रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


Issue no 47, 19-25 February 2022

बजट में उच्च तकनीक जैविक खेती के विकास के बीज

संदीप दास

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत केंद्रीय बजट (2022-23) में कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. इनमें प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए विशेष निधि के प्रावधान के साथ-साथ तिलहन, मोटे अनाज के लिए विशेष कार्यक्रम और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देने के साथ-साथ किसानों को उच्च प्रौद्योगिकी संबंधी सहायता प्रदान करना शामिल है.

कृषि और संबद्ध क्षेत्र, ग्रामीण आजीविका, रोज़गार और खाद्य सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण

 भूमिका निभाते हैं. ये क्षेत्र देश में रोज़गार का सबसे बड़ा स्रोत प्रदान करते हैं. रोज़गार के अवसरों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि  पर निर्भर भारतीय जनसंख्या का अनुपात, किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में अधिक है. अनुमान है कि लगभग 55-60 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि  पर निर्भर हैं. कृषि  जनगणना (2015-16) के अनुसार, देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं; लगभग 82 प्रतिशत किसान छोटी और सीमांत श्रेणियों के हैं, जिनके पास एक एकड़ से कम भूमि है.

हाल में संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण (2021-22) में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 2020-21 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सर्वेक्षण में कहा गया है, इसका तात्पर्य यह है कि समग्र आर्थिक गतिविधियां पूर्व-महामारी के स्तर से उबर गई हैं. हालांकि, कृषि  और संबद्ध क्षेत्र कोविड-19 महामारी से सबसे कम प्रभावित हुए हैं और इनमें 2021-22 में 3.9 प्रतिशत वृद्धि की आशा है जो इससे पिछले वर्ष में 3.6 प्रतिशत थी. आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि  और संबद्ध क्षेत्रों में विकास अच्छे मानसून, ऋण उपलब्धता बढ़ाने, निवेश में सुधार, बाजार सुविधाओं के विकास, कृषि  क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा  और गुणवत्ता इनपुट के प्रावधान को बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी उपायों को लागू कर प्राप्त किया जा सकता है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि 'आत्मनिर्भर भारत अभियान के रूप में समय पर किए गए उपायों के साथ-साथ विकास को बढ़ावा देने वाली अन्य योजनाओं ('आत्मनिर्भर भारत अभियान और अन्य योजनाओं पर संबंधित वर्गों के तहत चर्चा की गई) ने कृषि  को 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की बेहतर वृद्धि हासिल करने में मदद की है.

कृषि  और किसान कल्याण मंत्रालय के 2020-21 के लिए चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 308.65 मिलियन टन होने का अनुमान है जो कि 2019-20 के उत्पादन से 11.15 मिलियन टन अधिक है. 2015-16 से 2020-21 के बीच चावल, गेहूं और मोटे अनाज का उत्पादन क्रमश: 2.7, 2.9 और 4.8 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है. इसी अवधि के दौरान दलहन, तिलहन और कपास के लिए सीएजीआर क्रमश: 7.9, 6.1 और 2.8 प्रतिशत रहा है.

प्रमुख कृषि वस्तुओं के लिए सरकार की मूल्य नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हुए उच्च निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना है. सरकार कृषि  लागत तथा मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों तथा संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों या विभागों के विचारों को ध्यान में रखते हुए 22 अनिवार्य कृषि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है. 22 अनिवार्य फसलों में 14 खरीफ फसलें- धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, नाइजर बीज, कपास और छह रबी या सर्दियों की फसलें- गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड तथा सरसों, कुसुम और 2 व्यावसायिक फसलें - जूट तथा खोपरा शामिल हैं. इनके अलावा, तोरिया और नारियल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी क्रमश: रेपसीड, सरसों और खोपरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर तय किया जाता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में 2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए, कृषि  और संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की. विशेष रूप से चावल और गेहूं की खरीद पर, वित्त मंत्री ने कहा, 'रबी 2021-22 में गेहूं की खरीद और खरीफ 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद में 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं और धान की खरीद शामिल है, और उनके खातों में एमएसपी के रूप में 2.37 लाख करोड़ रुपये का सीधा भुगतान किया जाएगा.

2020-21 (फसल वर्ष) में, एमएसपी के तहत 128 एमटी टन से अधिक धान और चावल की खरीद के लिए किसानों को 2.44 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए, जबकि 2019-20 (फसल वर्ष) में 2.04 लाख करोड़ रुपये किसानों को दिए गए थे. एफसीआई और राज्य सरकार की एजेंसियों ने 111 मीट्रिक टन धान और गेहूं की खरीद के लिए यह धनराशि दी थी.

 

तालिका 1: कृषि  और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 2022-23 के लिए प्रमुख मंत्रालय-वार आवंटन

(करोड़ रु. में)

कृषि  और किसान कल्याण

1,32,513

ग्रामीण विकास

1,35,944

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण

2,17,683

जल शक्ति

86,189

 

तालिका 2: कृषि  और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 2022-23 के वास्ते मुख्य योजना-वार आवंटन

(करोड़ रु. में)

एमजीएनआरईजीएस

73,000

पीएम किसान सम्मान निधि योजना

68,000

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

15,500

प्रधानमंत्री कृषि  सिंचाई योजना

10,952

 

एफसीआई और राज्य एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के किसानों से धान और गेहूं की खरीद करती हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत किसानों से खरीदे जाने वाले अत्यधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्न की आपूर्ति 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को की जाती है और साथ ही आपात स्थिति से निपटने के लिए बफर स्टॉक के रूप में रखा जाता है.

वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण में देशभर में रसायन- मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का भी उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में पहले चरण में गंगा नदी के किनारे 5 किमी चौड़े गलियारों में किसानों की भूमि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. वित्त मंत्री ने 2019-20 और 2020-21 के अपने बजट भाषण में, जीरो बजट नेचुरल फंडिंग को 'किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अभिनव मॉडल के रूप में संदर्भित किया था.

केंद्रीय बजट (2022-23) में कहा गया है कि राज्यों को जीरो बजट नेचुरल फंडिंग, जैविक खेती, आधुनिक कृषि मूल्य संवर्धन और प्रबंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कृषि  विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि तिलहन के आयात पर  निर्भरता  कम करने के लिए, तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक तर्कसंगत और व्यापक योजना लागू की जाएगी. आयात पर निर्भरता कम करने के लिए बजट में तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने का भी प्रस्ताव किया गया है. 2020-21 में, भारत ने लगभग 22 मिलियन टन की कुल घरेलू खपत में से 13.35 एमटी खाद्य तेल का आयात किया.

श्रीमती सीतारमण ने यह भी घोषणा की '2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है. फसल कटाई के बाद मूल्यवर्धन, घरेलू खपत बढ़ाने और मोटे अनाज उत्पादों की राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग के लिए सहायता प्रदान की जाएगी.

बजट में कृषि-स्टार्ट-अप के लिए विशेष फंड, 'किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने और सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान तथा विस्तार संस्थानों के साथ-साथ निजी कृषि -तकनीकी व्यक्तियों और कृषि -मूल्य शृंखला के अन्य हितधारक को शामिल करते हुए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल शुरू  करने सहित विभिन्न उपायों की घोषणा की गई है. ये किसानों को डिजिटल और हाई-टेक सेवाएं प्रदान करेंगे.

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि 'किसान ड्रोन का इस्तेमाल फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किया जाएगा.

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल में किसानों के खेतों में प्रदर्शन करने वाले अनुसंधान संस्थानों, कृषि  विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि  विश्वविद्यालयों को 10 लाख रुपये तक की लागत के  कृषि  ड्रोन के लिए 100 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए. किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) ड्रोन की लागत का 75 प्रतिशत तक अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे.

वित्त मंत्री के अनुसार, कृषि उपज मूल्य शृंखला के लिए प्रासंगिक कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए स्टार्ट-अप के वित्तपोषण के वास्ते, सरकार नाबार्ड के माध्यम से सह-निवेश मॉडल के तहत जुटाई गई मिश्रित पूंजी के साथ एक फंड की घोषणा करेगी. धन के लिए पात्र गतिविधियों में वे स्टार्ट-अप शामिल हैं जो एफपीओ की सहायता करते हैं, किसानों को किराये के पर मशीनरी प्रदान करते हैं, और आईटी-आधारित सहायता सहित प्रौद्योगिकी प्रदान करते हैं.

44,605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना का कार्यान्वयन अगले वित्त वर्ष (2022-23) में शुरू किया जाएगा. इसका उद्देश्य किसानों की 9.08 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई लाभ,

62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति, 103 मेगावाट पन-बिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन प्रदान करना है. केंद्रीय बजट में नदियों को जोड़ने की परियोजना के लिए 2021-22 के संशोधित अनुमान में 4,300 करोड़ रुपये और 2022-23 में 1,400 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि पांच नदी लिंक - दमनगंगा-पिंजाल, पर-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है.

केंद्रीय बजट में किसानों को फलों और सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को उगाने और उचित उत्पादन तथा कटाई तकनीकों का उपयोग करने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए राज्यों को एक व्यापक पैकेज देने का भी प्रस्ताव किया गया है. वित्त मंत्री ने बताया कि 'हर घर, नल से जल कार्यक्रम  के अंतर्गत  5.5 करोड़ घरों को पिछले 2 वर्षों में यह सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. 2022-23 में 3.8 करोड़ घरों को कवर करने के उद्देश्य से 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

 इसके अलावा, केंद्रीय बजट में 2022-23 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.06 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) के लिए 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. मनरेगा का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों के लिए ऐसे प्रत्येक परिवार को मजदूरी की गारंटी प्रदान करना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक हैं.

केंद्रीय बजट (2022-23) के प्रावधानों का स्वागत करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसे गांवों, गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं का  बजट करार दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि  क्षेत्र के समग्र विकास के लिए बजट में अभूतपूर्व प्रावधान किए गए हैं.

श्री तोमर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन लगातार बढ़ाया गया है, इस बार भी इसे 2021-22 में 1.23 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2022-23 के लिए 1.32 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि बजट में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है, साथ ही तिलहन मिशन, कृषि  को प्रौद्योगिकी से जोड़ने, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने आदि के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं.    

(लेखक दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार हैं.

ईमेल : sandipdasfoodagri@gmail.com)

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं