रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Issue no 05,01-07 May 2021

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर

वी. मोहन राव

सरकार ने लोगों की समस्याएं दूर करने के लिये अभूतपूर्व कदम उठाये हैं, विशेष कर प्रवासी कामगारों की समस्या, जिन्हें कोरोना महामारी के कारण अनेक संकटों का सामना करना पड़ा, कुछ को तो आजीविका की तलाश में जान से भी हाथ धोना पड़ा. श्रम मंत्रालय ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों और प्रवासी मजदूरों के लिये उनके आधार कार्ड से जुड़ा राष्ट्रीय डेटा बेस तैयार करने का प्रस्ताव किया है.

वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के फैलाव और उसके बाद लागू पूर्णबंदी का भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ा. कोविड के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों को अपने गांव वापस लौटना पड़ा. सरकार ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य सामने रखा है जो अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, सक्रिय जनसांख्यिकी और युवाओं के लिये रोज़गार सृजित करने की मांग पर आधारित है.

राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक आयोग:- नीति आयोग ने देश में प्रवासी श्रमिकों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने के लिये एक उप-समूह गठित किया है. केंद्र ने अंतरराज्य प्रवासी श्रमिक (रोज़गार और सेवा स्थिति नियमन) अधिनियम, 1979 लागू किया था. यह अधिनियम अब पेशेगत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियां संहिता, 2020 में शामिल कर दिया गया है. यह संहिता उत्तम कार्य स्थितियां, न्यूनतम पारिश्रमिक, शिकायत निपटान व्यवस्था, दुर्व्यवहार और शोषण से सुरक्षा, कौशल विकास तथा प्रवासी श्रमिकों सहित संगठित और असंगठित सभी श्रेणी के कामगारों के लिये सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान करती है.

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार अभियान:- सरकार ने कोविड-19 के कारण अपना रोज़गार छोड़कर लौटने वाले प्रवासी कामगारों और गांवों मे ऐसे ही प्रभावित लोगों के लिये रोज़गार और आजीविका के अवसर बढ़ाने के लिये 50,000 करोड़ रुपये के संसाधन से 125 दिन के गरीब कल्याण रोज़गार अभियान की शुरुआत 20 जून 2020 को की. इस अभियान का उद्देश्य मुसीबत में पड़े लोगों को तुरंत रोज़गार और आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना, गांवों को सार्वजनिक बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना और आय अर्जित करने वाली गतिविधियां बढ़ाने के लिये आजीविका के अवसर सृजित करना तथा कुछ राज्यों में लंबी अवधि के आजीविका अवसर बढ़ाना है. अभियान के दौरान 39,293 करोड़ रुपये के व्यय से कुल 50.78 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित किये गये.

आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना (एबीआरवाई) यह योजना सामाजिक सुरक्षा लाभों के साथ नये रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने और कोविड-19 महामारी के दौरान बंद हो गये रोज़गार को फिर बहाल करने के उद्देश्य से पहली अक्तूबर 2020 से लागू की गयी है.

इस य़ोजना के तहत, 15000 हजार रुपये मासिक से कम पारिश्रमिक पाने वाला कर्मचारी, जो 1 अक्तूबर 2020 से पहले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से पंजीकृत किसी प्रतिष्ठान  में काम न करता रहा हो और जिसके पास 1 अक्तूबर 2020 से पहले यूनिवर्सल खाता संख्या या ईपीएफ सदस्य खाता संख्या न हो, लाभ के लिये पात्र होंगे.

इसके अलावा यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित विभिन्न सेक्टर/उद्योगों के नियोक्ताओं का वित्तीय बोझ भी कम करेगी और उन्हें अधिक श्रमिक रखने के लिये प्रोत्साहित करेगी. एबीआरवाई के अंतर्गत केंद्र भुगतान योग्य अंशदान में कर्मचारी का हिस्सा (पारिश्रमिक का 12 प्रतिशत) और नियोक्ता का हिस्सा (पारिश्रमिक का 12 प्रतिशत) दोनों या केवल कर्मचारी का हिस्सा उपलब्ध करा रहा है.

