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संपादकीय लेख


अंक संख्या 5,30 अप्रैल - 06 मई 2022

नव भारत साक्षरता कार्यक्रम

समग्र साक्षरता की दिशा में ठोस कदम

डॉ शुभंकर मिश्रा

मूलभूत साक्षरता हासिल करने, शिक्षा प्राप्त करने और आजीविका  चलाने के अवसरों को, प्रत्येक नागरिक के मूल अधिकारों के रूप में माना जाना चाहिए. साक्षरता और बुनियादी शिक्षा शक्तिशाली बल गुणक हैं जो सभी विकासात्मक प्रयासों को सफल बनाते हैं. वे व्यक्तियों के लिए वैयक्तिगत, सिविक, आर्थिक और आजीवन सीखने के अवसरों की पूरी नई दुनिया खोलते हैं. पिछले कुछ वर्षों में देश में निरक्षरता को मिटाने के लिए गंभीर प्रयास किए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप वयस्क शिक्षा और आजीवन शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में पर्याप्त प्रगति हुई है. हालांकि, भारत में अब भी निरक्षरों की संख्या काफी अधिक है. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4.6 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 2030 तक, सभी युवाओं और वयस्कों का पर्याप्त अनुपात, जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं, साक्षरता और गणना ज्ञान प्राप्त करें. इसलिए यह अनिवार्य है कि देश निरक्षरता को समाप्त करे और 2030 तक शत प्रतिशत साक्षरता प्राप्त करे.राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्षों 2022 से 2027 तक के लिए वयस्क शिक्षा की एक नई योजना, 'नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ (एनआईएलपी) को 1037.90 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी है. अनुमोदित योजना के अनुसार, 'वयस्क शिक्षाशब्द को 'सभी के लिए शिक्षाके साथ प्रतिस्थापित किया गया है ताकि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के सभी गैर-साक्षरों को उपयुक्त रूप से समायोजित किया जा सके क्योंकि 'वयस्क शिक्षाशब्द को आमतौर पर वयस्कों/बुजुर्गों/वृद्ध-जनों की शिक्षा के रूप में माना जाता है. अत:, परिकल्पना के अनुरूप अब 'वयस्क शिक्षाके स्थान पर 'सभी के लिए शिक्षाका उपयोग किया जाएगा. यूनेस्को साक्षरता को 'अलग-अलग संदर्भों से जुड़ी मुद्रित और लिखित सामग्री का उपयोग करके पहचानने, समझने, व्याख्या करने, बनाने, संवाद करने और गणना करने की क्षमताके रूप में परिभाषित करता है. दूसरी ओर, इंटरनेशनल लिटरेसी एसोसिएशन (आईएलए) साक्षरता को 'किसी भी संदर्भ में दृश्य, श्रव्य और डिजिटल सामग्री का उपयोग करके पहचानने, समझने, व्याख्या करने, बनाने, गणना करने और संचार करने की क्षमताके रूप में परिभाषित करता है. आईएलए की साक्षरता की परिभाषा को 'नया भारत साक्षरता कार्यक्रमयोजना को लागू करने के लिए अपनाया गया है क्योंकि यह भारतीय संदर्भ में वर्तमान और भविष्य की साक्षरता आवश्यकताओं का कुल योग है.'नया भारत साक्षरता कार्यक्रमएक पथप्रदर्शक योजना है. इसकी कार्यान्वयन प्रक्रिया में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के परिदृश्य में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना और साक्षरता गतिविधियों की संधारणीयता को बढ़ाना एक अभिनव दृष्टिकोण है.

