रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 07, 15-21 May 2021

पशुधन से उद्यमिता विकास और रोज़गार सृजन

 

डॉ. राजेश कुमार

पशुधन कृषि में सहायक होने के साथ ही साथ किसानों की आमदनी दोगुनी करने में भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान परिदृश्य के अनुसार पशु कृषि की रीढ़ हैं, क्योंकि पशुओं के लिए अतिरिक्त चारा उगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, वे पूरी तरह कृषि के उप उत्पादों पर आश्रित होते हैं. इस मामले में पशु कृषि भूमि और मानव के लिए प्रतिस्पर्धी नहीं हैं. लगभग 20.5 मिलियन लोग अपनी आजीविका के साधन के लिए पशुओं पर निर्भर हैं. समस्त  ग्रामीण परिवारों के औसतन 14 प्रतिशत पशुधन ने छोटे किसान परिवारों की आमदनी में 16 प्रतिशत का योगदान दिया है. ग्रामीण आबादी का दो-तिहाई हिस्सा पशुओं के माध्यम से अपनी आजीविका प्राप्त करता है. पशु भारत की आबादी के लगभग 8.8 प्रतिशत हिस्से को रोज़गार प्रदान करते हैं. भारत के पास विशाल पशुधन संसाधन हैं.

पशुधन से प्राप्त होने वाली वस्तुएं

भोजन : इंसानों के उपभोग के लिए पशु मांस और अंडे प्रदान करते हैं, जो बाज़ार में उपलब्ध अन्य  खाद्य पदार्थों की तुलना में अत्यधिक पौष्टिक होते हैं. भारत को दुनिया में अंडों के उत्पादन के क्षेत्र में तीसरा और मांस के उत्पादन के क्षेत्र में पांचवां दर्जा प्राप्त है.

ऊन : पशु विशेषकर भेड़, बकरी और खरगोश सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली ऊन और बालों के उत्पादन में योगदान देते हैं.

भार ढोना (ड्रॉट) : भारतीय कृषि में बैल बहुत उपयोगी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-बाड़ी से जुड़े विविध कार्यों के लिए किसान अभी तक बैलों पर ही निर्भर हैं. बैलों का उपयोग करके हम काफी मात्रा में ईंधन की बचत कर सकते हैं, जो ट्रैक्टरों, कम्बाइन हार्वेस्टर्स आदि जैसी मैकेनिकल पॉवर के इस्तेमाल के लिए आवश्यक साधन हैं.

पूंजीगत संसाधन : आपात परिस्थितियों और सूखे के हालात में पशु भूमिहीन खेतीहर मजदूरों के लिए पूंजी के रूप में योगदान देते हैं.

किसानों की संपत्ति में पशुधन का योगदान

मिश्रित कृषि प्रणाली में किसानों की संपत्ति में पशु महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. पशु निम्नलिखित तरीकों से किसानों की सहायता  करते हैं:

आमदनी : पशुधन अनेक परिवारों के लिए आमदनी का जरिया है. वे बीमारों के इलाज, बच्चोंं की शिक्षा, मकान की मरम्मत आदि जैसी आपात परिस्थितियों में मांस, अंडे तथा चमड़ी, बाल और हड्डी आदि उप उत्पादों की बिक्री के माध्यम से पशुपालक किसानों को आमदनी का नियमित जरिया प्रदान करते हैं. विशेषकर मुर्गीपालन आमदनी के नियमित साधन के रूप में सहायता करता है और किसानों को आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध कराता है.

रोज़गार : भारत में अधिकांश लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित हैं. चूंकि कृषि की प्रकृति मौसमी है, इसलिए वह साल भर रोज़गार उपलब्ध नहीं करा सकती. भूमिहीन और कम भूमि वाले लोग सूखे के मौसम में अपने श्रम के उपयोग के लिए पशुओं पर निर्भर करते हैं. 

सामाजिक सुरक्षा : पोल्ट्री  फार्म्स  की स्थापना और पशुपालन उनके स्वामियों को समाज में उनकी हैसियत के संदर्भ में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हं.

उद्देश्य

  1. पोल्ट्री सहित पशुपालन क्षेत्र की संधारणीय वृद्धि और विकास.
  2. संधारणीय पशुपालन विकास के लिए जारी योजनाओं और हितधारकों के बीच समन्वय और सहक्रियता स्थापित करना.
  3. पशुओं की देसी नस्लों (गोजातीय पशुओं के अतिरिक्त, जो मंत्रालय की एक अन्य योजना के अंतर्गत कवर होते हैं) के संरक्षण और आनुवंशिक उन्नयन को सहकार्यता के साथ बढ़ावा देना.
  4. नवोन्मेषी प्रायोगिक परियोजनाओं को बढ़ावा देना तथा पशुपालन क्षेत्र से संबंधित सफल प्रायोगिक परियोजनाओं को मुख्यधारा में लाना.
  5. किसानों के उद्यमों हेतु फॉरवर्ड लिंकेज के रूप में विपणन, प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन के लिए आधारभूत संरचना और लिंकेज उपलब्ध कराना.
  6. पशुपालन से संबंधित टिकाऊ पद्धतियों, नस्लों के संरक्षण में समुदाय को शामिल करने और राज्यों के लिए संसाधन मानचित्र तैयार करने में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना.

