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संपादकीय लेख


Volume-24, 15-21 September, 2018


एशियाई खेलों में भारत का अब तक का सर्वोत्तम प्रदर्शन

विधांशु कुमार

जकार्ता में हाल ही में संपन्न हुए एशियाई खेल भारतीय दल के लिए महत्वपूर्ण सफलता रहे हैं. भारत ने कुल 69 पदक जीते, जिनमें 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदक शामिल हैं. एशियाई खेलों के इतिहास में भारतीय एथलीटों के लिए पदक तालिका में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. भारतीय दल ने न केवल नया कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि अनेक भारतीय एथलीटों ने व्यक्तिगत तौर पर नई ऊंचाइयां हासिल कीं जो अभी तक कोई प्राप्त नहीं कर पाया था.
यह अक्सर कहा जाता है कि खेल चरित्र का निर्माण नहीं करते, बल्कि उसे उद्घाटित करते हैं. यह कहावत इंडोनेशिया में हुए एशियाई खेलों में पूरी तरह से चरितार्थ हुई. भारत के लिए इन खेलों में अनेक उज्ज्वल पहलू उजागर हुए. ट्रैक और फील्ड
मुकाबलों में भारतीय खिलाडिय़ों ने कमाल का प्रदर्शन किया.
कुछ एथलीटों ने देश के लिए एक से अधिक पदक जीते. इनमें एक हिमा दास हैं, जिसने दो रजत और एक स्वर्ण पदक जीता. 400 मीटर मुकाबले में हिमा ने रजत पदक और 2 रिले प्रतिस्पर्धाओं में एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीता. एशियाई खेलों में 3 पदक जीतने वाले 700 से अधिक खिलाडिय़ों में नाम दर्ज कराने वाली हिमा एकमात्र भारतीय एथलीट हैं. हिमा का प्रदर्शन इतना शानदार रहा कि जैसे वह एक राष्ट्र के रूप में व्यक्तिगत पदक तालिका में 27वें स्थान पर रहीं. मिक्सड 4 & 4 सौ मीटर रिले स्पर्धा में हिमा ने रजत पदक जीता. परंतु, उसका शानदार प्रदर्शन महिलाओं की 4 & 4 सौ मीटर रिले प्रतिस्पर्धा में देखने को मिला, जिसमें हिमा ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
हिमा दास की ही तरह दुती चंद भारतीय मुकुट की एक अन्य मणि साबित हुई.
दुती ने दो रजत पदक जीते. उसने पहला पदक 100 मीटर स्प्रिंट में और दूसरा 200 मीटर दौड़ में जीता. ओडि़शा की 20 वर्षीया धावक दुती ने सफलता प्राप्त करते हुए पीटी ऊषा की याद ताजा कर दी, जिसने 80 के दशक में दक्षिण कोरिया में हुए एशियाई खेलों में ऐसी ही कामयाबी प्राप्त की थी.
ट्रैक मुकाबलों से अन्य उत्कृष्ट प्रदर्शन मध्यम दूरी की स्पर्धा में जिनसन जॉनसन ने किया, जिसने 1500 और 800 मीटर मुकाबलों में क्रमश: एक स्वर्ण और एक रजत पदक भारत को दिलाया. 1500 मीटर का मुकाबला जबर्दस्त रहा, जिसने ओलिम्पिक खेलों में हिसटम एलजी और सेबेस्टियर कोए के कारनामों की याद दिला दी.
ट्रैक एंड फील्ड प्रतियोगिता के दो दिनों में 7 मुकाबले शक्ति, क्षमता और साहस की अग्नि परीक्षा कहे जा सकते हैं. हैथलॉन स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम करने के लिए स्वप्ना बर्मन ने सभी बाधाएं पार कीं. विदेशी धरती पर भारतीय तिरंगे को ऊंचा लहराते देख पाना हमारे एथलीटों के जोश, आवेश और प्रतिबद्धता का परिचायक था.
पुरुषों के ट्रिपल जंप मुकाबले में अरपिंदर सिंह ने भी स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया.
हमारे एथलीट जहां एशियाई स्तर पर चमक बिखेर रहे थे, वहीं एक एथलीट नीरज चोपड़ा ने सही अर्थों में विश्व स्तरीय प्रदर्शन किया. नीरज ने तकनीक और कौशल का अदभुत प्रदर्शन करते हुए 88 मीटर से अधिक दूरी पर भाला फेंका और स्वर्ण पदक जीता. वे विश्व प्रतियोगिताओं और आगामी तोक्यो ओलिम्पिक खेलों के लिए  भारत की वास्तविक उम्मीद साबित हुए.
थ्रो प्रतियोगिताओं में 23 वर्षीय शॉटपुटर तजिंदर पाल सिंह तूर ने 20.75 मीटर का नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करते हुए पुरुषों की शॉटपुट प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता.
एक तरफ जहां हमारे एथलीट बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर कबड्डी और हॉकी में भारत को कुछ धक्का लगा. इन दोनों स्पर्धाओं में भारतीय खिलाडिय़ों के लिए स्वर्ण पदक पक्का दिखाई दे रहा था, लेकिन कबड्डी में ईरान की टीम बेहतर सिद्ध हुई. पुरुषों और महिलाओं दोनों वर्गों में ईरान की टीम ने कबड्डी का स्वर्ण पदक जीता. पुरुषों की हॉकी में भारतीय टीम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. कांस्य पदक मुकाबले में भारत ने मलेशिया को हराया. भारतीय महिला हॉकी टीम ने फाइनल में जापान से हार कर रजत पदक जीता.
तीरंदाजी और नौकायन मुकाबलों में भी भारत के लिए अधिक खुशी के क्षण देखने को मिले. भारतीय तीरंदाजों और नाविकों ने देश के लिए पदक जीतते हुए शानदार प्रदर्शन किया. भारतीय दल में पदक विजेता खिलाडिय़ों में 15 वर्षीय सौरभ चौधरी सबसे कम आयु के और 60 वर्षीय शिबनाथ सरकार सबसे अधिक आयु के पदक विजेता रहे. इससे भारतीय खिलाडिय़ों की विविधता और समर्पण का पता चलता है. वास्तव में खेल मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए टीओपीएस जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के परिणाम एशियाई खेलों में दिखाई दिए.
कुश्ती प्रतियोगिताओं में भारत के बजरंग ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और आगामी तोक्यो ओलिम्पिक खेलों के लिए भारत की नई उम्मीद के रूप में नजर आए. विनेश फोगाट ने भी अपने वर्ग में स्वर्ण पदक जीता.
शूटिंग, टेनिस, बैडमिंटन और बॉक्सिंग ऐसे खेल थे, जो भारत के लिए पदकों की दौड़ में प्रमुख रहे. राहुल, सौरभ, रोहन-दिविज, सानिया-सिंधु और अमित तथा विकास जैसे खिलाडिय़ों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और भारत को कई पदक दिलाए.
कुर्श, विशु, ब्रिज, सेपक टाकरा, घुड़दौड़ और रोइंग जैसे कुछ नए खेलों में भी जकार्ता में भारतीय खिलाडिय़ों ने नाम कमाया.
वास्तव में भारत को सफलताएं दिलाने में स्कवैश और टेबल टेनिस खिलाड़ी मौन नायक सिद्ध हुए. जोशना चिनप्पा और दीपिका पल्लीकल काफी लंबे समय से खेल रही हैं. मणिका बत्रा और ए. शरतकमल जैसे टेबल टेनिस खिलाडिय़ो ने अपने अपने क्षेत्र में चैम्पियनशिप जीती.
भारत विश्व का सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है और यहां रहने वाली 70 प्रतिशत आबादी की आयु 30 वर्ष से कम है. यह कहा जा सकता है कि युवाओं का आबादी में बहुमत होने से अधिकाधिक युवा खेल को करियर के रूप में चुन रहे हैं. विशेष रूप से एथलीटों में 15 और 16 वर्ष के खिलाडिय़ों ने देश के लिए पदक जीत कर अपनी क्षमता सिद्ध की.
सरकार के कार्यक्रमों और पहुंच के प्रयासों के सुफल एशियाई खेलों में दिखाई दिए. भारत सरकार और खेल मंत्रालय ने अनेक उपाय किए थे, जिनके नतीजे सामने आए. केंद्र सरकार द्वारा किए गए अनेक उपायों में खेलो इंडियाएक ऐसा कार्यक्रम है, जिसने हर किसी का ध्यान खींचा. खेलो इंडिया स्कूल खेल ओलिम्पिक मॉडल पर आधारित धारणा है जो इस वर्ष जनवरी में शुरू किया गया था. यह एक राष्ट्रीय स्तर की बहु विषयीय वार्षिक खेल प्रतियोगिता है, जिसमें देश के अंडर 17 स्कूली विद्यार्थी हिस्सा ले सकते हैं. प्रधानमंत्री ने दिल्ली में इंदिरा गांधी स्टेडियम में इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा था कि देश के युवाओं को चाहिए कि वे खेलों को केंद्रीय स्थानप्रदान करें.
