रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


Issue no 12, 19-25 June 2021

 

कोविड-19 महामारी के दौर में रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सात प्रकार के योगाभ्यास

 

योग एक प्राचीन शारीरिकमानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर केंद्रित हैभारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5,000 वर्ष पहले अस्तित्व में आया यह सूक्ष्म विज्ञान आज अपनी जबरदस्त सांस्कृतिक शक्ति के लिए जाना जाता है जिसने दुनिया पर गहरा प्रभाव बनाए रखा है'योगशब्द संस्कृत शब्द 'युज से बना है जिसका अर्थ है जोड़नायह शारीरिक व्यायामआहार नियंत्रणसांस लेने की तकनीक और एकाग्रता का संयोजन है जो शरीर को मज़बूत करता है और मन को आराम देता हैबदले मेंयह प्रतिरक्षा में सुधार करता हैऔरस््रक्रस् ष्टशङ्क-२ वायरस के विकसित रूप से जूझ रही दुनिया मेंसावधानी बरतने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना बहुत महत्वपूर्ण है7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस परयहां सात योग अभ्यासों का हम उल्लेख कर रहे हैं जो आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ानेमनो-शारीरिक स्वास्थ्य निर्माणभावनात्मक तालमेल और रोज़मर्रा के तनाव और इसके परिणामों के व्यवस्थापन में आपकी सहायता करेंगेयह क्वारंटाइन और आइसोलेशन में कोविड-19 की मनो-सामाजिक देखभाल और पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

 

1.       प्राणायाम

नाड़ीशोधन अथवा अनुलोम विलोम

(वैकल्पिक नासिका श्वास)

प्राणायाम प्राण से बना है जिसका अर्थ है 'श्वास और अयम का नियंत्रणएक साथ जिसका अर्थ है 'श्वास का नियंत्रणप्राणायाम तीन चरणों से बनता हैपुरका (श्वास लेना)कुम्भक (श्वास रोकनाऔर रेकका (श्वास छोड़ना).

·         आरामदायक मुद्रा में बैठेंआंखें बंद करके रीढ़ और सिर को सीधा रखेंकुछ गहरी सांसों के साथ शरीर को आराम दें.

·         बाईं हथेली को ज्ञान मुद्रा में बायें घुटने पर और दाहिनी हथेली को नासाग्र मुद्रा में रखना चाहिए.

·         अनामिका और छोटी उंगलियों को बाएं नथुने पर रखें और मध्यमा और तर्जनी को मोड़ें तथा दाहिने अंगूठे को दाहिने नथुने पर रखें.

·         बाईं नासिका को खोलकर बाईं नासिका से सांस अंदर लें.

·         बाईं नासिका छिद्र को छोटी उंगली और अनामिका से बंद करें तथा दाहिने नथुने से अंगूठे को छोड़ देंदाहिनी नासिका से सांस छोड़ें.

·         इसके बाददाहिने नथुने से श्वास लेंश्वास के अंत मेंदाएं नथुने को बंद करेंबाएं नथुने को खोलें और इससे सांस छोड़ें.

·         यह नाड़ीशोधन या अनुलोम विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा करता हैअन्य 4 राउंड के लिए इसे दोहराएं.

प्राणायाम का अभ्यास करते समय श्वास धीमीस्थिर और नियंत्रित होनी चाहिएइसे किसी भी तरह से जबरदस्ती या प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिएशुरुआती लोगों के लिएसांस लेने और छोड़ने की अवधि समान होनी चाहिएधीरे-धीरे 1:2 का अनुपात (सांस लेना:सांस छोड़नाबनाएंशुरुआत में कुछ दोहराव के साथ अभ्यास शुरू करें और धीरे-धीरे दोहराव की संख्या बढ़ाएंप्रारंभिक अवस्था में रिटेंशन या होल्ड का अभ्यास न करें.

नाड़ीशोधन प्राणायाम संवेदी गतिविधि को कम और तंत्रिका (पैरासिम्पेथेटिकगतिविधि को उत्तेजित करता है तथा तनाव और चिंता को कम करता है.

उज्जयी में किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठनादोनों नथुनों से धीरे-धीरे लंबीगहरी सांस लेना शामिल है.  फुसफुसाते समय होने वाले कसाव के समान गले के पिछले हिस्से को सिकोड़कर श्वास गले और हृदय के बीच के मार्ग को बांधता है और शोर उत्पन्न करता हैइस स्तर परकुंभक का अभ्यास किया जा सकता हैइसके बाद अपनी दाहिनी नासिक छिद्र को बंद कर लें और बाईं नासिका से सांस को बाहर छोड़ेंइस प्राणायाम से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है.

भ्रामरी प्राणायामगुनगुनाते हुएनेज़ल नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ा सकता हैजो सिलिअरी एपिथेलियम में रक्त के प्रवाह में सुधार कर सकता है और एंटी-इन्फ्लेमेटरी क्रिया होती है.

