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संपादकीय लेख


Volume-20, 18-24 August, 2018

 
भारत-अफ्रीका मैत्री: नई उपलब्धियां

मोहित मिश्र

भारत की अफ्रीका के साथ गहरी मित्रता है. दोनों देशों के बीच 3000 साल से अधिक पुराने सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध हैं. उपनिवेशवाद के गहन अंधकार के समय उनके बीच उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष में सहयोगपूर्ण संबंध थे. महात्मा गांधी भारत और अफ्रीका, दोनों के लिए पथ प्रदर्शक बन गए थे. उन्होंने अफ्रीका को स्वतंत्रता और न्याय के लिए प्रेरित किया. गांधीजी ने अपने जीवन के 21 वर्ष दक्षिण अफ्रीका में बिताए और अपना पहला असहयोग आंदोलन वहीं पर शुरू किया. औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत और अफ्रीका के संबंध ऐतिहासिक और औपनिवेशिक की बजाए सार्थक राजनीतिक, आर्थिक और विकास साझेदारी पर अधिक केंद्रित हो गए हैं. सांस्कृतिक जुड़ाव, औपनिवेशिक अतीत और विकास में रुकावटें आदि कुछ ऐसे घटक हैं, जो दोनों देशों को एक दूसरे के करीब ले आते हैं.
विदेश और आर्थिक नीति के मामलों में अफ्रीका एनडीए सरकार की शीर्ष वरीयताओं में शामिल रहा है. वर्तमान सरकार ने अक्तूबर, 2015 में नई दिल्ली में तीसरे अफ्रीका-भारत फोरम सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें सभी 54 देशों ने हिस्सा लिया था. इसमें 40 से अधिक राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष शामिल हुए थे. पिछले 4 वर्षों में अफ्रीका से 32 राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष भारत की यात्रा कर चुके हैं. इसी अवधि के दौरान भारतीय राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने 25 से अधिक अफ्रीकी देशों की यात्राएं की हैं. इन यात्राओं से अफ्रीका के साथ भारत के आर्थिक संबंधों को नई शक्ति देने की मोदी सरकार की प्राथमिकताएं उजागर हुई हैं. अफ्रीका के साथ भारत का कमोडिटी ट्रेड यानी वस्तु बाजार 2015-16 में अमरीका के साथ भारत के वस्तु बाजार से अधिक था. अफ्रीका में निवेश के मामले में भारत अब दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा देश है, जिसने पिछले 20 वर्षों में 54 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य का निवेश किया है. अफ्रीका-भारत व्यापार पिछले 5 वर्षों में दोगुना हो गया है, जो 2014-15 में बढ़ कर करीब 72 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य पर पहुच गया था. सरकार द्वारा किए गए इन प्रयासों की पृष्ठभूमि में महाद्वीप के साथ संबंधों का और विस्तार करने तथा उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री ने अफ्रीका के तीन देशों का दौरा किया. इस आलेख में हम प्रधानमंत्री की रवांडा, युगांडा और दक्षिण अफ्रीका की यात्राओं की उपलब्धियों पर विचार करेंगे.
रवांडा
रवांडा अफ्रीकी देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत और रवांडा के बीच संबंधों में पिछले वर्षों के दौरान निरंतर बढ़ोतरी हुई है. रवांडा ने आधिकारिक तौर पर 1999 में नई दिल्ली में अपने दूतावास की स्थापना की थी, जबकि भारत ने अब रवांडा की राजधानी किगाली में अपना दूतावास खोलने का निर्णय किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23-24 जुलाई, 2018 को रवांडा की दो दिन की सरकारी यात्रा की. श्री नरेंद्र मोदी रवांडा की यात्रा करने वाले भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले, रवांडा के राष्ट्रपति श्री पाउल कगामे ने इस वर्ष नई दिल्ली की यात्रा की थी, जब उन्होंने इंटरनेशनल सोलर एलाएंस के प्रथम सम्मेलन के फाउंडिंग कांफ्रेंस में हिस्सा लिया था. रवांडा भारत की संघीय सरकार के महत्वाकांक्षी इंटरनेशनल सोलर एलाएंस फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में शामिल है. इस समझौते में 121 से अधिक देश शामिल हो चुके हैं, जिसका लक्ष्य जीवाष्म इंधनों पर निर्भरता कम करना है. प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेताओं के द्विपक्षीय शिष्टमंडल स्तर की बातचीत हुई, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार और निवेश, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा सहित विभिन्न मुद्दों को शामिल किया गया. उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के समूचे परिदृश्य की समीक्षा की. आपसी बातचीत में आतंकवाद पर भी चर्चा हुई और दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद से संबंधित किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने सीमा पार से आतंकवाद के संकट पर विचार साझा किए. दोनों नेताओं ने आतंकवाद की रोकथाम और उसके खिलाफ  संघर्ष में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के महत्व पर बल दिया. उन्होंने शांति स्थापना के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, क्योंकि दोनों देशों का अफ्रीकी महाद्वीप में संयुक्त राष्ट्र शांति  सेना (यूएनपीकेएफ) में महत्वपूर्ण योगदान है. भारत और रवांडा ने ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं तलाश करने और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की. भारत ने अपने नागरिकों के लिए दीर्घावधि व्यापार वीजा और वर्क परमिट दिए जाने पर भी बल दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिसोज़ी जेनोसाइड  मेमोरियल पर जाकर 1994 में नरसंहार में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि भी प्रकट की. श्री मोदी ने रवांडा सरकार के गिरिंका कार्यक्रम के अंतर्गत रेवेरू मॉडल विलेज के निवासियों को 200 गाय उपहार स्वरूप भेंट कीं. उन्होंने इस कार्यक्रम में मदद के लिए दो लाख अमरीकी डॉलर की सहायता देने की भी घोषणा की.
श्री मोदी की यात्रा के दौरान आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों ने रक्षा सहयोग, व्यापार को सुगम, विविध और प्रोत्साहित करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौता तथा आर्थिक सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. अन्य प्रमुख समझौतों में भारत के आईसीएआर (राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान) और रवांडा कृषि और मवेशी संसाधन विकास बोर्ड, किगाली के बीच डेरी क्षेत्र में सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन, केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई), भारत और राष्ट्रीय औद्योगिक अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनआईआरडीए), रवांडा के बीच समझौता ज्ञापन, सांस्कृतिक आदान प्रदान के बारे में समझौता ज्ञापन, औद्योगिक पार्कों के विकास और किगाली विशेष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार के लिए 10 करोड़ अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा और कृषि परियोजना कार्यक्रमों के घटकों के वित्त पोषण के लिए 10 करोड़ अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा संबंधी समझौते शामिल हैं.  रवांडा ने निर्यात-आयात बैंक के जरिए उपलब्ध कराई गई भारतीय ऋण सुविधा के अंतर्गत कार्यान्वित सुविधाओं से लाभ उठाया है. इसके अंतर्गत जल विद्युत, कृषि, कौशल विकास, बुनियादी ढांचा और सोलर विद्युतीकरण जैसे क्षेत्रों में करीब 40 करोड़ अमरीकी डॉलर के निवेश से रवांडा को लाभ पहुंचा है.
