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संपादकीय लेख


Editorial 45

व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में
कौशल विकास और गुणवत्ता आश्वासन

रोहित नंदन

भारतीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण तथा सामान्य शिक्षा सुधार की प्रक्रिया में है और इनमें अनेक बदलाव आये हैं जिसमें राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचा (एनएसक्यूएफ) की शुरूआत के जरिये उद्योग की व्यापक भागीदारी के लिये खुली प्रणाली देखी गई है. राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचा (एनएसक्यूएफ) 27 दिसंबर 2013 को अधिसूचित किया गया था और इसे राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए) के रूप में घोषित किया गया. यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात तथा अन्य देशों की तरह भारत में अर्हता ढांचे की शुरूआत विभिन्न शैक्षणिक प्रशिक्षण क्षेत्रों और उद्योग के बीच समन्वित संपर्क और यह सुनिश्चित करने को लेकर हुई है कि देश में सभी अर्हताएं मूल्यवान और संगत हैं.

एनएसक्यूएफ ने सर्वाधिक छिटपुट तरीके से संचालित और कार्यान्वित की जा रही अर्हताओं/पाठ्यक्रमों के लिये, इन्हें ज्ञान, कौशल और अभिरुचि पर आधारित सक्षमता के स्तरों में संचालित करते हुए एक औपचारिक ढांचा सुनिश्चित किया है. एनएसक्यूएफ के जरिये शैक्षणिक प्रशिक्षण के इनपुट आधारित दृष्टिकोण से एक परिणामोन्मुख प्रशिक्षण और मूल्यांकन के प्रतिमान में बदलाव की परिकल्पना की गई है. ये एनएसडीए द्वारा उद्योग वैधीकरण, अर्हता समन्वय और अनुमोदन के लिये पाठ्यक्रम और सामग्री हेतु न्यूनतम नियम तय किये गये हैं. एनएसडीए राज्य कौशल विकास मिशनों और भारत सरकार के मंत्रालयों को नये दृष्टिकोण की स्थापना के लिये सहायता प्रदान कर रहा है और अब तक कऱीब 1500 अर्हताएं विभिन्न प्रमाणन संस्थाओं ने परिणाम आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप स्वीकार की हैं. एक परिणाम आधारित दृष्टिकोण बेहतर तरीके से उम्मीदवारों और उनके नियोक्ताओं को इस बारे में अवगत करायेगा कि एक शिक्षार्थी पाठयक्रम/अर्हता प्राप्त करने के उपरांत क्या कर सकता है और उद्योग द्वारा बेहतर स्वीकार्यता और शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रणालियों के भीतर और बीच गतिशीलता और प्रगति के लिये अर्हताओं के गुणवत्ता आश्वासन का निर्माण करता है.

राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति 2015 में भारत में गति, मानक (गुणवत्ता) और स्थिरता के साथ कौशल संचालन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है. नये एनएसक्यूएफ के अधीन लोगों को प्रशिक्षण के लिये विभिन्न शैक्षणिक क्षेत्रों के बीच अधिनिर्णय की समानता सुनिश्चित करने और राष्ट्रीय स्तर पर स्नातक परिणामों में स्थिरता की गारंटी तथा अंतर्राष्ट्रीय तौर पर बृहत प्रेषण सुनिश्चित करने के वास्ते समन्वित प्रयास अपेक्षित होते हैं. यदि एक देश में अर्हता का एक शीर्षक और स्तर अन्य देश में समकक्ष शीर्षक और समकक्ष स्तर की अर्हता के परिणामों को पूरा नहीं करता है तब उस राष्ट्र की अर्हताओं में विश्वास खत्म हो जायेगा. यही बात है कि राष्ट्रीय तौर पर समन्वित अर्हता ढांचा अर्हताओं की सत्यनिष्ठा की संरक्षा में मदद करता है. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिये प्रयासरत है कि प्राप्त अर्हताएं और कौशल श्रम बाज़ार में नियोक्ताओं और छात्रों के लिये मूल्यवान बनें. यह राष्ट्रीय अर्हताओं और प्रशिक्षण/शिक्षा आवश्यकताओं को समग्र श्रम बाज़ार विश्लेषणों के साथ जोडक़र और परिणाम आधारित गुणवत्ता आश्वासन लागू करके किया जाता है. यह उच्चतर स्तर की अर्हताओं के लिये निर्बाध पथ प्रदर्शक के तौर पर भी सुविधा प्रदान करता है. इसे हासिल करने के लिये हमें अर्हता ढांचे की आवश्यकता है और अर्हता ढांचे के कार्यान्वयन के लिये एनएसक्यूएफ है. इससे भारत को विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों और अन्य देशों में अर्हताओं, प्रशिक्षण और प्रदर्शन परिणामों के बेंचमार्क निर्धारित करने में मदद मिलेगी. अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के लिये सभी मॉडल्स में एक सामान्य स्वीकृति  शिक्षा और कौशल विकास के लिये एक संयुक्त और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भित अर्हता आश्वासन प्रणाली पर ज़ोर दिया जाता है.

