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संपादकीय लेख


Issue no 42, 14-20 January 2022

                   तकनीकी वस्‍त्र

           भारत के कपड़ा क्षेत्र के विकास वाहक

 

ज्‍योति तिवारी

तकनीकी वस्‍त्र क्या है?

तकनीकी वस्‍त्र वे सामग्री और उत्पाद हैं जो विशेष रूप से सजावटी या सौंदर्य गुणों के बजाय तकनीकी और प्रदर्शन गुणों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इनका उपयोग निर्माण, परिवहन, कृषि, चिकित्सा, स्वच्छता और खेल सहित उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में किया जाता है। वैश्विक तकनीकी वस्‍त्र बाजार इस प्रकार विभाजित है: (i) सामग्री द्वारा: प्राकृतिक फाइबर, सिंथेटिक पॉलिमर, पुनर्निर्मित फाइबर, खनिज, धातु (ii) प्रक्रिया द्वारा: बुना, गैर-बुना (iii) अनुप्रयोग द्वारा: परिवहन वस्त्र, चिकित्सा तथा स्वच्छता वस्त्र, औद्योगिक उत्पाद तथा घटक, कृषि, बागवानी तथा मत्स्य पालन, गृह वस्त्र, वस्त्र घटक, पैकेजिंग और नियंत्रण। अनुप्रयोग के द्वारा, तकनीकी वस्त्रों को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

·       मेडिटेक टेक्सटाइल सर्जिकल गाउन, मास्क और अन्य चिकित्सा उद्योग में उपयोग किए जाने वाले तकनीकी वस्त्र हैं

·       मोबिलटेक टेक्सटाइल परिवहन उद्योग में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी वस्‍त्र हैं, जैसे टायर और वाहन के इंटीरियर।

·       ओकोटेक वस्त्र ऐसे तकनीकी वस्त्र हैं जो "पर्यावरण के अनुकूल" हैं। इन वस्त्रों को संधारणीय सामग्रियों से बनाया जा सकता है और उत्पादन, उपयोग तथा निपटान के दौरान उनके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए बनाया गया है।

·       पैकटेक टेक्सटाइल तकनीकी टेक्सटाइल हैं जिनका उपयोग पैकेजिंग के लिए किया जाता है, जैसे बैग और रैपर।

·       प्रोटेक टेक्सटाइल सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाने वाले तकनीकी टेक्सटाइल हैं, जैसे सुरक्षात्मक कपड़े, हेलमेट लाइनर और एयरबैग।

·       स्पोर्टटेक टेक्सटाइल खेल उद्योग में उपयोग किए जाने वाले तकनीकी वस्त्र हैं, जैसे खेल उपकरण और एथलेटिक कपड़े।

·       एग्रोटेक टेक्सटाइल कृषि जैसे क्रॉप कवर, सिंचाई प्रणाली और साइलेज कवर में उपयोग किए जाने वाले तकनीकी टेक्सटाइल हैं

·       बिल्डटेक टेक्सटाइल निर्माण और सिविल इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों जैसे कटाव नियंत्रण, जल निकासी और सुदृढीकरण में उपयोग किए जाने वाले तकनीकी वस्त्र हैं,

·       क्लॉथटेक टेक्सटाइल्स एथलेटिक वियर और प्रोटेक्टिव सूट जैसे कपड़ों में इस्तेमाल होने वाले तकनीकी टेक्सटाइल हैं।

·       जियोटेक टेक्सटाइल जिनका उपयोग भू-तकनीकी अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे ढलान स्थिरीकरण और मिट्टी का कटाव नियंत्रण।

·       होमटेक टेक्सटाइल तकनीकी वस्त्र हैं जिनका उपयोग घरेलू साज-सज्जा में किया जाता है, जैसे पर्दे, बिस्तर और अपहोल्स्ट्री।

