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संपादकीय लेख


Volume-12, 23-29 June, 2018

 
युवा शक्ति का सार्थक उपयोग

संजय कुमार

युवा शक्ति को किसी भी राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों में से एक समझा जाता है. भारत जैसे राष्ट्र के संदर्भ में विचार करने पर यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते मानव प्रतिभा का सागरसमझा जाता है और इसे विश्व में मानव संसाधनों के उभरते हुए आपूर्तिकर्ताके रूप में देखा जाता है.
2020 के संदर्भ में यह विचारणीय है कि उस समय औसत भारतीय की आयु केवल 29 वर्ष होगी जबकि चीन और अमरीका के नागरिकों की औसत आयु 37 वर्ष, पश्चिमी यूरोप में यह 45 वर्ष और जापान में औसत आयु 48 वर्ष होगी. अनुसंधान विश्लेषकों के अनुसार यह ‘‘जन सांख्यिकीय लाभ’’ की स्थिति होगी, जिसका दोहन 2020 में भारत कर सकेगा. इस संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि भारत में काम करने योग्य लोगों की आबादी में 4.7 करोड़ से अधिक का इजाफा होगा.
परंतु, युवा शक्ति अथवा युवाओं की अधिक संख्या दो धार वाली तलवार के समान है. अगर बढ़ती आबादी का प्रबंधन प्रभावकारी ढंग से नहीं होगा, तो इसके परिणाम प्रतिकूल होंगे. काम करने योग्य आबादी में बढ़ोतरी सिलसिलेवार होती है, अत: यह स्वाभाविक है कि अगर राष्ट्र को अपनी मानव पूंजी का दोहन करना है, तो कार्मिकों की नई पीढ़ी कौशल और ज्ञान से युक्त होनी चाहिए.
यह भी महत्वपूर्ण है कि कौशल और ज्ञान का संचयन युवाओं की रुचि और महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने अपने 4 वर्ष के कार्यकाल के दौरान भारत के रूपांतरण के लिए युवा शक्ति के दोहन के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए हैं. इनमें ‘‘मेक इन इंडिया’’, ‘‘स्किल इंडिया’’, ‘‘स्टार्ट अप इंडिया’’ जैसे कुछ प्रमुख कार्यक्रम हैं, जो भारत के युवाओं के ‘‘सशक्तिकरण’’ का मार्ग प्रश्स्त करते हैं.
इसके अतिरिक्त यह लगता है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी और केंद्र में उनकी सरकार इन चार वर्षों के दौरान नई प्रस्तावित शिक्षा नीति के जरिए भारत के शैक्षिक क्षेत्र में सुधार लाने की दिशा में भी बड़ा काम कर रही है, ताकि हमारे शैक्षिक संस्थानों का स्तर या रैंकिंग बढ़ाई जा सके. सरकार ने देशभर में 20 नए विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की है, बेहतर भविष्य के लिए युवाओं को कौशल युक्त बनाया जा रहा है. नियामक निकायों में सुधार किए जा रहे हैं और कई अन्य उपाय भी सरकार ने किए हैं.
‘‘सबके लिए शिक्षा’’ के वायदे के साथ मोदी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा स्थापित शिक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में अनेक उपाय किए हैं.
उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में उपाय
पिछले 4 वर्षों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 7 नए भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम्स), 6 नए
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटीज़) और 2 नए भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों (आईआईएसईआर्स) की स्थापना की है.
2014 के बाद से पिछला एक वर्ष मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए सर्वाधिक लाभकारी समझा गया है. उच्चतर शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करने का वायदा पूरा करने के लिए सरकार ने एक नए कानून का अनुमोदन किया ताकि भारतीय प्रबंधन संस्थानों को अभूतपूर्व शैक्षिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता प्रदान की जा सके. इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पारित एक नए कानून ने उच्चतर शिक्षण संस्थानों को उनके कार्य निष्पादन के आधार पर अलग-अलग स्तर की स्वायत्तता प्रदान की है.
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उपाय
जहां तक स्कूली शिक्षा का संबंध है, सभी सरकारी स्कूलों में शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा करना और पहला राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण संपन्न करना, ये दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां कही जा सकती हैं.
मंत्रालय ने 10वीं कक्षा के लिए फिर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा को अनिवार्य बनाया. संसद ने शिक्षा अधिकार अधिनियम में संशोधन किया ताकि निर्धारित योग्यता न रखने वाले सभी शिक्षकों के लिए अपेक्षित योग्यता हासिल करने की अंतिम तारीख मार्च 2020 तक बढ़ाई जा सके. सरकार ने अपने वायदे के अनुसार सर्वशिक्षा अभियान के अंतर्गत राज्यों के कार्य निष्पादन पर निगरानी रखने की एक व्यवस्था कायम करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म ‘‘शगुन’’ का शुभारंभ किया.
विश्व स्तरीय संस्थानों की स्थापना
अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारतीय शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग में सुधार लाने के लिए, सरकार 20 संस्थानों को सहायता पहुंचा रही है, जिनमें 10 सरकारी और 10 निजी संस्थान हैं, ताकि उन्हें विश्व के शीर्ष 100 संस्थानों में स्थान दिलाया जा सके. मानव संसाधन विकास मंत्रालय रैंकिंग में सुधार के लिए सरकारी क्षेत्र के 10 संस्थानों को 1000 करोड़ रुपये भी उपलब्ध करा रहा है. अन्य शैक्षिक संस्थानों की तुलना में ‘‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों’’ को अधिक स्वायत्तता देने का भी प्रस्ताव है.
लड़कियों की शिक्षा
सरकार ने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का शुभारंभ किया ताकि स्त्री-पुरुष अनुपात में वृद्धि की जा सके और स्कूलों में बालिकाओं के दाखिलों सहित उनकी स्थिति में सुधार लाया जा सके. इस कार्यक्रम के संचालन का दायित्व महिला और बाल विकास मंत्रालय को दिया गया, जबकि स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग को मंत्रालय की सहायता करने का दायित्व सौंपा गया. ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान के अंतर्गत एक पुरस्कार की स्थापना की जा रही है, जो ऐसी स्कूल प्रबंधन समितियों को दिया जाएगा, जो शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शत-प्रतिशत बालिकाओं के उत्तीर्ण होने का लक्ष्य
हासिल करेंगी.
उड़ान
यह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का एक कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य वंचित बालिकाओं और अजा/अजजा तथा अल्पसंख्यक समुदायों से अन्य विद्यार्थियों को विशेष रूप से विज्ञान और गणित में स्कूल-परवर्ती व्यावसायिक शिक्षा में सुधार लाने के लिए मदद पहुंचाना है. इसका लक्ष्य खुली शिक्षा और इंजीनियरी शिक्षा प्रवेश प्रणालियों के बीच गुणवत्ता अंतराल में कमी लाना है. इसके अंतर्गत तीन मानदंडों -पाठ्यक्रम डिज़ाइन, ट्रांजेक्शन और मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है.
तकनीकी शिक्षा में बेहतरी के लिए बालिका सहायता कार्यक्रम (पीआरएजीएटीआई-प्रगति) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने 2014 में यह कार्यक्रम शुरू किया. इसमें ऐसे प्रत्येक परिवार से एक बालिका का चयन किया जाता है, जिसकी कुल वार्षिक आय छह लाख रुपये से कम हो. बालिकाओं का चयन तकनीकी शिक्षा में प्रवेश के लिए क्वालिफाई परीक्षाओं में उनके द्वारा प्राप्त योग्यता क्रम के आधार पर किया जाता है. चुनी गई बालिकाओं को स्कॉलरशिप के रूप में प्रति विद्यार्थी 30,000 रुपये अथवा ट्यूशन फीस  अथवा वास्तविक व्यय, इनमें जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा आकस्मिक भत्ते के रूप में 10 महीने तक 2000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं.
विशेष जरूरतों वाले व्यक्ति
विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए 2014-15 में सक्षम स्कॉलरशिप शुरू की गई: एआईसीटीई ने निर्णय किया है कि भिन्न दृष्टि से सक्षम विद्यार्थियों को हर वर्ष 1000 छात्रवृत्तियां दी जाएंगी ताकि वे तकनीकी शिक्षा हासिल कर सकें. पात्र विद्यार्थियों का चयन उनके द्वारा क्वालिफाई परीक्षाओं में हासिल किए गए रैंक के आधार पर किया जाएगा. स्कॉलरशिप के रूप में प्रति विद्यार्थी 30,000 रुपये अथवा ट्यूशन फीस अथवा वास्तविक व्यय, इनमें जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा. इसके अलावा आकस्मिक भत्ते के रूप में 10 महीने तक 2000 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं.
स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एसपाइरिंग माइंड्स अर्थात महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए सक्रिय शिक्षण के अध्ययन-वेब):
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2016 को शुरू किया था. इसके अंतर्गत केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थानों जैसे आईआईटीज़, आईआईएम्स, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, देश के नागरिकों के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित करेंगे. ये सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम नि:शुल्क संचालित किए जाएंगे. यदि कोई प्रशिक्षार्थी सत्यापित प्रमाणपत्र की मांग करेगा/करेगी, तो उसके लिए मामूली शुल्क लागू होगा. इस कार्यक्रम के जरिए दो से तीन वर्ष के भीतर कम से कम एक करोड़ विद्यार्थियों को लाभ पहुंचने की उम्मीद है.
इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय उच्चतर शिक्षा नियामक परिषद की स्थापना के लिए एक कानून का मसौदा भी तैयार कर रहा है. उसका लक्ष्य सभी वर्तमान नियामक प्राधिकरणों जैसे यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई को प्रस्तावित नियामक परिषद में समाहित करना है.
सरकार ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की स्थापना के प्रस्ताव का भी अनुमोदन कर दिया है और इसके अध्यक्ष की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है. एनटीए एकल परीक्षण एजेंसी के रूप में काम करेगी. यह एजेंसी उच्चतर शिक्षा के लिए सभी तरह की प्रवेश परीक्षाओं का संचालन करेगी. 
शैक्षिक सुविधाओं का विस्तार
*7 नए आईआईएम्स, 6 नए आईआईटीज़, 1 नया आईआईआईटी, 2 आईआईएसईआर्स, 1 एनआईटी, 1 नया केंद्रीय विश्वविद्यालय, 109 नए केंद्रीय विद्यालय और 62 नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई/
मंजूरी दी गई.
*विभिन्न राज्यों में 10 नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले जाएंगे. ये राज्य हैं - आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल, असम, हिमाचल
प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु और बिहार.
*चिकित्सा स्नातकोत्तर सीटें (एमडी/ एमएस/डिप्लोमा/बीएम/एमसीएच), जो 2014-15 में 25,346 थीं, वे 2017-18 में बढ़ कर 36,703 पर पहुंच गई. इसी प्रकार स्नातक पूर्व सीटें भी 2014-15 की 54,348 से
बढ़ कर 2016-17 में 65,183 पर पहुंच गईं.
जिज्ञासा
विद्यार्थी-वैज्ञानिक संपर्क कार्यक्रम आधिकारिक रूप में 8 जुलाई, 2017 को शुरू किया गया था. इसके कार्यान्वयन के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के साथ समझौता किया है. इसमें स्कूली विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों के बीच संबंध कायम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, ताकि विद्यार्थियों के क्लासरूम शिक्षण को भली-भांति योजनाबद्ध अनुसंधान प्रयोगशाला आधारित शिक्षण के साथ जोड़ा जा सके.