गरीब कल्याण रोजगार अभियान:- कोविड-19 फैलने के कारण गांवों में वापस लौटने वाले प्रवासी कामगारों के लिये रोज़गार और आजीविका अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र ने 20 जून 2020 को गरीब कल्याण रोज़गार अभियान की शुरुआत की है. यह टिकाऊ ग्रामीण बुनियादी ढांचा सुविधायें और गांवो में इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाय़ें मुहैया कराने पर ध्यान देता है.

दीनदयाल अंत्योदय योजना:- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय लाभकारी स्वरोज़गार और कुशल पारिश्रमिक रोज़गार अवसरों तक पहुंच बढ़ाकर शहरी निर्धन परिवारों की गरीबी दूर करने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित योजना - दीनदयाल अंत्योदय योजनाराष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन लागू कर रहा है.

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), स्व-रोज़गार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा शुरू की गयी है. इसके तहत किसी प्रकार के रेहन से मुक्त 10 लाख रुपये तक का ऋण, सूक्ष्म और लघु उद्यमों और व्यक्तियों को उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकें य़ा मौजूदा व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ा सकें.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की प्रमुख योजना है. इस कौशल प्रमाणन योजना का उद्देश्य भारतीय युवाओं की बड़ी संख्या को उद्योग संबंधी कौशल प्रशिक्षण लेने में सक्षम बनाना है जो उन्हें बेहतर आजीविका प्राप्त करने में मदद कर सके और उनकी रोज़गार और स्वरोज़गार संबंधी जरूरतें पूरी कर सके. इन पहलों के अलावा मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना, सबके लिये आवास, अवसंरचना विकास और औद्योगिक गलियारा जैसे प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों में भी उत्पादक रोज़गार अवसर सृजित करने की क्षमता है. केंद्र ने राष्ट्रीय कॅरियर सेवा परियोजना भी लागू की है जो एक डिजिटल पोर्टल के माध्यम से रोज़गार ढूंढने वालों और रोज़गार देने वाले नियोक्ताओं के लिये जॉब मैचिंग का एक कुशल राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है.

प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना:- सरकार ने लगभग 50 लाख रेहड़ी पटरी वालों को अपना रोज़गार फिर शुरू करने के लिये एक वर्ष की अवधि के लिये 10,000 रुपये तक का रेहन मुक्त पूंजी ऋण सुविधा देने के लिये इस योजना की शुरुआत की है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने बाजार अर्थव्यवस्था को गति देने और रोज़गार स्तर बढ़ाने के लिये अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के उपाय भी किये हैं.

ईएसआई निगम की अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना बीमित लोगों को बेरोजगारी की आकस्मिक स्थिति में नकद मुआवजे के रूप में राहत उपलब्ध कराती है.

श्रम मंत्रालय ने राज्य कल्याण बोर्डों को श्रमिकों को वस्तुएं या घर के सामान नहीं देकर, इसके बदले सीधे उनके बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) से मौद्रिक सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. नकदी के रूप में धन अंतरण तुरंत आदेश से पूरी तरह रोक दिया गया है और कोई भी मौद्रिक सहायता अनिवार्य रूप से डीबीटी के जरिये देने का निर्देश दिया गया है. यह आदेश वस्तुओं के वितरण पर भी प्रतिबंध लगाता है. यह स्पष्ट करता है कि प्राकृतिक आपदा, महामारी, आग हादसा, व्यवसायगत दुर्घटनाओं या ऐसे अन्य संकटों जैसी असामान्य परिस्थितियों को छोड़कर कोई भी लाभ वस्तुओं के रूप में उपलब्ध नहीं कराया जा सकता और यह भी केवल राज्य सरकार की पूर्व अनुमति पर ही. श्रम मंत्रालय ने 24 मार्च 2020 को सभी राज्यों को परामर्श जारी कर प्रभावित भवन और अन्य निर्माण (बीओसी) श्रमिकों को कल्याण कोष से डीबीटी के जरिये वित्तीय सहायता मुहैया कराने को कहा है. अधिकांश राज्य कल्याण बोर्डों ने पंजीकृत श्रमिकों को एक हजार से छ: हजार रुपये तक का अनुदान दिया है. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राज्य कल्याण बोर्डो ने लगभग 1.83 करोड़ निर्माण श्रमिकों को 5618 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी के जरिये उनके बैंक खातों में अंतरित की है.

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन द्वारा वर्ष 2017-18 में कराये गये आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार देश के संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में कुल रोज़गार लगभग 47 करोड़ था.

इसमें से लगभग 9 करोड़ श्रमिक संगठित क्षेत्र में और बाकी 38 करोड़ असंगठित क्षेत्र में लगे थे. श्रमिकों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जैसे 10 या अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठान की श्रेणी, 20 या अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठान की श्रेणी और असंगठित क्षेत्र में लगे श्रमिकों की श्रेणी. ईएसआई अधिनियम,1948 ईएसआई अधिसूचित क्षेत्रों में स्थित तथा दस या अधिक लोगों को रोज़गार देने वाली सभी फैक्ट्रियों और अधिसूचित प्रतिष्ठानों पर लागू होने वाला सामाजिक सुरक्षा कानून है और यह असंगठित क्षेत्र पर लागू नहीं होता. 21,000 रुपये प्रतिमाह तक अर्जित करने वाले कर्मचारी, दिव्यांग जन के मामले में 25,000 रुपये प्रतिमाह तक पाने वाले, ईएसआई योजना के तहत आते हैं और ईएसआई अधिनियम 1948 के तहत उपलब्ध सभी लाभ पाने के पात्र हैं. मौजूदा समय में ईएसआई योजना 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 575 जिलों तक लागू होती है. इस योजना के तहत आने वाले कुल बीमित व्यक्तियों की संख्या 31 मार्च 2020 को 3.41 करोड़ थी और कुल लाभार्थियों की संख्या 13.24 करोड़. 20 या अधिक कामगारों वाले संगठित क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ तीन स्कीमों के जरिये प्रदान किया जाता है - कर्मचारी भविष्य निधि योजना,1952; कर्मचारी पेंशन योजना 1995 और कर्मचारी जमा लिंक्ड बीमा योजना, 1976.    नियोक्ताओं और कर्मचारी दोनों, भविष्य निधि में पारिश्रमिक के 12 प्रतिशत की दर में अंशदान करते हैं. इसमें से 8.33 प्रतिशत राशि पेंशन कोष में डाल दी जाती है. वर्ष 2019-20 के दौरान इस योजना के तहत कुल 4.89 करोड़ सदस्यों ने अंशदान किया. असंगठित क्षेत्र में लगे कामगारों के लिये सामाजिक सुरक्षा लाभ अंसगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 के माध्यम से दिया जाता है. यह केंद्र को असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये, जीवन और दिव्यांगता कवर, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा और केंद्र द्वारा तय किसी अन्य लाभ के मामले में समुचित कल्याण योजनाएं बनाकर सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के लिये अधिकृत करता है. राज्यों को भी आवास, भविष्य निधि, शैक्षिक योजनायें, कौशल उन्नयन, वृद्धाश्रम इत्यादि के लिये समुचित कल्याण योजनाय़ें बनाने के लिये अधिकृत किया गया है. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के माध्यम से जीवन और दिव्यांगता सुरक्षा प्रदान की जाती है. इन योजनाओं के तहत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये किसी भी कारण से मृत्यु और स्थायी दिव्यांगता पर 2 लाख रुपये, आंशिक दिव्यांगता पर 1 लाख रुपये और दुर्घटना के कारण मृत्यु पर 4 लाख रुपये का प्रावधान है. 30 दिसंबर 2020 तक प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत कुल 9.70 करोड़ लोग और पीएम सुरक्षा बीमा योजना के तहत 21.87 करोड़ लोग नामांकित किये जा चुके थे.

