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संपादकीय लेख


अंक संख्या 40 ,1-7 जनवरी 2022

भारतीय स्टार्टअप और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र

मंगलेश यादव और नमन अग्रवाल

विज्ञान और प्रौद्योगिकी किसी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे वह आर्थिक, सामाजिक या समग्र जनसांख्यिकीय विकास हो. भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों का सबसे मजबूत नेटवर्क है और अति कुशल कार्यबल का एक बड़ा पूल है. भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में लगातार आगे बढ़ रहा है और वर्तमान में 46वें स्थान पर है. भारत अगले दशक में प्रवेश करने वाले सबसे युवा देशों में से है, जिसमें 64 प्रतिशत आबादी कामकाजी आयु वर्ग में है. सैमसंग, बोश, माइक्रोसॉफ्ट, सिस्का जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत पर अपना ध्यान केंद्रित किया है ताकि वे इसकी क्षमता का लाभ उठा सकें. इसने युवा, महत्वाकांक्षी और तेजी से शिक्षित हो रहे युवाओं को नौकरी तलाशने वाले के बजाय नौकरी देने वाला बनने का बड़ा अवसर प्रदान किया है.

दुनिया बदल रही है और हम इसके साथ ढलना सीख रहे हैं लेकिन बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम के बिना यह असंभव यात्रा होगी. क्रांतिकारी तकनीकी प्रगति दुनिया को बदल रही है और तेजी से नए नवाचारों को जन्म दे रही है. अविश्वसनीय रूप से कम लागत पर कंप्यूटिंग, भंडारण और संचार के अभिसरण के साथ लघुकरण और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा. रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अगली पीढ़ी की प्रेरक शक्ति है जो उच्च उत्पादकता और कुशल स्वचालन की ओर ले जाते हैं. यह सब दुनियाभर में इतनी अविश्वसनीय गति से हो रहा है, ऐसा क्या है जो हम आज भारत में गायब देखते हैं? यह एक समग्र नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र हो सकता है जो हमारे बढ़ते कार्यबल की ज्ञान संबंधी क्षमता को स्वयं को नवप्रवर्तक और नौकरी निर्माता के रूप में व्यक्त करने में सक्षम बनाता है. 1.35 बिलियन से अधिक लोगों के साथ, एक मिलियन स्कूलों के, लगभग 10,500 इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों और इतनी ही संख्या में बिजनेस स्कूलों के साथ, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आने वाली पीढ़ियां सक्षम हों, अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास कर सकें और उन्हें इसे व्यक्त करने तथा नया करने का अवसर मिले.

हमें तकनीकी लेखन में सुधार के लिए बढ़ती उद्योग आवश्यकताओं, संचार कौशल और तकनीकों के अनुसार पाठ्यक्रम को अद्यतन करने की आवश्यकता जैसे मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है. हमें वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध की दृश्यता बढ़ाने तथा उद्यमशीलता गतिविधियों के वित्तपोषण, नवाचारों के व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करने और बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक सुधार वाली प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत कार्यनीतियों पर भी ध्यान देना चाहिए.

भारत सरकार ने सक्रिय रूप से उन नीतिगत कमियों की पहचान की है जो औद्योगिक तथा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद हैं. पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेजी लाने के लिए उपयुक्त सुधारों को भी लागू किया जा रहा है. कारोबार सुगमता रैंकिंग में सुधार को इन प्रयासों के असर के रूप में देखा जा सकता है. विनिर्माण क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए पिछले 18 महीनों में उत्पादन से जुड़ी कई योजनाएं भी शुरू की गई हैं. भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र का तेजी से विकास  सुनिश्चित करने के लिए और भी बहुत सेे सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं.