खेलो इंडिया स्कूली खेलों के उद्घाटन संस्करण में अनेक उपलब्धियां सामने आईं और कीर्तिमान स्थापित हुए. खेलो इंडिया स्कूली खेलों में प्रतिस्पर्धा की गुणवत्ता अत्यंत ऊंची थी. सबसे अधिक उत्साहजनक बात यह थी कि खेलो इंडिया में चैम्पियनशिप जीतने वाले कुछ खिलाडिय़ों ने राष्ट्रमंडल खेलों सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रौशन किया.
किशोर खिलाडिय़ों मनु भाकर (निशानेबाजी) और श्रीहरि नटराज (स्विमिंग) ने खेलो इंडिया के अंतर्गत भारतीय स्कूल खेलों में अनेक रिकॉर्ड बनाए और वे भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए महत्वाकांक्षी कार्यक्रम से चैम्पियनों के रूप में उभरे. मनु ने नया राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करते हुए 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता. नटराज ने भी खेलो इंडिया प्रतियोगिताओं में बैक स्ट्रोक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और कुल मिला कर 6 स्वर्ण और 1 रजत पदक अपने नाम किया.
मनु और नटराज ने ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया और अच्छा प्रदर्शन किया. नटराज ने 50 मीटर बैक स्ट्रोक में अपने ही रिकॉर्ड को बेहतर किया और सेमीफाइनल में पहुंचे लेकिन फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए.
सरकार ने इन प्रमुख खेल कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है. भावी प्रयासों के रूप में मंत्रालय समाज के निचले स्तर पर अधिक संख्या में प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बना रहा है ताकि वे खिलाडिय़ों को सही प्रशिक्षण दे सकें. खेलो इंडिया के अंतर्गत अधिक संख्या में बालिकाओं को शामिल करने की भी योजनाएं हैं. इस कार्यक्रम का मकसद व्यवहारगत बदलाव लाना है और देश में खेलों की सही संस्कृति विकसित करना है.
मंत्रालय एक ऐप भी विकसित कर रहा है, जिसके माध्यम से निकटवर्ती खेल के मैदानों, खेल सुविधाओं आदि की जानकारी दी जाएगी और यह भी बताया जाएगा कि किसी खेल में कोई खिलाड़ी कैसे अपने प्रदर्शन में सुधार ला सकता है. यह ऐप कहां खेलोंऔर कैसे खेलोंका अंतराल दूर करेगा. सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत खेल सुविधाओं के स्थानों तक इस ऐप के जरिए पहुंच कायम की जा सकती है. इस ऐप पर विभिन्न खेलों में कैसे खेलेंसंबंधी अनेक वीडियो उपलब्ध कराए गए हैं.
ओलिम्पिक के लिए लक्ष्य
एशियाई खेलों में पदक जीतने में जिस कार्यक्रम की संभवत: सबसे ज्यादा सराहना हुई, वह टीओपीएस था. यह कार्यक्रम युवा मामलों और खेल मंत्रालय द्वारा प्रायोजित और संचालित किया जा रहा है. कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के नेतृत्व में एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों का प्रदर्शन बढ़ाने में इस कार्यक्रम की निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका रही. अधिकतर एथलीट टीओपीएस एथलीटों की सूची में शामिल हैं और वे अपने देश के लिए पदक जीत रहे हैं.
इस कार्यक्रम का नाम टारगेट ओलिम्पिक पोडियम (टीओपी) रखा गया है और इसे 2014 में युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था.
इस कार्यक्रम का लक्ष्य 2016 और 2020 के ओलिम्पिक खेलों में संभावित पदक विजेताओं की पहचान करना और उनके प्रशिक्षण में सहायता करना है. टीओपी के प्रथम चरण में 7 खेलों - एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, शूटिंग, कुश्ती और नौकायन की पहचान की गई. इस चरण में करीब 100 एथलीटों को चुना गया, जिन्हें भारत और विदेश के उच्च कोटि के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए वित्तीय मदद दी गई.
कुल मिला कर जकार्ता में भारतीय खिलाडिय़ों ने अपना लौहा सिद्ध किया और अब हर किसी की निगाह 2020 में तोक्यो में होने वाले ओलिम्पिक खेलों पर टिकी हुई है. जकार्ता एशियाई खेलों ने भारत की उम्मीदों को आसमान पर पहुंचाया और भारत के लिए सर्वोच्च स्तर पर बड़े पदक जीतने की उम्मीदें जगाई. यह खुशी की बात है कि भारतीय नीति निर्माताओं के लिए खेल एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है और यही वजह है कि विश्व खेलों में भारत नई ऊंचाइयों हासिल कर रहा है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और खेल समीक्षक हैं. उनका इमेल आईडी है - vidhanshu.kumar@ gmail.com)