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संपादकीय लेख


Volume-41, 6-18 January, 2018

 
तनाव: अमूर्त दैत्य, जो मानव ऊर्जा नष्ट करता है

सारिका रघुवंशी

तनाव किसी स्थिति के प्रति एक अंगीकृत प्रतिक्रिया है, जो किसी व्यक्ति की खुशहाली को खतरे में डाल सकता है या उसके प्रति चुनौती पैदा कर सकता है, जिसकी परिणति शारीरिक, मानसिक और भावात्मक संघर्षअथवा बेचैनीमें होती है.
यह रक्षात्मक या आंतरिक आक्रामक प्रतिक्रिया लंबे समय तक रहने से अंतत: शारीरिक, मानसिक और भावात्मक स्वास्थ्य को खराब करती है.
हर कोई समय-समय पर तनाव महसूस करता है और इस प्रतिस्पर्धात्मक जगत में यह अमूर्त दैत्य जीवन के सभी क्षेत्रों और सभी आयु समूह के लोगों में विद्यमान है.
तनाव क्यों होता है?
जब हम किसी हमले की आशंका से अपने शरीर या मन पर कोई दबाव महसूस करते हैं, तो उससे एक प्रतिहिंसा की भावना पैदा होती है. इस प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर में हारमोन्स और रसायनों (एड्रेनलिन, कोर्टिसोल और नोरपाइनफ्रिन) का एक जटिल मिश्रण स्रवित होता है, जो हमें एक शारीरिक कार्रवाई के लिए तैयार करता है.
तनाव के कारक
तनाव के कारणों में कोई भी ऐसी पर्यावरणीय स्थिति शामिल हो सकती है, जो किसी व्यक्ति से भौतिक या भावात्मक मांग करती है. उदाहरण के लिए रोजगार असुरक्षा, कोई काम न होना या अत्यधिक काम होना, सूचना का अति प्रवाह, घरेलू दबाव, परिवार या सामाजिक अपेक्षाएं और तेज रफ्तार जिंदगी आदि बातें किसी भी व्यक्ति में तनाव का कारण बनती हैं.
तनाव के परिणाम
तनाव अपने को कई तरह से प्रदर्शित करता है. जब हम जीवन की स्थितियों के वशीभूत होकर अपने तनाव से मुक्त नहीं हो पाते, तो वह तब तक बढ़ता रहता है, जब तक हम विस्फोटित नहीं हो जाते अथवा टूट नहीं जाते. इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों में खास तरह की विकृतियां आती हैं.
तनाव बनने की प्रक्रिया का निदान  शारीरिक लक्षणों से होता है, जैसे सरदर्द, मांसपेशीय तनाव, उच्च रक्तचाप, सीने में दर्द, पाचन संबंधी समस्याएं, भोजन संबंधी विकृतियां, अनिद्रा, अरुचि, थकान, बालों का गिरना आदि.
तनाव के कारण मनोवैज्ञानिक और व्यवहार संबंधी परिवर्तन भी होते हैं, जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन, आत्मसम्मान में कमी, घबराहट में हमले, मूड संबंधी फेरबदल, ऊंची आवाज में बोलना, विद्वेष, असहिष्णुता, नाराजग़ी, चिंता, अवसाद, अति मदिरापान, निराशा आदि.
तनाव को नियंत्रित कैसे करें?
तनाव प्रबंधन या नियंत्रण ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें तनाव से बचने और तनाव से निपटने के उपायशामिल होते हैं, ताकि रोजमर्रा की कार्य प्रणाली में सुधार के प्रयोजन के लिए बेहतर व्यवस्था कायम की जा सके. यह ऐसी योग्यता है, जो स्थितियों, लोगों और अत्यधिक मांग करने वाली घटनाओं को नियंत्रण में रखने में मदद करती है. तनाव प्रबंधन उस समय अनिवार्य हो जाता है, जब हमें यह प्रतीत होता है कि हम जीवन में दबावपूर्ण स्थितियों का सामना कर रहे हैं.
