रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 15, 10-16 July 2021

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए राहत पैकेज

भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को राहत प्रदान करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है. केंद्रीय वित्त और कार्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 28 जून को घोषित उपायों का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों को आपातकालीन ज़रूरतों के लिए तैयार करना और विकास तथा रोज़गार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना है.

6,28,993 करोड़ रुपये की राशि के कुल 17 उपायों की घोषणा की गई है. इनमें पहले घोषित किए गए दो उपाय, डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी और मई से नवंबर, 2021 तक प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार शामिल है.

घोषित उपायों को मोटे तौर पर निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:-

1.       महामारी से आर्थिक राहत

2.       सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

3.       विकास और रोज़गार के लिए प्रोत्साहन

महामारी से आर्थिक राहत

घोषित 17 योजनाओं में से आठ का उद्देश्य कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों और व्यवसायों को आर्थिक राहत प्रदान करना है. स्वास्थ्य और यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्रों के पुन:उत्थान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

        i.            कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.10 लाख करोड़ की ऋण गारंटी योजना

इस नई योजना के तहत व्यवसायों को 1.1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिलेगा. इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये और पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों के लिए 60,000 करोड़ रुपये शामिल हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र के घटक का उद्देश्य कम सेवा वाले क्षेत्रों में लक्षित चिकित्सा बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है. आठ  महानगरों के अलावा अन्य शहरों में स्वास्थ्य/चिकित्सा बुनियादी ढांचे से संबंधित विस्तार और नई परियोजनाओं दोनों के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा, जबकि विस्तार के लिए गारंटी कवर 50 प्रतिशत और नई परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत रहेगा. आकांक्षी जिलों के मामले में, नई परियोजनाओं और विस्तार दोनों के लिए 75 प्रतिशत का गारंटी कवर उपलब्ध होगा. योजना के तहत स्वीकार्य अधिकतम ऋण 100 करोड़ रुपये है और गारंटी अवधि 3 वर्ष तक है. बैंक इन ऋणों पर अधिकतम 7.95 प्रतिशत का ब्याज वसूल कर सकते हैं. अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण 8.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सीमा के साथ उपलब्ध होंगे. इस प्रकार इस योजना के तहत उपलब्ध ऋण बिना गारंटी के 10-11 प्रतिशत की सामान्य ब्याज दरों की तुलना में काफी सस्ते होंगे.

      ii.            आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस)

सरकार ने मई, 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में प्रारंभ की गई आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को 1.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया है. इस योजना के तहत ईसीएलजीएस का जबरदस्त) प्रत्युत्तर रहा और इसके तहत

2.73 लाख करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई हैं, जबकि 2.10 लाख करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं. विस्तारित योजना के तहत, स्वीकार्य गारंटी और ऋण राशि की सीमा प्रत्येक ऋण पर बकाया के मौजूदा 20 प्रतिशत के स्तर से ऊपर बढ़ाने का प्रस्ताव है. उभरती जरूरतों के अनुसार क्षेत्रवार विवरण को अंतिम रूप दिया जाएगा. इस प्रकार स्वीकार्य गारंटी की कुल सीमा 3 लाख करोड़ रुपये से 4.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है.

