रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


अंक संख्या 52 , 26 मार्च - 1 अप्रैल 2022

शहरी आवास : सक्रिय विकास की कहानी

समीरा सौरभ

भारत नए परिवर्तन के युग की शुरुआत कर रहा है, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं. हमें 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है. इसमें संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. नया भारत जो स्वरूप ले रहा है, उसमें युवा भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बड़े पैमाने पर विकास के व्यापक अवसर हैं. अब से लेकर वर्ष 2030 के बीच हर साल लगभग 700 से 900 मिलियन वर्ग मीटर शहरी क्षेत्र का निर्माण करने की आवश्यकता होगी. भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की शहरी आबादी 37.7 करोड़ थी, जिसके 2030 तक बढ़कर लगभग 60 करोड़ होने का अनुमान है. भारत में शहरीकरण एक महत्वपूर्ण तथा निरंतर प्रक्रिया बन गया है, और यह राष्ट्र को आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर करने तथा गरीबी में कमी का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है।

रियल एस्टेट क्षेत्र का महत्व

रियल एस्टेट क्षेत्र अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े योगदान कर्ताओं में से एक है और दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है. इसने 2018-19 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7 प्रतिशत  का योगदान दिया और इसकी हिस्सेदारी 2025 में बढ़कर भारत के सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 13 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है. इसके अलावा, आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, इस क्षेत्र ने 2013 में लगभग 4 करोड़ लोगों को रोज़गार दिया, जो 2020 में लगभग 5.5 करोड़ होने का अनुमान है. स्पष्ट रूप से, रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास के बहुत सामाजिक-आर्थिक लाभ हैं. रियल एस्टेट एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और कई प्रमुख क्षेत्र इससे जुड़े हैं, जैसे स्टील, सीमेंट और अन्य भवन सामग्री. यह प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से 270 विभिन्न उद्योगों को प्रभावित करता है. 5 अक्टूबर 2021 को माननीय प्रधानमंत्री ने लखनऊ में आजादीञ्च75 सम्मेलन और एक्सपो का उद्घाटन करते हुए प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि:

'21वीं सदी के भारत में, शहरों का कायाकल्प करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग है. शहरों के विकास में शामिल संस्थाओं और शहर के योजनाकारों को अपने दृष्टिकोण में प्रौद्योगिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी.... . भारत में पिछल 6-7 वर्षों में आया बदलाव प्रौद्योगिकी के कारण ही संभव हो सका.

·         रियल एस्टेट पुनरुत्थान- कोविड पश्चात

कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण, अन्य क्षेत्रों के साथ, रियल एस्टेट क्षेत्र भी प्रभावित हुआ. महामारी ने नवाचार और परिवर्तन का मार्ग भी प्रशस्त किया है, जिससे भवन निर्माताओं और खरीदारों दोनों द्वारा रियल एस्टेट क्षेत्र पर फिर से विचार करना आवश्यक हो गया है. वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कम बिक्री/लॉन्च देखा गया. हालांकि, इसके बाद स्थिति में काफी सुधार हुआ है और बिक्री फिर से लगभग पूर्व-कोविड स्तर पर गई है.जैसा कि विभिन्न रिपोर्टों और सर्वेक्षणों में संकेत दिया गया है कि मांग के सकारात्मक संकेत हैं क्योंकि रेरा की पारदर्शी और जवाबदेह नियामक व्यवस्था के तहत बाजार के बुनियादी सिद्धांत मजबूत बने हुए हैं और केंद्र सरकार के विश्वास पैदा करने वाले विभिन्न उपायों के कारण जरूरत पड़ने पर इस क्षेत्र को सबसे अधिक सहायता दी गई है. यह देखा गया है कि आवासीय अचल संपत्ति के लिए, खरीददार की प्राथमिकताओं में बदलाव, जैसे अधिक स्थान की आवश्यकता और सुविधाओं की मांग ने पुनरुद्धार को मजबूत किया. डिजिटीकरण और ऑनलाइन उपस्थिति रियल एस्टेट क्षेत्र की कुंजी हैं. यह स्पष्ट है कि संपत्ति की खरीद विभिन्न कारणों से सस्ती होती जा रही है जैसे- 6.65 प्रतिशत की कम ब्याज दरों पर आवास ऋण उपलब्ध होना, स्टाम्प शुल्क में कमी, सर्किल दरें, सिंगल विंडो सिस्टम आदि.