तनाव प्रबंधन यह खोजने की प्रक्रिया है, कि हम यथासंभव तनाव से कैसे बच सकते हैं और अपरिहार्य तनाव होने पर उससे कैसे निपट सकते हैं.
तनाव प्रबंधन की विभिन्न तकनीकें
व्यायाम
कोई भी ऐसी शारीरिक क्रिया, जो हार्मोन (एंडोर्फिन) को मुक्त करने में मददगार हो. इसे मनोविज्ञान की भाषा में मूड एलिवेटर और मानसिक दर्द निवारक तथा शरीर में अवसादरोधी भी कहा जाता है. इन व्यायामों में पैदल चलना, साइकलिंग, दौडऩा, जॉगिंग, तैरना आदि शामिल हैं, जो तनाव को विरेचित करने में मददगार होते हैं.
सांस पर ध्यान केन्द्रित करना
लंबी सांस लेने से फेफड़ों के पंजर की ओर विस्तार के जरिए पाश्र्ववर्ती की बजाए नीचे की ओर विस्तार के लिए जगह बनती है. इस तरह गहरे सांस की इस प्रक्रिया में सीने की बजाए पेट का विस्तार होता है. इसे आमतौर पर ऑक्सीजन ग्रहण करने का अधिक स्वस्थ और पूर्ण तरीका समझा जाता है और इसे अक्सर हाइपर वेंटिलेशन और तनाव के लिए एक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. तनाव और क्रोध के दौरान हमारी प्रवृत्ति सांस खींचने और उसे रोकने की रहती है. लंबी सांस लेने और छोडऩे से हमारा शरीर इस बात के लिए सतर्क हो जाता है कि वह आराम कर सकता है और आवश्यक शारीरिक कार्र्यों को अंजाम दे सकता है और संघर्ष या बेचैनी की स्थिति से उभर सकता है.
बॉडी स्कैन
इसके अंतर्गत गहरे सांस लेने की प्रक्रिया का इस्तेमाल मांसपेशियों को तनावमुक्त करने के लिए किया जाता है. कुछ मिनट तक लंबी सांस लेने के बाद हम एक समय में शरीर के एक हिस्से या मांसपेशियों के एक समूह पर ध्यान केंद्रित करते हैं और वहां महसूस किए जा रहे किसी भी शारीरिक तनाव से मानसिक रूप में मुक्त होने का प्रयास करते हैं.
आत्म सम्मोहन (हिप्नोसिस): निर्देशित कल्पना
किसी शांत स्थान का चयन करें, जहां बैठ कर अभ्यास किया जा सके. आंखें बंद करें और मांसपेेशियों को आराम पहुंचाने का प्रयास करें. शांतिदायक दृश्यों, स्थानों, अनुभवों को अपने मस्तिष्क में महसूस करें ताकि वहां ध्यान केंद्रित करके आप अपने को तनाव से मुक्त कर सकें. इससे आपकी रचनात्मक दृष्टि को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी.
स्व-सृजित (ऑटोजेनिक) प्रशिक्षण:
यह भी एक तरह की तनावमुक्ति तकनीक है, जिसमें व्यक्ति मानसदर्शन या मानसिक चित्रण और रचनात्मकताओं के जरिए स्थितियों के ऐसे समूह को दोहराता है, जो उसे मुक्ति की स्थिति की ओर प्रेरित करती हैं. यह तकनीक स्वायत्त मांसल प्रणाली की सहानुभूतिपूर्ण (फाइट या फ्लाइट मोड) और आराम और पाचन शाखाओं के बीच  संतुलन बहाल करती है. ये शाखाएं किसी स्थिति के प्रति हमारी अनुक्रिया को नियंत्रित करती हैं.