नीति में यह सुनिश्चित करने के लिये स्पष्ट तौर पर एक राष्ट्र एक मानककी बात कही गई कि राष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत मानकों का एकसमान सेट विश्व के साथ जोड़ा जा सकता है और भारतीय युवा स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर नौकरियों और रोजग़ार में प्रगति के अवसर प्राप्त कर सकते हैं.

गुणवत्ता में सुधार के लिये निम्नलिखित मानकों की पहचान की गई है:
*एनएसक्यूएफ में समाहित गुणवत्ता आश्वासन ढांचा
*बाज़ार संगत प्रशिक्षण कार्यक्रम
*पूर्व शिक्षण को मान्यता
*पाठयक्रम संरेखण
*राष्ट्रीय प्रमाणन ढांचा
*रोजग़ारपरक कौशल
*प्लेसमेंट्स
नीति में कौशल पारिस्थितिकी प्रणाली में गुणवत्ता आश्वासन और नीति अनुसंधान पर ज़ोर देते हुए राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए) की भूमिका की कल्पना की गई है. इसमें कौशल परिदृश्य में परिणामों की निरंतरता में सुधार के लिये एनएसक्यूएफ में शामिल गुणवत्ता आश्वासन ढांचा की स्थापना और प्रचालन का कार्य सौंपा गया है जिसमें देश में प्रशिक्षण, मूल्यांकन और प्रमाणन प्रक्रियाओं तथा एजेंसियों के लिये एक ढांचे का निर्धारण शामिल है. गुणवत्ता आश्वासन ढांचा एक विनियामक ढांचे के तौर पर काम करेगा जो कि देश में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में विभिन्न पणधारियों द्वारा पालन किये जाने वाले नियमों, गुणवत्ता मानदंडों और प्रक्रियाओं को परिभाषित करेगा.

प्रस्तावित राष्ट्रीय गुण्वत्ता आश्वासन ढांचा (एनक्यूएएफ) में वीईटी और सामान्य शिक्षा की उपलब्धियों और परिणामों के मूल्यांकन और सुधार पर रोजग़ार योग्यता में वृद्धि, मांग और आपूर्ति के बीच समन्वय में सुधार और जीवनपर्यन्त शिक्षण की बेहतर पहुंच को बढ़ावा देने पर विशेष जगह दी गई है. एनक्यूएएफ के संदर्भ में गुणवत्ता से आशय यह सुनिश्चित करने के लिये प्रक्रियाओं, पद्धतियों और परिणामों से है जिससे कि अर्हताएं, मूल्यांकन और कार्यक्रम सुपुर्दगी ऐसे स्नातक तैयार करे जो कि उद्योग की वर्तमान और भविष्य की कौशल आवश्यकताओं को पूरा करे. राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन ढांचा (एनक्यूएएफ) विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों और मंत्रालयों में प्रयोग के वास्ते डिज़ाइन किया गया है और ऐसा ढांचा उपलब्ध करवाता है जिसके भीतर सभी संस्थाएं संचालित होती हैं.

राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन ढांचे का दृष्टिकोण है:

1.उद्योग और अन्य सामाजिक साझेदारों के साथ निकट भागीदारी के जरिये एनएसक्यूएफ स्नातकों की स्थिरता और उद्योग प्रासंगिकता में सुधार करना
2.सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों और जेंडर्स के लोगों के लिये हल्के और गैर संगत कौशलों के विकास से विविधता का समायोजन और शिक्षार्थियों की संरक्षा करना
3.भारत में वीईटी और सामान्य शिक्षा प्रणालियों के निरंतर सुधार के लिये ढांचा उपलब्ध करवाना.
4.एक समावेशी गुणवत्ता ढांचे द्वारा भारत में सभी प्रकार की शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार करना, यहां तक कि जिन्हें संस्थानों द्वारा सीमित संसाधानों से प्रदान किया जाता है, और जो कि ऐसे संस्थानों को एनक्यूएएफ में निर्धारित गुणवत्ता मानदंडों को हासिल करने की अनुमति प्रदान करता है. इसका उद्देश्य वीईटी और सामान्य शिक्षा प्रक्रिया में एक विशिष्ट ढांचे के द्वारा भागीदारों की बड़ी संख्या को हटाना नहीं है जो कि ऐसे बेंचमार्क निर्धारित करता है जिनमें देश में वर्तमान में लागू अधिकतम शिक्षण और प्रशिक्षण प्रावधान शामिल नहीं हैं.
5.संपूर्ण वीईटी और सामान्य शिक्षा प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता और स्थिरता प्रदान करना क्योंकि यह शिक्षा और प्रशिक्षण के पूर्ण सुधार, निगरानी और प्रबंधन, प्रावधान और परिणामों  के मूल्यांकन के लिये एक संयुक्त ढांचा उपलब्ध करवाता है.