·           बिक्री रुझान

कोविड की पहली लहर से सीखने और स्थानीय स्तर पर स्मार्ट लॉकडाउन के उपयोग के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के कारण, 2021 की दूसरी तिमाही के दौरान बिक्री की मात्रा, 2020 की दूसरी तिमाही की तुलना में अधिक रही. अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार, यह विश्वास पैदा करता है कि 2021 की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए बिक्री के आंकड़े काफी बेहतर होंगे.

·           नए लांच रुझान

इसी तरह, 2021 की दूसरी तिमाही में नई परियोजनाओं का शुभारंभ कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण प्रभावित हुआ. हालांकि, 2021 की पहली और दूसरी तिमाही में वॉल्यूम 2020 की अवधि की पहली और दूसरी तिमाही की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक था.उम्मीद है कि तीसरी तिमाही का परिणाम दूसरी तिमाही की तुलना में अधिक सकारात्मक होगा, क्योंकि कोविड से बचाव के लिए टीकाकरण 181 करोड़ खुराक को पार कर चुका है, 81.6 करोड़ पूर्णत: वैक्सीनेटिड हो गए हैं और आर्थिक गतिविधियां फिर से पटरी पर गई हैं.माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में, केंद्र सरकार ने पिछले 6-7 वर्षों में नियामक और वित्तीय उपायों सहित रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए विभिन्न सुधार किए हैं. ऐसे कई उपायों में से प्रमुख  हैं:

v  रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम रेरा, - परिवर्तनकारी कदम

 

पूर्व-रेरा युग में, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र वर्ष 2016 तक काफी हद तक अनियंत्रित था, जिसके कारण कई विसंगतियां हुईं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न अनुचित कार्य हुए, जिससे अंतत: घर खरीददारों पर  प्रतिकूल असर हुआ. इसलिए लंबे समय से इस क्षेत्र को इस तरह से विनियमित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके. रेरा ने भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की और भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार लिए पारदर्शिता, नागरिक केंद्रितता और वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित किया.

·           किराए के आवासन में परिवर्तन

·           मॉडल किरायेदारी अधिनियम

शहरी आवास की कमी पर तकनीकी समूह ने वर्ष 2012 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में 187.8 लाख शहरी आवास की कमी का अनुमान लगाया था. दूसरी ओर, 2011 की जनगणना के अनुसार, देशभर के शहरी क्षेत्रों में लगभग 1.1 करोड़ घर खाली पड़े थे. मौजूदा किराया नियंत्रण कानून किराये के आवास के विकास को प्रतिबंधित कर रहे हैं और मालिकों को अपने खाली मकानों को किराए पर देने से हतोत्साहित करते हैं क्योंकि वे अपने कब्जे को खोने के डर से किराए पर मकान नहीं देते हैं. नतीजतन, हितधारक अवैध और अनियंत्रित किराये के आवास बाजारों की ओर रुख करते हैं.

गरीब प्रवासियों, श्रमिकों, युवा श्रमिकों, कामकाजी पेशेवरों और विशेष रूप से विद्यार्थियों जैसे समाज के विभिन्न वर्गों के लिए किराये के आवास को प्राथमिकता दी जाती है. किराये के आवास की आवश्यकताओं के महत्व को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, ने इसे बढ़ावा देने के लिए जमींदारों और किरायेदारों दोनों के हितों और अधिकारों को संतुलित करने के लिए एक मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मसौदा तैयार किया.