नवोन्मेष राष्ट्र के रूप में भारत की गतिशीलता

पिछले कुछ वर्षों में भारत में नवाचार एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया है. भारतीय यूनिकॉर्न के उभरने के साथ-साथ उनकी बढ़ती संख्या की  स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में बड़ी भागीदारी है. एक देश के रूप में भारत उन चुनौतियों से घिरा हुआ है जिनके लिए इनोवेटिव नॉन-लाइनियर समाधान की आवश्यकता होती है. गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पर्यावरण से संबंधित जिन चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है वे आपस में जुड़ी हुई हैं. भारत में अगले कुछ वर्षों में जहां 150 मिलियन से अधिक विद्यार्थी, कार्यबल में प्रवेश करेंगे और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते यहां जीवन के हर क्षेत्र में तेजी से प्रोटोटाइप और नवाचारों को सक्षम करने वाली सस्ती, उन्नत, सुलभ प्रौद्योगिकियां एक आवश्यकता बन जाएंगी. सरकार नवाचार और उद्यमिता का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और इसे बढ़ावा देने के लिए बड़े कदम उठा रही है. ऐसा ही एक महत्वपूर्ण उपाय, अटल इनोवेशन मिशन की प्रमुख पहल है जो नौकरी चाहने वालों के देश को शोधकर्ताओं, नवोन्मेषकों और नौकरी देने वालों के देश में बदलने में सहायता के लिए नवाचार की संस्कृति के निर्माण पर केंद्रित है. नवाचार किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और विभिन्न तकनीकी परिवर्तन विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

बदलते रुझान और चुनौतियां

·         तेजी से विकसित हो रहा पारिस्थितिकी तंत्र: मांग तेजी से विकसित हो रही है और इसके साथ ही ग्राहक की पसंद भी बदल रही है. इससे उद्योगों पर उच्च विकास और त्वरित अनुकूलन क्षमता पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए दबाव बढ़ता है जिसके परिणामस्वरूप अधिग्रहण और पुनर्गठन तेजी से होते  हैं.

·         भविष्य की गहन तकनीकों पर जोर: वृद्धिशील परिवर्तन और नवाचार स्थायी मुनाफा नहीं बना रहे हैं और इसलिए उच्च मूल्य प्राप्त करने तथा प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए, कंपनियों को अपने अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करना पड़ा है, जिससे अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों जैसे आनुवंशिक इंजीनियरिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग, आदि के अनुप्रयोग पर शोध हो रहा है. स्टार्टअप पिछले कुछ वर्षों में बौद्धिक संपदा अधिकारों का एक प्रमुख सृजनकर्ता रहा है और भविष्य के लिए अच्छी तरह से तैयार है.

·         सूचना का डिजिटीकरण और जनतंत्रीकरण: जैसे-जैसे डिजिटल प्रौद्योगिकियों की पहुंच बढ़ती है, बड़ी मात्रा में डेटा उत्पन्न हो रहा है. बढ़ते डेटा से निपटने, पारदर्शिता बनाए रखने और अपने मूल्य शृंखला नेटवर्क के माध्यम से सूचना के प्रसार के साथ-साथ उत्पादों के नए बंडल बनाने के लिए उपलब्ध जानकारी को पूंजी की तरह इस्तेमाल करने के वास्ते संगठन अपने व्यापार मॉडल को फिर से स्थापित कर रहे हैं.

·         विशिष्ट कार्यबल की आवश्यकता - विज्ञान और प्रौद्योगिकी तेजी से प्रगति कर रहे हैं और हर कुछ वर्षों में विकास के नए अवसर पैदा कर रहे हैं. लगातार बदलते प्रौद्योगिकीय प्रतिमान, वर्तमान में कमी वाले अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता को बदल देते हैं. व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने की लागत बढ़ रही है लेकिन समाधान देश में एक नवजात स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र से आना शुरू हो गए हैं.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बदलती प्रवृत्तियों का प्रभाव

·         कारोबार: पिछले कुछ वर्षों में बिजनेस लीडर्स ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के अस्तित्व की सराहना करना शुरू कर दिया है और अपनी संख्या को बनाए रखने के लिए निरंतर नवाचार करने के लिए खुद को चुनौती देना शुरू कर दिया है. प्रमुख समूहों ने संपूर्ण उत्पाद मूल्य शृंखला को बाधित करके मौजूदा और असेवित मांगों को पूरा करने की कोशिश में नए उत्पाद पेश किए हैं.

·         सरकार: सरकारों और नियामकों ने बदलते नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के साथ अद्यतन होने की आदत डाल ली है और दुनियाभर में प्रतिस्पर्धी स्थिति प्राप्त करने के लिए हमेशा बदलते पारिस्थितिकी तंत्र को स्वीकार करने के लिए नियमों को अद्यतन करना शुरू कर दिया है. पारिस्थितिकी तंत्र को समझने और नियमों को अद्यतन करने का अतिरिक्त दबाव कुछ अवसरों पर एक बड़ी चुनौती पैदा करता है लेकिन आशाजनक यात्रा शुरू हो गई है.

·         लोग: प्रौद्योगिकी, भविष्य की पीढ़ी के लिए वाहक होने के साथ, बेहतर परिणाम प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की नैतिक और नीतिपरक सीमाओं पर जांच की आवश्यकता एक अनुत्तरित प्रश्न बना हुआ है. यह कुछ संदेहात्मक विषयों को जोड़ता है जिन्हें जांचने की आवश्यकता होगी.

एक अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए जीवनचक्र दृष्टिकोण

स्कूल, भविष्य के नवोन्मेषी, समस्या-समाधान करने वाले अग्रणी बना सकते हैं और हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम देश की नवाचार पहलों के माध्यम से बड़ी संख्या में उद्यमी और नवप्रवर्तक बनाने में सक्षम हों. अटल टिंकरिंग लैब्स के बाद मॉडल की स्थापना और स्नातक कॉलेजों में इन्क्यूबेटरों की स्थापना के द्वारा भी ऐसा ही किया जा सकता है.

जमीनी स्तर पर, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से उद्यमिता के प्रति दृष्टिकोण में एक सांस्कृतिक बदलाव और वाणिज्यिक और सामाजिक प्रभाव के साथ प्रासंगिक उत्पाद नवाचारों के प्रोत्साहन के माध्यम से बढ़ते नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में इक्विटी प्राप्त करने में एक लंबा रास्ता तय किया जा सकता है. यह केवल उद्यमशीलता की सोच को उत्प्रेरित और प्रोत्साहित करेगा, बल्कि जोखिम लेने और जोखिम प्रबंधन के डर को भी कम करेगा.

इस आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) की स्थापना की है. इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम तथा नीतियां बनाना, हितधारकों के लिए मंच तथा सहयोग के अवसर प्रदान करना, जागरूकता पैदा करना और देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी के लिए एक छत्र संरचना बनाना है.

अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम)

अटल इनोवेशन मिशन ने देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति बनाने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक समग्र ढांचा अपनाया है. यह केवल एक उद्यमी के निर्माण के जीवनचक्र दृष्टिकोण को अपनाकर ऐसा कर रहा है, बल्कि उन्हें सही संस्थागत विकास और आगे सहायता अनुदान तंत्र के साथ सहायता भी कर रहा है.

हाल के वर्षों में, मुट्ठीभर यूनिकॉर्न की सफलता के कारण देश में स्टार्टअप पंजीकरण की संख्या बढ़ रही है, लेकिन आने वाले वर्षों में देश में ऐसे सैकड़ों यूनिकॉर्न बनने की बहुत बड़ी संभावना है. यह विश्वास इसलिए है क्योंकि भारत में मौजूद अंतराल को पूरा करने वाला समाधान दुनिया के लिए एक समाधान है और इसलिए ऐसे संस्थानों की अधिक आवश्यकता है जो स्टार्टअप के विकास और समृद्धि के लिए मार्गदर्शन कर सकें.

इनक्यूबेटर किसी भी विकासशील स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सहायक व्यवस्था है, यही हमारे लिए सच है लेकिन हमें अभी अपने लिए सही मॉडल को परिभाषित करने की आवश्यकता है. किसी भी देश के विकास का आधार लगातार बढ़ती औद्योगिक क्रांति में निहित है और अगर, औद्योगिक 4.0 क्रांति को शुरू करने के लिए इन्क्यूबेटर और कॉरपोरेटर एक साथ जुड़ते हैं तो भारत में इसे संभव बनाया जा सकता है. एक मॉडल जहां कॉरपोरेट के लिए इन्क्यूबेटर/ एक्सेलरेटर कॉरपोरेटर, फीडर नेटवर्क हैं, स्टार्टअप इकोसिस्टम को उनकी विस्तारित अनुसंधान और विकास शाखाओं के रूप में देखा जाता है. यह आई-हब, आई-क्रिएट, टी-हब आदि जैसे कुछ इन्क्यूबेटरों के लिए एक मॉडल है. इन सभी ने अपने विशिष्ट मॉडल ढूंढ़ लिए हैं और उत्कृष्ट कर रहे हैं. 100 से अधिक स्मार्ट शहरों के साथ, देशभर में कुशलतापूर्वक आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए एक साथ काम करने वाले गवर्नेंस और स्टार्टअप का एक स्थायी मॉडल बनाने के अपार अवसर हैं.

अटल इनोवेशन मिशन के तहत गतिविधियां

अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग, देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहल है. इसे 2016 में स्थापित किया गया था. इस दिशा में, अटल इनोवेशन मिशन ने स्कूलों में समस्या का समाधान करने वाली नवोन्मेषी मानसिकता और विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, निजी और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र में उद्यमिता का पारिस्थितिकी तंत्र  सुनिश्चित करने के लिए समग्र  दृष्टिकोण अपनाया है. अटल नवाचार मिशन की सभी तरह की पहल पर वर्तमान में रीयल-टाइम एमआईएस सिस्टम और डायनेमिक डैशबोर्ड का उपयोग करके व्यवस्थित रूप से निगरानी और प्रबंधन किया जाता है.

1) अटल टिंकरिंग लैब - स्कूल स्तर पर (एटीएल)

पिछले 4 वर्षों में, अटल इनोवेशन मिशन ने अटल टिंकरिंग लैब कार्यक्रम शुरू किया है. अटल टिंकरिंग लैब 21वीं सदी के उपकरणों और तकनीकों जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3डी प्रिंटिंग, रैपिड प्रोटोटाइप टूल, रोबोटिक्स, लघु इलेक्ट्रॉनिक्स, डू-इट-यूअरसेल्फ किट और अन्य के माध्यम से देशभर में छठी से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के  युवा मन में जिज्ञासा और नवीनता को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ स्कूल में स्थापित एक अत्याधुनिक स्थान है. इसका उद्देश्य बच्चों में समस्या-समाधान की नवीन मानसिकता को प्रोत्साहित करना है. अब तक, अटल इनोवेशन मिशन ने अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना के लिए देश के 680 से अधिक जिलों में 10,000 स्कूलों का चयन किया है. 9000 से अधिक स्कूलों को वित्त पोषित किया गया है और 2 मिलियन से अधिक विद्यार्थियों  की इन तक पहुंच है.

2) विश्वविद्यालयों, संस्थानों, उद्योगों में अटल इनक्यूबेशन सेंटर

स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिए सहायक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन मिशन, विश्वविद्यालयों, संस्थानों, कॉरपोरेट घरानों आदि में अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी) नामक विश्वस्तरीय इन्क्यूबेटरों की स्थापना कर रहा है. ये अटल इनक्यूबेशन केंद्र, विश्व स्तर के नवोन्मेषी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देंगे और उन्हें आगे बढ़ने वाले तथा टिकाऊ उद्यम बनने में मदद करेंगे. आज तक, अटल नवाचार मिशन ने विश्वविद्यालयों / संस्थानों / निजी उद्यमियों के साथ 68 अटल इनक्यूबेशन केंद्रों का संचालन किया है और प्रत्येक केंद्र हर चार साल में 40-50 विश्व स्तरीय स्टार्टअप के निर्माण और पोषण को बढ़ावा देगा. अटल इनक्यूबेशन केंद्र, तकनीकी सुविधाएं तथा सलाह, प्रारंभिक विकास निधि, नेटवर्क तथा लिंकेज, सह-कार्यस्थल, प्रयोगशाला सुविधाएं, विशेषज्ञ सलाह और सलाहकार सहायता प्रदान करके स्टार्टअप की मदद करते हैं. वे अक्सर निवेशकों, सरकारी संगठनों, आर्थिक-विकास गठबंधनों, उद्यम पूंजीपतियों और अन्य निवेशकों से पूंजी के लिए एक अच्छा स्रोत होते हैं. अब तक इन केंद्रों ने 2000 से अधिक स्टार्टअप को सहायता प्रदान की है, इनमें से 500 से अधिक स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं.

) अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र-भारत के बिना सेवा वाले और कम सेवा वाले क्षेत्रों में संचालित

2 और 3 स्तरीय शहरों, आकांक्षी जिलों, जनजातीय, पर्वतीय और तटीय क्षेत्रों सहित भारत के बिना सेवा वाले और कम सेवा वाले क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार के लाभों को बढ़ावा देने के लिए, अटल इनोवेशन मिशन एक अद्वितीय साझेदारी संचालित मॉडल के साथ अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र स्थापित कर रहा है जिसमें अटल इनोवेशन मिशन एक एसीआईसी को 2.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान देगा. अगले दो वर्षों के दौरान 50 से अधिक एसीआईसी की स्थापना की जाएगी.

4) अटल न्यू इंडिया चुनौतियां - राष्ट्रीय प्रभाव वाले उत्पाद और सेवा नवाचार

राष्ट्रीय सामाजिक-आर्थिक प्रभाव वाले उत्पाद और सेवा नवाचारों को बनाने के लिए, अटल इनोवेशन मिशन ने केंद्र सरकार के पांच अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के साथ साझेदारी में 24 से अधिक अटल न्यू इंडिया चैलेंज लॉन्च किए हैं. इसके लिए प्राप्त 950 आवेदनों में से 30 आवेदकों को अटल नवाचार मिशन के इनक्यूबेटरों / सलाहकारों द्वारा अनुदान सहायता और हैंड होल्डिंग के लिए चुना गया था.

5) एआरआईएसई एएनआईसी चुनौतियां - स्टार्टअप /एमएसएमई उद्योग नवाचार को चरणबद्ध तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए अटल नवाचार मिशन ने स्टार्टअप और एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र में अनुसंधान क्षमताओं में सुधार करने के लिए साझेदार मंत्रालयों (आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय) के साथ 15 एआरआईएसई -एएनआईसी चुनौतियों की शुरुआत की है. इसके हिस्से के रूप में, योग्य विचारों को उत्पाद विकास और वाणिज्यिक परिनियोजन के बाद व्यवहार्य अभिनव प्रोटोटाइप में परिवर्तित किया जाएगा. 26 आवेदकों को इन्क्यूबेटरों/संरक्षकों द्वारा सहायता अनुदान और हैंड होल्डिंग के लिए चुना गया है और ये वर्तमान में उचित उद्योग कर रहे हैं.

6) मेंटर ऑफ चेंज (सलाह और भागीदारी-सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों, संस्थानों के साथ)

सभी पहलों को सफल बनाने के लिए, अटल नवाचार मिशन ने सलाहकार और प्रबंधन के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक 'मेंटर इंडिया - मेंटर्स ऑफ चेंजआरंभ किया है. अब तक, अटल टिंकरिंग लैब और अटल इन्क्यूबेटर केंद्र को 5000 से अधिक मेंटर्स ऑफ चेंज आवंटित किए गए हैं ताकि लाभार्थियों को नवाचारों को आगे बढ़ाने की उनकी यात्रा में सहायता मिल सके.

निष्कर्ष

पिछले एक दशक में भारत में तेजी से बढ़ते 180 से अधिक बिलियन डॉलर के आईटी/आईटीईएस और बायोटेक उद्योग की उल्लेखनीय प्रगति ने दुनिया को भारत की वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग और तकनीकी कौशल तथा क्षमताओं को दिखाया है. विश्व की सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय प्रतिभा का लाभ उठा रही हैं और भारत में बड़े अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की जल्दी में हैं. आत्मनिर्भर भारत ने अब इस विश्व स्तरीय अभिनव प्रतिभा को, भारतीय बाजार के लिए उत्पादों और सेवाओं को अन्य देशों के समान बनाने में लगा दिया हैं. 3डी प्रिंटिंग, आईओटी, एआर/ वीआर, बायोटेक, कॉग्निटिव कंप्यूटिंग, एआई/ब्लॉकचेन सहित सस्ती, सुलभ, उन्नत आईआर 4.0 प्रौद्योगिकियां इस शानदार क्षमता को उत्प्रेरित करती हैं. सबसे तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम में से एक- 30,000 से अधिक स्टार्टअप और 300 से अधिक इनक्यूबेटर के साथ- भारत निश्चित रूप से स्वयं को दुनिया के अग्रणी नवोन्मेषी देशों में से एक के रूप में स्थापित कर सकता है.

सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर बड़े नवाचारों और उद्यमशीलता की पहल को बढ़ावा देने के लिए माइक्रो-वित्त और ग्रामीण-वित्तपोषण योजनाओं का समय गया है. महिला-पुरुष  समानता सुनिश्चित करना, आर्थिक असमानता को दूर करना और दिव्यांग समुदायों के लिए समान अवसरों को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. हमारी जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों से भी बेहद सावधान रहने की जरूरत है. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि सतत विकास लक्ष्य हर संगठन का व्यापक उद्देश्य बना रहे.

इसके अलावा, भारत में पिछले कुछ वर्षों में काफी निजी इक्विटी/उद्यम पूंजी निवेश हुआ है और यह प्रवृत्ति तब भी नहीं रुकी है जब हम कोविड-19 महामारी से लड़ रहे हैं. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह की मात्रा स्थिर रही है और भविष्य में इसमें वृद्धि की आशा है क्योंकि देश विकास कर रहा है और जल्द ही यह 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा. सभी निवेशों ने भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक स्तर पर पहुंचा दिया है और सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाकर हमें जल्द ही एक बड़ी महाशक्ति बनने का अवसर प्रदान किया है.

संक्षेप में कहें तो भारत ने उस औद्योगिक क्रांति में थोड़ी देरी की, जिसने पिछली सदी में पूरी दुनिया को प्रभावित किया था. लेकिन भारत के पास, आज दुनियाभर में फैल रही ज्ञान-आधारित क्रांति में योगदान करने का एक शानदार मौका है. इसलिए अटल नवाचार मिशन पहल बहुत महत्वपूर्ण है और सभी को इसे अपनाने की जरूरत है. बच्चे और युवा, 2022 तक नए भारत के सपने को साकार करने में सक्षम हैं. हम सभी को इसे सामूहिक रूप से हासिल करने की आवश्यकता है.

( मंगलेश यादव अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग में कार्यक्रम निदेशक और नमन अग्रवाल नीति आयोग में विशेषज्ञ हैं. व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं)

चित्र साभार : oecd.org