शौक विकसित करना
अवकाश के दौरान किसी गतिविधि के प्रति अभिरुचि पैदा करके भी तनाव से मुक्त हुआ जा सकता है क्योंकि हमें एक प्राकृतिक बहिप्र्रवाह की आवश्यकता होती है, जिसमें हमारा ध्यान जो कार्य नहीं हुए हैं और जो हमें करने की आवश्यकता है, उनकी बजाए उन कार्यों पर केंद्रित रहता है, जिनमें हमें आनंद आता है.
ध्यान (मेडिटेशन)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अन्य सभी वस्तुओं, विचारों और परिकल्पनाओं को मस्तिष्क से निकाल कर किसी एक वस्तु या विचार पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है. ये ध्यान बिंदु कोई मंत्र उच्चारण अथवा स्वयं का श्वास या ओमजैसा कोई पवित्र शब्द हो सकता है. इस तरह ध्यान केंद्रित करने से शरीर और मन को आराम मिलता है.
पुनरावर्तक प्रार्थना
दिन में पांच से बीस मिनट तक किसी लघु प्रार्थना अथवा प्रार्थना के किसी वाक्यांश की मौन पुनरावृत्ति करने और साथ में गहरे सांस का अभ्यास करने से मस्तिष्क को शांति और तनाव से मुक्ति मिलती है.
संगीत
संगीत सुनने से हमारे मस्तिष्क और शरीर को अच्छा लगता है और हमें अपेक्षित कार्र्यों पर बेहतर ढंग से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. संगीत तनाव मुक्त करने वाले सबसे उपयुक्त उपायों में से एक है. जब हम संगीत सुनते हैं, तो हमारे शरीर में सेरोटोनिन (एक न्यूरो ट्रांसमीटर, जो व्यक्ति की खुशहाली बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है) की मात्रा बढ़ जाती है. दंत्य और शल्य क्रिया के दौरान संगीत सुनने से आदमी का दर्द और तनाव कम होता है.
योग निद्रा
यह सोने और जागने के बीच चेतना की एक स्थिति है. इसमें निद्रा और योग का मिश्रण होता है और यह सोने जाने जैसी स्थिति होती है. इसमें हम मौखिक अनुदेशों के एक समूह का अनुपालन करते हुए अंतर-जगत के प्रति सिलसिलेवार और सतत जागरूक रहते हैं. इससे हमें घोर तनाव के लक्षणों, जैसे चिंता, अवसाद, सीने में दर्द, धडक़न तेज होने और पसीना आने जैसी स्थितियों से तत्काल राहत मिलती है. योग निद्रा का इस्तेमाल अभिघात परवर्ती विकृतियों से निपटने वाले सैनिकों द्वारा कारगर ढंग से किया जाता है.
निष्कर्ष
जब हमें तनाव का सामना करना पड़ता है, तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यावधान आता है और हम संकटग्रस्त महसूस करते हैं, परंतु सभी प्रकार का तनावखराब नहीं होता. तनाव का एक रचनात्मक पक्ष भी है, जिसे यूस्ट्रेसकहा जाता है. इसका अर्थ है, सुधार लाने के लिए तनाव महसूस करना.
लोगों को उनके लक्ष्य हासिल करने के लिए सक्रिय और प्रेरित करने, उनके माहौल को बदलने और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सफल बनाने तथा उन्हें अधिक उत्पादक बनने में मदद पहुंचाने के लिए भी कुछ तनाव आवश्यक होता है. हमें यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि हम तनाव से लडऩे में अकेले नहीं हैं और यह कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसका समाधान न किया जा सके. इसलिए परेशान न हों. खुश रहें. सब सही है और सही रहेगा. इन सरल पंक्तियों के साथ भी कभी-कभी हम आश्चर्यजनक ढंग से तनाव से मुक्त हो सकते हैं.
(लेखक परामर्शदाता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. ईमेल-sarikaraghuwanshi94@gmail.com)