2.       कपालभाति

कपालभाति में तेज़ी के साथ बार-बार श्वास छोड़ना और सांस लेना शामिल होता है.

 

  • आरामदायक मुद्रा में बैठेंअपनी आंखें बंद करें और पूरे शरीर को आराम दें.
  • दोनों नथुनों से गहरी सांस लेंछाती को फुलाएं
  • पैल्विक और पेट की मांसपेशियों के बलपूर्वक संकुचन के साथ सांस को बाहर निकालें और श्वास लेंतनाव न लें.
  • सक्रिय/बलपूर्वक सांस छोड़ना और सांस लेना जारी रखेंतेज़ी के साथ 30 सांसें पूरी करेंफिर गहरी सांस लेंधीरे-धीरे सांस छोड़ें और पूरी तरह से आराम करें.
  • यह कपालभाति का एक दौर हैप्रत्येक दौर के बाद थोड़ी देर स्थिर रहना होगाइसके दो और राउंड दोहराएं.

 

कपालभाति प्राणायाम के लिए एक उपयोगी प्रारंभिक अभ्यास श्वसन क्रिया में सुधार करता है और खांसी संबंधी विकारों को दूर करने में सहायता करता हैयह ललाट साइनस को साफ करने में भी मदद करता हैशुरुआती 20 तीव्र सांसों के 3 राउंड तक अभ्यास किया जा सकता हैइसका अभ्यास सुबह-सुबह खाली पेट करना बेहतर हैउच्च रक्तचापहृदय रोगसांस की तकलीफस्लिप डिस्कवर्टिगोमाइग्रेनहर्निया और गैस्ट्रिक अल्सर के रोगियों को यह नहीं करना चाहिएगर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान भी इस अभ्यास से बचना चाहिए.

 3.       ससकासन

ससाक का अर्थ है खरगोशइस मुद्रा में शरीर खरगोश की तरह दिखता है इसलिए इसे यह नाम दिया गया है.

 

  • वज्रासन में बैठें (बैठने का एक ऐसा आसन जिसमें रीढ़ के लंबवत व्यक्ति को अपने पैरों को अपने नितंबों के नीचे मोड़कर बैठना पड़ता है)
  • दोनों घुटनों को फैला लेंपंजों को छूएं
  • सांस भरते हुए हथेलियों को घुटनों के बीच रखें
  • सांस छोड़ते हुए बाजुओं को फैलाकर आगे की ओर झुकें और ठुड्डी को जमीन पर रखें.
  • बाजुओं को समानांतर रखेंसामने देखें और मुद्रा बनाए रखें और ऊपर की ओर लेकर जाएं.
  • वज्रासन पर वापस आएंदंडासन करें और विश्रामासान में विश्राम करें.

 

ससकासन तनाव कम करने के लिए उत्तम योग मुद्रा हैयह सिर के मुकुट को रक्त की आपूर्ति करता हैजो तनाव दूर करने में मदद करता हैयह रीढ़ की हड्डी को भी मज़बूत करता हैपीठ और कंधों को फैलाता है तथा प्रतिरक्षा और अंत:स्रावी तंत्र को उत्तेजित करता हैतेज़ पीठ दर्द की स्थिति में इस आसन से बचेंघुटनों के पुराने ऑस्टियो-आर्थराइटिस के रोगियों को वज्रासन से बचना चाहिए.

 

4.       भुजंगासन

 

  • भुजंग का अर्थ सर्प या कोबरा से हैइस आसन में शरीर को सर्प के फन की तरह ऊपर उठाया जाता हैइसलिए इसका यह नाम पड़ा है.
  • अपने पेट के बल लेट जाएंअपने सिर को अपने हाथों पर टिकाएं और शरीर को आराम दें.
  • अपने पैरों को जोड़ लें और माथा जमीन पर रखकर अपनी बाहों को फैला लें.
  • इसके बाद अपने हाथों को शरीर के ठीक बगल में रखेंहथेलियां और कोहनियां जमीन पर रखें.
  • जैसे ही आप धीरे-धीरे सांस लेते हैंहाथों की स्थिति में बदलाव किए बिना सिर और छाती को नाभि क्षेत्र तक उठाएं और आराम की मुद्रा में रहेंइसे सरल भुजंगासन कहते हैंअब वापस आकर अपना माथा जमीन पर रखेंअपनी हथेलियों को छाती के साथ रखें और अपनी कोहनियों को ऊपर उठाएं जहां पर वे हैं.
  • श्वास भरते हुए धीरे-धीरे सिर और छाती को नाभि क्षेत्र तक ऊपर उठाएंकोहनियों को समानांतर रखें और 10-30 सेकंड के साथ सामान्य श्वास के साथ मुद्रा को बनाए रखेंयह भुजंगासन है.
  • सांस छोड़ते हुए अपने माथे को ज़मीन पर टिकाएंमकरासन में वापस आएं और आराम करें.
  • यह आसन छाती के विस्तार और कार्डियोपल्मोनरी कार्यों में सुधार करता है और ब्रेन्कियल समस्याओं को दूर करने में सहायता करता हैयह तनाव को दूर करने में भी मदद करता है.