वे संघटक जिनका वित्त पोषण किया जा सकता है और सब्सिडी की सीमा निम्नलिखित है

क्र.सं.

संघटक

सब्सिडी की सीमा

1.

पक्षियों की वैकल्पिक प्रजातियों जैसे टर्की, पक्षियों की वैकल्पिक प्रजातियों जैसे टर्की, कलहंस के लिए प्रजनन फार्म

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 7.50 लाख रुपये प्रजातियों और इकाई के आकार के अनुसार भिन्नता के साथ.

2.

केंद्रीय उत्पादक इकाइयां (सीजीयू)- प्रति  बैच 16000 तक की लेअर्स चिक्स (मुर्गियां)

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी- सब्सिडी की सीमा 10 लाख रुपये प्रति बैच 16000 लेअर्स वाली इकाई के लिए- (साल में तीन बैच) इकाई का न्यूनतम आकार - प्रति बैच 16000 लेअर्स.

3.

हाइब्रिड लेअर चिकन्स (मुर्गियां) - 20000 लेअर्स तक की इकाइयां

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 2 लाख रुपये 2000 लेअर्स वाली इकाई के लिए- आकार के अनुसार भिन्नता के साथ. इकाई का न्यूनतम आकार -2000 लेअर.

4.

हाइब्रिड ब्रायलर मुर्गी इकाइयां  - 20000  पक्षियों तक.  साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, ऑल-इन-ऑल-आउट बैच. किसी भी समय पक्षियों की संख्या 20000 पक्षियों से अधिक नहीं होनी चाहिए.

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा  0.56 लाख रुपये- 1000 ब्रायलर के एक बैच के लिए - आकार के अनुसार भिन्नता के साथ. इकाई का न्यूनतम आकार - 1000 ब्रायलर.

5.

मुर्गियों की लो-इनपुट टेक्नालॉजी किस्म और पक्षियों की वैकल्पिक प्रजातियों जैसे टर्की, बत्तख, जापानी बटेर, गिन्नी कुक्कुट और कलहंस का पालन

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 5 लाख रुपये, प्रजातियों की किस्मों और इकाई के आकार के अनुसार भिन्नता के साथ.

6.

चारा मिश्रण इकाइयां (एफएमयू)- 1.0 टन प्रति घंटा. रोग जांच प्रयोगशाला (डीआईएल) 

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 4 लाख रुपये.

 

उप-संघटक- जुगाली करने वाले छोटे पशुओं (रुमिनैंट) और  खरगोशों का समेकित विकास (आईडीएसआरआर) ईडीईजी

क्र.सं.

संघटक

सब्सिडी की सीमा

1.

10 भेड़/मादा + 1 भेड़ा/हिरण वाली वाणिज्यिक इकाइयां

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 12,500 रुपये/10/भेड़/मादा + 1 भेड़ा/हिरण वाली न्यूनतम आकार की इकाई (अधिकतम 4 इकाइयां)

2.

100 भेड़/मादा + 5 भेड़ा/हिरण वाले प्रजनन फार्म

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 2,50,000/ रुपये 100 भेड़/मादा +  5 भेड़ा/हिरण वाली न्यूनतम और अधिकतम आकार की इकाई  

3.

15 मादा + 5 नर वाली वाणिज्यिक खरगोश/अंगोरा इकाइयां

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 75,000/ रुपये 15 मादा + 5 नर वाली  न्यूनतम और अधिकतम आकार की इकाई

4.

15 मादा + 5 नर वाले खरगोश/ अंगोरा प्रजनन फार्म

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 75,000/ रुपये 15 मादा + 5 नर वाली  न्यूनतम और अधिकतम आकार की इकाई

 

उप-संघटक - शूकर विकास – ईडीईजी

क्र.सं.

संघटक

       सब्सिडी की सीमा

1.

वाणिज्यिक पालन इकाइयां

(3 सूअरी + 1 सूअर)

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 25,000/- रुपये - न्यूनतम 3 सूअरी + 1 सूअर आकार वाली इकाई (अधिकतम 4 इकाइयां)

2.

शूकर प्रजनन फार्म

(20 सूअरी + 4 सूअर)

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी-सब्सिडी की सीमा 2,00,000/-  रुपये न्यूनतम और अधिकतम आकार वाली इकाई 20 सूअरी+ 4 सूअर

3.