मॉडल किरायेदारी अधिनियम का उद्देश्य मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों और अधिकारों को जवाबदेह और पारदर्शी तरीके से संतुलित करना है. इसमें  एक त्वरित विवाद समाधान तंत्र का प्रावधान किया गया  है. यह आशा की जाती है कि इस अधिनियम से खाली परिसरों का किराये के उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो सकेगा और आवास के लिए एक जीवंत तथा टिकाऊ किराये का बाजार तैयार करेगा. 2 जून 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनुमोदन के बाद, इसे अपनाने  के लिए नया कानून बनाने या मौजूदा कानूनों में संशोधन के लिए इसे  राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है.

तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों ने पहले ही मॉडल किरायेदारी अधिनियम के पहले के मसौदे के आधार पर किरायेदारी अधिनियमों को अधिसूचित कर दिया है और इन राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने किरायेदारी कानूनों को मॉडल किरायेदारी अधिनियम के नवीनतम संस्करण के साथ संरेखित करें. हाल में, असम काश्तकारी अधिनियम, 2021 असम राज्य में भी अधिनियमित किया गया है. आवास और शहरी मंत्रालय,  मार्च 2024 तक देशभर में मॉडल किरायेदारी अधिनियम को अपनाना सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ लगातार संपर्क में है.

·          किफायती किराए के आवास परिसर

मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, ‘आत्मनिर्भर भारतकी दृष्टि से संरेखित करते हुए शहरी प्रवासियों / गरीबों के लिए किफायती किराए के आवासन परिसर शुरू किये हैं. देश में अपनी तरह की पहली इस पहल से केवल ईडब्ल्यूएस/ एलआईजी श्रेणियों के शहरी प्रवासियों/ गरीबों , श्रमिकों, शहरी गरीबों के रहने की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि झुग्गी-झोपड़ियों/अनौपचारिक बस्तियों/पेरीअर्बन क्षेत्रों आदि में रहने की आवश्यकता भी समाप्त हो जाएगी. किफायती किराए के आवास परिसर धन सृजन तथा बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, और शहरी गरीबों / प्रवासियों को सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ सम्मानजनक जीवन प्रदान करेंगे. यह योजना दो मॉडल के माध्यम से लागू की जाएगी- पहला, मौजूदा सरकारी वित्त पोषित (केंद्र या राज्य) का उपयोग करते हुए शहरों में खाली आवास परिसरों को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत या सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा किफायती किराए के आवास परिसर में परिवर्तित करके और दूसरा, सार्वजनिक / निजी संस्थाओं को अपनी उपलब्ध खाली भूमि पर ऐसे परिसरों के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए प्रोत्साहित करके.

भारत में किफायती आवास को बढ़ावा देने की आवश्यकता

जैसे-जैसे भारतीय मध्यम वर्ग का विस्तार होगा, किफायती आवास की मांग और भी बढ़ने की संभावना है. नतीजतन, शहरी भारत में किफायती आवास के लिए संभावित बाजार का आकार 2010 में अनुमानित 25 मिलियन घरों से लगभग 1.5 गुना बढ़कर 2030 में 38 मिलियन होने का अनुमान है. 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना नीति को अपनाने के साथ, भारत सरकार ने 11.22 मिलियन घरों की मांग को पूरा करने का लक्ष्य रखा हैं. 31 मार्च 2021 तक नीति के शुभारंभ के बाद से, 11.3 मिलियन मकानों की मंजूरी दी गई है, जिनमें से 4.8 मिलियन अब तक पूरे हो चुके हैं. भारत के बढ़ते शहरी क्षेत्रों में किफायती आवास की आवश्यकता ने कई डेवलपरों का ध्यान आकर्षित किया है, जो इस बढ़ती मांग का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.

किफायती आवास से तात्पर्य उन आवास इकाइयों से है जो औसत पारिवारिक आय से कम आय वाले लोगों के लिए वहनीय हैं. भारत में, कम आय वाले लोगों, मध्यम आय वाले लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए किफायती आवास प्रदान किया जाता है, जिनकी आय का स्तर काफी कम है (शहरी क्षेत्र). भारत जैसे विकासशील देशों में किफायती आवास एक प्रमुख मुद्दा है जहां उच्च बाजार मूल्य के कारण अधिकांश आबादी घर खरीदने में सक्षम नहीं है. ग्रामीण और शहरी आवास क्षेत्र में किफायती आवास के लिए अलग-अलग नीतियों की आवश्यकता होती है क्योंकि शहरी क्षेत्रों में भूमि मुख्य बाधा है.हमारा देश बेहतर आवास सुविधाओं की मांग की विशेषता वाले आर्थिक बदलाव से गुजर रहा है, घरों की मांग और इसकी उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर है. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उचित आवास सुविधाओं का अभाव है.शहरी आवास की कमी (2012) के आकलन पर तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में शहरी आवास की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है.

तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, दो निम्न आय वर्ग - आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और निम्न-आय वर्ग (एलआईजी) भारत में कुल आवास की कमी का 96 प्रतिशत हिस्सा हैं. मकानों की आवश्यकता और शहरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, शहरी क्षेत्रों में आवास सुविधाओं का विस्तार किया जाना है. शहरीकरण की वर्तमान प्रगति के साथ, 2030 तक देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी के शहरी क्षेत्रों में रहने की उम्मीद है.

गरीब वर्गों को आवास उपलब्ध कराने के महत्व को स्वीकार करते हुए, सरकार ने पिछले पंद्रह वर्षों में कई उपाय को शुरू किये हैं. शुरुआत में, राष्ट्रीय शहरी आवास और पर्यावास नीति (एनयूएचएचपी), 2007 के तहत सभी के लिए किफायती आवास का उद्देश्य मुख्य फोकस के रूप में निर्धारित किया गया है. बाद में, सरकार ने आवास को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट पहल करके इस उद्देश्य को साकार करने के लिए 2022 को लक्ष्य वर्ष के रूप में निर्धारित किया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो घटक - प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सरकार द्वारा 2022 तक सभी के लिए आवास प्राप्त करने के लिए शुरू किए गए थे.

किफायती आवास में सहायता के लिए सरकारी उपाय

कई सरकारी पहल हैं, जिनमें से कुछ, गरीब लोगों को नए घर बनाने में मदद करने के लिए काम कर रही हैं. पिछले बजटों में कई सहायक उपाय शुरू किए गए थे. केंद्रीय बजट 2017-18 में सरकार ने निम्न प्रावधान किए:

1. किफायती आवास को बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया गया है, इससे इन्हें किफायती आवास डेवलपर्स को बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी), विदेशी उद्यम पूंजी निवेशकों (एफवीसीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) जैसे विभिन्न माध्यमों से धन प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

2. किफायती आवास प्रमोटरों के लिए परियोजना के पूरा होने का समय पहले

के तीन साल से बढ़ाकर पांच साल किया गया है.

3. डेवलपर्स को पूर्ण लेकिन बेची नहीं गई इकाईयों पर अनुमानित किराये की आय पर कर का भुगतान करने के लिए एक वर्ष का समय प्रदान किया गया है.

4. किफायती आवास के लिए दीर्घावधि पूंजीगत लाभ की अवधि को तीन से घटाकर दो वर्ष कर दिया गया है.

5. बिक्री योग्य क्षेत्र से कारपेट क्षेत्र तक किफायती आवास के लिए योग्यता मानदंडों में संशोधन किया गया है.

6. किफायती आवास खंड के लिए व्यक्तिगत ऋण के वास्ते राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा पुनर्वित्त सुविधा में वृद्धि की गई है.

भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रोत्साहन उपायों के अनुसार, किफायती आवासीय संपत्ति की लागत मेट्रो शहरों में 65 लाख रुपये से कम और गैर-महानगरों में 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए.

केंद्रीय बैंक की परिभाषा, बैंकों द्वारा लोगों को घर बनाने और फ्लैट खरीदने के लिए दिए गए ऋण पर आधारित है.

भारतीय रिज़र्व बैंक प्राथमिक क्षेत्र ऋण के तहत किफायती आवास ऋण भी देता है.

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को किफायती आवास के लिए ऋण के वित्तपोषण के वास्ते दीर्घकालिक बांड (न्यूनतम 7 वर्ष की परिपक्वता) जारी करने की अनुमति दी है.

