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संपादकीय लेख


Editorial Volume-41

भारत में युवाओं का विकास

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) दिलावर सिंह

‘‘मेरी भविष्य की उम्मीद चरित्रवान, बुद्धिमान दूसरों की सेवा के लिए सब कुछ त्याग करने वाले और आज्ञाकारी - स्वयं के प्रति और समूचे देश के प्रति नेक युवाओं से है’’
-स्वामी विवेकानंद.

 किसी राष्ट्र का मूल्य उसकी अर्जित समृद्धि या परिसंपत्तियों से निर्धारित नहीं होता, बल्कि उन लोगों से होता है, जो उसमें रह रहे हैं. कोई राष्ट्र धनवान हो सकता है, लेकिन वास्तविक धन से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि उस धन को अर्जित करने में लोगों की सामूहिक ज्ञान और बुद्धिमता का कितना योगदान है. इससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि कोई विकासशील राष्ट्र भी बर्बाद हो सकता है, अगर उसकी नई पीढिय़ां अपने पूर्वजों के साथ गति बनाए रखने में असमर्थ रहती हैं और नवाचार और विकास नहीं ला पाती हैं. विकासशील राष्ट्र विवेकसम्मत आयोजना के साथ अपने उत्साही युवाओं और उनके कल्याण को प्रोत्साहित करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में, ‘‘युवा वह है, जो अपने अतीत को नजरअंदाज कर भविष्य के लक्ष्यों की दिशा में काम करता है.’’ किसी राष्ट्र के युवा यह निर्धारित करते हैं कि वे भविष्य में कुछ वर्षों में क्या करना चाहते हैं, और उनकी कर्मण्यता और अकर्मण्यता दोनों का राष्ट्र की स्थिति में योगदान होता है. भारत जैसे विकासशील और प्रतिभाशाली देश के युवा अपने मताधिकार का इस्तेमाल करके राष्ट्र के विकास में योगदान कर सकते हैं. भारत को इस तथ्य पर गर्व है कि वह विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिससे वह कारगर ढंग से शासित है और यह शासन उन लोगों द्वारा किया जाता है जो इस प्रयोजन के लिए विकसित किए गए हैं.

सकारात्मक परिवर्तन लाना
विभिन्न सामाजिक बुराइयां भारत को चुनौती देती हैं. देश का युवा अपनी शिक्षा का इस्तेमाल उन समस्याओं से लडऩे में कर सकता है, जो देश को रोगग्रस्त बनाए हुए हैं. युवा प्रत्येक ऐसी सामाजिक बुराई के खिलाफ संघर्ष कर सकते हैं, जो किसी राष्ट्र को पतन की ओर ले जाती है और उसे वांछित गति के साथ प्रगति करने से रोकती है.

शिक्षा का इस्तेमाल देशहित के लिए करना :
अधिक से अधिक युवाओं के शिक्षित होने, और शिक्षा का इस्तेमाल राष्ट्र के बृहत्तर हित में होने की स्थिति में देश का विकास होता है और वह अधिक बेहतर बन जाता है. भारत बुनियादी सुविधाओं और अवसरों की दृष्टि से अधिकतर देशों से आगे है. परंतु, युवाओं की मानसिकता भी उतनी ही तेज गति से बदलने की आवश्यकता है. यदि देश का युवा शिक्षित है और रचनात्मक परिवर्तन के लिए कुछ अतिरिक्त प्रयास करने का इच्छुक है, तो करिश्मा संभव है.

इतिहास इस बात का गवाह है कि राष्ट्रों के लिए स्वतंत्रता हासिल करने से लेकर यथास्थिति को बदलने वाली नई प्रौद्योगिकियों के आविष्कार तथा कला, संगीत और संस्कृति के नए रूपों के विकास तक युवाओं ने अग्रदूत के रूप में काम किया है. विकास का समर्थन और प्रोत्साहन करते समय सभी क्षेत्रों और राष्ट्र के सभी हितधारकों में भारत के युवाओं को अग्रणी प्राथमिकताओं में से एक अवश्य समझा जाना चाहिए.

भारत में विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी है और आने वाले दशक में इसमें और बढ़ोतरी होने जा रही है. भारत की 70 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है. यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि इस जनसांख्यिकीय लाभ का उपयोग किया जाए और युवाओं और उनकी रचनात्मक ऊर्जा को राष्ट्र निर्माण में संलग्न किया जाए. इसके लिए यह अनिवार्य है कि अर्थव्यवस्था श्रम शक्ति में वृद्धि का समर्थन करे और युवा समुचित रूप में शिक्षित, कौशलयुक्त, स्वस्थ एवं जागरूक हों ताकि वे अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण में उत्पादक ढंग से योगदान कर सकें.

15-29 वर्ष की आयु समूह के युवाओं की आबादी में हिस्सेदारी 27.5 प्रतिशत है. वर्तमान में भारत की सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) में करीब 34 प्रतिशत योगदान 15-29 वर्ष के युवाओं का है. परंतु, राष्ट्र के नागरिकों के इस वर्ग का योगदान बढ़ाने की व्यापक संभावना मौजूद है, जिसके लिए उनकी भागीदारी और उत्पादकता में वृद्धि करनी होगी.

राष्ट्रीय युवा नीति, 2014 (एनवाईपी-2014) के जरिए देश के युवाओं के लिए भारत सरकार का लक्ष्य परिभाषित करने और उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने का प्रयास किया गया है, जिनमें अधिक कार्य करने की आवश्यकता है. इसका उद्देश्य युवाओं का विकास करना और सभी हितधारकों के लिए कार्रवाई हेतु एक फ्रेमवर्क उपलब्ध करना है. एनवाईपी में परिभाषित लक्ष्य के अनुसार ‘‘देश के युवाओं का सशक्तिकरण करना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकें, और उनके माध्यम से भारत राष्ट्रों के समुदाय में उचित स्थान हासिल करने में सक्षम हो सके.’’ इसे हासिल करने के लिए 5 महत्वपूर्ण लक्ष्यों, 11 प्राथमिकता क्षेत्रों और तदनुरूप भावी अनिवार्यताओं की पहचान की गई है, जिन्हें युवाओं के विकास के लिए आवश्यक समझा गया है, जो नीचे दी गई हैं:

 1.लक्ष्य:- एक उत्पादक श्रम शक्ति का  सृजन करना, जो भारत  के आर्थिक विकास में स्थाई  योगदान कर सके.
 प्राथमिकता क्षेत्र      :- शिक्षा 
भावी अनिवार्यताएं:-*प्रणालीगत क्षमता का निर्माण और गुणवत्ता.
*कौशल विकास और जीवन पर्यंत शिक्षण को प्रोत्साहन                   

प्राथमिकता क्षेत्र      :- रोजगार और कौशल विकास
भावी अनिवार्यताएं:-*लक्षित युवा पहुंच और जागरूकता.
*क्षमता निर्माण के लिए कारगर कार्यक्रम बनाना
*युवा उद्यमशीलता के लिए जरूरत के मुताबिक कार्यक्रम तैयार करना.
*व्यापक निगरानी और मूल्यांकन प्रणालियों को लागू करना.

 2. लक्ष्य:- एक सुदृढ़ और स्वस्थ पीढ़ी का विकास करना, जो भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो   
प्राथमिकता क्षेत्र:- स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैलियां
भावी अनिवार्यताएं:-*सेवा वितरण में सुधार
*स्वास्थ्य, पोषण और निवारक देखभाल के बारे में जागरूकता
*युवाओं के लिए लक्षित रोग नियंत्रण कार्यक्रम

 प्राथमिकता क्षेत्र:- खेल
भावी अनिवार्यताएं:-*खेल सुविधाओं और प्रशिक्षण के लिए पहुंच बढ़ाना
*युवाओं के बीच खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करना
*प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को सहायता देना और उनका विकास करना
 

3.लक्ष्य:- राष्ट्रीय स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए सामाजिक मूल्य जागृत करना और
प्राथमिकता क्षेत्र:- सामाजिक मूल्यों को प्रोत्साहन
भावी अनिवार्यताएं:-* मूल्य शिक्षा प्रणाली तैयार करना
*युवाओं के लिए शक्ति संवर्धन कार्यक्रम
*ऐसे स्वैच्छिक संगठनों और लाभप्रद संगठनों को
प्राथमिकता क्षेत्र:- खेल
भावी अनिवार्यताएं:-*खेल सुविधाओं और प्रशिक्षण के लिए पहुंच बढ़ाना
*युवाओं के बीच खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करना
*प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को सहायता देना और उनका विकास करना सहायता देना, जो मूल्यों के लिए कार्यरत हों
प्राथमिकता क्षेत्र:-सामुदायिक संबद्धता
भावी अनिवार्यताएं:-* मौजूदा समुदाय विकास संगठनों का उत्थान
*मौजूदा समुदाय विकास संगठनों का उत्थान

4. लक्ष्य:-शासन के सभी स्तरों पर भागीदारी और नागरिक संबद्धता बढ़ाना
प्राथमिकता क्षेत्र:-*राजनीति और शासन में भागीदारी
भावी अनिवार्यताएं:-* राजनीतिक प्रणाली से बाहर रहने वाले युवाओं को उसमें शामिल करना
*शासन की ऐसी व्यवस्था करना, जिसमें युवा योगदान कर सकें    
*शहरी शासन में युवा भागीदारी को बढ़ावा देना
प्राथमिकता क्षेत्र:- युवा संलग्नता
भावी अनिवार्यताएं:-* युवा विकास कार्यक्रमों की प्रभावकारिता का मूल्यांकन और निगरानी
*युवाओं के साथ संपर्क के लिए एक मंच कायम करना

 5. लक्ष्य:-जोखिम के लिए युवाओं की सहायता करना और सभी उपेक्षित वर्गों तथा अलग थलग पड़े युवाओं के लिए समान अवसर सृजित करना 
प्राथमिकता क्षेत्र:-समावेशन
भावी अनिवार्यताएं:-*उपेक्षित युवाओं का सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण
*संघर्ष-प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं के लिए आर्थिक अवसर सुनिश्चित करना   
*विकलांग युवाओं को सहायता पहुंचाने के लिए बहु-सूत्री युवाओं को जोखिम से बचाने हेतु जागरूकता और अवसरों का सृजन करना दृष्टिकोण विकसित करना
प्राथमिकता क्षेत्र:-सामाजिक न्याय
भावी अनिवार्यताएं:-*अनुचित सामाजिक पद्धतियों को समाप्त करने में युवाओं का लाभ उठाना
*सभी स्तरों पर युवाओं की पहुंच को सुदृढ़ बनाना

पहचान किए गए 11 प्राथमिकता कार्रवाई क्षेत्रों में अंतराल कम करने की दिशा में काम करने के लिए यह अनिवार्य है कि सभी सम्बद्ध पक्षों की ओर से एकजुट प्रयास किए जाएं. युवाओं द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले अवसरों को देखते हुए सरकार युवाओं पर अपना निवेश बढ़ा सकती है.

युवाको अक्सर ऐसे व्यक्ति के रूप में समझा जाता है, जो ऐसी आयु के बीच होता है, जहां वह अपनी अनिवार्य शिक्षा समाप्त करता/करती है और इसी दौरान अपना रोजगार तलाश करता/करती है. राष्ट्रीय युवा नीति-2014 में युवाके लिए 15-29 वर्ष का आयु समूह परिभाषित किया गया है. इसका लक्ष्य विभिन्न नीतिगत उपायों के संदर्भ में अधिक फोकस दृष्टिकोण अपनाना है. युवाकी आयु और पृष्ठभूमि के अनुसार विभिन्न जरूरतों और सरोकारों का समाधान करने की आवश्यकता होती है.

भारत सरकार वर्तमान में प्रति वर्ष विभिन्न मंत्रालयों के विविध कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को लक्षित कार्यक्रमों (उच्चतर शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल आदि) और गैर-लक्षित कार्यक्रमों (खाद्य सब्सिडी, रोजगार आदि) के अंतर्गत युवा विकास पर 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करती है. इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारें और कई अन्य सम्बद्ध पक्ष भी युवा विकास को बढ़ावा देने और युवाओं को उत्पादक भागीदारी में सक्षम बनाने के लिए काम कर रहे हैं. राज्य सरकारें भी इन शीर्षों पर, भारत सरकार द्वारा किए गए व्यय के अतिरिक्त, पर्याप्त खर्च करती हैं. अत: युवाओं पर समग्र व्यय (केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त रूप से) काफी अधिक होता है.

युवाओं से संबद्ध विभिन्न क्षेत्रों, उनके द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों और इन क्षेत्रों के बीच परस्पर संबंधों की वर्तमान स्थिति, को समझने के लिए एक व्यवस्थित मूल्यांकन अनिवार्य है. युवा विकास की दिशा में काम कर रहे हितधारकों की रेंज की पहचान करने, उनकी गतिविधियों के प्रभाव का विश्लेषण करने के प्रयास अपेक्षित हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कैसे इन हितधारकों को युवाओं की अधिक कारगर सहायता के लिए सुसम्बद्ध और लाभप्रद बनाया जा सकता है. इसके लिए युवाओं की चुनौतियों का एक समग्र मूल्यांकन किया जा रहा है.

युवाओं के साथ सरकार की सम्बद्धता का दोहरा उद्देश्य है. पहला यह है कि सरकार युवाओं को जानकारी प्रदान करने और समग्र युवा विकास सक्षम बनाने के लिए युवाओं से अवश्य जुड़ें. दूसरे, वह उन मुद्दों, नीतियों और विशेष कार्यक्रमों, विशेषकर युवाओं पर सीधे प्रभाव डालने वाले कार्यक्रमों, के बारे में युवाओं से जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके साथ अवश्य जुड़ें.

युवाओं के साथ जुडऩे और युवाओं में नेतृत्व का विकास और अन्य अंतर-वैयक्तिक कौशल सुनिश्चित करने से ऐसे व्यक्तियों की पीढ़ी बनाने में मदद मिलेगी, जो नागरिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रगति के प्रति वचनबद्ध हों.

युवा मामले और खेल मंत्रालय के जरिए भारत सरकार समग्र युवा विकास और नेतृत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से युवा भागीदारी के लिए अनेक कार्यक्रमों का संचालन करती है. नेतृत्व और व्यक्तिगत विकास अक्सर एनवाईकेएस, एनएसएस और एनसीसी जैसे युवा कार्यक्रमों के सह-उत्पाद होते हैं.

नीति निर्माताओं और युवा भारतीयों के बीच शैक्षिक संस्थानों जैसे मंचों पर कुछ अनौपचारिक विचार-विमर्श होता है, परंतु युवा नागरिकों के साथ सम्बद्धता के लिए औपचारिक चैनल आवश्यक हैं, ताकि सरकार को युवाओं से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके. कुछ संगठनों ने इस अंतराल को आंशिक रूप से कम किया है, जिससे जनहित के मुद्दों के विश्लेषण और समीक्षा में मदद मिली है.

देश की व्यापक विविधता और क्षेत्र-विषयक जरूरतों और युवाओं के सरोकारों का समाधान करने की जरूरत को देखते हुए, राज्य सरकारें भी अब स्वयं की राज्य युवा नीति बनाने लगी हैं.

इस बात को देखते हुए कि कई केंद्रीय मंत्रालय अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के महत्वपूर्ण घटक युवाओं के लिए तैयार करते हैं, युवा संबंधी मुद्दों से निपटने में एक अंतर-क्षेत्रगत दृष्टिकोण आवश्यक है और यह धीरे-धीरे आकार ले रहा है. केंद्र और राज्य स्तर पर भी एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित हो रहा है.

युवा विकास के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उपायों के समूह की पहचान और उनमें निवेश करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे इनमें से प्रत्येक प्राथमिकता क्षेत्र में अधिकतम प्रभाव पैदा किया जा सकेगा. इसे ध्यान में रखते हुए वर्तमान सरकार द्वारा युवा विकास के लिए अनेक नए उपाय और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं और साथ ही जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त करने के लिए युवा क्षेत्र में निवेश बढ़ाया गया है.

यह स्पष्ट है कि युवा राष्ट्र के विकास में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. अत: यह महत्वपूर्ण है कि युवाओं से संबंधित मुद्दों को मुख्य धारा में लाया जाए और युवाओं को राष्ट्रीय प्राथमिकता समझा जाए. आरएफडीज़ (रूरल फ्री डिलिवरीज़ ) में युवा विकास करने सहित इसे कई तरीकों से हासिल किया जा सकता है. प्रमुख मंत्रालयों को एक ‘‘यूथ कनेक्ट’’ प्रोग्राम विकसित करना चाहिए और नियमित रूप से समग्र समीक्षा करनी चाहिए. ऐसे कई चैनल हैं, जिनका लाभ सरकार युवा और युवा विकास को बढ़ावा देने के लिए कारगर ढंग से कर सकती है.

2020 तक भारत की आबादी विश्व में सबसे युवा होने की संभावना है. 50 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिक 25 वर्ष से कम आयु के होंगे और दो तिहाई से अधिक आबादी काम करने की पात्र होगी. इसका अर्थ यह हुआ कि भारत की बढ़ती युवा आबादी को सही शैक्षिक ढांचे की आवश्यकता पड़ेगी, जो कौशल विकास कर सके और रोजगार या उद्यमशीलता के समुचित अवसर पैदा कर सके. शिक्षा और कौशल विकास के अवसरों तक पहुंच रखने वालों और इन तक पहुंच न रखने वालों के बीच व्यापक अंतराल दूर करना होगा. सरकार बेरोजगार युवाओं, अलग-थलग पड़े महिला और ग्रामीण समुदायों की जरूरतों को पूरा करने सहित इस समस्या पर ध्यान दे रही है.

मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया (पीएमकेवीवाई), स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना, खेलो इंडिया और राष्ट्रीय युवा कार्यक्रम, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रमुख कार्यक्रमों का हिस्सा हैं. इन उपायों का अंतिम लक्ष्य युवाओं में नवीन उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है.

प्रौद्योगिकी में विश्व को बदल देने और लोगों के जीवन में सुधार लाने की क्षमता है, जिसका इस्तेमाल अब युवा विकास के लिए किया जा रहा है. यह युवा नेतृत्व वाले उद्यम और पहल की भावना का विकास कर रही है और इससे पता चल रहा है कि सशक्त और उत्साहित व्यक्ति कैसे अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर सकता है.

2016 की वैश्विक युवा विकास सूचकांक रिपोर्ट में युवा विकास के क्षेत्र में भारत की रैंकिंग में महत्वपूर्ण सुधार आया है. रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में युवा विकास के स्तरों में सुधार लाने की आवश्यकता है, विशेषकर स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अधिक सुधार अपेक्षित हैं. इन क्षेत्रों में सुधार लाने से भारत को जनसांख्यिकीय लाभ उठाने में मदद की जा सकेगी. भारत के अंकों में वृद्धि के कारणों में किशोरावस्था प्रजनन दर में कमी (29 प्रतिशत कमी) के साथ युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी, और माध्यमिक स्तर पर सकल दाखिलों में वृद्धि (9 प्रतिशत वृद्धि) शामिल है.

सरकारी क्षेत्र में फेलोशिप कार्यक्रम और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों तथा अन्य संगठनों द्वारा संचालित फेलोशिप कार्यक्रम युवा विकास में मदद कर रहे हैं. पंचायती राज मंत्रालय और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दी जाने वाली फेलोशिप इसका उदाहरण है. एसबीआई, वाईएफआई द्वारा व्यापक परियोजनाओं के लिए फेलोशिप दी जा रही है जो ग्रामीण विकास के समूचे क्षेत्र को कवर करती हैं. फेलो किसी वर्तमान परियोजना पर काम करने का चयन कर सकते हैं अथवा भागीदार स्वैच्छिक संगठनों के फोकस क्षेत्र में कोई नया कार्यक्रम लागू कर सकते हैं. एसबीआई वाईएफआई यह सुनिश्चित करती है कि फेलो को आवश्यक सहायता और मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाए.

नेहरू युवा केंद्र संगठन सबसे बड़े युवा संगठनों में से एक है, जो युवा मामले और खेल मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहा है. श्री विजय गोयल के नेतृत्व और मार्गदर्शन के अंतर्गत यह संगठन राष्ट्र निर्माण में युवा विकास के लिए नए आयाम खोल रहा है. हाल ही में इस संगठन ने बड़ी संख्या में नए कार्यक्रम सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में हजारों स्थानों पर, मुख्य रूप से देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में शुरू किए हैं जिनमें लाखों युवाओं को शामिल किया गया है. वर्तमान में यह संगठन नकदी रहित लेनदेन के बारे में प्रशिक्षण के लिए देशभर में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. इसके लिए 60 दिन के भीतर देशभर में 1.27 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है.

(मेजर जनरल दिलावर सिंह (सेवानिवृत्त) नेहरू युवा केंद्र संगठन, युवा मामले और खेल मंत्रालय में महानिदेशक हैं).