वैश्विक बाजार का आकार

2021 में तकनीकी वस्त्र बाजार का आकार 169 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया था और 2022-2028 तक 4.8% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर प्रदर्शित करते हुए 2028 तक 230 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। ग्लोबल मार्केट इनसाइट्स के अनुसार, विकास वाहकों में मुख्य रूप से एशिया पैसिफिक में ऑटोमोटिव और रेल परिवहन की बढ़ती मांग, मेडिकल डिस्पोजल तथा पीपीई किट, उत्तरी अमरीका में निर्माण उद्योग और पैकेजिंग उद्योग की बढ़ती मांग शामिल हैं।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तकनीकी वस्‍त्र बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा है, जो वैश्विक बाजार का 40% है, इसके बाद उत्तरी अमरीका 25% और पश्चिमी यूरोप 22% पर है। यह क्षेत्र में चिकित्सा, मोटर वाहन और निर्माण उद्योगों में तेजी से शहरीकरण और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ सहायक सरकारी नीतियों और उत्पादन के लिए कम लागत वाले श्रम के कारण है। इससे पहले, यूरोपीय संघ 2007 से 2013 तक तकनीकी वस्‍त्र उत्पादन और खपत में पहले स्‍थान पर था टेकटेक्स उत्पादकों की प्रमुख यूरोपीय कार निर्माताओं से निकटता और एक अद्वितीय उत्पाद नामांकन प्रक्रिया के कारण दुनिया भर के विभिन्न निर्यात बाजारों में यूरोपीय टेकटेक्स उत्पादों की उपस्थिति हुई। हालांकि, 2013 से खासकर फ्रांस और स्पेन में उत्पादन में गिरावट आई है । इस क्षेत्र पर अब चीन का प्रभुत्व है, दूसरे स्‍थान पर अमरीका है। जापान तथा कोरिया तीसरे और जर्मनी तथा इटली चौथे स्थान पर हैं।

भारत के बाजार का आकार

भारत में तकनीकी वस्त्र बाजार वर्तमान में 19 डॉलर बिलियन का है और पिछले पांच वर्षों में 12% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% और देश के कुल कपड़ा और परिधान बाजार का 13% है। वित्त वर्ष 2017-2018  में, पैकटेक खंड की बाजार हिस्सेदारी सबसे अधिक 41% थी, इसके बाद इंडुटेक की 11%, होमटेक की 10% और मोबिलटेक की 10% थी। कपास, लकड़ी, जूट और रेशम जैसे कच्चे माल की उपलब्धता के साथ-साथ एक मजबूत मूल्य श्रृंखला, कम लागत वाले श्रम, बिजली और बदलते उपभोक्ता रुझान इस क्षेत्र में भारत के विकास में योगदान करने वाले कुछ कारक हैं। विभिन्न प्रचार गतिविधियों को शुरू करके, भारत का लक्ष्य 2024-25 तक 40 बिलियन अमरीकी डॉलर का विपणन आकार और 10 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात हासिल करना है।

 

निर्यात/आयात अवलोकन

कुछ तकनीकी वस्‍त्र उत्पाद जो अत्यधिक अनुसंधान और विकास गहन नहीं हैं, जैसे लचीले मध्‍यम बल्क कंटेनर, तिरपाल, जूट कालीन बैकिंग, हेसियन, फिशनेट, सर्जिकल ड्रेसिंग और क्रॉप कवर, ने समग्र निर्यात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल कर लिया है। हालाँकि, भारत में तकनीकी वस्‍त्र उद्योग अब भी कुछ उत्पादों के लिए आयात पर निर्भर है, जिनमें डायपर, निपटान के लिए पॉलीप्रोपाइलीन स्पन-बॉन्ड फैब्रिक, वाइप्स, सुरक्षात्मक कपड़े, होज़ और सीट बेल्ट के लिए वैबिंग शामिल हैं। भारत में, तकनीकी वस्त्रों का उत्पादन मुख्य रूप से छोटे पैमाने के क्षेत्र में केंद्रित है, जिसमें कैनवास तिरपाल, कालीन बैकिंग, बुने हुए बोरे, जूते के फीते, मुलायम सामान, जिप फास्टनर, भरवां खिलौने, और शामियाना, छतरी और पर्दे का निर्माण शामिल है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2013-14 में 1774.65 मिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 2843.93 मिलियन अमरीकी डॉलर के तकनीकी वस्त्र निर्यात किए।