कार्यक्रम संबंधी उपाय

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी: आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 2022 तक माननीय प्रधानमंत्री के 'सभी के लिए आवासके दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी लागू कर रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी में कैफेटेरिया दृष्टिकोण अपनाया जहां लाभार्थी मिशन के चार कार्यक्षेत्रों में से एक को चुन सकता है: लाभार्थी के नेतृत्व में निर्माण (बीएलसी), साझेदारी में किफायती आवास (एएचपी), ऋण से जुड़ी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) और इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर).मिशन ने उत्कृष्ट सफलताएं दर्ज की हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि अब तक इसके लाभार्थियों के लिए लगभग 1.14 करोड़ घर स्वीकृत किए जा चुके हैं,

मिशन के तहत अब तक मंजूर किए गए घरों के निर्माण में 1.82 लाख करोड रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 7.38 लाख करोड रुपये का निवेश शामिल है. अब तक, 1.06 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता पहले ही जारी की जा चुकी है. इतनी बड़ी राशि के निवेश ने अर्थव्यवस्था को गति दी है. इस क्षेत्र में सरकार द्वारा किए गए वर्तमान निवेश ने लगभग 705 करोड़ मानव दिवस रोज़गार सृजित हुए हैं जो लगभग 252 लाख नौकरियों में तब्दील हो गए हैं. इनके निर्माण में 380 लाख मीट्रिक टन सीमेंट और 86 लाख मीट्रिक टन स्टील की खपत हुई है.

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी): पीएमएवाई-यू गरीबी में कमी के लिए एसडीजी (लक्ष्य 1), लैंगिक समानता के लिए महिला सशक्तिकरण (लक्ष्य 5), स्वच्छ जल और स्वच्छता सुनिश्चित करना (लक्ष्य 6), संधारणीय शहरों और समुदायों के लिए बुनियादी सेवाओं, ऊर्जा, आवास तक पहुंच को संबोधित करना (लक्ष्य 11) और जलवायु कार्रवाई के लिए प्रौद्योगिकी उप-मिशन के माध्यम से कम कार्बन विकास में निवेश करना (लक्ष्य 13) है .

केंद्रीय बजट 2021-22 में, रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय किए गए जिनमें मुख्य उपाय हैं:

·         किफायती आवास परियोजना के लिए आयकर छूट का विस्तार: माननीय प्रधानमंत्री के 'सभी के लिए आवासके दृष्टिकोण के अनुरूप, धारा 80-आईबीए के तहत किफायती आवास परियोजनाओं से अर्जित लाभ पर आयकर से 100 प्रतिशत छूट का लाभ, आयकर अधिनियम को एक और वर्ष के लिए 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है.

·         गृह ऋण ब्याज पर रुपये 1.5 लाख की अतिरिक्त कटौती का विस्तार: किफायती आवास को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, गृह ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज के लिए गृह खरीददारों के लिऐ रुपये 1.5 लाख की अतिरिक्त कटौती का लाभ (आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत रुपये 2 लाख के अलावा) आयकर अधिनियम की धारा 80 ईईए के तहत एक और वर्ष के लिए 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है.

·         आरईआईटी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) को बढ़ावा देने के लिए, आरईआईटी के धारकों को लाभांश भुगतान के लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को छूट दी गई है.

·          

रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत पहल:

·         किफायती आवास और अन्य आवास परियोजनाओं के लिए जीएसटी को 8 प्रतिशत  से घटाकर 1 प्रतिशत (बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के) और अन्य आवास परियोजनाओं के लिए 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत (बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के) कर दिया गया है.

·         किफायती आवास पर ब्याज के बोझ को कम करने के लिए प्राथमिक क्षेत्र ऋण के बैकलॉग के साथ 2018 में राष्ट्रीय आवास बैंक में किफायती आवास कोष बनाया गया.

·         राष्ट्रीय शहरी आवास कोष: फरवरी 2018 में रुपये 60,000 करोड़ के ईबीआर को मंजूरी दी गई, जिसमें रुपये 53,000 करोड़ पहले ही आहरित किए जा चुके हैं.

