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संपादकीय लेख


Issue no 18,31 July 06 August 2021

वीडियो संपादन कहानी कहने की अनूठी कला

ए.वी. नारायणन

फिल्म संपादन कक्ष में बनाई गई है, ऐसा फिलिप सेमुर हॉफमैन कहते हैं, और ऐसा ही है. थिएटर में बड़ी संख्या में बैठे दर्शकों के लिए कहानी गढ़ने की यह अदृश्य कला, इंटरनेट, सोशल मीडिया द्वारा प्रदान किए गए ऑडियो-विजुअल ट्रांसमिशन के कई प्लेटफार्मों और यहां तक कि आपके स्मार्टफ़ोन पर भी अनुभव करने में आसानी के कारण आज बहुत अधिक मांग में है.

आश्चर्य भरे एक्शन सीक्वेंस, हॉरर फिल्मों में कंपकंपी और प्रतिक्रियाएं, रोमांटिक कहानी का विस्तार और व्यापकता ... जबकि सब कुछ सही लय और गति में आता है, अक्सर कहानी कहने की अदृश्य कला के बारे में हमें आश्चर्य होता है. यद्यपि संपादन शब्द ने समाचार पत्रों और पुस्तकों की छपाई में स्वीकृति प्राप्त कर ली थी, किंतु दृश्य और श्रव्य क्षेत्र में कहानी कहने की परिष्कृत कला के रूप में संपादन ने संचार और कला के माध्यम के रूप में फिल्मों की स्वीकृति के बाद आकार लिया. जब से लुमियर ब्रदर्स ने सिनेमेटोग्राफ प्रस्तुत किया है उसके बाद, एडविन एस पोर्टर, सर्गेई आइंस्टीन, अल्फ्रेड हिचकॉक और जीन ल्यूक गोडार्ड जैसे कई नाम संपादन के इतिहास से जुड़े.

फिल्म (फिल्म- नेगेटिव) भौतिक माध्यम के रूप में, कई प्रक्रियाओं से गुजरी और संपादन इसमें प्रमुख था.

पिकसिंक, मोविओलास, स्टीनबैक्स और फिल्म प्रिंट ने अरैखिक संपादन को रास्ता दिया. आज संपादन लैपटॉप या पोर्टेबल वर्क स्टेशन के सामने सीमित स्थानों में होता है. एक स्टूडियो की दीवार के सामने स्थिर कैमरों की शूटिंग से लेकर कहानी सुनाने के लिए कई शॉट्स लेने तक का सफर लंबा लगता है, लेकिन इसे और सही तरीके से तब समझा जा सकता है, जब ऑस्कर विजेता प्रसिद्ध  संपादक, वाल्टर मर्च कहते हैं, 'फिल्म संपादन अब कुछ ऐसा है जिसे लगभग हर कोई एक साधारण स्तर पर कर सकता है और इसका आनंद ले सकता है, लेकिन इसे उच्च स्तर पर ले जाने के लिए उसी समर्पण और

दृढ़ता की आवश्यकता होती है, जो कोई भी कला के लिए होती है. जैसे मोनोक्रोम में फिल्माई गई फिल्में रंग में बदल गईं और बाद में 3डी और आईमैक्स जैसे बेहतर आयामों में बदल गईं, संपादन के क्षेत्र में भी तकनीकी प्रगति हुई. डिजिटल युग के आगमन ने एनालॉग संपादन की थकाऊ प्रक्रिया को समाप्त कर दिया. आज, दूरस्थ संपादन समाधान उपलब्ध हैं जिसमें संपादक दुनिया के विभिन्न भागों से एक ही परियोजना पर है क्लाउड सर्वर पर पेशेवर स्टूडियो के रूप में कार्य कर सकते हैं.

