रोज़गार समाचार
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संपादकीय लेख


Volume 24, 2017

कौशल भारत कामगारों को किस प्रकार रोजग़ार के लिये योग्य बना रहा है?


उद्यमिता पर आधारित नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने की पहलें जारी हैं जो कि सभी नागरिकों के लिये धन और रोजग़ार सृजित कर सकती हैं.
कौशल और ज्ञान किसी देश की आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास का संचालन करते हैं. कुशल कार्यबल के उच्चतर स्तरों और बेहतर मानकों वाले राष्ट्र घरेलू और वैश्विक बाज़ारों में चुनौतियों और अवसरों से निपटने में सक्षम होते हैं.
भारत वर्तमान में विश्व में तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और सवा सौ करोड़ की जनसंख्या में से दो तिहाई लोग 30 वर्ष से नीचे की आयु के हैं. देश एक आर्थिक महाशक्ति बनने और वर्ष 2025 तक विश्व के कुल कार्यबल का कऱीब 25 प्रतिशत योगदान करने का आकांक्षी है.
दूसरी तरफ अगले पांच वर्षों में 500 मिलियन कुशल कामगारों की, विशेषकर विनिर्माण के क्षेत्र में, आवश्यकता होगी. आगे एक बहुत बड़ी चुनौती मुंह बाये खड़ी है, लेकिन, जैसा कि अनुमान दर्शाता है कि कार्यबल के केवल 4.69 प्रतिशत ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है.
इससे अधिक चिंता की बात यह है कि आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के अनुसार 15 से 29 वर्ष के बीच की आयु के 30 प्रतिशत से अधिक युवा रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में नहीं हैं. रोजग़ार में नहींउन्हें संदर्भित करता है, जो कि अनुपलब्धता के कारण रोजग़ारों के लिये तलाश नहीं कर रहे हैं अथवा वे अपनेे कौशलों के अनुरूप किसी रोजग़ार में नहीं हैं.
हर महीने लाखों की संख्या में लोगों के कार्यबल से जुडऩे के साथ ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा मानव संसाधन विकास क्षेत्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है. आज़ादी के 68 वर्षों में पहली बार, कौशल रोजग़ार क्षमता वृद्धि पर केंद्रित कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) का गठन किया गया.
15 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये भारत के निर्माण के लिये समाज के विभिन्न वर्गों से युवाओं के सशक्तिकरण के लिये महत्वाकांक्षी कौशल भारत की पहल का शुभारंभ किया था. देश मेक इन इंडिया और कौशल भारत के जरिये शुरू किये गये रोजग़ार सृजन पर फ़ोकस के साथ विश्व की कौशल पूंजी के तौर पर उभरने की व्यापक क्षमता रखता है.
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने नीति, ढांचा और मानदंडों के निर्धारण; नये कार्यक्रमों और योजनाओं की शुरूआत; नये बुनियादी ढांचों का सृजन और मौजूदा संस्थानों का उन्नयन; राज्यों के साथ भागीदारी; उद्योगों के साथ जुड़ावऔर सामाजिक स्वीकार्यता तथा आंकाक्षाओं के निर्माण के संदर्भ में महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं और सुधार लागू किये हैं.
एक बेहतर कल के लिये ये पहलें बदलाव और उपलब्धियों की वास्तविक कहानी मात्र नहीं हैं, बल्कि प्रत्येक भारतीय के बेहतर कल की आशा और प्रवर्तन हैं.
राष्ट्रीय कौशल विकास नीति-15 जुलाई, 2015 को घोषित-का उद्देश्य उच्च मानदंडों के साथ तेज़ गति से बड़े पैमाने पर कौशलीकरण से सशक्तिकरण की पारिस्थितिकी का सृजन करना और उद्यमशीलता पर आधारित नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है जो कि सभी नागरिकों के लिये स्थाई आजीविका सुनिश्चित करने के लिये रोजग़ार और संपत्ति का सृजन कर सके.
शुरूआत में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने अक्तूबर 2015 से सितंबर 2016 तक विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से 34 क्षेत्रों में प्रशिक्षण की आवश्यकताओं का पता लगाने के लिये सघन विचारविमर्श किया. निष्कर्ष में बढ़ते कौशल अंतर और सर्वोच्च 10 क्षेत्रों में 2017 से 2022 तक की अवधि के दौरान प्रशिक्षण की आवश्यकता के अनुमान का उल्लेख किया गया जो कि समूची आवश्यकताओं की गणना का 80 प्रतिशत है.
रोजग़ार भूमिकाओं को परिभाषित करने और कौशल कार्य योजना में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने की कार्यनीति के कार्यान्वयन के लिये एक राष्ट्रीय प्राथमिकता कौशल कार्य योजना (एनपीएसएपी) पर काम चल रहा है. एनपीएसएपी विभिन्न 25 क्षेत्रों के संबंध में 41 मंत्रालयों और विभागों के साथ सलाह मशविरे से तैयार की जा रही है. इसका पहला वॉल्यूम 31 जनवरी, 2017 को प्रकाशित किया गया था जिसमें सात क्षेत्र: कृषि, इलेक्ट्रॅानिक्स, आईटी और आईटीईएस, टेलीकॉम, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण और संभारतंत्र शामिल हैं.
एनएसडीसी की भूमिका
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) एक अनुपम सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जो कि अपने प्रशिक्षण प्रदाताओं के सघन नेटवर्क के जरिए युवाओं को अल्पावधि प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के जरिए रोजग़ार के नये अवसरों का सृजन करके उनके लिये बेहतर जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के वास्ते एक मुख्य स्रोत के तौर पर काम करती है. एनएसडीसी पर कौशल भारत मिशन के अधीन योजनाओं और कार्यक्रमों के लिये वित्तपोषण और कार्यान्वयन और उद्योग सहभागिता के जरिये रोजग़ारों के लिये संपर्क सृजन करने की जि़म्मेदारी है. पिछले वर्ष, एनएसडीसी ने कुल 290 परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की थी और देश भर में 51४+ जिलों में 5224 प्रशिक्षण केंद्रों के जरिये 200०+ से अधिक रोजग़ार भूमिकाओं में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके करीब 10.18 लाख अभ्यर्थियों के जीवन में परिवर्तन लेकर आया.
पीएमकेवीवाई योजना
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की प्रमुख कौशल प्रशिक्षण योजना है. इस कौशल प्रमाणीकरण और पुरस्कार योजना का उद्देश्य बड़ी संख्या में युवाओं को रोजग़ार के योग्य बनने और अपनी आजीविका अर्जित करने के वास्ते परिणाम आधारित कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिये समर्थ और एकजुट करना है.
योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई, 2015 को विश्व युवा दिवस के अवसर पर किया था. इसके कार्यान्वयन के सफल प्रथम वर्ष को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12000 करोड़ रु. के परिव्यय के साथ एक करोड़ युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिये योजना को अन्य चार वर्षों (2016-2020) के लिये मंजूरी प्रदान कर दी. इसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के जरिये कार्यान्वित किया जा रहा है.
पीएमकेवीवाई (2016-2020) योजना को केंद्र द्वारा राज्यों के साथ मिलकर कार्यान्वित किया जायेगा. इसके दो घटक होंगे:
*केंद्र प्रायोजित केंद्रीय प्रबंधित (सीएससीएम): पीएमकेवीवाई की 75 प्रतिशत (2016-2020) निधियां मंत्रालय को एनएसडीसी के जरिए कौशल हेतु उपलब्ध होंगी.
*केंद्रीय प्रायोजित राज्य प्रबंधित (सीएसएसएम): पीएमकेवीवाई की 25 प्रतिशत निधियां 2.0 राज्यों को आबंटित की जायेंगी.
पीएमकेवीवाई केंद्रों में संचालित अल्पावधि प्रशिक्षण से वे लोग लाभान्वित होते हैं जिन्होंने या तो स्कूल/कालेज छोड़ दिया है अथवा बेरोजग़ार हैं. राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचा के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा, ये केंद्र साफ्ट कौशल, उद्यमिता, वित्तीय और डिजिटल साक्षरता में भी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं.
उनका सफल मूल्यांकन करने के पश्चात, अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण साझेदारी से प्लेसमेंट सहायता भी प्रदान की जाती है. समूची प्रशिक्षण और मूल्यांकन फीस का भुगतान सरकार करती है.
योजना के पूर्व शिक्षण मान्यता (आरपीएल) घटक के अधीन व्यक्ति के पूर्व के शिक्षण अनुभव या कौशलों का मूल्यांकन और प्रमाणन किया जाता है. आरपीएल का उद्देश्य अनियमित कार्यबल की सक्षमताओं को राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचे के साथ जोडऩा है. आरपीएल परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिये क्षेत्र कौशल परिषदों जैसी परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
पीएमकेवीवाई के विशेष परियोजना घटक में सरकारी संस्थाओं, निगमों या उद्योग संस्थाओं के लिये विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करने के लिये एक मंच के सृजन का प्रावधान है.
उड़ान योजना
उड़ान जम्मू एवं कश्मीर में शिक्षित बेरोजग़ारों की आवश्यकताओं को पूरा करने की एक विशेष पहल है. इसका उद्देश्य स्नातकों, स्नातकोत्तरों और तीन वर्षीय डिप्लोमा इंजीनियरों को कौशल और रोजग़ार के अवसर उपलब्ध कराना है. कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में उपलब्ध धनी प्रतिभा पूल के प्रति भारत के निगमित क्षेत्र को जागरूक करना है. पांच वर्षों की अवधि के दौरान 40,000 युवाओं तक पहुंच कायम करने का लक्ष्य है.
पिछले वर्ष 30 नवंबर तक, कुल 24,312 अभ्यर्थी प्रशिक्षण में शामिल हुए जिनमें से 5480 भारत भर में 18 शहरों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे. कुल 17,111 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण पूरा किया है जिसमें से 9632 को खुदरा, आईटी और आईटीईएस, विनिर्माण, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई), ऑटो, रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और वस्त्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजग़ार प्रदान किया गया.
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
रोजग़ार और प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) के अधीन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) दस्तकारों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 28.47 लाख सीटों की क्षमता के साथ 13350 से अधिक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान 126 टे्रडों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं. मौजूदा सुविधाओं के सुदृृढ़ीकरण के लिये पांच लाख से अधिक सीटों के विस्तार के साथ 1381 नये संस्थान खोले गये हैं.
विभिन्न संस्थानों के बीच तुलना करने और सुधार के लिये क्षेत्रों की पहचान के वास्ते बेंचमार्क के सृजन के लिये एक ग्रेडिंग योजना शुरू की गई है. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और सर्वोच्च उद्योग संस्थाओं के बीच साझेदारी को मज़बूती प्रदान करने के लिये प्रबंधन समितियां बनाई गई हैं जो कि स्नातकों को विभिन्न उद्योगों में प्लेसमेंट प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेंगी.
साथ ही, कामगारों को अधिक उत्पादक बनाने और तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप युवाओं को बहु-कौशल से लैस करने के वास्ते पाठ्यक्रमों को नियमित रूप से अद्यतन किया जा रहा है. अंग्रेजी बोलना और कम्प्यूटर शिक्षा सहित साफ्ट कौशलों को सभी कौशल विकास प्रशिक्षणों का अभिन्न अंग बनाया गया है.
दूसरी तरफ डीजीटी, एमएसडीई और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआईओएस) ने आईटी अर्हता को शैक्षणिक सक्षमता के लिये एक प्रणाली खड़ी करने तथा आईटीआई प्रणाली के उन उम्मीदवारों की आकांक्षाओं को पूरा करने के विकल्प प्रदान करने के लिये हाथ मिलाया है जो कि अपने कौशलों के अलावा उच्चतर शैक्षिक अर्हता प्राप्त करना चाहते हैं. इस साझेदारी ने राष्ट्रीय टे्रड प्रमाणपत्र धारक आईटीआई के पूर्व-प्रशिक्षुओं के लिये माध्यमिक/वरिष्ठ माध्यमिक अर्हता प्राप्त करने के लिये मार्ग खोला है. समझौता ज्ञापन के अधीन निम्नलिखित प्रावधान किये गये हैं: क) प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली (आईटीआई क्लासरूम और उद्योग दोनों में प्रशिक्षण), ख) एमएसडीई के लिये स्पेस आधारित दूरस्थ शिक्षण कार्यक्रम (एसएलडीपी).
अंतर्राष्ट्रीय अनावरण
एमएसडीई भारत की कौशल प्रशिक्षण व्यवस्था की क्षमता बढ़ाने के लिये उत्कृष्ट व्यवहारों के आदान प्रदान, बेंचमार्किंग मानदंडों और प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण के वास्ते विदेशी सरकारों और संस्थानों के साथ सक्रियता के साथ जुड़ा है. युवाओं को वैश्विक बाज़ारों में रोजग़ार के अवसरों के लिये तैयार करने के वास्ते कुल 16 इंडिया इंटरनेशनल कौशल सेंटर (आईआईएससीज) शुरू किये गये हैं.
2017 के अंत तक यह संख्या 100 तक पहुंच जायेगी. इन आईआईएससीज को अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क प्रशिक्षण प्रदान करने और प्रमाणन कार्यक्रमों  के लिये प्रयोगशाला अवसंरचना से लैस किया जायेगा. इन केंद्रों की स्थापना विदेशों में विस्थापन की तलाश के लिये प्रशिक्षुओं की सहायता हेतु विदेशी विस्थापन पॉकेटों में की जा रही है.
आईआईएससीज नियोक्ताओं अथवा विदेश मंत्रालय से अनुमोदित भर्ती एजेंटों के साथ सीधे समझौते के जरिए अंतर्राष्ट्रीय देशों के साथ प्लेसमेंट संपर्क की सुविधा प्रदान करेंगे. ये केंद्र पीएमकेवीवाई और प्रवासी कौशल विकास योजना (पीकेवीवाई) का भी कार्यान्वयन करेंगे.
विषयगत कौशल प्रशिक्षण के अलावा, प्रस्थान पूर्व अभिविन्यास प्रशिक्षण से प्रशिक्षुओं में जागरूकता आयेगी और उन्हें कार्य के लिये विदेशों में जाने से जुड़े अवसरों और चुनौतियों को समझने में मदद मिलेगी. यह डिजिटल साक्षरता, गंतव्य देश की संस्कृति और भाषा के बारे में प्रशिक्षुओं को जागरूक करेगी जिससे वे नये वातावरण में बेहतर ढंग से ढल सकेंगे.
प्रशिक्षुता का महत्व
आपको अवश्य स्मरण होगा कि प्रशिक्षुता उत्पादन स्थापनाओं में उपलब्ध सुविधाओं का प्रयोग करते हुए उद्योग अनुकूल कौशल अर्जित करने का सबसे दक्ष मार्ग होता है. प्रशिक्षुता प्रशिक्षण में बुनियादी प्रशिक्षण घटक और प्रत्येक ट्रेड के लिये निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल होता है.
पांच प्रकार की श्रेणियां हैं: ट्रेड प्रशिक्षुता, स्नातक प्रशिक्षुता, तकनीशियन प्रशिक्षुता, तकनीशियन (व्यावसायिक) प्रशिक्षुता, और वैकल्पिक टे्रड प्रशिक्षुता. राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवद्र्धन योजना (एनएपीएस) का उद्देश्य संचयी प्रशिक्षुता संलग्नता को 2020 तक 2.31 लाख से 50 लाख करना है.
योजना में नियोक्ता के साथ जुडऩे वाले सभी प्रशिक्षुओं को निर्धारित वृत्तिका के 25 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति करने का प्रावधान है. प्रति अभ्यर्थी प्रति माह रु. 1500/- की सीमा है. 2017-18 में करीब 10 लाख, 2018-19 में 15 लाख और 2019-20 में 20 लाख प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किये जाने की संभावना है. इनमें से करीब 20 प्रतिशत नये प्रशिक्षु होंगे.
रोजग़ार चाहने वालों और नियोक्ताओं के आवेदनों की सरल प्रोसेसिंग के लिये एक उपयोग अनुकूल ऑनलाइन पोर्टल www.apprenticeship.gov.in शुरू की गई है.
जीवन में बदलाव, प्रेरणादायक परिवर्तन
कौशल भारत न केवल एक अभ्यर्थी के तौर पर बल्कि प्रशिक्षक के तौर पर भी ऐसे प्रत्येक युवा भारतीय के उदीयमान कल का मार्ग प्रशस्त कर रहा है जो इस क्रांति में शामिल हो रहे हैं. ये केवल बदलाव और उपलब्धि की ही नहीं, बल्कि सही दिशा चाहने वाले प्रत्येक इच्छुक युवा के लिये आशा और उत्कर्ष की कहानियां हैं.
 
हेमंत झा, बिहार: जीवन विज्ञान क्षेत्र, पीएमकेवीवाई अभ्यर्थी
सर्वाधिक मांग वाले क्षेत्रों में एक जीवन विज्ञान है जो कि सीएजीआर का 17 प्रतिशत की दर से विकास कर रहा है, परंतु अब भी विभिन्न संकार्यो और स्तरों पर कुशल कार्यबल की कमी का सामना कर रहा है.
हेमंत झा से मिलिए. पीएमकेवीवाई की शुरूआत से पहले वह कटिहार जिला, बिहार का एक अन्य युवा मात्र था. वह जानता था कि पीएमकेवीवाई से जुड़ा एक कौशल प्रशिक्षण उसके जीवन में जबर्दस्त बदलाव लेकर आयेगा. उसे पीएमकेवीवाई के जीवन विज्ञान कौशल विकास पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित किया गया जिसने उसे एक सफल चिकित्सा प्रतिनिधि बना दिया है. पीएमकेवीवाई ने उसे एक बेरोजग़ार युवा से एक सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय हेल्थकेअर ब्राण्ड सन फार्मा का कर्मचारी बनने में योगदान किया. उसके सपनों को पंख लगने से उसके घर का आधार भी मज़बूत हो गया.
नित्य देवी नोहोतिया, त्रिपुरा: रबड़ पौधारोपण: पीएमकेवीवाई अभ्यर्थी
कौशल भारत में देश भर से महिलाओं की व्यापक भागीदारी हुई है जो सचमुच में देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगा. पिछले 3 वर्षों में 3 लाख से अधिक महिलाओं को अपनी आजीविका अर्जित करने के लिये प्रशिक्षित किया गया है. साधारण महिला से वे स्वयं की नायिकाएं बनकर उभरी हैं. यह सफल कहानी देश के पूर्वी छोर से आई है. किसने सोचा था कि त्रिपुरा के दूरदराज से एक जनजातीय महिला कुछ ऐसा कर गुजरेगी जिससे लोग देखेंगे कि खेती में भी बदलाव किया जा सकता है? परंपरागत खेती पर्याप्त नहीं थी, यह अब भी पर्याप्त नहीं है. यही कारण है कि जब एक समूचा गांव रोजी रोटी हासिल करने के लिये संघर्ष कर रहा था उसने सोचा कि यह समय बदलाव लाने का है और उसने कर दिखाया.
पीएमकेवीवाई की एक अभ्यर्थी नित्य देवी निहोतिया ने एक ऐसा मार्ग चुना जिसके लिये उसे दूर नहीं जाना पड़ा. उसके प्रयासों ने उसका मार्ग प्रशस्त किया और उसे पीएमकेवीवाई के रबड़ पौधारोपण प्रशिक्षण तक पहुंचा दिया, इसके बाद उसने रबड़ के पौधों की नर्सरी शुरू कर दी. इस नर्सरी ने उसके लिये 4000 रु. प्रति माह के लाभ के दरवाजे खोल दिये. वह न केवल पीएमकेवीवाई के प्रति आभारी है बल्कि दूसरों को प्रेरित करने के वास्ते अपने अनुभव बांटने को भी तैयार हुईं जिन्हें एक सही दिशा की ज़रूरत है.
 
पूनम कुमारी और कोमल कुमारी, वस्त्र क्षेत्र, पीएमकेवीवाई अभ्यर्थी
एक अन्य ऐसी ही कहानी दो बहनों पूनम और कोमल की है. उनकी दुर्दशा उन्हें अपना जीवन बदलने से नहीं रोक पाई. टूटा फूटा घर, दयनीय स्थितियां और अपनी शिक्षा जारी रखने के लिये कोई भी पैसा नहीं, एक ऐसा परिदृश्य था जिसे वे बदलना चाहती थीं. और, यह सब पीएमकेवीवाई से कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम हासिल करने के बाद पूरा हुआ. बदलाव धीरे-धीरे हो रहा था परंतु मज़बूत था जिसने उन्हें एक टेक्सटाइल कंपनी का कर्मचारी बना दिया. वे न केवल खुशी से अपने परिवारों का सहयोग कर रही हैं बल्कि अब उन महिलाओं के लिये एक आदर्श बन चुकी हैं जो कि अपने कौशलों के जरिये वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना चाहती हैं.
(राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से इनपुट्स पर आधारित)