आयुष्मान भारत योजना:- स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कवर किया जाता है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से कार्यान्वित एक यूनिवर्सल स्वास्थ्य योजना है. वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेशेगत और अभाव मानदंडो के आधार पर पात्र लाभार्थी परिवारों की संख्या 10.74 करोड़ है. बाद में आयुष्मान भारत योजना के विस्तार से 65 करोड़ लोग इसके तहत शामिल परिवारों के दायरे में आ गये.

प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना:- व्यापारी, दुकानदार और स्वनियोजित लोगों सहित असंगठित क्षेत्र के कामगारों को वृद्धावस्था सुरक्षा प्रदान करने के लिये सरकार ने दो प्रमुख योजनाएं लागू की हैं - प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (पीएम- एसवाईएम) तथा व्यापारियों, दुकानदारों और स्वनियोजित लोगों के लिये राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस-ट्रेडर्स). इन योजनाओं के तहत लाभार्थी 60 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के बाद कम से कम 3000 रुपये की निश्चित मासिक पेंशन प्राप्त करने के पात्र हैं. 18-40 आयु वर्ग के कामगार जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है पीएम-एसवाईएम योजना में शामिल हो सकते हैं तथा 1.5 करोड़ रुपये से नीचे के वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी, दुकानदार और स्व नियोजित लोग एनपीएस- ट्रेडर्स योजना में आ सकते हैं. ये स्वैच्छिक और अंशदान आधारित योजनाएं हैं और मासिक अंशदान, लाभार्थी के योजना में शामिल होने की उम्र के आधार पर, 55 से 200 रुपये के बीच होगा. दोनों योजनाओं में 50 प्रतिशत मासिक अंशदान लाभार्थी द्वारा और इतना ही केंद्र द्वारा किया जाता है. ये दोनों योजनायें देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित की जा रही हैं. 28 फरवरी 2021 तक लगभग 44.90 लाख लोग प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना से और 43,700 व्यापारी राष्ट्रीय पेंशन योजना से लाभान्वित हो चुके थे.

अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना:- अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा दो वर्ष की अवधि के लिये शुरुआती आधार पर 1 जुलाई 2018 से लागू की गयी थी. इसका उद्देश्य बेरोज़गार हो जाने वाले बीमित व्यक्ति को राहत उपलब्ध कराना है. इस योजना के तहत औसत प्रतिदिन आय के 25 प्रतिशत तक नकद मुआवजे के रूप में राहत राशि का भुगतान अधिकतम 90 दिन की बेरोज़गारी तक किया जाता है यदि कर्मचारी ने बीमित रोजगार की दो वर्ष की अवधि पूरी कर ली हो और राहत के लिये दावे से ठीक पहले लगातार चार अंशदान अवधियों में प्रत्येक में कम से कम 78 दिन का अंशदान किया हो. योजना की शुरुआत से लेकर 18 मार्च 2021 तक कुल 43,299 लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला है और 57.18 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है. इस योजना को जुलाई 2020 से जून 2021 तक बढ़ा दिया गया है. कोविड-19 महामारी के दौरान बेरोज़गार हो जाने वाले बीमित लोगों को लाभ मुहैया कराने के लिये राहत दर बढ़ा दी गयी है और 24 मार्च 2020 के बाद बेरोजगार हुए लोगों के लिये पात्रता शर्तों मे भी रियायत दी गयी है. सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान ईपीएफ स्कीम में महिला अंशदाताओं की संख्या में लगभग 9.27 लाख, न्यू पेंशन स्कीम में 1.13 लाख महिला अंशदाता और कर्मचारी राज्य बीमा योजना में लगभग 2.03 लाख महिला अंशदाताओं की बढ़ोतरी हुई है. कोविड महामारी के बावजूद मौजूदा वित्तीय वर्ष में ईपीएफओ में लगभग 62.49 लाख अंशदाता बढ़े हैं.

 

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम:- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम लागू कर रहा है. यह ऋण से जुड़ा एक प्रमुख सबसिडी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य पारंपरिक शिल्पियों और बेरोज़गार युवाओं को मदद देकर गैर कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यम लगाकर स्व रोज़गार के अवसर सृजित करना है.

पत्रकारों के सेवा शर्त विनियम - श्रमजीवी पत्रकार और अन्य समाचार पत्र कर्मी (सेवा शर्तें) और विविध प्रावधान अधिनियम,1955 के दायरे में पत्रकार और गैर पत्रकार समाचार पत्र कर्मियों के लिये रोज़गार और सेवा शर्त विनियम आते हैं. अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्य अवधि, अवकाश नियम और पारिश्रमिक की संशोधित दरों से संबंधित मुद्दे आते हैं, वेतन बोर्ड के गठन का मुद्दा भी इसमें शामिल है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय पत्रकारों और उनके परिवारों को अत्यधिक कठिनाई में या पत्रकार की मृत्यु की स्थिति में और स्थायी दिव्यांगता, घातक रोग और दुर्घटना में लगी गंभीर चोट, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी हो गया हो, जैसी स्थिति में अनुग्रह राहत के लिये 'पत्रकार कल्याण योजना लागू करता है.

महिलाओं का रोज़गार:- सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा 2017-18 और 2018-19 में कराये गये आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण परिणामों के अनुसार देश में 15 वर्ष और अधिक की सामान्य स्थिति पर अनुमानित महिला बेरोज़गारी दर क्रमश: 5.6 प्रतिशत और 5.1 प्रतिशत है. सरकार ने श्रम बल में महिला भागीदारी बढ़ाने के लिये कई पहल की हैं. उनके रोज़गार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महिला कामगारो के लिये अनुकूल माहौल बनाने के लिये श्रम कानून में कई सुरक्षात्मक प्रावधान शामिल किये गये हैं.

कृषि और पर्यटन क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर:- सरकार विभिन्न केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय योजनाओं के जरिये कृषि क्षेत्र की प्रगति और विकास को बढ़ावा दे रही है. सभी योजनाओं का उद्देश्य किसानों को लाभ पंहुचाना और कृषि आधारित रोज़गार को बढ़ावा देकर उनके लिये आजीविका के अवसर सृजित करना है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि कल्याण योजना के तहत नवाचार और कृषि उद्यमिता नाम से एक नया घटक शामिल किया है जिसका उद्देश्य कृषि और सहयोगी क्षेत्रों में स्टार्ट-अप उद्यमों को बढ़ावा देकर इनका कायाकल्प करना और रोजगार के अवसर सृजित करना है.

सरकार छोटे किसानों के कृषि व्यवसाय संकुलों के माध्यम से उपक्रम पूंजी सहायता योजना के जरिये कृषि आधारित व्यवसायों को बढ़ावा दे रही है. योजना के तहत 500 लाख रुपये की परियोजनाओं के लिये ब्याज मुक्त ऋण के रूप में सहायता बढ़ाकर प्रमोटर की इक्विटी के 26 प्रतिशत तक या कृषि उद्यमी के लिये 50 लाख रुपये तक, जो भी कम हो, कर दी गयी है.

पर्यटन मंत्रालय ने देश में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने और बदले में रोज़गार के अवसर सृजित करने के लिये अनेक उपाय किये हैं - जैसे थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित कर स्वदेश दर्शन योजना, प्रमुख तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के लिये राष्ट्रीय तीर्थस्थल  तथा आध्यात्मिक और धरोहर स्थल विकास (प्रशाद) योजना मिशन, धरोहरों स्थलों, स्मारकों और अन्य पर्यटन स्थलों के विकास और रखरखाव की परियोजना और अतुल्य भारत पर्यटन सुविधा कार्यक्रम इत्यादि. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) का शुभारंभ सरकार द्वारा स्व रोज़गार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है. इस योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का रेहन मुक्त ऋण सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और लोगों को अपना उद्यम लगाने या व्यापारिक गतिविधियां विस्तारित करने के लिये दिया जाता है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.

(चित्र: गूगल के सौजन्य से)