फिल्म निर्माण में इसके कई घटक हैं, प्राथमिक (शूट स्थान पर) स्क्रिप्ट, निर्देशन, फोटोग्राफी और ध्वनि है. कहानी बनाने के लिए वह स्थान जहाँ यह एक साथ जुड़ता है, वह है संपादन. कहानी कहने की परंपरा दर्शकों का ध्यान बनाए रखने के लिए कहानी को बेहतरीन तरीके से सुनाने में पनपती है. जैसा कि सभी जानते हैं कि वर्णित कहानी के कई पक्ष/दृष्टिकोण होते हैं. व्यापक तरीके से संपादन सीखने का शिल्प और पोस्ट-प्रोडक्शन के अन्य पहलुओं जैसे दृश्य प्रभाव, ध्वनि डिज़ाइन और रंग-ग्रेडिंग के संबंध में विशेषज्ञता मूल में होती है.

टेलीविजन इन-हाउस मनोरंजन (दैनिक सोप्स), मनोरंजन और सूचना (समाचार) का एक स्रोत बनने के साथ, ऑडियो-विजुअल क्षेत्र ने छलांग लगाई और संपादन के शिल्प पर अधिक ध्यान दिया गया और सराहा गया और महत्वाकांक्षी संपादकों के लिए नए अवसर खुले. समाचार और खेल चैनलों में होने वाले संपादन को ऑनलाइन संपादन और घटनाओं, कल्पना पर आधारित कार्यक्रमों के निर्माण के रूप में वर्गीकृत करने से ऑफ़लाइन संपादन प्रचलन में आ गया.

डिजिटल युग के आगमन ने एनालॉग संपादन की थकाऊ प्रक्रिया को समाप्त कर दिया. सही कौशल सेट के साथ, प्रौद्योगिकी में निपुण होने और विभिन्न प्रारूपों के लिए कथा कौशल को आत्मसात करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. इंटरनेट के आगमन और सोशल मीडिया की व्यापक पहुंच ने सभी के लिए संचार के साधनों को सीखने और इस प्रकार संपादन को मूल घटक के रूप में प्रदर्शनों की सूची में शामिल कर दिया है. इस प्रकार सौंपी गई परियोजनाओं की तुलना में कौशल को व्यवहार में लाने के बुनियादी से उन्नत तरीकों तक का व्यापक प्रशिक्षण महत्वपूर्ण हो जाता है.

किसी भी शैली, (काल्पनिक या गैर-काल्पनिक- (डॉक्यूमेंट्री, स्पॉट) की कथा पर एक मजबूत पकड़ प्राप्त करना, पात्रों के भावनात्मक विकास के लिए आवश्यक विराम और संचरण प्रदान करना, कहानी और समग्र ताल और गति का प्रबंधन, दर्शकों को उत्साह से जोड़ने के लिए ध्यान देना, यह संपादक के कार्य हैं. करनी की तुलना में कथनी आसान है किंतु विश्व सिनेमा से रचनात्मक सौंदर्यशास्त्र सीखना और अरैखिक संपादन द्वारा प्रदान किए गए आधुनिक उपकरणों तक पहुंच के लिए एक परामर्श प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. कट बिंदु के लिए स्पष्टता, प्रभावी विषयांतर और संदेश का समर्थन करने के लिए संतुलित कथा के लिए कौशल प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.

एफटीआईआई, पुणे सिलेक्ट (सेंटर इंटरनेशनेल डी लिआसन डेस इकोल्स डी सिनेमा एट डी टेलीविजन) फिल्म स्कूलों के एक अंतरराष्ट्रीय संघ, का स्थायी सदस्य है, इस संघ में 6 महाद्वीपों के 60 देशों के 149 से अधिक ऑडियो-विजुअल शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं. इसके अलावा, एफटीआईआई दुनियाभर में कई प्रसिद्ध फिल्म, टीवी और मीडिया स्कूलों- ला फेमिस, फ्रांस; एफएबीडब्ल्यू और आईएफएस कोलोन, जर्मनी; ग्रिफिथ फिल्म स्कूल, ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सहयोग करता है और हर वर्ष छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित करता है.