एनक्यूएएफ वीईटी और सामान्य शिक्षा प्रणाली के सभी स्तरों पर लागू किया जाना है और इसे पूर्णरूपेण वीईटी और सामान्य शिक्षा की प्रभावकारिता के मूल्यांकन के लिये प्रयोग में लाया जा सकता है. गुणवत्ता के लिये राष्ट्रीय सतत दृष्टिकोण से वीईटी और सामान्य शिक्षा का दजऱ्ा बढ़ाने में सहायता करेगा क्योंकि नियोक्ता ये महसूस करेंगे कि स्नातक मौजूदा प्रशिक्षण/शिक्षण कार्यक्रमों के साथ संगत कौशलों और ज्ञान के साथ तैयार हो रहे हैं. मंत्रालयों, राज्यों, सरकार और उद्योग नेतृत्वाधीन संस्थाओं (सेक्टर कौशल परिषदों) सभी को भारत में विभिन्न कौशल विकास प्रणालियों में सुधार के लिये निरंतर सहयोग की भूमिका निभानी होगी. भारत में सर्वाधिक मौजूद गुणवत्ता व्यवस्थाओं में वर्तमान गुणवत्ता अपेक्षाओं का निर्माण करते हुए अपने प्रशिक्षण/शिक्षा परिणामों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार के सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्धता की अपेक्षा अप फ्रंट ऑडिट पर जोर दिया जाता है. भारत में विभिन्न क्षेत्रों में वीईटी और सामान्य शिक्षा से जुड़े विभिन्न पणधारियों को शामिल करते हुए सुविधाओं के स्तर, वर्तमान उपकरणों की पहुंच और शिक्षकों के कौशलों को लेकर व्यापक अंतर मौजूद है. ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों की अपेक्षा बड़े शहरों में स्थित प्रशिक्षण/शिक्षण संस्थानों में कुशल स्टाफ और अच्छे प्रशिक्षण उपकरणों की पहुंच होने की संभावना होती है. इस अंतर से आशय है कि गुणवत्ता ढांचे में वृद्धिशील सुधार के जरिये गुणवत्ता के सामान्य उच्चतर स्तरों के लिये प्रगति करने के लक्ष्य के साथ विभिन्न स्तरों पर सभी प्रशिक्षण/शिक्षण संगठनों के लिये अवसर अवश्य प्रदान किये जाने चाहियें. एनक्यूएएफ में प्रशिक्षण/शिक्षण प्रदाताओं के लिये वृद्धिशील दृष्टिकोण शामिल होता है जो कि राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित अपेक्षित प्रशिक्षण और शिक्षण लक्ष्यों के प्रयासों पर बुरा प्रभाव नही डालेंगे.

एनक्यूएएफ में प्रक्रियाओं, सिद्धांतों और संकेतकों के 8 गुणवत्ता मैनुअलों का उप सेट शामिल होता है जो कि हितधाराको द्वारा अनुपालन किये जाने वाले मानकों का एक सेट उपलब्ध करवायेगा ताकि विभिन्न मंत्रालयों, सेक्टरों, राज्यों और विभागों में कार्यान्वयन प्रक्रिया समान दक्षता के साथ संचालित की जाये. प्रत्येक मैनुअल में संचालित की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन है. मैनुअलों को यह सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न हितधारकों, कार्यान्वयनकर्ताओं, विनियामकों और नीति निर्माताओं द्वारा संदर्भित किया जायेगा कि एनएसक्यूएफ को पूर्णरूपेण कार्यान्वित किया जाये और सभी हितधारकों के विश्वास का निर्माण और अनुरक्षण कर सके.

एनक्यूएएफ श्रृंखला में  मैनुअल में निम्नलिखित शामिल हैं:

पहला मैनुअल अर्थात ढांचे के 7 उपसेट मैनुअलों में प्रत्येक पणधारी के लिये संपूर्ण विनियामक ढांचे और गुणवत्ता मानकों का पुनरावलोकन मैनुअल होता है.

दूसरा मैनुअल अर्थात एनएसक्यूएफ अर्हता का पंजीकरण में अर्हता के महत्वपूर्ण पहलुओं, एनएसक्यूएफ के साथ इसकी संबद्धता और राष्ट्रीय अर्हता रजिस्टर पर पंजीकरण की प्रक्रिया का उल्लेख है. मैनुअल में अर्हताओं की संबद्धता में सक्षम संस्थाओं की भूमिका का उल्लेख है और एनएसक्यूएफ के अधीन संबद्धता के लिये मानकों और टूल्स तथा अर्हता की संवीक्षा का वर्णन है.

तीसरा मैनुअल प्रशिक्षण/शिक्षण संस्थानों की मान्यता के बारे में है जिसमें नियमों और मानदंडों का निर्धारण किया गया है जिनके तहत प्रशिक्षण/शिक्षण संस्थान का गुणवत्ता प्रशिक्षण सेवाएं प्रदान करने के संबंध में मूल्यांकन किया जाना चाहिये. इसमें सेवाओं और प्रचालनों की गुणवत्ता के अनुरूप मान्यता से संबंधित चार चरणों के साथ विभिन्न चरणों का उल्लेख किया गया है. यह प्रशिक्षण प्रदाता को समावेशी मान्यता ढांचा और वीईटी स्पेस में निरंतर सुधार के अवसर प्रदान करता है.

चौथा मैनुअल अर्थात मूल्यांकनों में मूल्यांकन संस्थाओं और गुणवत्ता आश्वासन में वे नियम एवं मानक निर्धारित किये गये हैं जिनके तहत मूल्यांकन संस्थाओं को वीईटी स्पेस में मूल्यांकन संचालित करने के लिये मान्यता प्रदान की गई है. प्रशिक्षण संस्थानों के लिये मान्यता ढांचे के अनुरूप मूल्यांकन संस्थाओं के लिये मान्यता के तीन स्तरों के साथ एक स्तरीय दृष्टिकोण का प्रस्ताव किया गया है. मैनुअल में मूल्यांकन के प्रत्येक चरण में उत्कृष्ट व्यवहारों का प्रावधान किया गया है और उच्च गुणवत्ता मूल्यांकन प्रदान करने के लिये मूल्यांकनकर्ताओं के निर्देशक के तौर पर कार्य करता है.

पांचवां और छठा मैनुअल अर्थात एनक्यूएएफ ऑडिटर्स मैनुअल और जोखिम मूल्यांकन ढांचा मैनुअल में सेवा प्रदाताओं द्वारा एनक्यूएएफ मानकों के लिये अनुपालना के मूल्यांकन के लिये प्रक्रियाओं और संकेतकों का प्रावधान किया गया है. जबकि ऑडिटर्स मैनुअल में एनक्यूएएफ के अधीन ऑडिट प्रक्रियाओं पर सूचनाएं उपलब्ध हैं, जोखिम मूल्यांकन ढांचे में सेवा प्रदाताओं की अनुपालना स्थिति, जोखिम संकेतकों के तहत मापन के तौर तरीकों का उल्लेख किया गया है तथा इनका टीवीईटी सिस्टम की निगरानी और सतत सुधार के लिये किस प्रकार प्रयोग किया जायेगा.

सातवें मैनुअल अर्थात उद्योग संस्थाओं का गुणवत्ता मैनुअल में उद्योग परामर्शों के लिये गुणवत्ता आश्वासन प्रक्रियाएं, अर्हता प्रमाण और डाटा संग्रह अपेक्षाएं, एनएसक्यूएफ के बारे में सम्प्रेषण तथा एनएसक्यूएफ स्तरों की संबद्धता पर सूचना उपलब्ध कराई जाती है.

आठवां मैनुअल अर्थात राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थाओं के लिये गुणवत्ता आश्वासन मैनुअल में विशेष तौर पर एनएसक्यूएफ कार्यान्वयन शामिल किया जाता है और यह इस बारे में सूचना उपलब्ध करवाता है कि किस प्रकार एनक्यूएएफ उद्देश्यों की निगरानी और गुणवत्ता सुधारों का उपयुक्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संस्थाओं द्वारा मूल्यांकन किया जाता है. इसमें डाटा संग्रह अपेक्षाओं और एनक्यूएएफ के कार्यान्वयन के लिये अंतरिम व्यवस्था का भी निर्धारण किया गया है.

एनएसक्यूएफ में अंत:स्थापित एनक्यूएएफ गुणवत्ता आश्वासन के लिये राज्य योजनाओं, भारत सरकार के मंत्रालयों, निजी और निगमित क्षेत्र की सभी कौशल पहलों को शामिल करते हुए एक महत्वपूर्ण ढांचे के तौर पर उभर कर आया है जिसका उचित सांस्थानिक ढांचे के जरिये चरणबद्ध रूप में कार्यान्वयन किया जाना है.

(लेखक: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव हैं)

-पीआईबी