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संपादकीय लेख


Issue no 22, 28 August - 3 September 2021

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद

 राष्ट्रीय खेल दिवस विशेष

 

हॉ की के दिग्गज ध्यानचंद सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. इस दिन को 2012 में पहली बार भारत में उत्सवों की सूची में शामिल किया गया था.

भारतीय हॉकी के करिश्माई खिलाड़ी ध्यानचंद को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में गिना जाता है. उनका कॅरिअर 1926 से 1948 तक रहा और 185 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने और इस अवधि के दौरान 400 से अधिक गोल करने के बाद महानतम हॉकी खिलाड़ियों में से एक के रूप में समाप्त हुआ. ध्यानचंद की हॉकी में महारत और गेंद पर उनके शानदार नियंत्रण को देखते हुए उन्हें हॉकी के जादूगर और हॉकी के बाजीगर नाम दिए गए.

ध्यानचंद ने ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान गंभीरता से हॉकी खेलना शुरू किया और 1922 से 1926 तक उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में भाग लिया. जब 1956 में भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में एक मेजर के रूप में वह सेवानिवृत्त हुए, तो भारत सरकार ने उन्हें उसी वर्ष तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से सम्मानित किया.

भारत और ओलंपिक्स

द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में हॉकी में सर्वश्रेष्ठता की छाप छोड़ने वाले भारतीय टीम के सितारे, ध्यानचंद ने ओलंपिक खेलों में 1928, 1932 और 1936 में लगातार भारत के लिए तीन स्वर्ण पदक जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नवगठित भारतीय हॉकी महासंघ ने जब एम्स्टर्डम में 1928 के ओलंपिक के लिए टीम भेजने का फैसला किया, तो ध्यानचंद को ट्रायल के लिए बुलाया गया. वे इसमें खरे उतरे तथा ओलंपिक टीम में जगह बनाई. ध्यानचंद ने पांच मैचों में 14 गोल दागे और टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर बने. भारतीय हॉकी टीम ने अपराजित रहकर स्वर्ण पदक जीता.

1932 के ओलंपिक के लिए जब भारतीय टीम का चयन किया गया तो ध्यानचंद के लिए किसी ट्रायल की जरूरत नहीं पड़ी. इस बार टीम में उनके भाई रूप सिंह भी शामिल थे. लॉस एंजिल्स खेलों में, भारतीय फील्ड हॉकी ने एक मैच में 24 गोल किए. रूप सिंह ने 10 और ध्यानचंद ने आठ गोल किए. अमरीका के खिलाफ, यह रिकॉर्ड सात दशकों तक मजबूती से कायम रहा.

1936 के ओलंपिक खेलों में ध्यानचंद भारतीय हॉकी टीम के कप्तान के रूप में बर्लिन गए. उन्होंने पांच मैचों में कुल 11 गोल किए. कुल मिलाकर, उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों के 12 मैचों में 37 गोल किए और टीम ने तीन स्वर्ण पदक जीते.

 3 दिसंबर, 1979 को ध्यानचंद का निधन हो गया. उन्हें हमेशा हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में से एक के रूप में याद किया जाएगा. उनके सम्मान में, 2002 में नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम बदलकर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया.

6 अगस्त, 2021 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि उन्हें भारत भर के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध मिल रहे हैं. उनकी भावना का सम्मान करते हुए खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने देश को सम्मान और गौरव दिलाया. यह सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर हो.

खेल रत्न पुरस्कार 1991-92 में शुरू किया गया था और पहला पुरस्कार भारत के पहले ग्रैंड मास्टर तथा पांच बार के विश्व शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. इसका उद्देश्य खिलाड़ियों को समाज में गौरवशाली और सम्मान का स्थान प्रदान करना है. इसके तहत पुरस्कार देने वाले वर्ष से ठीक पहले के चार वर्षों की अवधि में किसी खिलाड़ी द्वारा सबसे शानदार और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उसे यह सम्मान दिया जाता है. इसमें पुरस्कार के रूप में 25 लाख रुपये दिए जाते हैं.

खेल रत्न के अलावा, भारत अपने खिलाड़ियों को कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करता है जिन्हें सामूहिक रूप से राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है.

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हर साल खेलों में उत्कृष्टता को मान्यता प्रदान करने और पुरस्कृत करने के लिए दिए जाते हैं. यह विभिन्न श्रेणियों में प्रदर्शन के लिए दिए जाने वाले छह खेल पुरस्कारों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक छत्र नाम है. राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह हर साल 29 अगस्त को आयोजित किया जाता है. इस बार  समारोह की तिथि को आगे बढ़ा दिया गया है क्योंकि सरकार चाहती है कि चयन समिति इस पुरस्कार के लिए टोक्यो पैरालिंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाले पैरा एथलीटों के प्रदर्शन पर भी विचार करे. पैरालिंपिक खेल 24 अगस्त से 5 सितंबर तक होंगे.

अर्जुन पुरस्कार: 1961 में आरंभ किया गया अर्जुन पुरस्कार सबसे पुराना है. इस पुरस्कार की सिफारिश के लिए पात्र को उस वर्ष के लिए उत्कृष्टता के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चार साल का अनुभव होना चाहिए. चार वर्षों तक लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन के अलावा, उसने नेतृत्व, खेल भावना और अनुशासन की भावना का भी प्रदर्शन किया हो. पुरस्कार विजेता को एक प्रतिमा, प्रमाण पत्र, अधिकृत पोशाक और 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है.

