रोज़गार समाचार
सदस्य बनें @ 530 रु में और प्रिंट संस्करण के साथ पाएं ई- संस्करण बिल्कुल मुफ्त ।। केवल ई- संस्करण @ 400 रु || विज्ञापनदाता ध्यान दें !! विज्ञापनदाताओं से अनुरोध है कि रिक्तियों का पूर्ण विवरण दें। छोटे विज्ञापनों का न्यूनतम आकार अब 200 वर्ग सेमी होगा || || नई विज्ञापन नीति ||

संपादकीय लेख


अंक संख्या 44 , 29 जनवरी -04 फरवरी 2022

कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करना

भारत, शत-प्रतिशत टीकाकरण की दिशा में तेजी से बढ़ते हुए, कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में विश्व में अग्रणी देश के रूप में उभरा है. राष्ट्रव्यापी कोविडरोधी टीकाकरण अभियान के शुरू होने के एक साल बाद, 16 जनवरी तक भारत में 157 करोड़ खुराक दी जा चुकी थीं. ये खुराक लेने वाले लोगों में से 93 प्रतिशत 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं. इनमें से 70 प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी हैं. अब 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों को भी यह टीका लगाया जा रहा है. इसके अलावा, भविष्य में ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने के लिए, सरकार ने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत एक विशाल परियोजना शुरू की है. इस मिशन के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई गई है. भारत सरकार के  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव,

श्री लव अग्रवाल ने भूपेंद्र सिंह के साथ रोज़गार समाचार के लिए साक्षात्कार में, नए वेरिएंट-ओमिक्रोन सहित कोरोना संक्रमण से निपटने और स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी योजनाओं के बारे में सरकार की कार्यनीति  पर विस्तार से बातचीत की.

प्रश्न: यह देखा गया है कि कोविड के पिछले वायरस की तुलना में ओमिक्रोन वेरिएंट अधिक तेज़ी से फैलता है, हालांकि अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या कम है, तो मंत्रालय ने इस नई चुनौती से निपटने के लिए अपनी कार्यनीति को कैसे पुनर्निर्मित किया है?

लव अग्रवाल: मैं इस तथ्य को उजागर करना चाहता हूं कि ओमिक्रोन वेरिएंट को अत्यधिक संक्रामक पाया गया है, साथ ही, इसकी ऊष्मायन अवधि कम होती है, जिसका अर्थ है कि यदि आप संक्रमित हैं तो इससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है. हालांकि, लक्षण की शुरुआत जल्दी और हल्की भी होती है. इसे ध्यान में रखते हुए और दुनिया के साथ-साथ भारत के सभी उपलब्ध साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, हम पांच सिद्धांतों - परीक्षण, ट्रैक, उपचार, टीकाकरण और कोविड उपयुक्त व्यवहार के पालन पर आधारित अपनी पहले से जारी कार्यनीति पर भरोसा करते हैं. ये सिद्धांत इस वेरिएंट के लिए और यहां तक कि कोविड-19 प्रबंधन के समग्र ढांचे के भीतर भी लागू होते हैं.

हमारे लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि चूंकि अधिकांश मामले हल्के होंगे और तथ्य यह है कि यह एक अत्यधिक संक्रामक वेरिएंट है, यह महत्वपूर्ण है कि हम कन्टेनमेंट पहलुओं को प्राथमिकता दें और जहां भी आवश्यक हो इन सिद्धांतों का पालन करें क्योंकि वायरस अपने आप संक्रमित नहीं करता है, यदि आप इसे संक्रमित करने का अवसर प्रदान करते हैं तो ही यह संक्रमण फैलाता है. इसलिए, यदि हम रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करते हैं और वायरस को दूसरों को संक्रमित नहीं करने देते हैं, तो हम देश के भीतर मामलों की संख्या को काफी हद तक कम कर देंगे. दूसरा, इस तथ्य को देखते हुए कि संक्रमण हल्का है, ऐसी स्थिति होगी जहां बड़ी संख्या में रोगियों को होम आइसोलेशन की आवश्यकता होगी. ऐसे में हमें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि होम आइसोलेशन प्रोटोकॉल का ठीक से पालन हो रहा है या नहीं. तीसरा, कुछ रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए, उस हद तक, हम अपने नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल को संशोधित करेंगे, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को उन्नत करेंगे और यह देखेंगे कि हम उन सभी मामलों का प्रबंधन करने में सक्षम हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है. चौथा और सबसे महत्वपूर्ण पहलू है - सामुदायिक सहयोग, सामुदायिक जागरूकता और समुदाय के भीतर सतर्कता. चूंकि यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है, इसलिए हमें कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता है. इसके अंतर्गत मुख्य रूप से मास्क के उपयोग और दो गज की दूरी के पालन को अपनी 'नई सामान्यÓ जीवनशैली के रूप में शामिल करना आवश्यक है.

प्रश्न: महामारी की पहली तथा दूसरी लहर से निपटने के साथ-साथ टीकाकरण अभियान के दौरान, केंद्र और राज्य प्रशासन के बीच बड़े पैमाने पर डेटा साझा किया गया था. यह डेटा, नए नीति दिशानिर्देशों को तैयार करने में कितना मददगार रहा है?

लव अग्रवाल: दरअसल, इस देश में संपूर्ण कोविड-19 प्रबंधन, मुख्य रूप से डेटा संचालित रहा है. जब से दुनियाभर में कोविड महामारी शुरू हुई, हमने कोविड-19 पोर्टल बनाया, जिसके माध्यम से हमने जिलों और राज्यों से आए डेटा को एकत्र किया. इस डेटा से हमें देशभर में मामलों की स्थिति को समझने में मदद मिली. जब हम उस डेटा को बड़े पैमाने पर समुदाय को भी प्रदान करते हैं, तो हम उन जगहों को उजागर करने में सक्षम होते हैं जहां मामले सबसे अधिक बढ़ रहे हैं और हम अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि  इन स्थानों पर  रोकथाम और अन्य उपायों के संदर्भ में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई करने की आवश्यकता है. इसी तरह, डेटा से हमें यह समझने में सहायता मिलती है कि, यदि मृतकों की संख्या बढ़ रही है, तो इसका कारण संक्रमित लोगों के होम आइसोलेशन में देरी होना तो नहीं, यदि ऐसा हो तो  हम अपने निगरानी तंत्र का अधिक सख्ती से पालन करते हैं. इसी तरह, नैदानिक पक्ष से डेटा हमें यह समझने के लिए विवरण प्रदान करता है कि नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल में क्या अतिरिक्त परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है तथा किस प्रकार की दवाएं उपयोगी हो सकती हैं और हमारा राष्ट्रीय कार्यबल नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल को परिभाषित करने में उन विवरणों को ध्यान में रखता है.

प्रश्न: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल में होम आइसोलेशन के प्रोटोकॉल में संशोधन किया है. संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

लव अग्रवाल: होम आइसोलेशन दिशानिर्देशों को हाल में संशोधित किया गया है और अगर मैं सबसे महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करना चाहता हूं, तो कहूंगा कि केवल हल्के या बिना लक्षण की चिकित्सा स्थिति वाले लोग ही होम आइसोलेशन में रहें. यदि आपको मध्यम या गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है.

तो, ऐसे लोग कौन हैं जिन्हें होम आइसोलेशन में रहना चाहिए? ये वे लोग हैं जिनके घर में पर्याप्त कमरे हैं, जहां कोई संक्रमित व्यक्ति हवादार जगह में प्रभावी तरीके से रह सकता है और उस घर में  परिवार के अन्य सदस्यों के लिए अलग रहने के लिए कमरा भी उपलब्ध है. यह भी महत्वपूर्ण है कि रोगी की देखभाल करने के लिए भी कोई व्यक्ति होना चाहिए यह एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसका पूर्ण टीकाकरण हो चुका हो. हमने यह भी कहा है कि देखभाल करने वाले को चिकित्सा अधिकारी के संपर्क में रहना चाहिए ताकि उसे आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके. देखभाल करने वाला व्यक्ति यदि संक्रमित व्यक्ति के कमरे में प्रवेश करे तो उसे ट्रिपल लेयर मास्क का उपयोग करना चाहिए. यदि वह संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में है और यदि संभव हो तो उसे एन-95 मास्क का उपयोग करना चाहिए. हमने रोगी को वास्तव में पर्याप्त आराम करने, जलयोजन बनाए रखने का सुझाव दिया है. उसे श्वसन पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए, हाथों की स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए और रोगी जो कुछ भी उपयोग कर रहा है उसे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साझा नहीं करना चाहिए.

हमने कुछ विशिष्ट दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं जिनका रोगी द्वारा मुख्य रूप से पालन किया जाना चाहिए. यह महत्वपूर्ण है कि रोगी को एक अलग हवादार कमरे में अलग-थलग रहना चाहिए. रोगियों को हर समय दो, ट्रिपल-लेयर मास्क पहनने चाहिए और इन्हें आठ घंटे के उपयोग के बाद या गीला या गंदा होने पर बदल देना चाहिए. इस पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है कि मास्क को कैसे फेंकना है. उपयोग किए गए मास्क को टुकड़ों में काट दे, ताकि उसका पुन: उपयोग नहीं किया जा सके, उसे कचरे में फेंकने से पहले एक पेपर बैग में डालकर 72 घंटे के लिए रख दें क्योंकि  हम उम्मीद करते हैं कि तब तक मास्क पर मौजूद रोगाणु जीवित नहीं रहेंगे.

यह बायोमेडिकल कचरा हमारे लिए दूसरों को संक्रमण फैलाने का कारण नहीं बनना चाहिए. इसके साथ ही, रोगी को विशेष रूप से ऑक्सीजन परिपूर्णता, तापमान आदि के संबंध में अपने स्वास्थ्य की स्वयं निगरानी करनी चाहिए. जिन लोगों को कोई और रोग भी है, उन्हें उपचार करने वाले चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिए गए नुस्खे के अनुसार ही होम आइसोलेशन में ही रहना चाहिए. ऐसे कुछ लोग हो सकते हैं जिन्हें कैंसर या अन्य घातक बीमारी हो, उन लोगों को आमतौर पर घर में अलग रखने की अनुशंसा नहीं की जाती है. फिर भी यदि उन्हें घर में अलग रखा जाता है तो विशेष रूप से उपचार करने वाले चिकित्सा अधिकारी द्वारा दी गई सलाह पर ही ऐसा किया जाना चाहिए.

हमने विशेष रूप से इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि टेलीमेडिसिन का उपयोग करना महत्वपूर्ण है क्योंकि आप घर पर रह रहे हैं तो आपको मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी. इलाज करने वाले डॉक्टर के संपर्क में रहने के लिए आपको भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये -संजीवनी प्लेटफार्म या इस प्रकार के अन्य प्लेटफार्म का उपयोग करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के आधार पर दवाएं लेनी चाहिए. यदि आपको बुखार है, तो आपको पैरासिटामोल आदि लेनी चाहिए. हमने विशेष रूप से यह भी कहा है कि यदि दिन में चार पैरासिटामोल टैबलेट लेने के बाद भी बुखार कम नहीं हो रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इन होम आइसोलेशन दिशानिर्देशों में हमने कुछ विशेष बातों पर प्रकाश डाला है और ये  पहले के समय के हमारे सीखने और अनुभव पर आधारित हैं.

आपको होम आइसोलेशन से कब बाहर आना चाहिए, इस पर भी हमने विशेष दिशानिर्देश दिए हैं. वे उभरते सबूतों के आधार पर पहले दी गई बातों से अलग हैं. हमने यह भी कहा है कि किसी व्यक्ति में संक्रमण पाए जाने के सात दिन बाद या लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं होने पर उसका आइसोलेशन समाप्त किया जा सकता है, लेकिन हम दृढ़ता से सुझाव देते हैं कि वह उसके बाद भी मास्क का उपयोग करें और स्वयं पर नज़र बनाए रखें. हमने यह भी कहा है कि पुन: परीक्षण कराने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस बात की संभावना है कि उससे मृत वायरस फैल रहा हो लेकिन मृत वायरस गैर संक्रामक होता है- यह दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है, साथ ही जांच में वह अब भी आरटीपीसीआर पॉजिटिव पाया जा सकता है. ऐसे प्रमाण हैं कि सात दिनों के बाद, यदि आपको तीन दिनों तक बुखार नहीं आता है, तो आप अप्रभावी हैं. हम यह भी सुझाव देते हैं कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले बिना लक्षण वाले लोगों को भी मूल रूप से खुद को अलग करना चाहिए और परीक्षण नहीं कराना चाहिए.

प्रश्न: कई गैर-प्रमाणिक और गैर-साक्ष्य आधारित उपचार प्रोटोकॉल हैं जो सोशल मीडिया में छाए रहते हैं. इस पर आपका क्या कहना है?

लव अग्रवाल: हमारा सुझाव है कि आप ऐसी गैर-साक्ष्य आधारित जानकारी से भ्रमित हों क्योंकि इससे बेवजह चिंता बढ़ेगी. हमने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया है कि चाहे वह रक्त परीक्षण हो या एक्स-रे या एमआरआई या सीटी स्कैन, जब तक कि डॉक्टर इसकी सलाह दें इसे कराएं. बहुत से लोग, पहले की लहर में, सीआरपी-मार्कर के लिए गए थे. हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर आपके शरीर में कोई संक्रमण है तो इनफ्लेमेशन मार्कर का बढ़ना आम बात है. अनावश्यक रूप से इसकी जांच कराने से रोगी में अकारण घबराहट और चिंता पैदा हो जाएगी.

मैं स्टेरॉयड के बारे में भी विशेष रूप से प्रकाश डालना चाहूंगा. हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि सोशल मीडिया पर इस तरह की जानकारी फैलाए जाने के कारण लोग कई बार चिंता में पड़ जाते हैं. लोगों को यह समझना होगा कि हल्के और बिना लक्षण वाले मरीजों को स्टेरॉयड नहीं देना चाहिए. इस बात के प्रमाण हैं कि यदि आप नुस्खे के बिना और बिना जरूरत के स्टेरॉयड ले रहे हैं, तो आपको दूसरा संक्रमण हो सकता है. हम सभी ने म्यूकोर्मिकोसिस - फंगस संक्रमण के बारे में सुना है, इसलिए, हमने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया है कि कृपया स्टेरॉयड लें. प्रत्येक रोगी को अलग-अलग उपचार की आवश्यकता होती है. इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार प्रोटोकॉल का पालन करें, साथ ही रोगी की देखभाल करने वालों को भी  उनके लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए.

प्रश्न: तीसरी लहर की शुरुआत के साथ, कोविडरोधी वैक्सीन के बारे में जनता की धारणा बदल गई है, यह देखते हुए कि 150 करोड़ से अधिक खुराक  सफलतापूर्वक दे दिए जाने के बावजूद, नया वेरिएंट अब भी अभूतपूर्व दर से फैल रहा है. क्या हम कह सकते हैं कि टीकाकरण अभियान ने महामारी की गंभीरता को कम करने में मदद की है? लेकिन संक्रमण को कम करने में और अधिक किए जाने की आवश्यकता है?

लव अग्रवाल: यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि दुनियाभर में और यहां तक कि भारत में भी उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, मास्क का उपयोग और सुरक्षित दूरी जैसे कोविड प्रोटोकॉल के साथ-साथ टीकाकरण  सबसे अधिक सहायक होने जा रहा है. सबूत स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि यदि आपने वैक्सीन की पूरी डोज़ ले ली है, तो आपके ओमिक्रोन वेरिएंट सहित कोरोना वायरस से संक्रमित होने की बहुत कम संभावना है. साक्ष्य यह भी स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि पूर्ण टीकाकरण के बाद भी यदि आप संक्रमित होते हैं तो यह गंभीर नहीं होगा और आपके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बहुत कम होगी. इसलिए, मैं सबसे  कहूँगा कि यह बहुत जरूरी है कि जब टीके उपलब्ध कराए जाएं और आप पात्र हों, तो कृपया पूरे टीके लगवाएं.

प्रश्न: वर्तमान परिदृश्य में टीके की झिझक दूर करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

लव अग्रवाल:  शुरुआत से ही हमारे पास स्पष्ट रूप से परिभाषित संचार रणनीति थी. उदाहरण के लिए, जब मैं कहता हूं कि हमने देश में वैक्सीन की 150 करोड़ खुराक का आंकड़ा पार कर लिया है, तो यह हिचकिचाहट को खत्म करने के हमारे दृष्टिकोण का हिस्सा है. हमारे फील्ड स्टाफ द्वारा की गई मानवीय सेवा को उजागर करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. मुझे यकीन है कि आपने वे वीडियो देखे होंगे जिनमें हमारे आशा कार्यकर्ता और एएनएम पहाड़ों और नदियों को पार कर देश के दूरदराज के इलाकों में पहुंच रहे हैं, लोगों को शिक्षित कर रहे हैं और टीके लगा रहे हैं. हमने बड़े पैमाने पर समुदाय की भी मदद ली है.  इस पहल में सभी का सहयोग रहा है, चाहे हमारे समुदाय आधारित संगठन हों, गैर सरकारी संगठन हों, नागरिक समाज संगठन हों या फिर गांव के बुजुर्ग हों, सबने दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में पूरा सहयोग दिया है. हमने अपने कार्यक्रम का विस्तार भी किया है. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने 15-18 साल के आयु वर्ग के लिए भी टीकाकरण शुरू कर दिया है. इसके साथ ही, हमने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए, अपने अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए और किसी अन्य रोग से ग्रसित 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए एहतियाती खुराक देना भी शुरू कर दिया गया है.

प्रश्न: सरकार ने हाल ही में 15 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण को मंजूरी दी है. क्या उस उम्र से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण के  लिए कोई प्रयास किए जा रहे हैं?

लव अग्रवाल: शुरू से ही कोविड-19 के प्रबंधन में हमारे प्रयास एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैरामीटर - साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण पर केंद्रित रहे हैं. उसी दृष्टिकोण के आधार पर, हमने शुरुआत में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की. पिछले साल 16 जनवरी को हमने फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए इसकी शुरुआत की, उसके बाद बुजुर्गों, और फिर इसे बड़े पैमाने पर समुदाय के लिए शुरू किया गया और अब हमने आयु सीमा  घटाकर 15 -18 वर्ष कर दी है. हमारी भविष्य की कार्रवाइयां भी उसी रणनीति-उभरते सबूतों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तय होंगी.

प्रश्न: केंद्र सरकार ने पूरे देश में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत कोविड-19 आपातकालीन कार्रवाई और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज चरण-2 प्रदान किया है. अब तक क्या ठोस परिणाम प्राप्त हुए हैं?

लव अग्रवाल: हमने महसूस किया है कि हमें कोविड-19 के प्रबंधन के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के उन्नयन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इस फंड के माध्यम से हम बेड, आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन की व्यवस्था से लैस बेड बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और आईसीयू का भी उन्नयन किया जा रहा है. हमने यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम किया है कि हम इस फंड के माध्यम से फील्ड अस्पताल बनाएं. हमने अतिरिक्त बाल चिकित्सा आईसीयू बेड, अतिरिक्त वेंटिलेटर  की दिशा में काम किया है. इस फंड से हम देशभर में आरटी पीसीआर लैब उपलब्ध कराते हुए जांच बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं. हमने इस फंड का उपयोग लिक्विड मेडिकल गैस पाइपलाइन के साथ-साथ देश भर के अस्पतालों में लिक्विड मेडिकल स्टोरेज टैंक प्रदान करने के लिए भी किया है. इसके अलावा, हम इस फंड का उपयोग कोविड-19 के प्रबंधन के लिए मानव संसाधन बनाने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने और दवाओं का बफर स्टॉक बनाने के लिए भी कर रहे हैं. इस फंड के माध्यम से टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म की उपलब्धता का भी समन्वय किया जाता है.

प्रश्न: ओमिक्रोन वेरिएंट के संचरण की उच्च दर को देखते हुए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के संक्रमित होने की आशंका सबसे अधिक होती है. आसन्न तीसरी लहर से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त मानव संसाधन सुनिश्चित करने के वास्ते क्या प्रयास किए जा रहे हैं? क्या इसके लिए कोई नए दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं?

लव अग्रवाल: हमने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कोविडरोधी वैक्सीन की एहतियाती खुराक शुरू की है. हमने आपातकालीन कोविड कार्रवाई पैकेज के तहत धन उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया है. हमने नए ओमिक्रोन वेरिएंट पर विचार करते हुए उनके कौशल को उन्नत करने और उनके पुन:कौशल की दिशा में भी काम किया है. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिल्ली के एम्स के तत्वावधान में उत्कृष्टता केंद्र पहल के माध्यम से, हम अब राज्य उत्कृष्टता केंद्रों के साथ वेबिनार की एक शृंखला कर रहे हैं. यह पहल जिला और निचले स्तर तक कोविड-19 से निपटने वाले हमारे सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए है. एक और महत्वपूर्ण पहल यह है कि हमने राज्यों के अधिकारियों से एमबीबीएस छात्रों, नर्सिंग छात्रों की सेवाओं का उपयोग करने का भी अनुरोध किया है ताकि हमारे मौजूदा मानव संसाधनों को उन्नत किया जा सके. सबसे बड़ा फोकस इस बात पर है कि अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण उपायों को कैसे सुनिश्चित किया जाए. इस देश के स्वास्थ्य कर्मियों ने वास्तव में एक बड़ी चुनौती का सामना किया है और अब तक कोविड-19 प्रबंधन प्रयासों में पूरा सहयोग दिया है.

प्रश्न: प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन कोविड-19 जैसी भावी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए क्षमता निर्माण में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है?

लव अग्रवाल: प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत, हमने प्रधानमंत्री के निर्देश पर एक विशाल कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें देशभर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए 64,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं. यह मुख्य रूप से 4 स्तंभों पर केंद्रित है- पहला स्तंभ यह सुनिश्चित कर रहा है कि हम देशभर में अनुसंधान प्रयोगशालाओं को बढ़ाने में सक्षम हैं. बायो सेफ्टी लेवल 3 हो या बायो सेफ्टी लेवल 4 लैब, वह नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है, ताकि बुनियादी ढांचे का विस्तार हो सके. दूसरा, पूरे देश में पब्लिक हेल्थ लैब बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हमें किसी भी संक्रामक रोग का सही समय पर पता लगाने में सक्षम होना चाहिए, तभी हम उस बीमारी का इलाज कर पाएंगे. तीसरा देशभर में संक्रामक रोग ब्लॉक बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है. चौथा, यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है कि अनुसंधान नेटवर्क के लिए आवश्यक सहायता सुनिश्चित की जा सके ताकि  जब कभी स्वास्थ्य क्षेत्र में नई चुनौतियां सामने आएं, तो हमारा शोध समुदाय उन चुनौतियों का प्रबंधन करने में सक्षम हो.

(साक्षात्कारकर्ता, आकाशवाणी, नई दिल्ली में संवाददाता हैं. उनका ईमेल है: bhupendra@gmail.com ) व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं.