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संपादकीय लेख


Issue no 20,14-20 August 2021

न्यू इंडिया @75 की परिकल्पना

नीरज सिन्हा, नमन अग्रवाल और सिद्धे जी शिंदे

जब भारत 15 अगस्त 2022 को 75 वर्ष का हो जाएगा, तो यह एक ऐसा क्षण होगा जो इतिहास में कभी-कभार ही आता है, जब हम पुराने से नए की तरफ कदम बढ़ाते हैं. यह एक नए भारत का युग होगा; एक ऐसा युग जहां भारत विचार और कार्य में वैश्विक नेतृत्व की अपनी यात्रा की शुरुआत करेगा. इसके लिए तैयारी 2017 में ही आरंभ हो गई थी जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक एक नए भारत के निर्माण का आह्वान किया. इस आह्वान के अनुरूप, नीति आयोग ने 2018 में जारी 'स्ट्रेटेजी फॉर न्यू इंडिया ञ्च 75 बनाई. यह रणनीति महामारी के बाद की दुनिया में राष्ट्र को बदलने के लिए बहुत आवश्यक है.

'नए भारत के लिए रणनीति ञ्च 75 में प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया के लिए तीन प्रमुख संदेश थे. सबसे पहले, विकास एक जन आंदोलन बन जाना चाहिए, जिसमें प्रत्येक भारतीय अपनी भूमिका को पहचानता है और बेहतर जीवन जीने के लिए उसे मिलने वाले मूर्त लाभों का भी अनुभव करता है. दूसरा, सभी अंचलों और राज्यों तथा सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए विकास की रणनीति व्यापकता-आधारित आर्थिक विकास हासिल करने में मददगार होनी चाहिए. तीसरा, कार्यनीति जब क्रियान्वित की जाएगी, तो यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रदर्शन के बीच की खाई को पाट देगी. यह रणनीति नवाचार, प्रौद्योगिकी, उद्यम और कुशल प्रबंधन को नीति निर्माण और कार्यान्वयन के साथ प्रमुखता से जोड़ने का एक प्रयास है.

'नीति शब्द का प्रयोग अक्सर सरकारी बोलचाल में किया जाता है, लेकिन 'नीति क्या है? अपने सरलतम रूप में, नीति एक ढांचा या योजना है जिसके भीतर किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी कार्यों की कल्पना, कार्यान्वयन और मूल्यांकन किया जाता है; सार्वजनिक नीति, विस्तार से, उन उद्देश्यों पर लागू होती है जो जनता के कल्याण से संबंधित हैं. नीति निर्माण का विज्ञान विशाल और विविध है, लेकिन किसी भी विज्ञान की तरह, यह विश्लेषणात्मक सोच, व्यवस्थित कार्रवाई और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन को महत्व देता है. पॉलिसी का जीवन चक्र पांच अलग-अलग चरणों में देखा जा सकता है; समस्या की पहचान, नीति निर्माण, नीति नियोजन, नीति कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन.

आज विश्व में विकास की तेज गति को देखते हुए नए भारत में विकास कल्पना से भी पहले हासिल होने की उम्मीद है. इसलिए, न्यू इंडिया का नीति पारिस्थितिकी तंत्र पीछे नहीं रहना चाहिए. यह केवल पारंपरिक तरीकों से हासिल नहीं किया जा सकता है. इसके लिए नीति निर्माताओं की विचार प्रक्रिया, विधियों और उपकरणों में एक आदर्श बदलाव की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, नीति के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण नवाचार को प्रोत्साहित करना और लोक कल्याण के लक्ष्य के रूप में प्रौद्योगिकी को विनियमित करना है. जबकि यह अभी भी आवश्यक है, यह अनिवार्य है कि नीति निर्माता नवाचार और प्रौद्योगिकी को एक परिणाम पर विचार करने से अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अपने संसाधन में एक उपकरण के बारे में विचार करने के लिए अपना दृष्टिकोण बदलें. इसी तरह संचालक, अवसंरचना, समावेश और गवर्नेंस में पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों के लिए या तो पहले से मौजूद फ्लैगशिप योजनाओं को लागू करने या भारत की वास्तविक क्षमता को प्राप्त करने के लिए एक नए डिज़ाइन और पहलों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. निम्नलिखित खंड रणनीति पर आधारित हैं और इसका वर्णन करने के लिए हम एक कदम आगे बढ़ते हैं

कि कैसे नवाचार और प्रौद्योगिकी उन क्षेत्रों में भूमिका निभा सकते हैं.