1961 में स्थापित, देश के प्रमुख संस्थान एफटीआईआई, पुणे ने 'संपादनÓ विशेषज्ञता में प्रशिक्षण देना शुरू किया और कई असाधारण प्रतिभाएं भी हैं जिन्होंने अपनी उपस्थिति महसूस कराई और संपादन की कला में अपनी उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की. संस्थान वर्तमान में फिल्म और टेलीविजन विशेषज्ञता में सर्वोत्तम पाठ्यक्रम प्रदान करता है.

इस पाठ्यक्रम को पास करने वाले उत्कृष्ट तकनीशियनों को (फिक्शन और नॉन-फिक्शन) के लिए राष्ट्रीय और राज्य सम्मान से सम्मानित किया गया है. स्वर्गीय रेणु सलूजा, बीना पॉल, संजीव शाह, सुरेश पई, बी अजितकुमार, अर्जुन गौरीसरिया, हेमंती सरकार, संकल्प मेशराम उनमें से कुछ हैं. भारतीय फिल्म उद्योग के कई दिग्गजों ने -एफटीआईआई पुणे में अपना प्रशिक्षण प्राप्त किया है. एफटीआईआई से संपादन पाठ्यक्रम के पूर्व छात्रों राजकुमार हिरानी, संजय लीला भंसाली, डेविड धवन ने फिल्म निर्देशन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और मनोरंजन उद्योग में उनका नाम है.

अन्य संपादक जिन्होंने राष्ट्रीय मान्यताप्राप्त की है और भारतीय फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई है, जैसे ए श्रीकर प्रसाद (संपादन के लिए कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, एंथनी, प्रवीण केएल, विवेक हर्षन, महेश नारायणन, (राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संपादकों) ने यह भी राय साझा की है कि संपादन में कॅरिअर बनाने की इच्छा रखते हुए तकनीक और सिद्धांत का व्यापक अभ्यास मायने रखता है.

वीडियो संपादन पाठ्यक्रम चलाने वाले प्रमुख संस्थान

·         भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, पुणे

·         सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान, कोलकाता

·         एम जी आर फिल्म और टेलीविजन संस्थान, अड्यार, तमिलनाडु

·         राजकीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक

·         राज्य फिल्म और टेलीविजन संस्था, रोहतक, हरियाणा

·         के आर नारायणन राष्ट्रीय दृश्य विज्ञान और कला संस्थान, कोट्टायम, केरल

·         डॉ. भूपेन हजारिका क्षेत्रीय राजकीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान, असम

·         बीजू पटनायक ओडिशा फिल्म और टेलीविजन संस्थान

·         राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान, अहमदाबाद

शैक्षिक और व्यावसायिक योग्यताएं

एफटीआईआई, पुणे और एसआरएफटीआई, कोलकाता जैसे प्रतिष्टित संस्थान टेलीविजन संपादन में 3 वर्षीय संपादन विशेषज्ञता पाठ्यक्रम और अन्य अल्पकालिक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, वे प्रवेश मानदंड के रूप में किसी भी विषय में स्नातक होने की मांग करते हैं. कई निजी संस्थान हैं जो प्लस टू/विश्वविद्यालय-पूर्व शिक्षा को मूल योग्यता के रूप में लेते हैं. हालांकि, एफटीआईआई, पुणे और एसआरएफटीआई, कोलकाता एकमात्र ऐसे संस्थान हैं जिन्हें उनके अनुमोदित पाठ्यक्रम के लिए एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त है.