युगांडा
अफ्रीका के तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी युगांडा की राजधानी कम्पाला पहुंचे. 21 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा थी. अपने दो दिन के प्रवास के दौरान उन्होंने युगांडा गणराज्य के राष्ट्रपति योवेरी कागूता मुसेवेनी से आपसी बातचीत की. उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक, रक्षा, तकनीकी, शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक सहयोग सहित द्विपक्षीय हित के अनेक मुद्दों पर विचार विमर्श किया. दोनों नेताओं ने मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने की वचनबद्धता व्यक्त की और आपसी व्यापार संबंधों में बढ़ोतरी, विस्तार और विविधता लाने की इच्छा जाहिर की. आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने जोर देकर कहा कि आतंकवादियों, आतंकी गुटों, उनके नेटवर्कों और आतंकवाद को बढ़ावा, सहायता और धन प्रदान करने वालों या फिर आतंकियों को पनाह देने वालों और टैरर गु्रपों के खिलाफ कड़े उपाय करने की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात की आवश्यकता भी रेखांकित की कि आतंकी संगठनों की पहुंच किसी डब्ल्यूएमडी अथवा टेक्नोलोजी तक न होने पाए. उन्होंने संकल्प व्यक्त किया कि दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में व्यापक समझौते को शीघ्र अंजाम देने में सहयोग करेंगे. इस यात्रा के दौरान 4 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें रक्षा सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन और पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला के बारे में समझौता शामिल था. भारत और युगांडा के बीच रक्षा मामलों में सहयोग में निरंतर वृद्धि हुई है. युगांडा पीपल्स डिफेंस फोर्स यानी वहां की सेना ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के अंतर्गत विभिन्न सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है. किमाका स्थित युगांडा की सीनियर कमान और स्टॉफ  कॉलेज में एक भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम भी तैनात की गई है. श्री मोदी ने युगांडा के लिए दो ऋण सुविधाओं की घोषणा की. इनमें से 14.1 करोड़ अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा विद्युत लाइनों के लिए थी और दूसरी 6.4 करोड़ अमरीकी डॉलर की ऋण सुविधा कृषि तथा डेरी उत्पादन से सम्बद्ध थी. उन्होंने नील नदी के स्रोत पर जिंजा में महात्मा गांधी हेरिटेज सेंटर की स्थापना के लिए भारतीय योगदान देने की भी घोषणा की, जहां महात्मा गांधी की अस्थियों का एक हिस्सा विसर्जित किया गया था.
इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युगांडा की संसद को संबोधित किया. यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने युगांडा की संसद को संबोधित किया. सांसदों को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने 10 सिद्धांतों पर बल दिया, जो अफ्रीका के साथ भारत की सम्बद्धता का निरंतर  मार्गदर्शन करते रहेंगे.
1. अफ्रीका, भारत की प्राथमिकताओं में शीर्षतम रहेगा. अफ्रीका के साथ भारत के संबंध स्थिर और
नियमित हैं.
2. विकास भागीदारी में अफ्रीका की प्राथमिकताओं का ध्यान रखा जाएगा. भारत यथासंभव स्थानीय क्षमता बढ़ाएगा और हरसंभव अनेक स्थानीय अवसर पैदा करेगा.
3. भारत अपने बाजारों को अफ्रीका के लिए खुला रखेगा तथा उन्हें अधिक सुगम और आकर्षक बनाएगा. वह अपने उद्योगों की सहायता करेगा, ताकि वे अफ्रीकी देशों में निवेश करें. 
4. भारत अफ्रीका के विकास में मदद के लिए डिजिटल क्रांति के अपने अनुभवों का लाभ उसे प्रदान करेगा; सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में सुधार लाने; स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने; डिजिटल साक्षरता का प्रसार करने; वित्तीय समावेशन और अलग-थलग पड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने के अपने अनुभवों का लाभ अफ्रीका को पहुंचाएगा.
5. दुनिया की कुल कृषि योग्य भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा अफ्रीका में है, लेकिन वैश्विक उत्पादन में उसकी भागीदारी मात्र 10 प्रतिशत है. भारत अफ्रीका को खेती में सुधार लाने में सहायता करेगा.
6. भारत न्यायोचित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था सुनिश्चित करने, जैव विविधता के संरक्षण और स्वच्छ और सक्षम ऊर्जा स्रोत अपनाने में अफ्रीका के साथ मिल कर
काम करेगा.
7. भारत और अफ्रीका आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने में आपसी क्षमता और सहयोग बढ़ाएंगे; अपने साइबर स्पेस को सुदृढ़ और सुरक्षित रखेंगे तथा शांति को बढ़ावा देने और
बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र की सहायता करेंगे.
8. समुद्र को सभी देशों के लाभ के लिए मुक्त और स्वतंत्र रखने में भारत अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ मिल कर काम करेगा. अफ्रीका के पूर्वी समुद्र तटों और पूर्वी हिंद महासागर में विश्व को प्रतिस्पर्धा की नहीं बल्कि सहयोग की आवश्यकता है. यही वजह है कि हिंद महासागर की सुरक्षा के बारे में भारत का दृष्टिकोण सहयोगात्मक और समावेशी है, जिसकी जड़ें क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास के साथ जुड़ी हैं.
9. भारत अफ्रीकी देशों के साथ मिल कर काम करेगा, ताकि यह महाद्वीप प्रतिद्वंद्वी महत्वाकांक्षाओं का मंच न बने बल्कि अफ्रीका के युवाओं की आकांक्षाओं की नर्सरी बने.
10. भारत और अफ्रीका दोनों एक न्यायोचित, प्रतिनिधित्वपूर्ण और लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था के लिए मिल कर काम करेंगे, जिसमें एक तिहाई मानवता की आवाज और भूमिका का महत्व हो, जो इन दोनों क्षेत्रों में निवास करती है. वैश्विक संस्थानों में सुधारों के भारत के प्रयास अफ्रीका को समान स्थान दिलाए बिना अधूरे हैं.
दक्षिण अफ्रीका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन के सिलसिले में हुई, जिसका इस वर्ष का विषय था - अफ्रीका में ब्रिक्स’. दोनों देश सामरिक भागीदारी की 21वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. दो दिन के सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ द्विपक्षीय बैठक की. दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी सहित अनेक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के तौर तरीकों पर विचार किया. दोनों देशों ने बाहरी अंतरिक्ष का इस्तेमाल खोज एवं शांतिपूर्ण प्रयोजनों के लिए करने में सहयोग, कारीगर कौशल और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए गांधी-मंडेला विशेषज्ञता केंद्र की स्थापना के बारे में 3 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. भारत और दक्षिण अफ्रीका को महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की धरोहरों पर गर्व है. इन दोनों विभूतियों के बारे में प्रधानमंत्री ने एक स्मॉरक टिकट भी जारी किया.
निष्कर्ष
भारत और अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं, लेकिन अनेक वर्षों के बाद भी आपसी संबंध निश्चित आकार नहीं ले पाए हैं. वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत भारत-अफ्रीकी संबंधों को बल मिला है, जिसमें दोनों भागीदारों का विकास और आर्थिक बढ़ोतरी पर भरोसा है. भारत तीव्र आर्थिक विकास के लिए प्रयास कर रहा है, अत: अफ्रीकी संसाधनों में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी. परंतु, अफ्रीका के प्रति भारत का दृष्टिकोण एक निष्कर्षक का नहीं बल्कि प्रबुद्ध सहयोगकर्ता का है. भारत अफ्रीकी देशों की मदद करता है, वे भी औद्योगिकरण के मार्ग में हैं, ताकि अपने संसाधनों का पता लगा सकें, मूल्य संवद्र्धन कर सकें और रोज़गार के अवसर पैदा कर सकें. अफ्रीका को भारत से वित्तीय और प्रौद्योगिकी विषयक सहायता की अपेक्षा है. दोनों पक्ष सुरक्षा परिषद में सुधारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं. अत: दोनों पक्षों का यह प्रयास है कि घनिष्ठ भू-राजनीतिक संबंधों को मज़बूत बनाया जाये और उनका विस्तार किया जाये तथा विकास में भागीदारी को घनीभूत किया जाये. वे इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एकजुट प्रयास कर रहे हैं. अधिकाधिक अफ्रीकी राष्ट्र आज लोकतांत्रिक बनते जा रहे हैं, अत: वे भारत को एक ऐसे सशक्त लोकतंत्र के सफल मॉडल के रूप में देखते हैं, जिससे वे संविधानवाद, संघवाद, अधिकारों और नियमों के बारे में सीख सकते हैं. इस संबंध में अफ्रीकी देशों के लिए भारत एक रोल मॉडल बन गया है.  आज भारत और अफ्रीका संभावनाशील भविष्य की दहलीज पर खड़े हैं. दोनों की दो-तिहाई आबादी ऐसी है जिसकी आयु 35 वर्ष है, इसलिए 21वीं सदी के प्रारंभिक दशक भारत और अफ्रीका के लिए ढेर सारे नए अवसर लिए हुए हैं और युवा आबादी की आकांक्षाओं को एकजुट करने वाले हैं. यह सही समय है कि हम इन अवसरों का दोहन करें.
लेखक वरिष्ठ टी वी पत्रकार हैं.
ई-मेल: mohitmishra1@gmail.com आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.