·         आय कर अधिनियम की धारा 80 आईबीए के तहत लाभ 31 मार्च 2022 तक एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है. साथ ही, 45 लाख रुपये तक की किफायती आवास इकाई के लिए धारा 80-आईबीए के लिए किफायती आवास इकाई की आकार सीमा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में 30 से 60 वर्ग मीटर और गैर-महानगरीय क्षेत्रों में 60 से 90 वर्ग मीटर तक बढ़ा दी गई है.

·         किफायती आवास को अवसंरचना की सामंजस्यपूर्ण सूची में शामिल करके अवसंरचना का दर्जा दिया गया है.

·         निर्माण परियोजनाओं में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है.

कोविड-19 महामारी के दौरान 'आत्मनिर्भर भारतअभियान के तहत प्रमुख उपाय

·         रेरा पंजीकृत परियोजनाओं को विस्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया.

 

·         कम रेपो दर और रिवर्स रेपो दर: बाजार में पूंजी का प्रवाह बढ़ाने के लिए, आरबीआई ने रेपो दर को काफी कम करके 4 प्रतिशत  और रिवर्स रेपो दर को घटाकर 3.35 प्रतिशत कर दिया है. इस कदम ने बैंकों को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में निवेश और ऋणों में अधिशेष धन के लिए प्रोत्साहित किया.

एनबीएफसी, एचएफसी और एमएफआई के सामने आने वाले पूंजी प्रवाह के मुद्दे को बड़े पैमाने पर रुपये 75,000 करोड़ देकर संबोधित किया जा रहा है.

·         प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी  के लिए रुपये 18,000 करोड़ का   अतिरिक्त परिव्यय: प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के लिए 18,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है जो इस वर्ष पहले ही आवंटित 8,000 करोड़ रुपये के अलावा है. यह 12 लाख घरों को ग्राउंड करने और 18 लाख घरों को पूरा करने, अतिरिक्त 78 लाख रोज़गार सृजित करने और स्टील तथा सीमेंट के उत्पादन और बिक्री में सुधार करने में मदद कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव पड़ता है.

 

·         खरीददारों, डेवलपरों और अन्य उधारकर्ताओं को राहत देने के लिए, आरबीआई ने 1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 के बीच आने वाले मौजूदा बकाया के भुगतान पर 6 (3+3) महीने की मोहलत देने के लिए ऋण देने वाली संस्थाओं को अनुमति दी है.

 

 

·         केंद्रीय बजट 2022-23 में, सभी के लिए आवास प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, सरकार ने रुपए 48,000 करोड़ आवंटित किए.

 

·         यह वित्तीय प्रतिबद्धता केवल 80 लाख लाभार्थी परिवारों को आश्रय प्रदान करेगी बल्कि उनके जीवन को गरिमामय बनाएगी, जिससे देश के लगभग 4 करोड़ नागरिकों को लाभ होगा. इन 80 लाख में से करीब 27 लाख घर देश के शहरी इलाकों में होंगे.

रुकी हुई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष कोष

·         वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) - निवेश कोष  की स्थापना अंतिम मील की फंडिंग प्रदान करने के लिए की गई थी, जो नेट-वर्थ पॉजिटिव हैं और रेरा के तहत पंजीकृत हैं. इनमें वे परियोजनाएं भी शामिल हैं जिन्हें गैर-निष्पादक परिसंपत्तियां घोषित किया गया है या जिन पर इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में  कार्यवाही चल रही है.

·         अंतिम अपडेट (14 फरवरी, 2022 तक) के अनुसार, रुपये 23,778 करोड़ के कुल 249 सौदों को मंजूरी दी गई है. इससे 1,46,946 से अधिक घर खरीदारों को लाभ होगा और रुपये 66,163 करोड़ की परियोजनाओं को शुरू किया जाएगा.

इन सभी सुधारात्मक उपायों के साथ, यह आशा की जाती है कि रियल एस्टेट के पुनरुत्थान से अर्थव्यवस्था पर समग्र और व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

(लेखिका आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक हैं. उनसे sameera.saurabh@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.