कृषि में, किसानों को 'कृषि-उद्यमियों में परिवर्तित करने पर जोर दिया जाना चाहिए. ई-राष्ट्रीय कृषि बाजारों (ई-एनएएम) का और विस्तार किया जाना चाहिए. एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार, निर्यात व्यवस्था को खोलने के साथ, इस क्षेत्र को बढ़ावा दे सकता है. कृषि में आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) प्रौद्योगिकी और भू-स्थानिक डेटा के उपयोग से ऑटोमेशन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यह मोबाइल आधारित सिंचाई प्लेटफार्मों से शुरू होना चाहिए और सटीक कृषि तक विस्तारित होना चाहिए जो पौधे, मिट्टी, पानी और हवा से सेंसर डेटा के साथ-साथ फसल और जलवायु निगरानी के लिए भू-स्थानिक डेटा का लाभ उठाता है. कम आय वाले ग्रामीण क्षेत्रों में 'शून्य बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) पर तकनीकों का सक्रिय प्रसार किया जाना चाहिए, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और भूमि की गुणवत्ता में सुधार हो सके.

उद्योग में, एमएसएमई में उद्योग 4.0 अपनाए जाने को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. एमएसएमई में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए लघु व्यवसाय अनुसंधान कार्यक्रम स्थापित करने की आवश्यकता है. सूक्ष्म नवाचारों का समर्थन पूरे कार्यबल में नवाचार की संस्कृति का निर्माण करेगा. राष्ट्रीय स्तर पर, उच्च तकनीक वाले मानव संसाधनों की कमी दूर करने के लिए स्मार्ट और उन्नत विनिर्माण कार्यक्रमों की आवश्यकता है. यह भी सुगम ऑटोमेशन के साथ शुरू होगा और 3डी प्रिंटिंग के माध्यम से त्वरित उत्पादन तक ले जाएगा.

सूचना और संचार के बुनियादी ढांचे में, भारतनेट परियोजना पहले से ही डिजिटल दरार को खत्म करने के लक्ष्य के साथ चल रही है. इसके चरण 2 और चरण 3 के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों से, जो देश के हर हिस्से के लिए अंतिम छोर कनेक्टिविटी को पूरा करेगी, से एमएमवेव संचार और फ्री स्पेस ऑप्टिक्स जैसी उन्नत संचार तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करके निपटा जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय मानकों को तैयार करने में भारत की सक्रिय भागीदारी में वृद्धि और विस्तार होना चाहिए. इसके हाल के प्रयासों के परिणामस्वरूप, 5त्रद्ब मानक को मंजूरी दी गई है, जिसे विशेष रूप से विकसित देशों में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों की सेवा के लिए डिज़ाइन किया गया है.

रसद और परिवहन के व्यापक अर्थों में,  भारतमाला परियोजना में तेजी लाई जानी चाहिए और अधिक डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर स्थापित किए जाने चाहिए. ये परियोजनाएं निर्माण के लिए विकसित नई सामग्री/ तकनीकों के साथ क्रियान्वित की जानी चाहिए. फास्टैग परियोजना पहले से ही लागू है, हालांकि इसे थोड़ा सुव्यवस्थित करना बाकी है. शहरी क्षेत्रों में आईटी-सक्षम यातायात प्रबंधन प्रणाली बनाने और लंबी दूरी के वाहनों के लिए भू-स्थानिक ट्रैकिंग और प्रबंधन के लिए लर्निंग का विस्तार किया जाना चाहिए. तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग के बुनियादी ढांचे को भी एक आईटी-सक्षम मंच विकसित करना चाहिए. यह परिवहन के विभिन्न साधनों को एकीकृत करने और मल्टी-मॉडल और डिजिटल गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.

शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन जारी है. स्कूली शिक्षा के स्तर पर, शैक्षिक विषयक्षेत्रों और व्यावसायिक शिक्षा में लचीलापन लाए जाने तथा अटल टिंकरिंग लैब्स कार्यक्रम का विस्तार करके, जमीनी स्तर पर एक नए नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जोड़ने की जरूरत है. उच्च शिक्षा के लिए प्रयोगशाला सुविधाओं को बढ़ाने और अ-रेखीय अध्ययन प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. वर्चुअल इन्क्यूबेटरों के माध्यम से त्वरित प्रयोगशाला-से-बाजार प्रक्रियाओं के साथ शिक्षा के लिए ऐसी खुली पहुंच कायम की जानी चाहिए. इसी तरह, फर्मों के माध्यम से या बेरोज़गार सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से पुन: कौशल और कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण की पेशकश की जानी चाहिए. इससे कार्यबल में तेजी से बदलाव आएगा और सामाजिक सुरक्षा भी उपलब्ध होगी.