‘‘जिज्ञासा’’ का लक्ष्य एक तरफ खोज करने की इच्छा और दूसरी तरफ वैज्ञानिक मानसिकता की संस्कृति विकसित करना है ताकि स्कूली विद्यार्थियों और उनके शिक्षकों को अनुसंधान के लिए प्रेरित किया जा सके. उम्मीद है कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 1,151 केंद्रीय विद्यालयों को सीएसआईआर की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के साथ जोड़ा जाएगा. इसके अंतर्गत हर वर्ष एक लाख विद्यार्थियों और करीब 1000 शिक्षकों को जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है.
खेलो इंडिया कार्यक्रम
खेलो इंडिया कार्यक्रम 2016 में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य देश में समावेशी और व्यापक खेल पारिस्थितिकी प्रणाली का निर्माण करना है. इस कार्यक्रम के माध्यम से छोटे बच्चों के रोज़मर्रा के जीवन में खेलों को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
इस कार्यक्रम ने भारतीय खेलों के इतिहास में एक खास परिवर्तन को अंजाम दिया है, क्योंकि इसका लक्ष्य व्यक्तिगत विकास, सामुदायिक विकास, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय विकास के लिए खेलों को मुख्य साधन के रूप में अपनाना है.
इस कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियों में 150 जिलों में चुने हुए 150 स्कूलों और देशभर में 20 विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट खेल केंद्रों के रूप में विकसित करना शामिल है. ये केंद्र प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों को शिक्षा और खेलों संबंधी प्रतिस्पर्धा का दोहरा मार्ग अपनाने में सक्षम बनाएंगे.
राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम (आरओआईएसके)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पिछले 4 वर्षों के दौरान युवाओं के विकास और सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं. इन कार्यक्रमों की कार्यक्षमता में सुधार लाने के लिए यह जरूरी समझा गया कि इन कार्यक्रमों का एकल कार्यक्रमों में विलय किया जाए, जो युवा मामले विभाग के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में काम करे.
अब युवा मामले और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम - आरवाईएसकेनाम का नया संयुक्त कार्यक्रम तैयार किया है, जिसमें सभी मौजूदा कार्यक्रमों को समाहित कर लिया गया है. इसके साथ दो अन्य कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, ये हैं - राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रम (एनएसएस) और देश के किशोरों और युवाओं के विकास के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान (आरजीएन आईवाईडी). उपरोक्त कार्यक्रमों के लिए 2016-17 में 500 करोड़ रुपये योजना मद के अंतर्गत  और 96 करोड़ रुपये गैर-योजना मद के अंतर्गत आवंटित किए गए.
इस कार्यक्रम के लाभार्थियों में 15 से 29 वर्ष की आयु समूह के ऐसे युवाओं को शामिल किया जाएगा, जो 2014 की राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार ‘‘युवा’’ की परिभाषा के अंतर्गत आते हों. किशोरों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए कार्यक्रम घटकों के मामले में आयु समूह 10 से 19 वर्ष समझा जाएगा. राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम (आरवाईएसके) के अंतर्गत निम्नांकित वर्तमान कार्यक्रमों/स्कीमों को समाहित किया गया है:
*नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस)
*राष्ट्रीय युवा कोर (एनवाईसी)
*राष्ट्रीय युवा और किशोर विकास कार्यक्रम (एनपीवाईएडी)
*अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (आईसी)
*युवा छात्रावास (वाईएच)
*स्काउंटिंग और गाइडिंग संगठनों के लिए सहायता कार्यक्रम
*राष्ट्रीय अनुशासन कार्यक्रम (एनडीएस)
*राष्ट्रीय युवा नेता कार्यक्रम (एनवाईएलपी)
प्रधानमंत्री वाईयूवीए (युवा उद्यमिता विकास अभियान) कार्यक्रम:
यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है. उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण से संबंधित यह कार्यक्रम भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य उद्यमिता, शिक्षा और प्रशिक्षण के जरिए उद्यमशीलता विकास के लिए सक्षम वातावरण तैयार करना है. उद्यमशीलता सहायता नेटवर्क को मजबूत बनाना और उस तक आसान पहुंच कायम करना तथा समावेशी विकास के लिए सामाजिक उद्यमों को प्रोत्साहित करना भी इस कार्यक्रम का प्रयोजन है.
499.94 करोड़़ रुपये की परियोजना लागत के साथ इस कार्यक्रम की अवधि 5 वर्ष (2016-17 से 2020-21) रखी गई है. यह कार्यक्रम 5 वर्ष में 3050 संस्थानों के माध्यम से 7 लाख से अधिक
विद्यार्थियों को उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करेगा.
कुशल भारत
कुशल भारत अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 जुलाई 2015 को प्रारंभ किया गया. इसका उद्देश्य 2022 तक देश में 40 करोड़ लोगों को विभिन्न प्रकार के कौशलों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करना है. इस कार्यक्रम के साथ ही प्रधानमंत्री ने ‘‘राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन’’ और ‘‘कौशल विकास और उद्यमिता कार्यक्रम 2015’’ और अखिल भारतीय स्तर पर संचालित मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम, ‘‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना-पीएमकेवीवाई’’ का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया.
भारत आज एक ऐसा देश है, जिसकी काम करने योग्य आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा युवा है. यदि इस जन सांख्यिकीय लाभ का दोहन करना है, तो यह युवाओं के कौशल विकास के जरिए ही संभव है. इससे न केवल उनका व्यक्तिगत विकास होगा, बल्कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी भी होगी.
स्किल इंडिया के अंतर्गत देश में 40 क्षेत्रों से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं. ये सभी पाठ्यक्रम राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अंतर्गत उद्योग और सरकार दोनों द्वारा सहायता प्राप्त मानदंडों के अनुरूप हैं. ये पाठ्यक्रम किसी भी व्यक्ति को व्यावहारिक तौर पर कार्य को अंजाम देने पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं और उसे तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ाने में सहायता करते हैं ताकि वह पहले दिन से ही किसी काम को करने में सक्षम हों और कंपनियों को उसे रोज़गार देते समय प्रशिक्षण पर खर्च न करना पड़े.
भारत की स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद पहली दफा कौशल विकास एवं उद्यमिता के लिए एक मंत्रालय (एमएसडीई) की स्थापना की गई है ताकि कौशल विकास के माध्यम से युवाओं की रोज़गार सक्षमता बढ़ाई जा सके.
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की घोषणा 2015-16 के बजट भाषण में की गई थी. इसका लक्ष्य विभिन्न मंत्रालयों के कौशल कार्यक्रमों को मजबूती प्रदान करना और 31 क्षेत्रों से सम्बद्ध कौशल परिषद में प्रक्रियाओं एवं परिणामों को मानक रूप प्रदान करना था. उदाहरण के लिए वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 70 से अधिक कौशल विकास कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं. इनमें प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए पात्रता, प्रशिक्षण की अवधि, प्रशिक्षण की लागत, परिणाम, निगरानी और संचालन संबंधी व्यवस्था आदि के बारे में स्वयं के मानदंड हैं.
कौशल नीति के अंतर्गत कौशल विकास को रोज़गार सक्षमता में सुधार और उत्पादकता के साथ जोडऩे पर बल दिया जाता है ताकि देश में समावेशी विकास का मार्ग प्रश्स्त हो सके. कौशल कार्यनीति के अंतर्गत विशेष पूरक प्रयास किए जाते हैं ताकि उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जा सके और प्रशिक्षित कार्मिकों के लिए रोज़गार के पर्याप्त अवसर पैदा किए जा सकें.
‘‘स्किल इंडिया कार्यक्रम’’ का संचालन ‘‘मेक इन इंडिया’’ अभियान के साथ साथ किया जाता है. इससे भारत में विनिर्माण शुरू करने वाले निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षित श्रमिकों की आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई)
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसवीई) का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे अन्य 4 वर्षों (2016-2020) के लिए अनुमोदित किया गया ताकि एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके. यह एक कौशल प्रमाणन कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को उद्योग-सापेक्ष कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि बेहतर आजीविका हासिल करने में उनकी मदद की जा सके. पहले से प्रशिक्षित और कुशल व्यक्तियों का भी मूल्यांकन इस कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाता है और पूर्व प्रशिक्षण को मान्यता (आरपीएल) देने के अंतर्गत मूल्यांकित और प्रमाणित किया जाता है.  इसके अंतर्गत प्रशिक्षण और मूल्यांकन शुल्क पूरी तरह भारत सरकार द्वारा दिया जाता है.
कार्यक्रम के प्रमुख घटकों में अल्पावधि प्रशिक्षण, पूर्व प्रशिक्षण को मान्यता, विशेष परियोजनाएं, कौशल और रोज़गार मेले, रोज़गार प्रदान करने संबंधी दिशा-निर्देश और निगरानी संबंधी दिशा-निर्देश शामिल हैं.
पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा उच्च गुणवत्ता मानदंड अपनाना सुनिश्चित करने के लिए एनएसडीसी और पैनल में शामिल निरीक्षण एजेंसियां विभिन्न प्रकार की पद्धतियों का इस्तेमाल करती हैं, जैसे स्वयं-जांच रिपोर्ट देना, जांच के लिए बुलाना, अचानक निरीक्षण करना और कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली (एसडीएमएस) के जरिए निगरानी रखना. अद्यतन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के जरिए इन पद्धतियों का संवर्धन किया जाएगा.
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन कार्यक्रम
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रोत्साहन कार्यक्रम (एनएपीएस) का शुभारंभ 19 अगस्त, 2016 को किया गया था. इसका उद्देश्य प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देना और ऐसे नियोक्ताओं को प्रोत्साहन प्रदान करना है, जो प्रशिक्षुओं की भर्ती के इच्छुक हों. एनएपीएस ने 19 अगस्त, 2016 से पहले जारी कार्यक्रम प्रशिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एपीवाई) का स्थान लिया. एपीवाई के अंतर्गत सरकार द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत वजीफा केवल प्रथम दो वर्षों के लिए दिया जाता था. इसके विपरीत एनएपीएस के अंतर्गत प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण और
वजीफा दोनों के लिए व्यय में हिस्सेदारी का प्रावधान है.
राष्ट्रीय युवा नेता कार्यक्रम (एनवाईएलपी)
राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए युवाओं को सक्षम बनाने के वास्ते उनमें नेतृत्व के गुणों का विकास करना अत्यंत आवश्यक है. इस संदर्भ में सरकार ने राष्ट्रीय युवा नेता कार्यक्रम (एनवाईएलपी)नाम का एक नया कार्यक्रम दिसंबर, 2014 में शुरू किया था. इस कार्यक्रम के 5 घटक हैं, जो नीचे दिए गए हैं:
*पास-पड़ोस युवा संसद
*विकास कार्यक्रम के लिए युवा
*राष्ट्रीय युवा नेता पुरस्कार
*राष्ट्रीय युवा परामर्शी परिषद
*राष्ट्रीय युवा विकास निधि
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना अथवा डीडीयू-जीकेवाई केंद्रीय मंत्रियों, नितिन गडकरी और वेंकैया नायडू ने 25 सितंबर, 2014 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 98वीं जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया. डीडीयू-जीकेवाई का लक्ष्य ‘‘ग्रामीण निर्धन युवाओं को आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर और वैश्विक दृष्टि से सार्थक कार्यबल में परिणत’’ करना है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत 15 से 35 वर्ष की आयु समूह के युवाओं को