 

इस योजना का उद्देश्य केवल आधारभूत साक्षरता और गणना ज्ञान (एफएलएन) प्रदान करना है, बल्कि शिक्षार्थियों की सीखने की विभिन्न जरूरतों को समायोजित करना और उन्हें उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए सतत तथा महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित करने के लिए तैयार करना है. मोटे तौर पर, योजना का जोर केवल 3आर यानी रीडिंग, राइटिंग और न्यूमेरेसी प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य घटकों को शामिल करने पर भी है जो शिक्षार्थियों के समग्र और सतत विकास के लिए आवश्यक हैं. इस योजना के तहत, ऑनलाइन शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन प्रणाली (ओटीएलएएस) द्वारा ऑनलाइन मोड के माध्यम से 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्षरों को महत्वपूर्ण जीवन कौशल के माध्यम से मूलभूत साक्षरता और गणना ज्ञान प्रदान किया जाएगा. इस मॉड्यूल की अवधि 200 घंटे होगी.यह योजना एक अप्रैल 2022 से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पांच साल की समय सीमा के साथ लागू की जाएगी. इसके तहत उन सभी जिलों, उप-जिलों, ब्लॉकों, कस्बों, ग्राम पंचायतों, वार्डों और गांवों को कवर किया जाएगा जहां 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के निरक्षर मौजूद हैं. हालांकि, राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को योजना को लागू करने के लिए जिलों/क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की छूट दी गई है. वयस्क शिक्षा और आजीवन शिक्षा पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैरा 21.4 में कहा गया है कि शत-प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के महत्वपूर्ण लक्ष्य में तेजी लाने के लिए 'वयस्क शिक्षा के लिए मजबूत और अभिनव सरकारी पहल - विशेष रूप से, समुदाय की भागीदारी और प्रौद्योगिकी के सुचारू और लाभकारी एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए जितनी जल्दी हो सके प्रभावी किया जाएगा.केंद्रीय बजट भाषण 2021-22 (भाग-) में शिक्षा पर महत्वपूर्ण पहल का उल्लेख किया गया था. इसमें विशेष रूप से 'संसाधनों की बढ़ी हुई पहुंच को सक्षम करने के लिए, वयस्क शिक्षा के संपूर्ण सरगम को कवर करने वाले ऑनलाइन मॉड्यूल पेश किए जाएंगे.’

 

इस योजना के पांच घटक हैं, अर्थात् मूलभूत साक्षरता और गणना में पढ़ना, लिखना तथा गणना, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, जैसे वित्तीय साक्षरता, कानूनी साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, आपदा प्रबंधन, वाणिज्यिक कौशल, बाल देखभाल और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण के मुद्दे, आहार संबंधी आदतों, व्यायाम, योग, तंबाकू का सेवन छोड़ना आदि के बारे में जागरूकता, प्राथमिक चिकित्सा देखभाल और सड़क यातायात दुर्घटना का प्रबंधन आदि शामिल है. इनके अलावा उन्हें स्थानीय रोज़गार प्राप्त करने और देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के शिक्षार्थियों को सतत शिक्षा में सक्षम बनाने के लिए प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर की समकक्षता सहित बुनियादी शिक्षा, अपेक्षित कौशल हासिल करने के लिए व्यावसायिक कौशल शामिल है. सतत शिक्षा में कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल, मनोरंजन, साथ ही रुचि के अन्य विषयों या स्थानीय शिक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण जीवन कौशल पर अधिक उन्नत सामग्री के रूप में उपयोग शामिल है.योजना में परिकल्पना के अनुरूप, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, व्यावसायिक कौशल और सतत शिक्षा का अधिग्रहण मुख्य रूप से केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ अभिसरण के माध्यम से किया जाएगा और इसके लिए उपयुक्त सामग्री का निर्माण/अनुकूलन किया जाएगा.

 

5 करोड़ निरक्षरों को 2022 से 2027 तक पांच वर्षों में एक करोड़ शिक्षार्थी प्रति वर्ष के हिसाब से साक्षर करने का लक्ष्य रखा जाएगा. महत्वपूर्ण जीवन कौशल के साथ-साथ बुनियादी साक्षरता और गणना ज्ञान प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा बेसिक शिक्षा घटक के तहत सालाना एक लाख नव-साक्षरों को उनके साक्षरता स्तर को बढ़ाने और उन्हें समकक्ष स्तर प्रदान करने का लक्ष्य रखा जाएगा.देशभर में शिक्षण-अधिगम गतिविधियों की गति बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एनएलएमए), स्कूली शिक्षा तथा साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय और राज्य स्तर पर संबंधित राज्यों के राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (एसएलएमए) विभिन्न संस्थाओं द्वारा समर्थित योजना को लागू करने के लिए समन्वयक एजेंसियां होंगी.

 

इस योजना को स्वयंसेवा और ऑनलाइन मोड के माध्यम से लागू किया जाएगा. स्कूल, योजना के क्रियान्वयन की इकाई होगा. कक्षा पांच और उससे ऊपर की कक्षा के स्कूली विद्यार्थी जो अपने ही परिवार के निरक्षर सदस्यों को साक्षर करेंगे और स्वयंसेवकों की भूमिका निभाएंगे. हालांकि, जिन स्कूली विद्यार्थियों के परिवार में कोई भी निरक्षर नहीं है, उन्हें भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसके अलावा, एनसीटीई के तहत शिक्षक शिक्षा संस्थानों (एम.एड./बी.एड/ डी.एल.एड/ बी.टी.सी./जे.बी.टी., आदि) में पूर्व-सेवा विद्यार्थी हर साल 3-4 निरक्षरों को पढ़ाएंगे, जिसके लिए क्रेडिट रूपरेखा तैयार की जाएगी. उच्च शिक्षा संस्थानों, नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), सीएसओ के स्वयंसेवकों, समुदाय, गृहिणियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, पंचायती राज के स्वयंसेवकों सहित समुदाय के सदस्य संस्थानों (पीआरआई) और अन्य संस्थानों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा. यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) के तहत पंजीकृत लगभग 7 लाख स्कूलों के लगभग 3 करोड़ छात्र और सरकारी, सहायता प्राप्त तथा निजी स्कूलों के लगभग 50 लाख शिक्षक और शिक्षक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के अनुमानित 20 लाख विद्यार्थी भी सक्रिय रूप से शामिल होंगे. सभी सामग्री और संसाधन पंजीकृत स्वयंसेवकों को आसानी से सुलभ डिजिटल मोड, जैसे टीवी, रेडियो, सेल फोन आधारित फ्री/ओपन सोर्स ऐप/पोर्टल आदि के माध्यम से डिजिटल रूप से प्रदान किए जाएंगे. स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में मौजूदा आईसीटी और अन्य बुनियादी ढांचे सामान्य सेवा केंद्रों, सामुदायिक केंद्र आदि का उपयोग किया जाएगा.15-35 आयु वर्ग के लोगों की प्राथमिकता पहले पूरी की जाएगी, उसके बाद 35 और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को वरीयता दी जाएगी. श्रेणियों के संदर्भ में, लड़कियों तथा महिलाओं, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी/ अल्पसंख्यकों, विशेष आवश्यकता वाले व्यक्तियों/दिव्यांगजनों (विकलांग व्यक्तियों), हाशिए पर रहने वाले/ खानाबदोश/ निर्माण श्रमिकों/ मजदूरों आदि को प्राथमिकता दी जाएगी, जो पर्याप्त रूप से और तत्काल प्रौढ़ शिक्षा से लाभांवित होंगे. स्थान/क्षेत्र के संदर्भ में, योजना का फोकस नीति आयोग के सभी आकांक्षी जिलों, राष्ट्रीय/राज्य औसत से कम साक्षरता दर वाले जिलों, 2011 की जनगणना के अनुसार 60 प्रतिशत से कम महिला साक्षरता दर वाले जिलों और बड़ी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/ अल्पसंख्यक आबादी वाले जिले/ब्लॉक पर होगा. इसके अलावा, शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों को भी कवर किया जाएगा.

 

किसी समुदाय के निरक्षर सदस्य होने के असंख्य नुकसान हैं, इसलिए साक्षरता के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, राष्ट्रों पर दुनियाभर के आंकड़े साक्षरता दर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के बीच उच्च सहसंबंध दर्शाते हैं. इसलिए, इस पहल के माध्यम से, भारत सरकार 2030 तक भारत को 'नया भारत: साक्षर भारतके रूप में बदलने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.

(लेखक, प्रौढ़ शिक्षा निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त निदेशक हैं. उनसे jddaemhrd@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.