स्वास्थ्य और आरोग्यता में, शहरी क्षेत्रों में किफायती आवास योजना ने श्रमिकों के रहन-सहन की स्थिति में सुधार लाने और समानता सुनिश्चित करने के लिए बहुत बड़ा काम किया है. आगे बढ़ते हुए, इसे नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ा जा सकता है और आर्थिक विकास को एक मजबूत गति प्रदान करने के लिए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ा जा सकता है. स्वास्थ्य और आरोग्य  केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के नेटवर्क की स्थापना को सॉफ्ट टच गवर्नेंस के माध्यम से लक्षित संदेश का उपयोग करके और युवाओं को संगठित करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. ई-स्वास्थ्य परियोजनाओं और टेलीमेडिसिन के माध्यम से बुनियादी स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच तेजी से प्राप्त की जा सकती है. कम लागत वाले समाधानों के निर्माण में नवाचार का समर्थन करके व्यक्तिगत स्वास्थ्य और आरोग्य प्रौद्योगिकियों की लोकप्रियता का लाभ उठाया जा सकता है.

स्थानीय शासन में, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और उसे सक्षम बनाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए. जीआईएस उपकरणों का उपयोग करके स्थानिक योजना और भू-स्थानिक डेटा का उपयोग करके भूमि उपयोग की निगरानी से क्षेत्र की कार्यकुशलता और उत्पादकता में वृद्धि होती है. वार्ड समितियों और क्षेत्रों को एक प्रौद्योगिकी सक्षम 'ओपन सिटीज फ्रेमवर्क और फीडबैक तथा रिपोर्टिंग के लिए डिजिटल टूल के उपयोग के साथ सक्रिय किया जाना चाहिए. इसके अलावा, ग्रामीण स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए डिजिटल ग्राम कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए. इसमें नागरिक केंद्रित सेवाओं का प्रावधान और प्रशिक्षण के ज़रिए डिजिटल साक्षरता बढ़ाना शामिल होगा. ये परिवर्तन सरकार और लोगों के बीच संबंध और सक्रियता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं.

राज्य और केंद्रीय शासन में, 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन लागू करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए. अनेक नागरिक सेवाओं में बड़े बदलाव की आवश्यकता है और यह उन्नत आईसीटी प्रणालियों के माध्यम से लागू नागरिक-केंद्रित ढांचे पर आधारित होना चाहिए. उभरती प्रौद्योगिकियों और अर्थव्यवस्था की बढ़ती जटिलता के बदलते संदर्भ में प्रशासनिक सुधारों को डिज़ाइन करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, लैंडफिल, प्लास्टिक कचरे और नगरपालिका कचरे और कचरे से धन सृजन करने की पहल को शामिल करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के दायरे का विस्तार किया जा सकता है. इससे सुलभ और पारदर्शी शासन का सृजन होगा.

आज समाज नवीन सोच को उच्च महत्व देता है क्योंकि यह उन समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम है जो पारंपरिक तरीकों से नहीं हो पाता है. यहां मुख्य अंतर्दृष्टि यह है कि यह नवाचार की उपयोगिता है, न कि अनूठी वस्तुओं की, जो इसे इतना वांछनीय बनाती है. न्यू इंडिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती सतत भविष्य के लिए सतत विकास की स्थापना करना होगी.

भारत के माननीय प्रधानमंत्री के स्पष्ट आह्वान के प्रत्युत्तर में, यह हमारा संकल्प है कि न्यू इंडिया के लिए इस चुनौती का समाधान प्रस्तुत करने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी का सावधानी के साथ लाभ उठाया जाए. यही रास्ता है. न्यू इंडिया ञ्च75 के लिए सिद्धि और उससे आगे का मार्ग.

(लेखक नीति आयोग में क्रमश: वरिष्ठ सलाहकार, वरिष्ठ एसोसिएट, और यंग प्रोफेशनल हैं.

ई-मेल: naman.agrawal@nic.in )

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं

चित्र साभार: नीति आयोग