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संपादकीय लेख


Volume-13

वस्तु एवं सेवाकर
एक राष्ट्र-एक कर-एक बाज़ार

वस्तु एवं सेवाकर 1 जुलाई, 2017 से लागू होने जा रहा है. यह स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़े कर सुधारों में से एक है. इससे कर अदा करने के हमारे तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आयेगा. प्रधानमंत्री के शब्दों में जीएसटी परिवर्तन और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने व्यापार में सुगमता लाने के लिए इसे अप्रत्यक्ष करों में एक व्यापक सुधार की संज्ञा दी है. इस शृंखला के अंतर्गत हम नई कर व्यवस्था, उसके फायदों और यह कैसे वर्तमान कर व्यवस्था में सुधार लायेगी और अन्य अति-आवश्यक प्रश्नों के जवाब देंगे.  
जीएसटी समूचे राष्ट्र के लिए एक परोक्ष कर है, जो भारत को एकीकृत साझा बाज़ार बनाएगा. यह वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर विनिर्माण से लेकर उपभोक्ता तक एकल कर है. पिछले चरण पर अदा किए गए इन्पुट करों का क्रेडिट मूल्य संवद्र्धन के परवर्ती चरण में उपलब्ध होगा, यह प्रावधान जीएसटी को अनिवार्यत: एक ऐसा कर बनाता है जो प्रत्येक चरण में केवल मूल्य संवद्र्धन पर लगेगा. इस तरह अंतिम उपभोक्ता को केवल उतना जीएसटी वहन करना होगा, जो आपूर्ति शृंखला में अंतिम व्यापारी द्वारा वसूल किया जायेगा, और साथ ही पिछले सभी चरणों पर अदा किए गए कर के लिए सेट-ऑफ लाभ प्रदान किया जाएगा.
जीएसटी के लाभ
जीएसटी के लाभ निम्नांकित रूप में वर्णित किए जा सकते हैं:-
व्यापार और उद्योग के लिए
*आसान अनुपालन: भारत में जीएसटी व्यवस्था का आधार एक सुदृढ़ और व्यापक आईटी प्रणाली होगी. अत: सभी करदाता सेवाएं, जैसे पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि ऑनलाइन प्रदान की जायेंगी, जिससे अनुपालन में सुगमता और पारदर्शिता आयेगी.
*कर की दरों और संरचनाओं में एकरूपता : जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि परोक्ष कर की दरें और संरचनाएं देशभर में एक समान रहें, जिससे व्यापार करने की अवश्यंभाविता और सुगमता में वृद्धि होगी. दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार प्रक्रिया को कर की दृष्टि से तटस्थ बनाएगा, चाहे आप किसी भी स्थान पर व्यापार करने का विकल्प चुनें.
*प्रपाती प्रभाव की समाप्ति : समूची मूल्य शृंखला में कर-क्रेडिट की सीवनरहित प्रणाली, यह सुनिश्चित करेगी कि करों का प्रपाती प्रभाव न्यूनतम हो. इससे व्यापार संचालन की प्रच्छन्न लागत में कमी आयेगी.
*प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार: व्यापार करने की लागत में कमी आने से अंतत: व्यापार और उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में सुधार होगा. 
*विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ: प्रमुख केन्द्रीय और राज्य करों के जीएसटी में समाहित होने, इन्पुट वस्तुओं एवं सेवाओं का पूर्ण और व्यापक सेट-ऑफ और केन्द्रीय बिक्री कर (सीएसटी) की चरणबद्ध रूप में समाप्ति जैसे प्रावधानों से स्थानीय रूप में विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आयेगी. इससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धा क्षमता में वृद्धि होगी और भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. समूचे देश में कर की दरों और प्रक्रियाओं में एकरूपता से भी अनुपालन लागत में भी काफी कमी आयेगी.
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए
*संचालन की दृष्टि से सामान्य और सरल: केन्द्र और राज्यों के स्तर पर लगाए जाने वाले अनेक परोक्ष करों का स्थान जीएसटी लेगा. एक छोर से दूसरे छोर तक सुदृढ़ आईटी प्रणाली द्वारा समर्थित जीएसटी का संचालन केन्द्र और राज्यों के अब तक के सभी अन्य परोक्ष करों की तुलना में अधिक सामान्य और सरल किस्म का होगा.
*रिसाव पर कारगर नियंत्रण: एक मजबूत आईटी ढांचे के कारण जीएसटी का कर-अनुपालन बेहतर होगा. मूल्य संवद्र्धन शृंखला में एक चरण से दूसरे चरण तक इन्पुट टैक्स क्रेडिट अबाधित होने की बदौलत जीएसटी के डिजाइन में ऐसी अन्तर-निहित व्यवस्था की गई है, जो व्यापारियों को कर अनुपालन के लिए प्रेरित करेगी. 
*उच्चतर राजस्व सक्षमता: जीएसटी से यह अपेक्षा की जा रही है कि सरकार के कर-राजस्व संग्रह की लागत में कमी आयेगी और नतीजतन राजस्व सक्षमता में वृद्धि होगी.   
उपभोक्ताओं के लिए
*वस्तुओं और सेवाओं के अनुपात में एकल और पारदर्शी कर: केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले बहुसंख्य करों और मूल्य शृंखला के परवर्ती चरणों में कोई इन्पुट कर क्रेडिट की व्यवस्था न होने या अधूरी व्यवस्था होने के कारण आज देश में अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं की लागत में प्रच्छन्न कर समाहित रहते हैं. जीएसटी के अंतर्गत विनिर्माता से उपभोक्ता तक केवल एक ही कर होगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता तक अदा किए गए करों में पारदर्शिता रहेगी.
*समग्र कर बोझ में राहत: सक्षमता में वृद्धि और रिसाव की रोकथाम होने से ज्यादातर वस्तुओं पर कर का बोझ हलका होगा, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा.
जीएसटी में समाहित किए जा रहे कर
केन्द्र के स्तर पर निम्नांकित कर समाहित किए जा रहे हैं:
क.केन्द्रीय उत्पाद शुल्क,
ख.अतिरिक्त उत्पाद शुल्क
ग.सेवा कर
घ.अतिरिक्त सीमा शुल्क जिसे प्रतिकारी शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटी) भी कहा जाता है, और
ङ.विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क.
राज्य स्तर पर, निम्नांकित कर समाहित किए जा रहे हैं:
क.राज्य स्तरीय मूल्य सवंद्र्धित कर/बिक्री कर.
ख.मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले करों के अतिरिक्त), केन्द्रीय बिक्री कर (केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाने वाला),
ग.चुंगी और प्रवेश कर,
घ.खरीद कर,
ङ.विलासिता कर, और
च.लाटरी, बाजी और जुए पर कर.
घटनाक्रम का ब्यौरा
देश में जीएसटी के कार्यान्वयन के पीछे 13 वर्ष की लम्बी यात्रा रही है. पहली बार इसका उल्लेख परोक्ष करों के बारे में केल्कर कार्य दल की रिपोर्ट में किया गया था. भारत में जीएसटी शुरू करने के प्रस्ताव के बारे में प्रमुख घटनाओं का संक्षिप्त कालक्रमानुसार विवरण इस प्रकार है: 
क.2003 में परोक्ष कर के बारे में केल्कर कार्य दल ने वैट सिद्धांत के आधार पर एक व्यापक वस्तु एवं सेवा कर का सुझाव दिया.
ख.पहली बार वित्तीय वर्ष 2006-07 के लिए बजट भाषण में यह प्रस्ताव किया गया कि 1 अप्रैल, 2010 से राष्ट्रीय स्तर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया जाये.
ग.चूंकि इस प्रस्ताव में न केवल केन्द्र द्वारा लगाए जाने वाले परोक्ष करों में, बल्कि राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले करों में भी सुधार/पुनर्निधारण की आवश्यकता थी, अत: जीएसटी का डिजाइन एवं रोडमैप तैयार करने का काम राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को सौंपा गया.
घ.इस अधिकार प्राप्त समिति ने भारत सरकार और राज्यों से प्राप्त जानकारी के आधार पर नवम्बर 2009 में भारत में वस्तु एवं सेवा कर के बारे में प्रथम विमर्श पत्र जारी किया.
ङ.जीएसटी संबंधी कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए सितम्बर, 2009 में केन्द्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों का एक संयुक्त कार्यदल बनाया गया. 
च.जीएसटी प्रारंभ करने के लिए संविधान में संशोधन करने हेतु मार्च, 2011 में लोकसभा में संविधान (115 संशोधन) विधेयक पेश किया गया. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, विधेयक को संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति को सौंप दिया गया ताकि वह उसकी जांच करके अपनी रिपोर्ट दे सके.
छ.इस बीच, केन्द्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के बीच 8 नवम्बर, 2012 को हुई एक बैठक में किए गए निर्णय के अनुपालन में एक समिति का गठन किया गया, जिसमें भारत सरकार, राज्य सरकारों और अधिकार प्राप्त समिति के अधिकारियों को शामिल किया गया. 
ज.इस समिति ने संविधान (115वां संशोधन) विधेयक सहित जीएसटी के डिजाइन के बारे में व्यापक विचार-विमर्श किया और जनवरी, 2013 में अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के आधार पर, अधिकार प्राप्त समिति ने भुवनेश्वर में जनवरी, 2013 में अपनी बैठक में संविधान संशोधन विधेयक में कतिपय परिवर्तनों की अनुशंसा की.
झ.अधिकार प्राप्त समिति ने भुवनेश्वर में अपनी बैठक में यह निर्णय भी किया कि जीएसटी के विभिन्न पहलुओं के बारे में विचार करने और रिपोर्ट करने के लिए निम्नांकित अनुसार तीन समितियों का गठन किया जाये:
(क)आपूर्ति स्थान नियम और राजस्व तटस्थ दरें संबंधी समिति;
(ख)दोहरे नियंत्रण, सीमारेखा और छूट संबंधी समिति;
(ग)    आयात संबंधी आईजीएसटी और जीएसटी संबंधी समिति
()स्थायी संसदीय समिति ने अगस्त, 2013 में अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंपी. अधिकार प्राप्त समिति की अनुशंसाओं और संसदीय समिति की अनुशंसाओं की जांच-पड़ताल मंत्रालय में गई, और उन पर विधायी विभाग से परामर्श किया गया. अधिकार प्राप्त समिति और स्थायी संसदीय समिति की अधिकतर अनुशंसाओं को स्वीकार कर लिया गया और संविधान संशोधन विधेयक के प्रारूप में उपयुक्त बदलाव किए गए.
ट.ऊपर वर्णित परिवर्तनों को समाहित करते हुए सितम्बर 2013 में संविधान संशोधन विधेयक का अंतिम प्रारूप अधिकार प्राप्त समिति को उसके विचारार्थ भेज गया.
ठ.अधिकार प्राप्त समिति ने एक बार फिर नवम्बर 2013 में शिलांग में अपनी बैठक में विधेयक के बारे में कुछ अनुशंसाएं कीं. संशोधित प्रारूप मार्च, 2014 में अधिकार प्राप्त समिति के विचारार्थ भेजा गया.
ड.115वां संविधान (संशोधन) विधेयक, 2011 जो मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था, वह 15वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही कालातीत हो गया.
ढ.जून 2014 में, संविधान संशोधन विधेयक का प्रारूप नई सरकार के अनुमोदन के बाद अधिकार प्राप्त समिति को भेजा गया.
ण.विधेयक की रूपरेखा पर अधिकार प्राप्त समिति में व्यापक सहमति के आधार पर, कैबिनेट ने देश में वस्तु एवं सेवा कर का शुभारंभ करने के लिए 17.12.2014 को संविधान में संशोधन के लिए संसद में विधेयक पेश करने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया. यह विधेयक 19.12.2014 को लोकसभा में पेश किया गया और इसे 06.05.2015 को लोक सभा ने पारित कर दिया. इसके बाद इसे राज्य सभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया, जिसने 22.07.2015 को अपनी रिपोर्ट पेश की.
जारी...
(पीआईबी)