    iii.            लघु वित्त संस्थानों के लिए ऋण गारंटी योजना

यह पूरी तरह से एक नई योजना है जिसका उद्देश्य लघु वित्त संस्थानों के नेटवर्क द्वारा सेवा प्रदान करने वाले छोटे से छोटे उधारकर्ताओं को लाभ पहुंचाना है. नए या मौजूदा एनबीएफसी-एमएफआई या एमएफआई को लगभग 25 लाख छोटे कर्जदारों को 1.25 लाख रुपये तक के ऋण के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को गारंटी प्रदान की जाएगी. बैंकों से ऋण की अधिकतम सीमा एमसीएलआर प्लस 2 प्रतिशत होगी. अधिकतम ऋण अवधि 3 वर्ष होगी, और वृद्धिशील उधार की 80 प्रतिशत सहायता को एमएफआई द्वारा उपयोग किया जाएगा. ब्याज दरें आरबीआई द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से कम से कम 2 प्रतिशत कम होंगी. यह योजना नए ऋण देने पर केंद्रित है, न कि पुराने ऋणों के पुनर्भुगतान पर. एमएफआई कर्जदारों को आरबीआई के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार जैसे कि कर्जदाताओं की संख्या, जेएलजी का सदस्य बनने के लिए कर्जदार, घरेलू आय और कर्ज की अधिकतम सीमा के अनुरूप कर्ज देंगे. योजना की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें सभी उधारकर्ता (89 दिनों तक के डिफॉल्टरों सहित) पात्र होंगे. एमएफआई/एनबीएफसी-एमएफआई को एमएलआई द्वारा वित्त पोषण के लिए प्रदान की गई राशि पर 31 मार्च, 2022 तक अथवा जारी किए गए 7,500 करोड़ रुपये की राशि के लिए गारंटी जो भी पहले हो, के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा. नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (एनसीजीटीसी) के माध्यम से 3 साल तक डिफ़ॉल्ट राशि का 75 प्रतिशत तक गारंटी प्रदान की जाएगी. योजना के तहत एनसीजीटीसी द्वारा कोई गारंटी शुल्क नहीं लिया जाएगा.

     iv.            पर्यटक गाइडों/ हितधारकों के लिए योजना

इस नई योजना का उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत लोगों को राहत प्रदान करना है. कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित क्षेत्रों के लिए नई ऋण गारंटी योजना के तहत, पर्यटन क्षेत्र के लोगों को देनदारियों का निर्वहन करने और व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी/ व्यक्तिगत ऋण प्रदान किया जाएगा. इस योजना में कुल 10,700 पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यताप्राप्त क्षेत्रीय स्तर के पर्यटक गाइड और राज्य सरकारों द्वारा मान्यताप्राप्त पर्यटक गाइड और पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यताप्राप्त लगभग 1,000 यात्रा और पर्यटन हितधारक (टीटीएस) शामिल होंगे. प्रत्येक टीटीएस 10 लाख रुपये तक का ऋण पाने के लिए पात्र होंगे जबकि प्रत्येक पर्यटक गाइड एक लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं. इसके लिए किसी प्रकार का प्रसंस्करण शुल्क नहीं होगा साथ ही फोरक्लोज़र/पूर्व भुगतान शुल्क में छूट और अतिरिक्त आनुषांगिक की कोई आवश्यकता नहीं होगी. इस योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा एनसीजीटीसी के माध्यम से संचालित किया जाएगा.

       v.            1. 5 लाख पर्यटकों को एक महीने का नि:शुल्क पर्यटक वीजा

पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह एक और योजना है. इसमें अवधारणा की गई है कि एक बार वीजा जारी होने के फिर से प्रारंभ होने के बाद, भारत की यात्रा करने वाले पहले 5 लाख पर्यटक वीजा नि:शुल्क जारी किए जाएंगे. हालांकि, प्रति पर्यटक एक बार ही लाभ मिलेगा. यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक या 5 लाख वीजा जारी होने तक, जो भी पहले हो, तक लागू रहेगी. सरकार पर इस योजना से कुल 100 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ेगा.

     vi.            आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना (एएनबीआरवाई) का विस्तार

आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना का शुभारंभ 1 अक्टूबर, 2020 को किया गया था. यह नियोक्ताओं को ईपीएफओ के माध्यम से नए रोज़गार के सृजन, रोज़गार में नुकसान की भरपाई के लिए प्रोत्साहित करती है. योजना के तहत 1000 कर्मचारियों तक की क्षमता के प्रतिष्ठान के लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अंशदान (मजदूरी का कुल 24 प्रतिशत) के लिए 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों को पंजीकरण से लेकर दो साल तक सब्सिडी प्रदान की जाती है जबकि 1,000 से अधिक कर्मचारियों की क्षमता के मामले में कर्मचारी का हिस्सा केवल (मजदूरी का 12 प्रतिशत) होता है. योजना के अंतर्गत, 18.06.2021 तक 79,577 प्रतिष्ठानों के 21.42 लाख हितग्राहियों को 902 करोड़ रुपये का लाभ दिया जा चुका है. सरकार ने योजना के तहत पंजीकरण की तिथि को 30.6.2021 से बढ़ाकर 31.03.2022 करने का निर्णय लिया है.

   vii.            डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी

डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए किसानों को हाल ही में की गई अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा का विवरण प्रस्तुत किया गया. वित्त वर्ष 2020-21 में मौजूदा एनबीएस सब्सिडी 27,500 करोड़ रुपए थी जिसे वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ाकर 42,275 करोड़ रुपए कर दिया गया है. इस प्रकार, किसानों को 14,775 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का लाभ मिलेगा. इसमें डीएपी के लिए 9,125 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी और एनपीके आधारित जटिल उर्वरक के लिए 5,650 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी शामिल हैं.

 viii.            प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत मई से नवंबर, 2021 तक नि:शुल्क खाद्यान

पिछले वित्तीय वर्ष में, कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को हुई कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने पीएमजीकेवाईके तहत 133,972 करोड़ रुपये व्यय किए थे. इस योजना का शुभारंभ पहले अप्रैल से जून 2020 की अवधि के लिए किया गया लेकिन बाद में गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस योजना को नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था. कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर, गरीबों/ कमजोर लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई 2021 में इस योजना को फिर से प्रारंभ किया गया. इसके तहत, एनएफएसए लाभार्थियों को मई से नवंबर 2021 तक पांच किलो अनाज नि:शुल्क दिया जाएगा. योजना का अनुमानित वित्तीय प्रभाव 93,869 करोड़ रुपये होगा, जिससे पीएमजीकेवाई की कुल लागत 2,27,841 करोड़ रुपये हो जाएगी.

सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/ बाल चिकित्सा बिस्तरों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त 23,220 करोड़ रुपये प्रदान किए गए.

क्रेडिट गारंटी योजना के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र को समर्थन देने के अलावा 23,220 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए एक नई योजना की भी घोषणा की गई. इस नई योजना से बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/बाल चिकित्सा बिस्तरों पर विशेष ध्यान देने के साथ अल्पकालिक आपातकालीन तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. चालू वित्त वर्ष में ही खर्च की जाने वाली योजना के लिए 23,220 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया है. योजना के तहत मेडिकल छात्रों (इंटर्न, रेजीडेन्ट, अंतिम वर्ष) और नर्सिंग छात्रों के माध्यम से अल्पकालिक मानव संसाधन वृद्धि; आईसीयू बेड की उपलब्धता बढ़ाने, केंद्रीय, जिला और उप-जिला स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने; उपकरण एवं दवाओं की उपलब्धता; टेली-परामर्श तक पहुंच; एम्बुलेंस सेवाओं को मजबूत करने; और जांच क्षमता एवं सहायक निदान में वृद्धि, निगरानी एवं जीनोम अनुक्रमण के लिए क्षमता को मजबूत करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा.

विकास और रोज़गार पर विशेष ज़ोर

सरकार ने विकास और रोज़गार के लिए प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान दिया है. इसके लिए निम्नलिखित आठ योजनाओं की घोषणा की गई:-

जलवायु अनुकूल विशिष्ट किस्में जारी

पहले उच्च उपज वाली फसल की किस्मों को विकसित करने के लिए पोषण, जलवायु अनुकूलता और अन्य विशेषताओं की ओर ध्यान नहीं दिया गया था. इन किस्मों में, महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की सांद्रता आवश्यक स्तर से काफी कम थी, और ये जैविक और अजैविक दबावों के प्रति अति संवेदनशील थी. आईसीएआर ने प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन-ए जैसे उच्च पोषक तत्वों वाली जैव-दृढ़िकृत फसल किस्मों को विकसित किया है. ये किस्में रोगों, कीटों, सूखे, लवणता और बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करने में सक्षम हैं, और जल्दी परिपक्व होती हैं और इन्हें यांत्रिक कटाई के तौर पर भी विकसित किया जाता है. चावल, मटर, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, क्विनोआ, कुट्टू, विंग्ड बीन, अरहर और ज्वार की 21 ऐसी किस्में राष्ट्र को समर्पित की जाएंगी.