 

 

5.       उत्तान मंडुकासन

उत्तान का अर्थ है सीधे और मंडुका का अर्थ है मेंढकउत्तान मंडुकासान की अंतिम स्थिति एक मेंढक के समान होती हैइसलिए इसका यह नाम पड़ा है.

 

  • वज्रासन में बैठें.
  • दोनों घुटनों को चौड़ा करके फैलाएं और पैर के अंगूठे एक दूसरे को छू रहे हों.
  • अपने दाहिने हाथ को उठाएंकोहनी से मोड़ें और बाएं कंधे के ऊपर पीछे की ओर ले जाएं तथा हथेली को बाएं कंधे के ब्लेड पर रखेंअब इसी तरह बायें हाथ को मोड़ें और हथेली को दाहिने कंधे के ब्लेड पर रखें.
  • कुछ देर स्थिति को बनाए रखेंतब धीरे धीरे उलट क्रम में आएं
  • विश्रामासन में आराम करेंयह आसन डायफ्रामिक गतिविधियों और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है.
  • श्वासन
  • यह चित्त आराम मुद्रा है.
  • पीठ के बल लेट जाएं और हाथ तथा पैर आराम से अलग रखेंहथेलियां ऊपर की ओरआंखेंं बंद.
  • होशपूर्वक पूरे शरीर को आराम दें.
  • प्राकृतिक श्वास के प्रति जागरूक बनें और इसे धीमा तथा उथली होने देंजब तक आप तरोताजा और तनावमुक्त महसूस न करें तब तक इस स्थिति में रहेंयह आसन तनाव को दूर करने में सहायता करता है और शरीर तथा दिमाग को आराम पाने में सहायक होता हैयह पूरे साइकोफिजियोलॉजिकल सिस्टम को आराम देता हैकोविड-19 रोगियों में साथ में मनोवैज्ञानिक संकट को अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता हैकोविड-19 के मरीज होम आइसोलेशन/संगरोध के दौरान चिंता और तीव्र अवसाद के शिकार हो सकते हैं.

 

 

6.       ध्यान

ध्यान या मेडिटेशन निरंतर चिंतन की प्रक्रिया होती है.

 

  • आरामदायक मुद्रा में बैठेंअपनी रीढ़ को आराम से सीधा रखें.
  • ज्ञान मुद्रा या ध्यान मुद्रा अपनाएं
  • एक वृत्त बनाते हुए अंगूठे की नोक को तर्जनी की नोक से स्पर्श करेंअन्य तीन उंगलियां सीधी और शिथिल रखेंसभी तीनों उंगलियां अगल-बगल में और छू रही हों.
  • अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखेंहाथ और कंधे ढीले तथा शिथिल होने चाहिएअपनी आंखें बंद कर लें और थोड़ा ऊपर की ओर मुंह करके बैठ जाएं.
  • आपको ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता नहीं हैबस भौहों के बीच हल्का सा ध्यान रखें और अपनी सांसों के प्रति सचेत रहें.
  • अपने विचारों को विसर्जित करें और एकल तथा शुद्ध विचार प्राप्त करने का प्रयास करें.
  • ध्यान करें.

 

ध्यान योग अभ्यास का सबसे महत्वपूर्ण घटक हैयह कोर्टिसोल के स्तर को कम करके और अल्फा ब्रेन वेव को बढ़ाकर चिंता तथा तनाव को कम करने में सहायता करता हैयह न्यूरोएंडोक्राइन सिस्टम के कार्यों को भी संतुलित करता है जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि होती है.

 

आसन पूरे शरीर और दिमाग को फिर से जीवंत करता है और उन्हें उचित आराम देता हैध्यान आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता हैइन तकनीकों ने हल्के से मध्यम संक्रमण के साथ कोविड-19 रोगियों में लक्षणों की गंभीरता को कम करके दिखाया हैविश्व स्वास्थ्य संगठन ने ''शारीरिक गतिविधि 2018-2030 पर वैश्विक कार्य योजनाएक स्वस्थ दुनिया के लिए अधिक सक्रिय लोग में योग का अपने स्वास्थ्य में सुधार के साधन के रूप में उल्लेख किया हैैप्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा था, ''योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार हैयह मन और शरीर की एकताविचार और क्रियासंयम और पूर्तिमनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्यस्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक हैयह व्यायाम के बारे में नहीं बल्कि अपने आपको दुनिया तथा प्रकृति के साथ एकजुटता की भावना की खोज करने के लिए है और इसी भावना के साथ विश्वभर में हल साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है.

 

(संकलनअनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

(चित्रयूएन/डीपीडी)