भारत में तकनीकी वस्त्र क्षेत्र विशेष फाइबर के आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जो तकनीकी वस्त्रों में उपयोग किए जाने वाले फाइबर का 30% हिस्सा है। इन तंतुओं की विशेषता है कि इनका वजन कम है और इनमें स्थायित्व तथा तापीय स्थिरता है और इन गुणों के कारण इनकी मांग में वृद्धि देखी गई है। आवश्यक प्रौद्योगिकी की कमी और कमजोर अनुसंधान तथा विकास पारिस्थितिकी तंत्र घरेलू उत्पादन के लिए बाधाएँ रही हैं। इसके अतिरिक्त, राजकोषीय विसंगतियों जैसे कि कच्चे माल पर उत्पाद शुल्क लगाने और तैयार उत्पादों पर छूट की कमी से भी इनकी लागत बढ़ जाती है और घरेलू उत्पादन हतोत्साहित होता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2013-14 में 1492.31 मिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में 2459.63 मिलियन अमरीकी डॉलर के तकनीकी वस्त्रों का आयात किया। संयुक्‍त अरब अमीरात भारत के लिए विशेष फाइबर का प्रमुख निर्यातक है, जिसमें से 99.38% अल्ट्रा-हाई-मॉलिक्यूलर-वेट- पॉलीइथाइलीन (यूएचएमडब्ल्यूपी) होता है। सऊदी अरब, सिंगापुर और ईरान अन्य देश हैं जो भारत को यूएचएमडब्‍ल्‍यूपी का निर्यात करते हैं।

भारत तकनीकी वस्त्र क्षेत्र को क्यों और कैसे बढ़ावा दे रहा है?

तकनीकी वस्‍त्र, बड़े वस्त्र उद्योग क्षेत्र का एक उपवर्ग है और उसे हाल के वर्षों में टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति के कारण प्रमुखता मिली है जिससे टेक्स्‍टाइल उत्पादों की कार्यक्षमता में सुधार हुआ है। इन उत्पादों का रक्षा, रेलवे, ऑटोमोबाइल और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न उद्योगों में उपयोग होने लगा है और इनके लाभों के कारण विश्व स्तर पर इनका उपयोग किया जाने लगा है। तकनीकी वस्‍त्र उत्पादों को संयुक्त राज्य अमरीका, यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे आर्थिक रूप से विकसित देशों में अधिक व्यापक रूप से अपनाया गया हैचीन और भारत जैसे औद्योगिक देशों में भी इनका उपयोग लगातार बढ़ रहा है।

भारत सरकार ने तकनीकी वस्‍त्रों को बढ़ावा देने के महत्व को स्वीकार करते हुए, इस क्षेत्र को सहायता देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें विनिर्माण, परीक्षण और अनुसंधान बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ तकनीकी वस्‍त्र संयंत्रों की स्थापना के लिए पूंजी और ब्याज सब्सिडी प्रदान करना शामिल है। टेक्निकल टेक्सटाइल्स पर प्रौद्योगिकी मिशन (टीएमटीटी) के तहत, सरकार ने उद्योग के हितधारकों को एक साथ लाने और तकनीकी वस्त्रों के लिए वैश्विक गंतव्य के रूप में भारत को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोटेक्स शिखर सम्मेलन भी आयोजित किए हैं।

महत्वपूर्ण पहल

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनएनटीएम)

तकनीकी वस्त्रों में देश को विश्‍व में अग्रणी के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से, राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन को 1,480 करोड़ के कुल परिव्यय के साथ वित्त वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक चार साल की कार्यान्वयन अवधि के साथ मंजूरी दी गई है। मिशन का उद्देश्य घरेलू बाजार को 15-20 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ाना है और वर्ष 2024 तक इसके समग्र बाजार का आकार 40-50 बिलियन डॉलर तक करना है। मिशन का उद्देश्य 2023-24 तक निर्यात में 10 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि को बनाए रखना भी है।

कपड़ा मंत्रालय की वर्ष 2022 की वार्षिक समीक्षा के अनुसार राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत 232 करोड़ रुपये मूल्य के 74 शोध प्रस्तावों को विशेष फाइबर और तकनीकी वस्त्र श्रेणी में मंजूरी दी गई है। मिशन के चार घटक हैं:

घटक -I (अनुसंधान, नवाचार और विकास) - 1000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ, मौलिक अनुसंधान गतिविधियाँ की जा रही हैं। इस तरह की गतिविधियां 'एकत्रित संसाधन' पद्धति पर आधारित हैं और विभिन्न वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान केंद्र (सीएसआईआर) प्रयोगशालाओं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और अन्य प्रतिष्ठित वैज्ञानिक/औद्योगिक/शैक्षिक प्रयोगशालाओं में आयोजित की जा रही हैं। अनुप्रयोग आधारित शोध सीएसआईआर, आईआईटी, भारतीय रेलवे के अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला (एनएएल), भारतीय सड़क अनुसंधान संस्थानों और मिशन संचालन समूह द्वारा अनुमोदित ऐसी अन्य प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में आयोजित किए जा रहे हैं।

घटक -II (संवर्धन और बाजार विकास) - भारत में तकनीकी वस्त्रों का प्रवेश स्तर कम है। मिशन का उद्देश्य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश संवर्धन और "मेक इन इंडिया" पहल  के माध्यम से औसत विकास दर में वृद्धि करना है।

घटक - III (निर्यात प्रोत्साहन) - घटक का उद्देश्य चार वर्षों के लिए 10 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ तकनीकी वस्त्रों के निर्यात को बढ़ावा देना है। इस मिशन में इस क्षेत्र में प्रभावी समन्वय और संवर्धन गतिविधियों के लिए तकनीकी वस्त्रों के लिए निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की परिकल्पना की गई है। सितंबर 2022 में, सरकार ने एसआरटीईपीसी (सिंथेटिक और रेयॉन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) को तकनीकी वस्त्रों के निर्यात प्रोत्साहन की भूमिका सौंपी।

घटक- IV (शिक्षा, प्रशिक्षण, कौशल विकास) - यह घटक उन्नत तकनीकी शिक्षा प्रदान करने और तकनीकी वस्त्रों में कौशल प्रदान करने, निर्माण के साथ-साथ अनुप्रयोग क्षेत्रों की जरूरतें पूरा करने पर केंद्रित है। (i) मिशन का उद्देश्य इंजीनियरिंग, चिकित्सा, डिजाइन, कृषि, जलीय कृषि, खेल, जीवन शैली, फैशन प्रौद्योगिकी में कुशल स्नातक छात्रों को तैयार करना है, (ii) तकनीकी वस्त्र निर्माण इकाइयों में रोजगार से पहले अकुशल व्यक्तियों को प्रशिक्षित करना (iii) कौशल स्तर श्रेणियों 5 और उससे ऊपर के लिए पहले से नियोजित तकनीकी जनशक्ति का कौशल संवर्धन/ पुन: कौशल विकास (iv) तकनीकी वस्त्रों के सभी अनुप्रयोग क्षेत्रों जैसे पैरामेडिक्स, कृषि, रेलवे / सड़क मार्ग में नियोजित कर्मियों का प्रशिक्षण और कौशल विकास । इस घटक के लिए निर्धारित 400 करोड़ रुपये के साथ, कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी वस्त्र निर्माण इकाइयों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अत्यधिक कुशल जनशक्ति संसाधनों का पर्याप्त पूल बनाया जाएगा।

मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्त्रों की पैठ में सुधार करना और कार्यबल के कौशल को उन्नत करना है। इसका उद्देश्य भारत में कार्यनीतिक क्षेत्रों सहित विभिन्न प्रमुख मिशनों, कार्यक्रमों में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ावा देना है। "मेक इन इंडिया" को बढ़ावा देने और उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को सक्षम करने के लिए तकनीकी वस्त्रों के लिए स्वदेशी मशीनरी और प्रक्रिया उपकरण विकसित करना भी इसकी कार्यसूची में प्रमुख है। युवा इंजीनियरिंग/प्रौद्योगिकी/विज्ञान स्नातकों के बीच नवाचार को बढ़ावा देना; इनोवेशन और इनक्यूबेशन सेंटरों के निर्माण के साथ-साथ स्टार्ट-अप्स और उदयमों को बढ़ावा देना भी मिशन का हिस्सा है।

टेक्नोटेक्स

टेक्नोटेक्स भारत में तकनीकी वस्त्रों पर केंद्रित एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है। इसमें एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी, सम्मेलन तथा सेमिनार शामिल हैं और यह वैश्विक तकनीकी कपड़ा मूल्य श्रृंखला से हितधारकों के बीच बातचीत के लिए एक मंच के रूप में है। यह कपड़ा मंत्रालय और भारतीय वाणिज्‍य एवं उद्योग परिसंघ (फिक्‍की) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है और तकनीकी कपड़ा मूल्य श्रृंखला से भारतीय तथा विदेशी कंपनियों को एक साथ लाने और व्यापार तथा निवेश के अवसरों का पता लगाने के अवसर के रूप में कार्य करता है। हाल में, कपड़ा मंत्रालय ने घोषणा की कि टेक्नोटेक्स 2023 मुंबई में 22 से 24 फरवरी 2023 तक आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन भागीदारों को भारत और दुनिया भर के शीर्ष मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों, निर्माताओं, उद्योग के साथियों, खरीद प्रबंधकों और आपूर्तिकर्ताओं से मिलने के लिए नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित होगा।

एचएसएन कोड

कराधान के उद्देश्य के लिए हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (एचएसएन) कोड का उपयोग तकनीकी वस्त्रों सहित वस्तुओं और उत्पादों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। एचएसएन कोड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत हैं और माल के व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए दुनिया भर के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भारत में तकनीकी वस्त्रों के लिए एचएसएन कोड उत्पाद की प्रकृति और इसके इच्छित उपयोग के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) एचएसएन कोड के निर्धारण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। एचएसएन कोड का उपयोग करने के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:

·       मानकीकरण: एचएसएन कोड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत हैं, जिससे व्यवसायों के लिए अन्य देशों के साथ वस्तुओं का व्यापार करना आसान हो जाता है।

·       सरलीकरण: एचएसएन कोड माल के वर्गीकरण को सरल बनाने में मदद करते हैं, जिससे व्यवसायों के लिए अपने कर दायित्वों को समझना और व्यापार को सुगम बनाना आसान हो सकता है।

·       पारदर्शिता: एचएसएन कोड का उपयोग वस्तुओं और उत्पादों के वर्गीकरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद करता है, जिससे व्यवसायों के लिए अपने कर दायित्वों को समझना और सीमा शुल्क अधिकारियों के लिए कर कानूनों को लागू करना आसान हो जाता है।

·       दक्षता: एचएसएन कोड वस्तुओं और उत्पादों के वर्गीकरण के लिए एक स्पष्ट और सुसंगत प्रणाली प्रदान करके व्यापार प्रक्रिया को कारगर बनाने में मदद कर सकते हैं।

·       डेटा संग्रह: एचएसएन कोड का उपयोग वस्तुओं और उत्पादों के व्यापार पर डेटा एकत्र करने के लिए किया जा सकता है, जो व्यवसायों, सरकारों और अन्य हितधारकों के लिए व्यापार में रुझान और तरीकों को समझने के लिए उपयोगी हो सकता है।