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनई-आरएएमएसी) पुन:उत्थान

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरए-एमएसी) की स्थापना 1982 में पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि-बागवानी उत्पादों का लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सहायता करने के लिए की गई थी. इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में कृषि, खरीद, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है. इसमें 75 किसान उत्पादक संगठन/किसान उत्पादक कंपनियां एनईआरएएमएसी के साथ पंजीकृत हैं. इसने पूर्वोत्तर के 13 भौगोलिक संकेतक (जीआई) फसलों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है. कंपनी ने बिचौलियों/एजेंटों को दरकिनार कर किसानों को 10-15 फीसदी अधिक मूल्य प्रदान करने के लिए व्यापारिक योजना तैयार की है. इसमें उद्यमियों को इक्विटी वित्त की सुविधा के लिए जैविक खेती के लिए पूर्वोत्तर केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है. एनईआरएएमएसी को 77.45 करोड़ रुपये का पुनरुद्धार पैकेज प्रदान किया जाएगा.

राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाते (एनईआईए) के जरिए निर्यात परियोजना के लिए 33,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) ट्रस्ट जोखिम कवर का विस्तार करके मध्यम और दीर्घकालिक (एमएलटी) परियोजना निर्यात को बढ़ावा देता है. यह एक्ज़िम बैंक द्वारा दिए गए कम क्रेडिट-योग्य उधारकर्ताओं और सहायक परियोजना निर्यातकों को खरीदार के लिए क्रेडिट को कवर प्रदान करता है. एनईआईए ट्रस्ट ने 31 मार्च, 2021 तक 63 विभिन्न भारतीय परियोजना निर्यातकों द्वारा 52 देशों में 52,860 करोड़ रुपये की 211 परियोजनाओं का समर्थन किया है. एनईआईए को 5 वर्षों में अतिरिक्त कोष प्रदान करने का निर्णय लिया गया है. यह परियोजना निर्यात में अतिरिक्त 33,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने में सक्षम करेगा.

निर्यात बीमा कवर को 88,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) ऋण बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देता है. इसके उत्पाद भारत के व्यापारिक निर्यात के लगभग 30 प्रतिशत का समर्थन करते हैं. निर्यात बीमा कवर को 88,000 तक बढ़ाने के लिए ईसीजीसी में 5 वर्षों तक इक्विटी रखने का निर्णय लिया गया है.

1. डिजिटल इंडिया: भारतनेट पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रत्येक गांव में ब्रॉडबैंड के लिए 19,041 करोड़ रुपये 2,50,000 ग्राम पंचायतों में से १,56,223 ग्राम पंचायतों को 31 मई, 2021 तक सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है. भारतनेट को व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के आधार पीपीपी मॉडल में 16 राज्यों में (9 पैकेजों में समायोजित) लागू करने का प्रस्ताव है. इसके लिए अतिरिक्त 19,041 रुपये करोड़ प्रदान किए जाएंगे. इस प्रकार, भारतनेट के तहत कुल परिव्यय को बढ़ाकर 61,109 करोड़ रुपये तक किया जाएगा. यह सभी ग्राम पंचायतों और गांवों को कवर करने के लिए भारतनेट के विस्तार और उन्नयन को सक्षम करेगा.

बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के कार्यकाल का विस्तार

पीएलआई योजना पांच वर्ष की अवधि के लिए भारत में निर्मित लक्षित खंडों के तहत माल की वृद्धिशील बिक्री पर 6 प्रतिशत से 4 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करती है. प्रोत्साहन आधार वर्ष 2019-20 के साथ 01 अगस्त 2020 से लागू हैं. हालांकि, महामारी संबंधी लॉकडाउन, कर्मियों की आवाजाही पर प्रतिबंध, स्थानांतरित संयंत्र और मशीनरी की स्थापना में देरी और घटकों की आपूर्ति शृंखला में व्यवधान से उत्पादन गतिविधियों में व्यवधान के कारण कंपनियां वृद्धिशील बिक्री की स्थिति हासिल करने में असमर्थ रही हैं. इसलिए 2020-21 में शुरू की गई योजना के कार्यकाल को एक और वर्ष यानी 2025-26 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. भाग लेने वाले उद्योगों को योजना के तहत अपने उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोई भी पांच वर्ष चुनने का विकल्प मिलेगा. 2020-21 में किए गए निवेश को स्वीकार्य निवेश के रूप में गिना जाता रहेगा.

सुधार-आधारित परिणामबद्व ऊर्जा वितरण योजना के लिए ३.०३ लाख करोड़ रुपये

बुनियादी ढांचे के निर्माण, प्रणाली के उन्नयन, क्षमता निर्माण और प्रक्रिया में सुधार के लिए डिस्कॉम्स को वित्तीय सहायता की संशोधित सुधार-आधारित, परिणाम से जुड़ी बिजली वितरण योजना की घोषणा 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी. इसका उद्देश्य 'एक आकार सभी के लिए उपयुक्तÓ के स्थान पर राज्य का भी विशिष्ट हस्तक्षेप कराना है. योजना में भागीदारी पूर्व-योग्यता मानदंड जैसे लेखा-परीक्षित वित्तीय रिपोर्ट का प्रकाशन, राज्य सरकार की बकाया राशि/डिस्कॉम को सब्सिडी का अग्रिम परिसमापन और अतिरिक्त नियामक परिसंपत्तियों का निर्माण करने के आधार पर होगी. योजना के तहत 25 करोड़ स्मार्ट मीटर, 10,000 फीडर, 4 लाख किमी एलटी ओवरहेड लाइन लगाने के लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है. आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई और सौभाग्य के वर्तमान में जारी कार्यों को भी योजना में शामिल किया जाएगा. योजना के लिए कुल परिव्यय 3,03,058 करोड़ रुपये है, जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 97,631 करोड़ रुपये है. इस योजना के तहत उपलब्ध राशि सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 0.5 प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी के अतिरिक्त है जो राज्यों को अगले चार वर्षों के लिए वार्षिक रूप से उपलब्ध होगी बशर्ते कि बिजली क्षेत्र में विशिष्ट सुधार किए जाएं. इस उद्देश्य के लिए इस वर्ष उपलब्ध उधार धनराशि 1,05,864 करोड़ रुपये है.

पीपीपी परियोजनाओं और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए नई सुव्यवस्थित प्रक्रिया

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के अनुमोदन की वर्तमान प्रक्रिया लंबी है और इसमें अनुमोदन के कई स्तर शामिल हैं. पीपीपी प्रस्तावों के मूल्यांकन और अनुमोदन के लिए एक नई नीति तैयार की जाएगी और सूचना प्रौद्योगिकी को आमंत्रण के माध्यम से मुख्य बुनियादी ढांचे की संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा. नीति का उद्देश्य बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रबंधन के वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए परियोजनाओं की शीघ्र मंजूरी सुनिश्चित करना रहेगा.

घोषित आर्थिक राहत पैकेज का वित्तीय विवरण नीचे सारणी में दिया गया है

योजना

अवधि (करोड़ रुपए में)

धनराशि 

           टिप्पणी

महामारी से आर्थिक राहत

कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए ऋण गारंटी योजना

2021-22

1,10,000

 

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस)

2021-22

1,50,000

विस्तार

लघु वित्तीय संस्थानों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना

2021-22

7,500

 

पर्यटक गाइड/ हितधारकों के लिए योजना

2021-22

-

ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत शामिल

आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना का विस्तार

2021-22

-

 

डीएपी और पीएंडके उर्वरक के लिए अतिरिक्त सहायता

2021-22

14,775

 

मई से नवंबर 2021 तक पीएमजीकेवाई के तहत निशुल्क: खाद्यान

2021-22

93,869

 

स्वास्थ्य

सामाजिक स्वास्थ्य के लिए नई योजना

2021-22

15,000

योजना परिव्यय- 23,220 करोड़ रुपये; केंद्रीय हिस्सा 15,000 करोड़ रुपये

विकास और रोज़गार के लिए प्रोत्साहन

जलवायु के अनुकूल विशिष्ट किस्में जारी

2021-22

-

 

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) का पुनरुद्धार

2021-22

77

 

एनईआईए के माध्यम से निर्यात परियोजना के लिए प्रोत्साहन

2021-22  से 2025-26

33,000

 

 निर्यात बीमा कवर को प्रोत्साहन

2021-22 से 2025-26

88,000

 

भारतनेट पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रत्येक ग्राम में ब्राडबैंड

2021-22 से 2022-23 

19,041

 

बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के कार्यकाल का विस्तार

 

 

समय विस्तार

सुधार आधारित परिणाम से जुड़ी ऊर्जा वितरण योजना (बजट घोषणा)

2021-22 से 2025-26

97,631

योजना परिव्यय- 3,03,058

करोड़ रुपए; केंद्रीय अंशभागिता-

97,631 करोड़ रुपये.

कुल

 

6,28,993

 

                                                            (स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय/MYGOV)