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संपादकीय लेख


Volume-1, 6 – 12 April, 2019

 

पर्यटन उद्योग तीव्रतर आर्थिक विकास की कुंजी

डॉ. रंजीत मेहता

भारत में आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है. ईंधन, रसायन और खाद्यान्न के बाद पर्यटन विश्व का चौथा सबसे बड़ा निर्यात उद्योग बन गया है. विश्व के कुल माल और सेवा निर्यात में पर्यटन का हिस्सा छह प्रतिशत है. सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसका हिस्सा 30 प्रतिशत है. इसके अलावा विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.8 प्रतिशत पर्यटन क्षेत्र से आता है. सैलानी बाजार के बढ़ते आकार के कारण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर अंतर्गामी पर्यटन का प्रभाव लगातार ज्यादा महत्वपूर्ण होता जा रहा है. अंतर्गामी पर्यटन आर्थिक विकास को कई तरह से बढ़ावा देता है. पर्यटन विदेशी मुद्रा के भंडार में काफी योगदान करता है. इससे उत्पादन की प्रक्रिया के लिये नयी प्रौद्योगिकियों को लाने में मदद मिलती है. पर्यटन नये इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव पूंजी में निवेश को बढ़ावा देने के अलावा प्रतिस्पर्धा में तेजी लाता है. यह परोक्ष तौर पर औद्योगिक विकास को बढ़ावा देकर रोज़गार सृजन के जरिये आमदनी को बढ़ाता है. इस तरह यह एक सकारात्मक आर्थिक प्रभाव पैदा करता है.

भारत विश्व की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. लिहाजा आने वाले वर्षों में इसके पर्यटन उद्योग से तेज विकास की उम्मीद की जा सकती है. भारतीय पर्यटन उद्योग की काफी संभावनाओं का दोहन किया जाना अभी बाकी है. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के अनुसार भारत ने पिछले दशक में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन में सबसे मजबूत विकास दर्ज किया. भारत पर्यटन के लिये अनगिनत विकल्प मुहैया कराता है जिनमें इसके 36 विश्व विरासत स्थल, 103 राष्ट्रीय उद्यान, आगरा का ताज महल, राजस्थान के पहाड़ी किले, हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर, समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र, गोवा के समुद्र तट तथा बाघों, हाथियों और एशियाई शेरों वाले वन शामिल हैं. साहसिक पर्यटन के 2023 तक 1.3 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है. भारत इस साहसिक पर्यटन बाजार का लाभ उठाने की विश्व के किसी भी दूसरे देश में तुलना में बेहतर स्थिति में  है.

ज्यादातर देशों में पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है. इसका अर्थव्यवस्था पर काफी परोक्ष और अनुप्रेरित प्रभाव पड़ता है. भारतीय पर्यटन उद्योग विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, त्यौहारों और दिलचस्प स्थलों का मिश्रण पेश करता है. देश में पर्यटकों के लिये काफी विकल्प हैं. भारत संपन्न सांस्कृतिक और पारंपरिक विविधताओं वाला देश है. देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह के दिलचस्प पर्यटन स्थल हैं. पर्यटन के सकारात्मक आर्थिक प्रभावों में राष्ट्रीय आय का सृजन, रोज़गार के अवसरों का विस्तार, टैक्स राजस्व में बढ़ोतरी, विदेशी मुद्रा का संग्रह तथा क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन शामिल है.

भारत में कई होटल शृंखलाओं ने अपनी सेवाओं की दरों में वृद्धि की है. इसके बावजूद देश में होटलों के कमरों के भरे होने का स्तर 2008 के बाद से सबसे ऊंचा है. विदेशी निवेशकों ने भी होटल के कमरों की बुकिंग के व्यवसाय की जरूरत को पहचाना है. जापान के सॉफ्ट बैंक समूह ने ओयो रूम्स जैसे स्र्टाटअप को सहयोग दिया है. ओयो रूम्स देश में होटलों और अतिथि गृहों में किफायती कमरे मुहैया कराने वाला सबसे बड़ा एग्रीगेटर बन गया है. देश के 200 से ज्यादा स्थानों के होटल उससे जुड़े हुए हैं. वर्ष 2007 में 100 से ज्यादा वायु मार्गों पर पांच क्षेत्रीय बजट विमान सेवाओं की शुरूआत भारत के स्वदेशी पर्यटन के तेज विकास में एक प्रमुख उत्प्रेरक साबित हुई है. इन विमान सेवाओं को अब तक अपूरित और दूरदराज के क्षेत्रों में सस्ती उड़ानें मुहैया कराने के लिये सरकार की ओर से रियायतें दी गयी हैं. इससे हजारों परिवारों को विमान से पहली बार यात्रा करने का मौका मिला है. नतीजतन 2007 के शुरुआती 11 महीनों में 1.06 करोड़ यात्रियों ने अंदरूनी विमान सेवाओं से यात्रा की. यह संख्या इससे पहले के साल की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है. इससे स्पाइसजेट, जेट एयरवेज और विस्तारा जैसी स्थापित विमान सेवाएं नये स्थानों के लिये उड़ानें संचालित करने के वास्ते प्रेरित हुईं.

इसी तरह 2017 के शुरुआती 11 महीनों में 90 लाख से ज्यादा विदेशियों ने भारत की यात्रा की. यह संख्या 2016 में भारत आने वाले विदेशियों की तुलना में 15.6 प्रतिशत अधिक है. देश में कुल सैलानियों में स्वदेशी पर्यटकों का हिस्सा 88 प्रतिशत है. उनके द्वारा होटल और यात्रा बुकिंग के लिये ऑनलाइन पोर्टलों के इस्तेमाल में लगातार इजाफा हुआ है. यात्रा पोर्टल मेकमाईट्रिप के माध्यम से होटल की बुकिंग में सितंबर की तिमाही में 186 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. होटल और विमान की बुकिंग के उसके अवकाश पैकेज के राजस्व में 2017 की तुलना में 2018 में 71 प्रतिशत का इजाफा हुआ.

पर्यटन उद्योग से जुड़े प्रमुख रोज़गार इस प्रकार हैं -

विमान सेवा: जमीनी कर्मी (यातायात सहायक, काउंटर कर्मचारी तथा बुकिंग और आरक्षण)

होटल: संचालन, फ्रंट ऑफिस, साफ सफाई, खानपान, लेखा, रख-रखाव, सुरक्षा, बिक्री तथा जन संपर्क

पर्यटन विभाग और अन्य: पर्यटन योजनाकार और गाइड, सूचना सहायक, आरक्षण और काउंटर कर्मचारी, बिक्री और विपणन, दुभाषिया, यात्रा एजेंट, कार्यक्रम योजना निर्माता, विदेशी मुद्रा विनिमय तथा गंतव्य प्रबंधक

परिवहन: रेल, जहाज, नौका, बस और विमान समेत परिवहन के सभी साधनों का प्रबंधन और संचालन

भारत यात्रा और पर्यटन का सबसे बड़ा बाजार है. यह क्रूज पर्यटन, साहसिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन, तंदुरुस्ती पर्यटन, खेल पर्यटन, सम्मेलन पर्यटन, प्रोत्साहन पर्यटन, प्रदर्शन पर्यटन, ईको पर्यटन, फिल्म पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन, विलासिता पर्यटन और धार्मिक पर्यटन जैसे पर्यटक उत्पादों के लिये विविध विकल्प मुहैया कराता है. स्वदेशी और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के सैलानियों के लिये भारत धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख गंतव्य है.

देश के होटल और पर्यटन क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की इजाजत है और इसके लिये पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ती. दिल्ली और मुंबई को छोड़ कर देश के बाकी हिस्सों में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के विश्व विरासत स्थलों के इर्द-गिर्द दो, तीन और चार सितारा होटल खोलने पर पांच साल तक टैक्स से छूट दी जाती है. अप्रैल 2000 और जून 2018 के बीच भारतीय होटल और पर्यटन क्षेत्र में कुल 11.39 अरब डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश किया गया. भारत यात्रा और पर्यटन के लिये सबसे बड़ा बाजार है.

नयी वीसा नीति के तहत भारत आने वाले पर्यटकों और व्यवसायियों को 16 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आगमन पर वीसाकी सुविधा मुहैया करायी जाती है. इसके लिये उन्हें किसी भारतीय वाणिज्य दूतावास  या वीसा केन्द्र का चक्कर लगाये बिना सिर्फ  आगमन से पहले इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकार ऑनलाइन हासिल करना होता है. भ्रम की स्थिति को टालने के लिये आगमन पर वीसायोजना का नाम बदल कर ई-टूरिस्ट वीसाया ई-टीवी किया गया है. नयी वीसा नीति के परिणामस्वरूप अक्टूबर 2015 के दौरान 56477 पर्यटक ई-टीवी वीसा लेकर आये. इस योजना के लागू होने से पहले अक्टूबर 2014 में सिर्फ  2705 पर्यटकों का भारत आगमन हुआ था. इस तरह पर्यटकों की संख्या में 1987.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. जनवरी से अक्टूबर 2015 तक ई-टीवी पर आने वाले पर्यटकों की संख्या 258182 रही. ई-टीवी उपलब्ध होने से पहले 2014 में इसी काल में 21995 पर्यटकों का आगमन हुआ था और इस तरह यह बढ़ोतरी 1073.8 प्रतिशत रही.

अतुल्य भारतऔर अतिथि देवो भवजैसी ब्रांडिंग और विपणन की पहलकदमियों से भी पर्यटन के विकास को बल मिला है. देश में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये वीसा की एक नयी श्रेणी मेडिकल वीसा या एम-वीसा की शुरुआत की गयी है. अतुल्य भारत मोबाइल ऐपभारत आने वाले पर्यटकों की मदद करने के अलावा उन्हें यात्रा के प्रमुख अनुभवों से वाकिफ कराता है. उम्मीद है कि विश्व के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन आगमन में 2020 तक एक प्रतिशत और 2025 तक दो प्रतिशत हिस्सा भारत का होगा.

गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटीसे भी पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है.

भारत अविश्वसनीय प्राकृतिक सुंदरता तथा अनूठी सांस्कृतिक विरासत और विविधता से परिपूर्ण है. उसे यात्रियों को विशिष्ट अनुभव प्रदान करने के मकसद से अपनी अलग-अलग सांस्कृतिक खासियतों और परंपराओं वाले छह लाख गांवों तथा ईको और क्रूज पर्यटन का फायदा उठाना चाहिये. चिकित्सा के लिये आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 2016 में 427014 से बढ़ कर 2017 में 495056 हो गयी. वर्ष 2018 में जनवरी से नवंबर के बीच ई-टीवी के जरिये आने वाले पर्यटकों की संख्या 20.60 लाख रही जो 2017 के इसी काल की तुलना में 41.50 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2017-18 के दौरान पर्यटन क्षेत्र में आठ  करोड़ 11 लाख लोग काम कर रहे थे जो देश में कुल रोज़गार का 12.38 प्रतिशत है. मौजूदा समय में भारत की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत हिस्सा यात्रा और पर्यटन क्षेत्र का है. इसका 88 प्रतिशत भाग स्वदेशी और 12 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन से आता है. देश के कुल रोज़गार में पर्यटन का हिस्सा 9.3 प्रतिशत यानी चार करोड़ तीन लाख है. लेकिन देश के निर्यात में पर्यटन का हिस्सा 6.6 प्रतिशत के वैश्विक औसत की तुलना में सिर्फ  5.4 प्रतिशत है. भारत के विशाल सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधन तथा किफायती मूल्य इसके पर्यटन को प्रतिस्पर्धी बनाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं. सरकार ने भारत में यात्रा को बढ़ावा देने और उसे सुविधाजनक बनाने के लिये भूतल परिवहन और अंतर्राष्ट्रीय खुलेपन पर काफी जोर दिया है. बेहतर वीसा नीतियों और ई-टीवी के परिणामस्वरूप भारत में पर्यटकों के आगमन में 2015 से 2016 के बीच 56.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ और यह 103617 से बढ़ कर 162250 हो गया.

इस तरह हम कह सकते हैं कि भारत में पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और आगामी वर्षों में इसमें और बेहतरी की संभावना है. भारतीय पर्यटन उद्योग में अगले दशक में रोज़गार के लाखों अवसर पैदा होने की उम्मीद है. सरकार को आशा है कि यह क्षेत्र रोज़गार के अवसर सृजित करने में प्रमुख भूमिका निभायेगा. इसे ध्यान में रखते हुए उसने स्थानीय युवाओं को कौशल आधारित प्रशिक्षण देने के कार्यक्रम चलाये हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है. भारत के पास सात हजार किलोमीटर से ज्यादा समुद्र तट से लेकर वर्षा वन, रेगिस्तान, हिमाच्छादित पर्वत चोटियां, मंदिर, मस्जिद, वन्यजीव, जनजातीय बस्तियां और बहु-सांस्कृतिक आबादी समेत पर्यटन के लिये सब कुछ है. भारत के 29 राज्य, 4000 शहर, संपन्न इंतिहास और अतुलनीय सांस्कृतिक विविधता देश के यात्रा और पर्यटन उद्योग को जबर्दस्त क्षमता प्रदान करती है. लिहाजा यह उद्योग देश में आर्थिक प्रगति, रोज़गार सृजन और विकास का वाहक बनने में सक्षम है.

भारत के पास विश्व का पांचवां सबसे तेजी से विकसित हो रहा उड्डयन बाजार है. इसकी योजना विकास को जारी रखते हुए 2030 तक सबसे बड़ा बाजार बन जाने की है. देश में विमान यात्रियों की संख्या 2026 में 27.8 करोड़ और 2035 तक 44.2 करोड़ हो जाने की आशा है. ज्यादा परिपक्व पर्यटक गंतव्यों के विपरित भारत के पास गलतियों से सीखने के उस दौर से बचने का अवसर है जिससे कई देशों को गुजरना पड़ा था. वह यात्रा और पर्यटन उद्योग का विकास सुनिश्चित करने के लिये उन सर्वश्रेष्ठ परिपाटियों और नीतियों को लागू कर सकता है जो अन्य देशों में कारगर साबित हुई हैं. यूएनडब्ल्यूटीओ के अनुसार भारत में विदेशी पर्यटकों का आगमन 2025 तक 1.53 करोड़ के स्तर पर पहुंच जायेगा जिससे पर्यटन उद्योग में रोज़गार के असंख्य अवसर पैदा होंगे. सरकार ने 2020 तक दो करोड़ विदेशी पर्यटकों के आगमन तथा विदेशी मुद्रा की आय दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. तेज आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के संपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिये पर्यटन एक प्रमुख क्षेत्र है.

(डॉ. रंजीत मेहता, प्रधान निदेशक, पीएच.डी चेम्बर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, नई दिल्ली.)

ईमेल ranjeetmehta@gmail.com

व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं

 

(छायाचित्र: गूगल से साभार)