100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

भारत सरकार ने स्वचालित मार्ग के तहत तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है। इस नीति का उद्देश्य विनिर्माण प्रक्रियाओं और अंतिम उत्पादों में प्रौद्योगिकी के एकीकरण को सुगम बनाना है। इस प्रकार तकनीकी वस्त्र उत्पादों के अग्रणी वैश्विक निर्माता अकेले या भारतीय उद्योगों के साथ साझेदारी के माध्यम से भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में सक्षम होंगे। केंद्र और राज्य सरकार की कई एजेंसियां संभावित निवेशकों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही हैं। इन प्रयासों के अच्‍छे परिणाम मिले हैं, इसीलिए अहलस्ट्रॉम, जॉनसन एंड जॉनसन, ड्यू पोंट, प्रॉक्टर एंड गैंबल, 3एम, एसकेएपीएस, किम्बर्ली क्लार्क, टेराम, मैककैफेरी, स्ट्रैटा जियोसिस्टम्स जैसे कई अंतरराष्ट्रीय तकनीकी वस्‍त्र निर्माताओं ने भारत में परिचालन शुरू कर दिया है।

पीएलआई योजना

पीएलआई (उत्‍पादन से जुडी प्रोत्‍साहन योजना) की शुरुआत के साथ भारत ने वैश्विक कपड़ा बाजार में प्रभुत्व की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया है। इस योजना का मुख्य जोर मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ), तकनीकी वस्त्रों में अर्थव्यवस्थाओं के पैमाने को प्राप्त करने में सर्वोच्च उत्तोलन प्राप्त करना है। उत्पादन से जुड़ी कार्यप्रणाली भारतीय कॉर्पोरेट कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय कपड़ा प्रतिस्‍पर्धा की भारी भीड़ वाली जगह में शीर्ष चैंपियन के रूप में उभरने में मदद करेगी। योजना के हिस्से के रूप में, कपड़ा मिलों का उनकी जनशक्ति और बुनियादी ढांचे के संदर्भ में मूल्यांकन किया जाएगा, और जिन्हें सुधार की आवश्यकता के रूप में पहचाना जाएगा, उन्हें चीन, थाईलैंड और फिलीपींस जैसे देशों में उपयोग किए जाने वाले नवीनतम कौशल में नीति-निर्देशित उन्नयन और प्रशिक्षण प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त, मानव निर्मित फाइबर और तकनीकी वस्त्रों की शुरूआत से आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है, जिससे व्यापार और रोजगार में वृद्धि होगी।

पीएम-मित्रा

अक्टूबर 2021 में अधिसूचित प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क (पीएम-मित्रा) में 4,445 करोड़ रुपये के बजट के साथ 3 साल की अवधि में देश में 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने की परिकल्पना की गई है।  इस योजना का लक्ष्य भारत में वस्‍त्र उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए एक व्यापक, बड़े पैमाने पर, आधुनिक औद्योगिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है। इससे रसद लागत को कम करके भारतीय कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और भारत निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनेगा। इस योजना से नई नौकरियों के  सृजन और भारत के वैश्विक कपड़ा बाजार में मजबूती से स्थापित होने की उम्मीद है। पार्क उन क्षेत्रों में स्‍थापित किए जाएंगे जो कपड़ा उद्योग की सफलता के लिए उपयुक्त हैं और उनके पनपने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्‍ध हैं। ऐसे पार्कों को एक विशेष प्रयोजन वाहक- एसपीवी द्वारा विकसित किया जाएगा, जिसका स्वामित्व सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से राज्य सरकार और भारत सरकार के पास होगा। एसपीवी जिसमें राज्य सरकार का बहुसंख्यक स्वामित्व है, विकसित औद्योगिक स्थलों से लीज रेंटल का हिस्सा प्राप्त करने का हकदार होगा और इसका उपयोग कौशल विकास पहल और श्रमिकों के लिए अन्य कल्याणकारी उपाय करते हुए पीएम मित्रा पार्क का विस्तार करके क्षेत्र में कपड़ा उद्योग के और विस्तार के लिए करने में होगा। मीडिया की खबरों के अनुसार आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब ने इस योजना में दिलचस्पी दिखाई है।

सफलता की कहानी: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पीपीई उत्पादक कैसे बना

कोविड-19 महामारी ने 2019 के अंत में दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 30 जनवरी, 2020 को इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल और 11 मार्च, 2020 को वैश्विक महामारी घोषित किया। भारत सरकार ने संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए सक्रियता दिखाते हुए आपातकालीन कार्रवाई की। कोविड-19 रोगियों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए शरीर को ढकने वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की तत्‍काल आवश्यकता थी। मार्च 2020 से पहले, भारत ने कोविड-19 से बचाव में उपयोगी पीपीई का निर्माण नहीं किया था और उन्हें चीन, अमरीका और यूरोप से आयात करना पड़ा था। जनवरी 2020 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पीपीई और एन-95 मास्क बनाने के लिए घरेलू स्रोतों को विकसित करने के लिए कपड़ा मंत्रालय से संपर्क किया। दोनों मंत्रालयों ने आउटरीच कार्यक्रम शुरू किए और वस्‍त्र तथा परिधान निर्माताओं को आपातकालीन आधार पर उपयुक्त उत्पाद तैयार करने के लिए आमंत्रित किया। प्रारंभ में, कोयंबटूर में केवल एक प्रयोगशाला में आवश्यक सिंथेटिक रक्त प्रवेश परीक्षण करने के लिए परीक्षण सुविधाएं थीं, लेकिन अप्रैल 2020 तक, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने दिल्ली में इसी तरह की सुविधा स्थापित की थी। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, अप्रैल 2020 तक पीपीई का उत्पादन करने वाली 106 स्वदेशी इकाइयां थीं, जिनकी दैनिक उत्पादन दर 450,000 इकाइयों से अधिक थी। भारत अब दुनिया में पीपीई का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और निर्यात मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन भी करता है। देश ने संकट को एक अवसर में बदल दिया है और पीपीई उत्पादन में विश्‍व में अग्रणी बन गया है। वह राष्ट्रीय तकनीकी वस्‍त्र मिशन के साथ-साथ "मेक इन इंडिया" पहल का समर्थन कर रहा है और आत्मनिर्भर बनने के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ा रहा है।

निष्कर्ष

भारत के तकनीकी वस्‍त्र उद्योग पर आईआईटी दिल्ली के सर्वेक्षण के अनुसार, तकनीकी वस्‍त्र उद्योग के विकास में सहायता के लिए सरकार के हस्तक्षेप ने रोजगार सृजन में अत्यधिक योगदान दिया है। वर्तमान में, तकनीकी वस्त्र उद्योग में 21% कार्यबल अर्ध-कुशल है और 28% अकुशल है। राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) ने तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में 50,000 लोगों के कौशल विकास की व्यवस्था की है। 2019-2020 से 2024-2025 तक तकनीकी वस्‍त्र उद्योग में रोजगार में 4% की वृद्धि दर के अनुमान के आधार पर, यह अनुमान लगाया गया है कि उद्योग 2024-2025 तक 14.78 लाख लोगों को रोजगार देगा। इसके अलावा, सामग्री और उत्पादन प्रौद्योगिकियों दोनों में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों के कारण तकनीकी वस्त्र तीव्र गति से विकसित हो रहे हैं। नैनोटेक्नोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, मैटेरियल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे अन्य क्षेत्रों में हुए विकास ने तकनीकी वस्‍त्र कंपनियों द्वारा नवाचारों की सुविधा प्रदान की है जो चुनौतीपूर्ण कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार उत्पादों का विकास कर रहे हैं। नई तकनीकों और उत्पादों के विकास की यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है क्योंकि तकनीकी वस्त्रों के अनुप्रयोग के लिए नए क्षेत्रों की खोज होती रहती है।

(लेखिका वेब कंटेंट राइटर हैं। उनसे jyotitiwarijune5@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)