प्रशीतन की सुविधा सहित रिटेल पोर्क आउटलेट्स

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा  3,00,000/- रुपये

 

 

उप-संघटक - भैंस के नर बछड़ों को नुकसान से बचाना - ईडीईजी

क्र.सं.

संघटक

सब्सिडी की सीमा

1.

लघु इकाइयां : भैंस के नर बछड़ों का पालन - 25 बछड़ों तक

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 6,250/- रुपये प्रति बछड़ा. इसका कार्यान्वयन नाबार्ड द्वारा किया जाएगा. लाभार्थी को सब्सिडी तथा निर्धारित लाभार्थी अंश को घटाकर परियोजना की कम से कम 5० प्रतिशत लागत के दाम पर बैंक से ऋण लेना होगा.

2.

वाणिज्यिक इकाइयां : एक ही स्थान पर 25 बछड़ों से अधिक,  200 बछड़ों तक भैंस के नर बछड़ों का पालन

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 1,50,000/- रुपये प्रति 25 बछड़े (एक ही स्थान पर जू कैफ की दर पर. प्रति बछड़ा 6,000/- रुपये) इसका कार्यान्वयन नाबार्ड द्वारा किया जाएगा. लाभार्थी को सब्सिडी तथा निर्धारित लाभार्थी अंश को घटाकर परियोजना की कम से कम 50 प्रतिशत लागत के दाम पर बैंक से ऋण लेना होगा.

3.

औद्योगिक पालन इकाइयां :  एक ही स्थान पर 200  बछड़ों से अधिक,  2000 बछड़ों तक, भैंस के बछड़ों का पालन

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 6,25,000/- रुपये प्रति 200 बछड़े (प्रति बछड़ा 3,125/- रुपये की दर पर). इसका कार्यान्वयन एपिडा द्वारा किया जाएगा और सब्सिडी नाबार्ड के माध्यम से प्रदान की जाएगी. लाभार्थी को सब्सिडी तथा निर्धारित लाभार्थी अंश को घटाकर परियोजना की न्यूनतम 5० प्रतिशत लागत के दाम पर बैंक से ऋण लेना होगा.

 

उप-संघटक- पशु खाद्य और चारे के लिए भंडारण सुविधा का निर्माण

क्र.सं.

संघटक

सब्सिडी की सीमा

1.

पशु खाद्य और चारे के लिए भंडारण ढांचा (कम से कम 1000 एसीयू)

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 125 लाख रुपये

2.

पशु खाद्य/चारे की हैंडलिंग के लिए उपकरण

25 प्रतिशत के स्तर पर सब्सिडी - सब्सिडी की सीमा 25 लाख रुपये

नोट : यह  स्रोत पशुपालन एवं डेयरी विभाग, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्रालय, भारत सरकार के दिनांक 26 अप्रैल, 2019 के पत्र संख्या- 99- 6/2018/NLM/Adm.Approval के अनुसार है.

पात्र लाभार्थी

  1. किसान, वैयक्तिक उद्यमी और असंगठित और संगठित क्षेत्रों के समूह. संगठित क्षेत्र के समूह में अपने सदस्यों की ओर से स्व-सहायता समूह, डेयरी सहकारी समितियां, अपने सदस्यों की ओर से दुग्ध संघ, दुग्ध महा संघ, पंचायती राज संस्थाएं (पीआरआई) आदि इस योजना के अंतर्गत पात्र हैं. 
  2. योजना के अंतर्गत एक आवेदक सभी संघटकों के लिए सहायता प्राप्त करने का हकदार होगा, लेकिन प्रत्येक संघटक के लिए केवल एक बार. 
  3. योजना के अंतर्गत परिवार के एक सदस्य से ज्यादा को सहायता दी जा सकती है, बशर्ते कि वे अलग-अलग स्थानों पर पृथक अवसंरचना के साथ पृथक इकाइयां लगाएं.  ऐसे दो फॉर्म्स के बीच कम से कम 500 मीटर का फासला होना चाहिए.
  4. योजना के अंतर्गत पुनर्वित्त सहायता के लिए पात्र वित्तीय संस्थाएं
  5. वाणिज्यिक बैंक
  6. क्षेत्रीय, ग्रामीण और शहरी बैंक
  7. राज्य सहकारी बैंक
  8. राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक
  9. ऐसी अन्य संस्थाएं जो नाबार्ड से पुनर्वित्त सहायता के लिए पात्र हैं 

 

(लेखक पशु पोषण विभाग, स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान में टीचिंग एसोसिएट हैं, ईमेल: rajeshkumarmahla46@gmail.com 

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.

(चित्र: गूगल के सौजन्य से)