शामिल किया जाता है. डीडीयू-जीकेवाई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का हिस्सा है. यह कार्यक्रम ग्रामीण निर्धन परिवारों की आय में वृद्धि करने और ग्रामीण युवाओं की व्यावसायिक आकांक्षाओं को पूरा करने के दोहरे लक्ष्य को अंजाम देता है. ग्रामीण युवाओं की रोज़गार सक्षमता बढ़ाने के लिए 1500 करोड़ रुपये का एक कोष बनाया गया है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत धन का संवितरण डिजिटल वाउचर के जरिए सीधे विद्यार्थी के बैंक खाते में किया जाता है. यह भुगतान सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में किया जाता है.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई):
प्रधानमंत्री मुद्रा कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को किया था. यह कार्यक्रम माइक्रो यूनिट्स डिवेल्पमेंट एंड रीएन्फोर्समेंट एजेंसी (मुद्रा) बैंक के अंतर्गत लागू किया जाता है. प्रधानमंत्री मुद्रा कार्यक्रम (पीएमवाईवाई) एक ऐसा संस्थान है, जिसकी स्थापना सूक्ष्म इकाइयों से संबंधित गतिविधियों के विकास और उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई है. इसका मुख्य उद्देश्य गैर-कॉपोरेट लघु व्यापार क्षेत्र के लिए धन की व्यवस्था करना है. इसके तहत छोटे उद्यमियों को करीब एक लाख रुपये तक ऋण मंजूर किया जाता है. इसका एक अन्य प्रमुख कारण यह है कि सरकार चाहती है कि युवा वर्ग रोज़गार मांगने वाले की बजाए रोज़गार के अवसर सृजन करने वाले की भूमिका निभाए.
स्टार्ट अप इंडिया
अपनी तरह का यह बेजोड़ कार्यक्रम है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को दिल्ली में लालकिले के प्राचीर से की थी. इस कार्यक्रम की कार्य योजना निम्नांकित बातों पर आधारित है:
*सरल और सहारा देने वाला
*वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन
*उद्योग-शैक्षिक जगत भागीदारी और इन्क्युबेशन
केंद्र सरकार का स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम देश में उद्यमशीलता को नया आयाम प्रदान करेगा, जिसमें युवाओं को रोज़गार मांगकर्ताओं की बजाए रोज़गार सृजनकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक अतिरिक्त क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया है, वह है, लाइसेंस राज, भूमि संबंधी अनुमति, विदेशी निवेश संबंधी प्रस्तावों और पर्यावरण संबंधी मंजूरियों जैसे सरकार की प्रतिबंधात्मक नीतियों से मुक्ति. स्टार्ट अप की परिभाषा के अनुसार यह एक ऐसी संस्था है, जिसका मुख्यालय भारत में हो और जो पिछले 7 वर्ष के भीतर खोली गई हो. उसका वार्षिक कारोबार 25 करोड़ रुपये (38 लाख अमरीकी डॉलर) से कम हो. इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार 10 लाख मोबाइल ऐप स्टार्ट अप्स के निर्माण में भारतीय उद्यमियों की मदद करने के लिए आई-मेड कार्यक्रम और मुद्रा बैंक कार्यक्रम (प्रधानमंत्री मुद्रा योजना) पहले ही शुरू कर चुकी है. मुद्रा बैंक कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य सामाजिक आर्थिक दृष्टि से कमजोर उद्यमियों को कम ब्याज दर पर सूक्ष्म वित्त प्रदान करना है. इस कार्यक्रम के लिए प्रारंभिक पूंजी के रूप में 200 अरब रुपये (3.1 अरब अमरीकी डॉलर) आवंटित किए गए हैं.
विविध प्रकार की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थितियों और अलग-अलग तरह की आबादी वाले भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अखिल भारत स्तर पर सुधारों को लागू करना चुनौतीपूर्ण कार्य है. उपरोक्त कार्यक्रमों से यह संकेत मिलता है कि पिछले 4 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करना मोदी सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में शामिल रहा है. समूचे ढांचे को प्रभावकारी ढंग से सुदृढ़ बनाने के निरंतर प्रयास किए गए हैं, ताकि भारत में युवाओं को प्रेरित किया जा सके और राष्ट्र ‘‘युवा शक्ति’’ पर गर्व महसूस कर सके.
(लेखक पटना, बिहार स्थित शिक्षाविद् हैं ईमेल batroul@gmail.com) (ये लेखक के निजी विचार हैं)