द्रोणाचार्य पुरस्कार: यह पुरस्कार 1985 में उन प्रख्यात कोच को सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया था जिन्होंने खिलाड़ियों या टीमों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के योग्य बनाया है. पुरस्कार विजेताओं को गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा, प्रमाण पत्र, अधिकृत पोशाक और (नियमित श्रेणी के लिए) 10 लाख रुपये तथा (आजीवन श्रेणी के लिए) 15 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है.

ध्यानचंद पुरस्कार: खेल में आजीवन उपलब्धि के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार के रूप में जाना जाता है. यह 2002 में शुरू किया गया था. यह उन खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है जिन्होंने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से खेल में योगदान दिया है और सक्रिय खेल कॅरिअर से सेवानिवृत्ति के बाद भी खेल के संवर्द्धन और विकास में योगदान देना जारी रखा है. पुरस्कार विजेता को एक प्रतिमा, प्रमाणपत्र, अधिकृत पोशाक और 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है.

तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार: यह वायु, समुद्र और भूमि पर साहसिक कार्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सर्वोच्च राष्ट्रीय मान्यता है. इसके अंतर्गत पुरस्कार स्वरूप 5 लाख रुपये और सम्मान प्रमाण पत्र दिया जाता है. यह पुरस्कार खेल उत्कृष्टता के लिए अर्जुन पुरस्कार के समान है.

राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: खिलाड़ियों और कोच के अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा खेल के विकास में किए गए योगदान को मान्यता देने के लिए, सरकार ने 2009 से राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार की शुरुआत की थी. इसमें चार श्रेणियां- नवोदित/युवा प्रतिभाओं की पहचान तथा उनका पोषण, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से खेलों को प्रोत्साहन, खिलाड़ियों का रोज़गार तथा खेल सहायता उपाय और खेल विकास हैं. इस पुरस्कार के अंतर्गत उपर्युक्त प्रत्येक श्रेणी के लिए एक प्रशस्ति पत्र और एक ट्रॉफी दी जाती है. इसमें कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया जाता है.

मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी: इस ट्रॉफी की शुरुआत 1956-57 में हुई थी. अंतर-विश्वविद्यालय टूर्नामेंट में समग्र प्रदर्शन में शीर्ष पर रहने वाले  विश्वविद्यालय को मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी दी जाती है, जो एक रोलिंग ट्रॉफी है. इसके अंतर्गत ट्रॉफी की एक छोटी प्रतिकृति भी विश्वविद्यालय को प्रदान की जाती है.

सरकार ने भारत में खेल संस्कृति और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए भी कई पहल की हैं. ऐसी ही एक पहल है- खेलो इंडिया कार्यक्रम. देश में खेले जाने वाले सभी खेलों के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करके और भारत को एक महान खेल राष्ट्र के रूप में स्थापित करके जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. खेलो इंडिया योजना ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए खिलाड़ियों की पहचान करती है और उन्हें प्रशिक्षित करती है. मौजूदा योजनाओं -राजीव गांधी खेल अभियान, शहरी खेल अवसंरचना योजना और राष्ट्रीय खेल प्रतिभा खोज प्रणाली कार्यक्रम के विलय के बाद (2016-17 में) यह नई अम्ब्रेला योजना शुरू की गई थी.

खेलो इंडिया में बारह घटक हैं, जिनका उद्देश्य राष्ट्रीय खेल नीति 2001 के दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करना हैं. ये हैं- खेलों का प्रसार करना और खेलों में उत्कृष्टता प्राप्त करना, ताकि देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा मिल सके और बच्चों तथा युवाओं का समग्र विकास, सामुदायिक विकास, लड़कों तथा लड़कियों के बीच समानता, स्वस्थ राष्ट्र, राष्ट्रीय गौरव और खेल विकास से संबंधित आर्थिक अवसर जैसे लाभ प्राप्त हो सकें.

माननीय प्रधानमंत्री ने फिटनेस को अपने दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बनाने की दृष्टि से, 29 अगस्त, 2019 को फिट इंडिया अभियान की शुरुआत की. इसका उद्देश्य आदतों में बदलाव लाना और शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय जीवन-शैली को अपनाना है. इस अभियान का उद्देश्य स्वदेशी खेलों को प्रोत्साहित करना, फिटनेस को हर स्कूल, कॉलेज/विश्वविद्यालय, पंचायत/ गांव तक पहुंचाना और भारत के नागरिकों के लिए जानकारी साझा करने, जागरूकता बढ़ाने और व्यक्तिगत फिटनेस की बातें साझा करने को प्रोत्साहित करने का एक मंच तैयार करना है.

आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए, फिट इंडिया मिशन ने फिट इंडिया फ्रीडम रन 2.0 की अवधारणा की है. फिटनेस को प्रोत्साहित करने और सब को मोटापे, आलस्य, तनाव, चिंता और बीमारियों से मुक्ति दिलाने में मदद करने के लिए देशव्यापी अभियान फिजिकल/वर्चुअल रन 13 अगस्त से 2 अक्टूबर, 2021 तक लगातार आयोजित की जा रही है. इस दौड़ के पीछे की अवधारणा यह है कि इसे कहीं भी, कभी भी चलाया जा सकता है. जन भागीदारी से जन आंदोलन के उद्देश्य से, फ्रीडम रन का समापन गांधी जयंती पर राष्ट्रव्यापी फिट इंडिया प्लॉग रन के साथ होगा.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

स्रोत- Olympics.com युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय