमानित राजकोषीय घाटे के साथ 15.43 ट्रिलियन रुपये पर बाजार उधार को बनाए रखते हुए, सबसे अधिक दबाव वाले मुद्दों में शामिल इन मुद्दों को बजट में संबोधित किया गया है।

अमृतकाल के लिए बजट की दृष्टि में प्रौद्योगिकी-संचालित और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था शामिल है जिसमें एक मजबूत सार्वजनिक वित्त और वित्तीय क्षेत्र है, और इसे प्राप्त करने के लिए सबका साथ सबका प्रयास के माध्यम से जनभागीदारी आवश्यक है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इस दृष्टि को प्राप्त करने के लिए आर्थिक एजेंडा तीन बातों पर केंद्रित है: नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं को उनकी आकांक्षाओं को साकार करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करना; विकास तथा रोजगार सृजन को बढ़ावा देना; और व्यापक आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देना।

2023-24 का बजट कुल 45.03 लाख करोड़ रुपये का है, जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 7.5 प्रतिशत अधिक है आय और व्यय के बीच का अंतर कम करने के लिए केंद्र बांड जारी करके बाजार से रिकॉर्ड 15.43 लाख करोड़ रुपये उधार लेगा। उसकी । उधार कार्यक्रम की अनुमानित शुद्ध राशि 11,81 लाख करोड़ रुपये है। आने वाले वर्ष के लिए 17,87 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के वित्‍तपोषण के लिए सरकार बाजार उधार पर बहुत अधिक निर्भर करेगी। यह वित्‍तीय घाटा 17.55 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 1.8% अधिक है इस बजट का प्रगतिशील और व्यावहारिक सप्तऋषि मॉडल, सात विशिष्ट कार्यनीतिक प्राथमिकताओं- बुनियादी ढांचे में निवेश, हरित विकास, कृषि विकास , आधुनिकीकरण, युवा कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता और पर्यटन के माध्यम से भारत को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। जैसा कि अनुमान लगाया गया था, बजट का मुख्य आकर्षण पूंजीगत व्यय के लिए 10 ट्रिलियन रुपये का रिकॉर्ड आवंटन था, जो परिवहन और आवास जैसे क्षेत्रों में आर्थिक गुणक के रूप में काम करेगा। मुख्य रूप से सार्वजनिक संसाधनों पर निर्भर रेलवे, सड़कों, शहरी बुनियादी ढांचे और बिजली क्षेत्र के विकास के लिए संतुलित आवंटन को देखते हुए, पूंजीगत व्यय के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाया गया है।

बुनियादी ढांचे में निजी निवेश बढ़ाने में सभी हितधारकों की सहायता के लिए बुनियादी ढांचा वित्त सचिवालय की स्थापना करके, सरकार ने पीपीपी मॉडल को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है और निजी क्षेत्र को नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया है। भारत वित्त वर्ष 2024 में अंतिम-मील कनेक्टिविटी में सुधार करने का इरादा रखता है, जब रेलवे को 2.4 ट्रिलियन रुपये का अपना अधिकतम पूंजीगत व्यय बजट प्राप्त होगा। 50 से अधिक हवाई अड्डों और हवाई क्षेत्रों के निर्माण और मौजूदा विमानन सुविधाओं के नवीनीकरण के साथ, लोकोमोटिव विकास को गति मिली है। 10,000 करोड़ रुपये का शहरी बुनियादी ढांचा विकास कोष, एक और मील का पत्थर है जो भूमि के कुशल उपयोग, आवश्यक वित्त पोषण और पारगमन-उन्मुख विकास के माध्यम से शहरों को पर्यावरण की दृष्टि से अधिक टिकाऊ बनाकर शहरी पुनर्नियोजन करेगा। बजट में बुनियादी ढांचे की संपत्ति का उपयोग करने, बनाने और निष्पादित करने के लिए राज्यों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रत्यक्ष करों को सुव्यवस्थित करके और उन्हें अधिक करदाता-अनुकूल बनाने की कोशिश करके, बजट शहरी खपत को बढ़ाने का भी काम करता है। वित्त मंत्री ने आय कर में छूट की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है, अन्‍य करों में भी छूट दी गई है। यहां तक कि सरचार्ज को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत और कर की उच्चतम दर 42.73 प्रतिशत को 39 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि 35,000 करोड़ के करीब राजस्व हानि का अनुमान है लेकिन  वित्त मंत्री को समग्र खपत में वृद्धि की उम्मीद है। यह भी  महत्वपूर्ण है कि पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होने से बाजार का विश्वास काफी प्रभावित हुआ है।

हरित विकास और पर्यटन विकास सहित प्रमुख पहलुओं से रोजगार सृजित होंगे और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार, भारत 2070 तक 'पंचामृत' और शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है, जो 'हरित अर्थव्यवस्था' सुनिश्चित करेगा। हरित विकास की अवधारणा अब सभी आर्थिक गतिविधियों में व्याप्त होगी, जिससे भारत को शुद्ध शून्य और कार्बन कटौती की अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर पैदा करेगा। बजट के समावेशी पहलू के तहत महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, आदिवासी समूहों और अन्य के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। इसने कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में भी प्रौद्योगिकी के लिए एक व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल स्थापित किया है, काफी कुछ उपभोक्ताओं के हाथों में छोड़ दिया है, पर्यटन जैसी आंतरिक क्षमताओं का कर्मठतापूर्वक लाभ उठाने, बड़े पैमाने पर घरेलू क्षमता निर्माण और पर्यावरण संरक्षण पर ध्‍यान केंद्रित करने के साथ भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने पर पैनी नजर बनाए रखी है। यह निस्संदेह भारत को अगले दशक के भीतर आर्थिक महाशक्ति के रास्ते पर आगे बढ़ाएगा।

ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण अचूक है; उदाहरण के लिए, 19,700 करोड़ रुपये  के बजट के साथ हाल में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, भारत को कम कार्बन उत्‍सर्जन के लिए प्रेरित करेगा, जीवाश्म ईंधन के आयात पर इसकी निर्भरता को कम करेगा, और देश को बाजार तथा प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में स्थापित करेगा। इस बजट  में ऊर्जा परिवर्तन, शुद्ध-शून्य उत्सर्जन और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बजट ने एक ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की स्थापना करके आम जन के व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है जो व्यवसायों, निजी नागरिकों और स्थानीय सरकारों द्वारा पारिस्थितिक रूप से प्रभावी उपायों और उत्तरदायी कार्यों के लिए पुरस्कृत करेगा।

 

भारत हालांकि एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, लेकिन देश के प्राकृतिक संसाधनों को शायद ही कभी बढ़ावा दिया जाता है। इस बजट में भारत को अंतरराष्ट्रीय और स्‍वदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने के भरपूर प्रयास किए गए हैं। बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए पीपीपी मॉडल का उपयोग करते हुए राज्यों के सहयोग से और सरकारी कार्यक्रमों के अभिसरण के तहत मिशन मोड में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित करके  और अमृत पीढ़ी फोकस  के साथ युवाओं की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। इसमें  उद्योग 4.0 के लिए कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, मानव रहित हवाई वाहन और नेतृत्व क्षमता जैसे नए-पुराने पाठ्यक्रमों पर जोर देकर कौशल विकास के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है।

बजट सभी मोर्चों पर सफल रहा है, क्योंकि महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और आदिवासी समुदायों के लिए कई तरह की घोषणाएं कर सबको शामिल करने पर ज़ोर दिया गया है। इसने नवाचार के लिए एक मंच स्थापित किया है जो भारत को अगले दशक में आर्थिक वैश्विक प्रभुत्व के रास्ते पर ले जाएगा। बजट विकास और कल्याणकारी नीतियों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है जो युवा उद्यमियों; सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उदयमों; किसानों और पेशेवरों सहित समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करेगा।  यह देश में आधुनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने वाला बजट है, जो नए भारत की नींव रखेगा और 1.4 अरब भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाएगा। अमृतकाल बजट शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमशीलता, अनुसंधान तथा विकास, डिजिटल बुनियादी ढांचे, हरित विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हुए, भारत को एक प्रौद्योगिकी-संचालित ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए मंच तैयार करता है। यह अपेक्षा की जाती है कि यह बजट ऐसे बदलाव लाएगा जिनसे भारत को जल्द ही 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।

 

लेखक पीएचडीसीसीआई, नई दिल्ली में उप महासचिव हैं,

ईमेल ranjeetmehta@gmail.com