राज्य के स्वामित्व वाले संस्थान जीएफटीआई (कर्नाटक), बीपीएफटीआईओ ओडिशा, एसआई-एफटीवी, रोहतक- हरियाणा, केआरएनएनआई-वीएसए (केरल), संपादन में स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम भी चलाते हैं. कई निजी संस्थानों द्वारा उन व्यक्तियों के लिए विभिन्न समय पर अंशकालिक पाठ्यक्रम (ऑफ़लाइन और ऑनलाइन) चलाए जाते हैं जो पाठ्यक्रम को अपने पेशे के रूप में नहीं बल्कि पसंदीदा व्यवसाय के रूप में लेना चाहते हैं. इनमें से कई पाठ्यक्रमों के साथ सामग्री/शिक्षण तकनीक और पूर्णता प्रमाणपत्र अलग-अलग होंगे.

कॅरिअर के अवसर

विशेषज्ञता के एक क्षेत्र के रूप में वीडियो संपादन ने अपनी संभावना का दायरा बढ़ाया है और आज इसकी शाखाएं कई क्षेत्रों में हैं. अमेज़ॅन/नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर, बेहतर कथा प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए संपादकों को स्क्रिप्ट चर्चा के दौरान टीम का हिस्सा बनाया जाता है. आज के अरैखिक मंच, कुशल कर्मियों को उनके प्रशिक्षण के बाद, गैर-फिक्शन संपादन/संगीत वीडियो/विज्ञापन आदि जैसी कई शैलियों में एक जगह बनाने के लिए अपार अवसर प्रदान करते हैं.

व्यापक कंटेंट सृजन और प्रचार-प्रसार के इस युग में, विविध सामग्री और प्रारूपों को संभालने में एक प्रशिक्षित हाथ महत्वपूर्ण है और इस प्रकार ऐसे तकनीशियनों और कंटेंट निर्माताओं की मांग भी बढ़ गई है.

आज के परिदृश्य में तकनीकी रूप से योग्य संपादक इन क्षेत्रों में अपने विकल्प ढूंढ़ता है:

1)      टेलीविजन उद्योग- समाचार/खेल/ मनोरंजन चैनल ऐसे चैनलों के साथ बड़ा दायरा प्रदान करते हैं जिनमें ऑनलाइन और ऑफलाइन-दोनों संपादन की आवश्यकता होती है. उम्मीदवारों का वेतन और स्वीकार्यता उनके अनुभव और कार्य के प्रति झुकाव पर निर्भर करती है.

2)      फिल्म प्रोडक्शन हाउस - ओटीटी प्लेटफॉर्म / (नेटफ्लिक्स / अमेज़ॅन - ट्रेलरों/ टीज़र / और अन्य प्रचार मीडिया के संपादक के रूप में)

3)      डिजिटल इमेज तकनीशियन- विभिन्न कैमरा प्रारूपों / संपादन प्रारूपों को रंग ग्रेडिंग/ डीसीपी के लिए अंतिम वितरण बिंदु की तकनीकी जानकारी के साथ कुशलता से काम करना

4)      पोस्ट-प्रोडक्शन सुपरवाइजर- पूरी पोस्ट-प्रोडक्शन एडिटिंग उत्पाद से लेकर अंतिम डिलीवरी तक पर्यवेक्षण करना.

5)      सोशल मीडिया कंटेंट हेड क्रिएटर- विभिन्न संस्थानों/फर्मों/हस्तियों के यूट्यूब और इंस्टाग्राम हैंडल के प्रबंधन में संपादन और परिष्करण तकनीकों का कुशल उपयोग.

6)      स्वतंत्र प्रोडक्शन हाउस- संगीत वीडियो/विज्ञापनों/कॉर्पोरेट फिल्मों से संबंधित कार्य.

7)      यूट्यूब चैनल/ब्लॉगिंग तकनीकी उत्पादों/ ट्रैवल पोर्टल्स/सॉफ्टवेयर प्रशिक्षण के लिए.

8)      भारत और विदेशों में काम कर रहे स्थापना कलाकारों के साथ सहयोगी और दृश्य कंटेंट निर्माता.

(लेखक भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) पुणे में फिल्म संपादन के सहायक प्रोफेसर हैं. ई-मेल: ammanoor.narayanan@gmail.com) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं